Category: Incest/Taboo Stories

ममता के मजे

by MastramLegends©

All the characters of this stories are 18 years or older.

पाठकों, इस कहानी में एक ही परिवार के लोग आपस में शारीरिक संबंध स्थापित करते हैं. यदि इस विषय से आपको आपत्ति है तो कृपया इसे न पढें.


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ममता अपने गाँव छोड़ कर अपनी ससुराल मगतपुर आयी थी, उसके कई सपने थे जैसे कि एक बड़ा घर हो बड़ा परिवार हो. ससुराल में सब लोग उसे प्यार करें, उसका पति उसे इज्ज़त दे. और वैसा ही हुआ भी - उसके पति के तीन भाई और दो बहने थी. उसके पति अमर शहर में एक फैक्ट्री में कार्यरत थे. उसके दो देवर थे - विवेक और गगन. विवेक एमएससी कर रहा था और गगन बारहवीं कक्षा का छात्र था और इंजीनियरिंग कि तैयारी कर रहा था. उसकी पति की बड़ी बहन शोभना शहर में ब्याही थी. और छोटी बहन आहना बी ए कर रही थी. शोभना का विवाह हो चुका था और उसके दो बच्चे थे.

जब ममता घर से चली उसकी माँ ने उसे सारे घर को जोड़ कर रखने की सीख दी. उसे ये भी बताया कि वो घर कि सबसे बड़ी बहु है और उसे घर चलाने के लिए काफी मेहनत करनी होगी. कई समझौते करने होंगे. उसे कुछ ऐसा करना होगा कि तीनों भाई मिल जुल के रहें और उसे बहुत माने.अ.

ममता घूघट संभाले इस घर में आयी. जैसा होता है उसे शुरू शुरू में कुछ समझ में आ नहीं रहा था. उसकी सास उसे जिसके पैर छूने को कहती वो छु लेती. जिससे बात करने को कहती वो कर लेती इतना बड़ा परिवार था इतने रिश्तेदार थे कि कुछ ठीक से समझ नहीं आ रहा था कि कौन क्या है. उसे उसकी सास ने समझाया कि घबराने कि कोई बात नहीं है. धीरे धीरे सब समझ आने लगेगा.

और फिर उसकी जिन्दागी में वो रात आई जिसका हर लडकी को इंतज़ार रहता है. वो काफी घबराई हुई थी. उसे उसकी ननदों ने उसे सुहागरात के बिस्तर पर बिठा दिया. रात उसके पति अमर कमरे में आया. अमर काफी हैण्डसम जवान था - गोरा रंग मंझला कद अनिल कपूर जैसी मून्छे और आवाज दमदार. दूध वगैरह कि रस्म होने के बाद कुछ तनाव का सा माहौल था.

अमर ने चुप्पी तोडी और बोला, "अब हम पूरे जीवन के साथी हैं हमें जो भी करना है साथ में करना है."

ममता ने बस हाँ में सर हिला दिया.

अमर ने मुस्कुराते हुए बोला, "चलो अब हम वो कर लें जो शादीशुदा लोग आज कि रात करते हैं"

मामता को समझ आ गया कि अमर उसकी जवानी के मजे लूटने कि बात कर रहा है. उसने एक बार फिर शर्माते हुए हाँ में सर हिला दिया.

अमर को ममता कि ये शर्मीली अदा बड़ी भाई. वो उसे बाहोँ में भरने लगा, उसे गाल पे चूमने लगा और अपने हाथों से उसके पीठ और पेट का भाग सहलाने लगा. ममता के लिए ये नया अनुभव था. उसे अभी भी डर लग रहा था पर मज़ा आ रहा था.

पाठकों को बता देना चाहता हूँ कि, ममता एक बहुत सुन्दर चेहरे कि मालिक थी. उसका कद पांच फूट तीन इंच था. वह गोरी चिट्टी थी. चेहरा गोल था. होठ सुन्दर थे. आँखें सुन्दर और बड़ी बड़ी थीं. उसकी चुंचियां सुडौल और गांड भारतीय नारियों की तरह थोडा बड़ी थी. कुल मिला कर अगर आपको वो नग्नावस्था में मिल मिल जाएँ तो आप उसे चोद कर खुद को बड़ा भाग्यवान समझेंगे. उसके गाँव में कई लौंडे उसके बड़े दीवाने थे. कई ने बड़ी कोशिश की, कई कार्ड भेजे, छोटे बच्चों से पर्चियां भिजवाईं, कि एक बार उसकी चूत चोदने को मिल जाए. पर ममता तो मानों जैसे किसी और मिट्टी कि बनी थी. उसने किसी को कभी ज्यादा भाव कभी नहीं दिया. वो अपने आप को अपने जीवन साथी के लिए बचा कर रखना चाहती थी. और आज इस पल वो जीवन साथी उसके सामने था.

अमर अपने हाथ उसकी चुन्चियों पर ले आया और लगा सहलाने. उसने अपने होंठ ममता के होंठों पर रख दिये और लगा ममता के यौवन का रसपान करने. अमर उसके चुन्चियों को धीरे धीरे दबाने लगा. वो अपना दूसरा हाथ उसके चूत के ऊपर था. अमर ममता कि चूत को कपडे के ऊपर से ही सहलाने लगा. ममता अमर कि इस करतूत से बेहद गर्म हो चुकी थी. उसने अभी तक चुदाई नहीं की थी पर उसकी शासिशुदा सहेलियां थीं जिन्होंने उसे शादी के बाद क्या होता है इसका बड़ा ज्ञान दिया था उसे. ममता अमर का पूरा साथ दे रही थी और उसके होठों पर होंठ रख के उसे पूरा चुम्मा दे रही थी. उसने अपनी आँखे बंद कर रखीं थी, उसे होश नहीं था बिलकुल. इसी बीच उसने ध्यान दिया कि अमर बाबू ने उसकी साड़ी उतार दी है और वह बस पेटीकोट और ब्लाउज में बिस्तर मे लेटी हुई है. अमर ने उसका पेटीकोट उठा दिया. उसकी केले के खम्भें जैसी जांघे पूरी साफ़ सामने थीं. अमर ने अपना हाथ उसकी चड्ढी के अन्दर डाल दिया और उसकी मखमली झांटें सहलाने लगा. अमर कि एक उंगली कि गीली हो चुकी चूत में कब घुसी ममता को बिलकुल पता नहीं चला. ममता को बड़ा मज़ा आ रहा था इसका अंदाजा अमर को इस बात से लगा गया कि वो अपनी गांड हिला हिला कर उसकी उंगली का अपनी चूत में स्वागत कर रही थी.

अमर ने अपने स्कूल के दिनों में मस्तराम कि सभी किताबें पढीं थीं. उन किताबों से जो ज्ञान प्राप्त हुआ था आज उसका वो पूरा प्रयोग अपनी नयी नवेली पत्नी पर कर रहा था. ममता की गर्मी को हुये अमर ने उसकी चड्ढी उतार फेंकी. ब्लाउज और ब्रा के उतरने में भी कोई भी समय नहीं लगा. अब ममता केवल एक पेटीकोट में उसके सामने लेटी हुई थी. उसके मम्मे बड़े ही सुन्दर थे.

अमर ने कहां, "जब सामने इतनी सुन्दर नारी कपडे उतार के लेटी हो, तो मुझ जैसे मर्द का कपडे पहन कर रहना बड़े ही शर्म कि बात है".

ममता इस बात पर मुस्करा दी. अमर ने अपन सारे कपडे उतार फेंके. ममता ने अमर के सुडौल शरीर को देखा. अमर का लैंड ६ इंच से कम नहीं होगा. वो एकदम तना हुआ था. ममता की चूत अमर के आसमान कि तरफ तने लौंडे को देख कर उत्तेजना में बजबजा सी गयी. मन हुआ कि बस पूरा एक कि झटके में पेल ले अपनी गीली चूत में और जम के चुदाई करे, पर नयी नवेली दुल्हन के संस्कारों ने उसे रोक लिया.

अमर उसके पास आया और उसे एक बार होठों पर होठ रख के जोर से चुम्मा लिया.

फिर बड़े शरारती अंदाज़ में बोला, "इतनी बात इन होठों को चूमा है इस शाम. अगर दुसरे होठों को नहीं चूमा तो बुरा माँ जायेंगे जानेमन."

ममता बड़ी कशमकश में थी कि उसके दुसरे होंठ कहाँ हैं. पर जब अमर ने उसकी पेटीकोट उठा के उसकी चूत पर जब अपना मुंह रखा तो उसे साफ़ समझ आ गया कि अमर का क्या मतलब था. उसने अपनी सहेली के साथ ब्लू फिल्म देखी थी जिसमें एक काला नीग्रो एक अंग्रेज़ औरत कि चूत को चाटता है. पर उसे ये नहीं गुमान था कि हिन्दुस्तानी मर्द ऐसा करते होंगे. वो ये सब याद ही कर रही थी कि अमर ने उसकी चूत का भागनाशा अपने मुंह में ले कर उसे चूसना चुरू कर दिया. फिर वो चूत कि दोनों तरफ की फाँकें चाटने लगा. फिर अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में दाल कर अपनी जीभ से उसे चोदने लगा. ममता इस समय सातवें आसमान पर थी. उसने सपने में भी कल्पना नहीं की थी कि ये सब इतना आनंद दायक होगा. उसकी चूत से प्रेम रस बह कर बाहर आने लगा और उसकी गांड के छेद के ऊपर से बहने लगा. अमर अपनी जीभ को ममता के अन्दर बाहर कर रहा था साथ ही उसने अपनी छोटी उंगली को गीला कर के ममता की गांड में डाल दिया. ममता आनंदातिरेक में सीत्कारें भर रही थी. उसे यह सब एक सपने जैसा लग रहा था.

अमर ने अपनी जीभ ममता कि चूत से निकाल ली और उसका पेटीकोट खींच कर उतार फेंका. वो ममता के बगल में आ कर बैठ गया. और ममता को इशारा किया अपने लण्ड कि तरफ. ममता समझ गयी कि उसकी चूत कि चटवाने का बदला अब उसे चुकाना है. वो झुक कर आनंद के लंड पर अपन मुंह ले गयी और अपने होठों से उसका सुपाडा पूरा अपने मुंह में ले लिया. अमर के लण्ड में एक अजीब सी महक थी जो उसे उसे पागल किये जा रही थी. वो अपने होंठों को ऊपर नीचे कर के उसका लंड को लोलीपॉप कि भांति उसे चूसने लगी. अमर तो जैसे पागल हो उठा. उसकी नयी नवेली दुल्हन तो मानों कमाल कर रही थी. उसने अपनी एक उंगली ममता कि गांड में पेल दी और लगा उसे उंगली से चोदने. ममता को अमर का उंगली का अपनी गांड में चोदना बड़ा अच्छा लग रहा था. वो जोरों से उसका लौंडा चूसने लगी. सारे कमरे में चूसने कि आवाजें गूँज रहीं थीं.

इसी बीच अमर ने उसका मुंह अपने लंड से उठाया और उसे सीधा दिया. फिर ममता कि टांगों को चौड़ा कर के उसने अपने लंड का सुपादा उसकी गीली और गर्म चूत में घुसा दिया.

"कैसा लग रहा है मेरी रानी" अमर ने पूंछा.

"पेलो राजा पेलो बड़ा मज़ा आ रहा है" ममता ने बोला.

फिर क्या कहना था. अमर ने अपना लंड अगले झटके में पूरा ममता कि गुन्दाज़ चूत में पेल दिया. और लगा अपनी कमर को हिलाने. ममता कि चूत तार तार हो गयी थी अमर के इस हमले से. वो मजे में चीख रही थी. वो अपनी गांड जोरों से हिला रही थी ताकि अमर के धक्कों का पूरा आनंद पा सके. अमर उसकी चुन्चियों को चाट रहा था दबा रहा था. ममता अमर के ६ इंच के लौंडें को अपनी जवान चूत में गपागप समाते हुए देख रही थी. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि चुदाई इतनी मजेदार होगी.

अमर ने इसी बीच अपना लंड निकाल लिया और उसे पलट के अपनी गांड उठाने को बोला. ममता थोडा डर गयी. अमर का लंड काफी मोटा था. अगर उसने उसे गांड में घुसेड दिया तो गांड में बड़ा दर्द होगा. पर अब क्या कर सकती थी. वो उलटा हो कर कुतिया के पोस में हो गयी. अमर घटनों के बल उसकी चूतडों के पीछे बैठ गया. उसने थोडा थूंक निकाल कर अपने लंड पर लगाया और लंड को ममता कि चूत के मुहाने पर टिका के एक झटके में पूरा का पूरा लंड ममता कि चूत में पेल दिया. अमर का लंड अपनी चूत में पा कर ममता की जान में जान आई. आज गांड मरते मरते बच गयी. कुतिया बन के चुदवाने का मज़ा ही कुछ और था. बड़ा आनंद आ रहा था. वो अपनी गांड को आगे पीछे करते हुए अमर का लंड अपनी चूत में गपागप लेने लगी. अमर उसकी पीठ पर जोरों से चुम्मा ले लेता, अपने हाथों से ममता कि चुंचियां दबा देता. और गांड पर चिकोटियां काट देता.

दोनों की साँसे भारी हो गयीं थीं. अमर के झटके बड़े तेज़ हो गए ममता भी अपनी गांड हिला हिला के उसका पूरा पूरा लंड अपनी चूत में पिलवा रही थी. चूत मस्त गीली थी. सारे कमरे में चप-चप की आवाज़ गूंज रही थी. और सारे कमरे में चूत और लंड कि जैसे महक भर सी गयी थी. ममता कि चूत से पानी दो बार छूट चूका था. पर अमर तो बस अपना लंड पेले जा रहा था. अब तीसरी बार वो झड़ने वाली थी.

"आह मैं गयी ...मेरा होने वाला है...."कहते हुए वो झड गयी.

अमर भी अब झड़ने वाल था. उसका लंड उत्तेजना में ममता कि गीली चूत के अन्दर मोटा फूल सा गया था. वो जोरों से अपना लंड पेलने लगा.

"आह ....आह ...ये ले मेरी रानी ....मेरा अपनी चूत में पहला पानी ले......"

और एक अंतिम झटका लगाया और वो झड गया. ममता ने महसूस किया कि बहुत सारा गरम पानी उसकी चूत के अन्दर जैसे बह रहा है. झड़ने के बाद अमर ममता की पीठ के ऊपर ही मानों गिर गया.

"कैसा लगा मेरी रानी" अमर ने पूछा.

"बहुत मज़ा आया मेरे राजा", ममता ने हँसते हुए जवाब दिया.

अमर का लंड अभी भी ममता कि चूत के अन्दर था. झड़ने के बाद तो छोटा हो कर बाहर निकल आया. ममता कि चूत से अमर का वीर्य और उसकी अपनी चूत का पानी बाहर बह कर आने लगा.

दोनों बिस्तर पर थक के गिर गए. ममता ने तौलिये से उसे साफ़ किया.

अमर और ममता ने एक बार फिर से किस किया. ममता कपडे बिना पहने अमर की बाहोँ में अमर का लंड अपने हांथों में ले कर नंगे ही सो गयी..

ससुराल का पहला दिन इतना मजेदार होगा ये ममता को पता नहीं था. पर उसे क्या पता था कि ये बस छोटी सी शुरुआत थी और आगे के दिनों में उसका मज़ा दिन दूना रात चौगुना होने वाला है.

Written by: MastramLegends

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