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मधु का मधुर (मीठा) ताज़ा दूध

by raviram69©

मधु का मधुर (मीठा) ताज़ा दूध
प्रेषक : रविराम69 © "लॅंडधारी" (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories

मेरा परिचय
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दोस्तो, मेरा नाम रविराम है, दोस्त मुझे 'लॅंडधारी' रवि के नाम से बुलाते हैं। मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है। जब मेरा लंड खड़ा (टाइट) होता है तो ऐसा लगता है जैसे किसी घोड़े या किसी गधे का लंड हो । जिसके अन्दर जाये, उसकी चूत का पानी निकाल कर ही बाहर आता है, और वो लड़की या औरत मेरे इस लंबे, मोटे और पठानी लंड की दीवानी हो जाती है। आज तक मैंने बहुत सी शादीशुदा और कुवांरियों की सील तोड़ी है।


पटकथा: (कहानी के बारे में) :
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मैने आहिस्ता से उसका पजामा और पेंटी दोनो उतार दिये. अब वो पूरी तरह से नग्न थी. उसके हाथ मेरे कधों पर थे. और मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को चूसता और मसलता जा रहा था।

मेरे हाथ अब उसकी चूत की ओर चले. बालों के बीच से जब मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की फांकों तक पहुँची तो मुझे पता चला वो पूरी तरह गीली हो चुकी थी. उसने तीन महीने पहले ही बच्चे को जन्म दिया था.

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Story : कहानी:
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मेरी उम्र करीब 45 साल है. मेरी शादी हो चुकी है और दो बच्चे भी हैं. मैं वैसे तो भोपाल का रहने वाला हूँ। मैं एक प्राइवेट कंपनी में ऊँचे पद पर हूँ. बात उन दिनों की है जब मेरी कंपनी ने मुझे ऑफीस सेट अप करने के लिए भेजा था। यह करीब दो साल पहले हुआ. दिसम्बर का महीना था और बच्चो के स्कूल शुरू थे.

मैं अपनी फैमिली साथ नहीं ले जा सका। मुझे कंपनी से एक बड़ा सा मकान मिला था जिसमे मैं पूरी तरह अकेला रहता था. तभी एक दोस्त के रेफरेन्स से एक यंग कपल मुझसे मिलने आये. वो दोनों करीब 25-27 साल के थे. उनका एक तीन महीने का बेबी था. लड़का कहीं नौकरी करता था. उन्हे कुछ महीनों के लिये एक रहने की जगह चाहिये थी. मेरे दोस्त का ख्याल था की मैं अपने मकान का एक हिस्सा उन्हे किराये से दे दूँ. इससे मकान का मेंटेनेन्स होता रहेगा, मुझे कंपनी भी मिल जायेगी और इस कपल की मदद भी हो जायेगी. मुझे वो दोनों भले लगे और मैं तैयार हो गया।

पहले ही दिन मैने नोटीस किया की उसकी पत्नी ने बड़ी टाइट जीन्स और टी-शर्ट पहन रखी हैं. वो दिखने में कोई ख़ास सुंदर नहीं थी पर उसका दुबला पतला बदन था और जिस पर काफ़ी उभार वाले बड़े स्तन थे. पहले ही दिन से मैं उन पर से नज़रें हटा नहीं पा रहा था। मैने सोचा शायद अब भी अपने बच्चे को दूध पीला रही है. मेरा ख्याल सही निकला. वो जब भी मुझसे मिलती मेरी नज़र उसके भरपुर स्तन पर जाये बगैर नहीं मानती थी।

यह शायद उसने भी नोटीस किया था. कुछ ही दिनों मे हम लोग काफ़ी घुल मिल गये. मैं घर के अपने हिस्से की भी चाबी उस लड़की के पास छोड़ जाता था ताकि जब कांमवाली आये तो वो उससे घर साफ करवा ले. वे अभी खुद का घर लेने ही वाले थे इसलिये उनके पास कुछ फर्निचर नहीं था।

मैने लड़की से कहा वो दिन भर अकेली रहती है, चाहे तो वो मेरा टीवी देख सकती है ओर अपना सामान मेरे फ्रिज में भी रख सकती है. उसने तुरंत ही मान लिया. इस तरह उसका घर में आना जाना बना रहता और मैं उसके स्तनों को भी देख पाता. कभी कभी जब वो ब्रा नहीं पहनी होती तो मुझे उसके बड़े बड़े निपल्स का भी एहसास हो जाता। एक दिन की बात है, दफ़्तर में कोई ख़ास काम नहीं होने से मैं दोपहर को अचानक ही घर पहुँच गया. घर का दरवाज़ा खुला था और अंदर से टीवी की आवाज़ आ रही थी.

मैं जैसे ही अंदर दाखिल हुआ मैने देखा मधु (जो उस लड़की का नाम था), सोफे पर बैठी थी और अपने बेबी को दूध पीला रही थी. उस दिन भी उसने सिर्फ़ एक शर्ट ही पहना था. सामने के आधे बटन खुले थे. अंदर ब्रा भी नहीं थी. उसका एक स्तन तो करीब पूरा ही दिखाई दे रहा था।

वो मुझे देखकर थोड़ा हड़बड़ा गयी पर बेचारी के पास तन ढकने को कोई कपड़ा नहीं था. वो बेबी को डिस्टर्ब भी नहीं करना चाहती थी इसलिये कुछ ना कर सकी. मैने भी उसे इशारे से कहा कोई बात नहीं और में दूसरे सोफे पर बैठ टीवी देखने लगा. हम लोग इधर उधर की बात करते रहे पर हर कुछ पलों के बाद मेरी नज़र उसके स्तनों पर ज़रूर जाती.

वो यह जानती थी पर कुछ देर बाद वो इस बात से खुली हुई होती दिखी। तभी मैने देखा की उसके ढके हुए स्तन से भी दूध टपक रहा है और उसका शर्ट धीरे धीरे गीला हो रहा है. इस वजह से उसके शर्ट का कपड़ा भी गीला हो चला था और अंदर से दूसरे स्तन के भी दर्शन हो रहे थे.

मैं जानता था की ऐसा होता है पर मैने नादान बनते हुये उससे पूछा, “अरे आपका शर्ट तो पूरा भीगा जा रहा है, क्या हुआ?”

वो थोड़ा शरमाई और बोली, ” भाई साहब, क्या करूँ मुझे दूध इतना होता है की टपकता रहता है.” उसने कहा की यह एक समस्या है. इससे उसे बड़ा दर्द भी होता है और यदि हाथ से पंप करके निकाले तो भी बहुत तकलीफ़ होती है।

मैने थोड़ा शरारत भरे अंदाज़ में कहा, “इसमें क्या समस्या है, राजेश (उसका पति) से कहो तुम्हारी मदद करे.”

वो बोली वो ऐसा नहीं करते. उन्हे मेरा दूध ज़रा भी पसंद नहीं और स्तनों से दूध निकलना भी पसंद नहीं. मैने फिर कहा की ये आश्चर्य की बात है. ऐसा कौनसा मर्द है जो यह करना नहीं चाहेगा।

अब हम दोनों में बड़ी फ्री बातें हो रही थी. वो बोली राजेश तो ऐसे ही हैं. अब मेरे अंदर का शैतान जाग गया था. मैने सोचा थोड़ी पहल कर के देखते हैं, शायद कुछ बात आगे बढ़े. मैं थोड़ा चुटकी लेते हुये और थोड़ा ठंडी आह भरते हुये बोला,

“काश मैं आपकी मदद कर पाता.”मुझे लगा शायद ज़्यादा बोल गया और वो कहीं नाराज़ ना हो जाये पर मधु मुस्कुराई और बोली, “आप करेंगे मेरी मदद?”

मैने कहा क्यों नहीं।

वो बोली, “तो ठीक है.” अब तक उसका बेबी सो चुका था. उसने धीरे से बेबी को स्तन से अलग किया जिससे वो पूरा मुझे दिखाई देने लगा पर उसने छिपाने का कोई प्रयत्न नहीं किया. बेबी को अंदर एक पलंग पर सुला कर वो वापस आई और मेरे सामने खड़ी हो गयी.

अपने खुले स्तन को पकड़ कर कहा की इसे तो बेबी ने खाली कर दिया, और दुसरे को पकड़ती हुई बोली की देखो यह तो पत्थर हुआ जा रहा है. इसके लिये आप क्या करेंगे।

मैने कहा, मैं तो सिर्फ़ इसे चुस कर ही खाली कर सकता हूँ. वो बोली, “मेरा भी यही इरादा है.”

वो थोड़ा सा झुकी और अपना शर्ट दुसरे स्तन से हल्का सा सरका लिया. उसका भरपूर स्तन और उठा हुआ निप्पल मेरे चेहरे के सामने लटक रहा था। मैंने जैसे ही होंठ खोले वो आगे बढ़ी और अपना निप्पल मेरे मुहँ में दे दिया।

मैं हल्के हल्के उसे चुसने लगा. उसमे से पतला और हल्का सा मीठा दूध निकल रहा था जो मैं गुटक जा रहा था. मैने सपने में भी नहीं सोचा था की बात यहा तक बढ़ेगी और वो भी इतनी जल्दी और आसानी से. अब मैने थोड़ा ज़ोर से चूसना शुरू किया. उसके स्तन में वाकई बहुत दूध था।

हर सास के साथ एक बड़ा सा घुट मेरे मुहँ में आता और मैं उसे पी जाता. इस बीच मेरा लंड मेरे कपड़ों के अंदर तन कर खड़ा हो गया. मैने देखा की उसकी भी साँसे तेज़ हो गयी हैं. अब वो सोफे पर मेरे बाजू बैठी थी और मैं उसका स्तन चूसे जा रहा था. मुझे पता भी नहीं चला की कब मेरा हाथ उसके दूसरे स्तन पर चला गया।

मैं एक स्तन को चूस रहा था और दूसरे को हल्के हल्के मसल रहा था. उसने मुझे रोका नहीं. इसके पहले में अपनी पत्नी को छोड़ किसी औरत के इतना करीब नहीं आया था. और एक जवान जिस्म को छुये तो बीस साल गुज़र चुके थे. उसके स्तन बड़े होने के बावजुद काफ़ी उभरे हुये थे. और बदन पर तो क़यामत ही करते थे।

धीरे से मैने उसका शर्ट उतार फेंका. नीचे वो पजामा पहने हुई थी. मेरे हाथ अब उसके पूरे बदन पर चल रहे थे और वो भी सिसकियाँ ले रही थी. अब बात सिर्फ़ ज़्यादा दूध खाली करने की नहीं रही थी. ये वो भी समझ रही थी पर अपने आप को और मुझे रोक नहीं पा रही थी।

मैने आहिस्ता से उसका पजामा और पेंटी दोनो उतार दिये. अब वो पूरी तरह से नग्न थी. उसके हाथ मेरे कधों पर थे. और मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को चूसता और मसलता जा रहा था।

मेरे हाथ अब उसकी चूत की ओर चले. बालों के बीच से जब मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की फांकों तक पहुँची तो मुझे पता चला वो पूरी तरह गीली हो चुकी थी. उसने तीन महीने पहले ही बच्चे को जन्म दिया था. अभी तक उसकी चूत काफ़ी ढीली और बड़ी थी। मेरी उंगलियाँ आसानी से अंदर चली गयी. मैं जान गया की वो चुदने के लिये पूरी तरह से तैयार है. मैं भी आपे से बाहर ही था।

पता नहीं कैसे और कब मैं भी अपने कपड़ों से आज़ाद हो गया. अब मधु का हाथ मेरे लंड को ढूंढता हुआ आया और उसे पकड़ लिया. मेरे बदन में तो जैसे आग लग गयी. किसी दुसरी महिला को चोदने का ख्याल मेरे मन में तो बहुत बार आया पर यह पहला ही मौका था जब वो सच हो रहा था। मधु ने मेरे लंड को दोनो हाथों में भर लिए फिर भी उसके हाथ में से मेरा लंड बाहर जेया रहा था.

अब उसके स्तन तो क्या मैं सारे बदन को चूम रहा था और वो भी मुझसे लिपटी जा रही थी. शायद बड़े दिनो से प्यासी थी. क्या पता बच्चे के जन्म के बाद शायद पति से चुदी ही नहीं. वो अपनी चूत उठा उठा कर मुझसे आने को कह रही थी।

मेरे लंड को पकड़ कर चूत की तरफ खींच रही थी. हम दोनो अपने होश खो चुके थे. मैने मधु को सोफे पर लिटाया और उसके पैरों के बीच आ गया. वो अब अभी मेरा लंड पकड़े हुये थी. उसने ही लंड को चूत के उपर पर रख दिया और उपर नीचे करने लगी।

इससे लंड उसकी चूत के रस में हो गया. हमारे होठ आपस मे मिल चुके थे. मैं उसकी जीभ को चूस रहा था. हम दोनो पसीने से तर थे. एक हल्के से झटके से मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर समा गया. इतनी गर्म ओर गीली चूत का मेरा पहला अनुभव था. मेरे बदन में जैसे आग लग गयी. अब मैने उसे चोदना शुरू किया. पहले हल्के हल्के फिर ज़रा ज़ोर से. मधु के मुहँ से सिवाय ऊ और आ के कोई शब्द नहीं निकल रहा था. उसकी आँखें बंद थी. मैं जानता था वो लंड का पूरा आनंद ले रही है।

इस बीच वो दो बार झड़ी पर चुदवाना बंद नहीं किया. चूत उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी. उसके दोनों स्तनों से फिर दूध की बूँदें टपक रही थी. मैं भी उसके जवान बदन को बेतहाशा चोदे जा रहा था. शायद मेरा लंड इतना मोटा ओर टाइट कभी नहीं हुआ था। एक तो दूसरे की पत्नी उपर से जवान, मेरी उम्र के आदमी को और क्या चाहिए?

मैं जानता था की अब मैं झड़ने के करीब हूँ. मैने ज़ोरों से उसकी चूत मारनी शुरू कर दी. जैसे ही वो तीसरी बार झड़ी मैने भी अपने वीर्य से उसकी गर्म चूत भर दी. गर्म गर्म वीर्य के न जाने कितने फव्वारे उसकी चूत में खाली हो गये। मुझे लगा जैसे मैं मर जाऊँगा. हम दोनो एक दूसरे की बाहों में गिर गये. थोड़ी देर बाद जब होश आया तो दोनो डरे हुये थे।

मधु तो रोने लगी पर मैने उसे समझाया जो हुआ वो हुआ अब इसे किसी से कहना नहीं. हमने कपड़े पहने और वो बेबी को लेकर अपने कमरे में चली गयी. वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. इसके बाद तो मैं कई बार उसके स्तन खाली करने में उसकी मदद की.

जब मौका मिलता हम चोद भी लेते. कुछ महीने बाद उसके स्तन तो सुख गये पर हमारी चुदाई बंद नहीं हुई। राजेश और मधु अपने घर चले गये और मेरी भी फैमिली ने मुझे जॉइन कर लिया पर हम हमेशा कॉंटेक्ट मे रहे. हर कुछ हफ्तों में, हम के बाहर कोई रिसोर्ट में एक कमरा बुक करके मिलते हैं और चोदने का आनंद उठाते हैं।

~~~ समाप्त ~~~

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

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रविराम69 (c) "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर)

Written by: raviram69

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