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मेरी पत्नी मिन्नी और डॉली भाभी

by Anjaan©

मेरी पत्नी मिन्नी और डॉली भाभी
लेखक : अंजान ©
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हम लोग गाँव के रहने वाले हैं। हमारा गाँव शहर से पैंतालीस किलोमीटर दूर है। पास के ही एक शहर में भैया की शादी हो गयी। डॉली भाभी बहुत ही अच्छी थी और खूबसूरत भी। भैया की उम्र चौबीस साल की थी। वो उम्र में भैया से एक साल छोटी थी। मैं डॉली भाभी से उम्र में पाँच साल छोटा था। डॉली भाभी शहर की पढ़ी-लिखी और फैशनेबल युवती थीं।

शादी के बाद भैया की नौकरी एक बड़ी कंपनी में लग गयी। वो पटना में ही रहने लगे। वो खुद ही घर का सारा काम करते थे और खाना भी बनाते थे। जब उन्हें खाना बनाने में और घर का काम करने में दिक्कत होने लगी तो उन्होंने डॉली भाभी को भी पटना बुला लिया। मम्मी तो थी नहीं, केवल पापा ही थे। कुछ दिनों के बाद पापा का भी स्वर्गवास हो गया तो भैया ने मुझे अपने पास ही रहने के लिये बुला लिया। मैं उनके पास पटना आ गया और वहीं रह कर पढ़ायी करने लगा। भाभी पटना में रह कर बिल्कुल शहरी - माडर्न हो गयी थीं। वो खुद को कई किट्टी- पार्टियों और दूसरे सामाजिक सम्मेलनों में खुद को व्यस्त रखती थीं।

मैंने बी.ए. तक की पढ़ायी पूरी की और फिर नौकरी की तलाश में लग गया। अभी मुझे नौकरी तलाश करते हुए एक साल ही गुजरा था की भैया का रोड एक्सीडेंट में स्वर्गवास हो गया। उस समय मेरी उम्र इक्कीस साल की हो चुकी थी। अब तक मैं एक दम हट्टा कट्टा नौजवान हो गया था। मैं बहुत ही ताकतवर भी था क्योंकि गाँव में कुश्ती भी लड़ता था। मुझे भैया की जगह पर नौकरी मिल गयी। अब घर पर मेरे और डॉली भाभी के अलावा कोई नहीं था। वो मुझसे बहुत प्यार करती थी। मैं भी उनकी पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी। डॉली भाभी को भी एक कंपनी में सेक्रेटरी की नौकरी मिल गयी थी और साथ ही उनको ही घर का सारा काम करना पड़ता था इसलिये मैं भी उनके काम में हाथ बंटा देता था। वो मुझसे बार-बार शादी करने के लिये कहती थी।

एक दिन डॉली भाभी ने शादी के लिये मुझ पर ज्यादा दबाव डाला तो मैंने शादी के लिये हाँ कर दी। डॉली भाभी की एक सहेली थीं जो की उनके मायके के शहर में ही रहती थी। उनकी एक चचेरी छोटी बहन थी जिसका नाम मिन्नी था। डॉली भाभी ने मिन्नी के साथ मेरी शादी की बात चलायी। बात पक्की करने से पहले डॉली भाभी ने मुझे मिन्नी की फोटो दिखा कर मुझसे पूछा, “कैसी है?”

मैं मिन्नी की फोटो देख कर दंग रह गया। मैं समझता था की गरीब लड़की है, ज्यादा खूबसूरत नहीं होगी लेकिन वो तो बहुत ही खूबसूरत थी। मैंने हाँ कर दी। मिन्नी की उम्र अभी बीस साल की ही थी। खैर शादी पक्की हो गयी। मिन्नी के मम्मी-पापा बहुत गरीब थे। एक महीने के बाद ही हमारी शादी एक मंदिर में हो गयी।

शादी हो जाने के बाद दोपहर को डॉली भाभी मुझे और मिन्नी को लेकर पटना आ गयी। डॉली भाभी ने मिन्नी को अच्छे से नये कपड़े वगैरह में फिर तैयार किया और पास के एक ब्यूटी पार्लर में उसका श्रृंगार इत्यादि भी करवाया। घर पर कुछ पड़ोस के लोग बहू देखने आये। जिसने भी मिन्नी को देखा, उसकी बहुत तारीफ की। शाम तक सब लोग अपने-अपने घर चले गये। रात के आठ बज रहे थे। डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “आज मैं बहुत थक गयी हूँ। तुम जा कर होटल से खाना ले आओ।”

मैंने कहा, “ठीक है!” मैंने झोला उठाया और खाना लाने के लिये चल पड़ा। मेरा एक दोस्त था -- विजय। उसका एक होटल था। मैं सीधा विजय के पास गया।

विजय बोला, “आज इधर कैसे?”

मैंने उससे सारी बात बता दी। वो मेरी शादी की बात सुनकर बहुत खुश हो गया। हम दोनों कुछ देर तक गपशप करते रहे। हम दोनों ने एक-दो पैग भी पिये। मुझे चिंता नहीं थी क्योंकि डॉली भाभी इस मामले में काफी खुले विचारों की थीं और खुद भी कई बार ड्रिंक करती थीं।

विजय ने मुझसे कहा, “तुझे मज़ा लेना हो तो मैं एक तरीका बताता हूँ!”

मैंने कहा, “बताओ!”

वो बोला, “तुम मिन्नी की चूत को कुछ दिन तक हाथ भी मत लगाना। तुम केवल उसकी गाँड मारना और अपने आप को काबू में रखना। कुछ दिन तक उसकी गाँड मारने के बाद तुम उसकी चुदाई करना।”

मैंने सोचा की विजय ठीक ही कह रहा है। मैंने उससे कहा, “ठीक है, मैं ऐसा ही करूँगा!” उसने मेरे लिये सबसे अच्छा खाना जो की उसके होटल में बनता था, पैक करवा दिया।

मैं खाना लेकर घर वापस आ गया। हम तीनों ने खाना खाया। डॉली भाभी ने मिन्नी को मेरे रूम में पहुँचा दिया। उसके बाद उन्होंने मुझे अपने रूम में बुलाया। मैंने देखा कि उनके पलंग के पास स्टूल पर एक शराब की बोतल खुली रखी थी और पास ही ग्लास में शराब भरी थी। मैंने पहले कभी भाभी के पास पूरी बोतल नहीं देखी थी। कभी अगर उन्हें पीने का मूड होता तो मुझसे कह कर पौव्वा या अद्धा ही मंगवाती थीं और वो भी हम दोनों शेयर करते थे क्योंकि हम दोनों को ही ज्यादा पीने की आदत नहीं थी।

मैंने कहा, “भाभी! ये क्या पूरी बोतल...? आप अकेले मत पी जाना... आपको कंट्रोल नहीं रहता...!”

वो बोलीं, “तू मेरी फिक्र मत कर... आज खुशी का दिन है... पर मैं ज्यादा नहीं पियुँगी... खैर तू ज़रूरी बात सुन...” और कहने लगी, “मिन्नी अभी छोटी है... उसके साथ बहुत आराम से करना!”

मैंने मज़ाक किया, “मुझे करना क्या है?”

वो बोली, “शैतान कहीं का! तू तो ऐसे कह रहा है की जैसे कुछ जानता ही नहीं!”

मैंने कहा, “मुझे कुछ नहीं मालूम है!”

डॉली भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा, “पहले उससे प्यार की दो बातें करना। उसके बाद अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेना। फिर अपना औज़ार उसके छेद में बहुत ही धीरे-धीरे घुसा देना। जल्दी मत करना नहीं तो वो बहुत चिल्लायेगी। वो अभी बीस साल की ही है.. समझ गये ना!”

मैंने कहा, “हाँ... मैं समझ गया।”

डॉली भाभी ने कहा, “अब जा अपने कमरे में।”

मैं अपने कमरे में आ गया। मिन्नी बेड पर बैठी थी, मैं भी उसके बगल में बैठ गया। मैंने उससे पूछा, “मैं तुम्हें पसंद हूँ?” उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया। मैंने कहा, “ऐसे नहीं, बोल कर बताओ।”

उसने शर्माते हुए कहा, “हाँ!”

मैंने पूछा, “कहाँ तक पढ़ी हो?”

वो बोली, “केवल इंटर तक।”

मैंने कहा, “मेरी डॉली भाभी ने मुझे कुछ सिखाया है। क्या तुम्हें भी किसी ने कुछ सिखाया है?”

वो कुछ नहीं बोली तो मैंने कहा, “अगर तुम कुछ नहीं बोलोगी तो मैं बाहर चला जाऊँगा।” इतना कह कर मैं खड़ा हो गया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं उसकी बगल में बैठ गया। मैंने कहा, “अब बताओ।”

वो कहने लगी, “मेरे घर पर केवल मेरे मम्मी पापा ही हैं। उन्होंने तो मुझसे कुछ भी नहीं कहा लेकिन मेरी दीदी जो मेरे ताऊजी की बेटी हैं, उन्होंने मुझसे कहा था की तुम्हारे पति जब अपना औज़ार तुम्हारे छेद में अंदर घुसायेंगे, तब बहुत दर्द होगा। उस दर्द को बर्दाश्त करने की कोशिश करना। ज्यादा चींखना और चिल्लाना मत नहीं तो बड़ी बदनामी होगी। अपने पति से कह देना की अपने औज़ार पर ढेर सारा तेल लगा लेंगे। मैंने आज तक औज़ार नहीं देखा है। ये औज़ार क्या होता है?”

मैंने कहा, “तुमने आदमियों को पेशाब करते समय उनका डंडा देखा है?”

उसने कहा, “हाँ, हमारे मोहल्ले में तो सारे मर्द कभी भी कहीं भी पेशाब करने लगते हैं। आते जाते समय मैंने कईं बार देखा है। लेकिन उसे तो लंड कहते हैं।”

मैंने कहा, “उसी को औज़ार भी कहते हैं।”

वो बोली, “मैंने तो देखा है की किसी-किसी का बहुत बड़ा होता है।”

मैंने कहा, “जैसे आदमी कईं तरह के होते हैं... ठीक उसी तरह उनका औज़ार भी कईं तरह का होता है। मेरा औज़ार देखोगी?”

वो बोली, “मुझे शरम आती है।”

मैंने कहा, “अब तो तुम्हें हमेशा ही मेरा औज़ार देखना पड़ेगा। उसे हाथ में भी पकड़ना पड़ेगा। देखोगी मेरा औज़ार?”

वो बोली, “ठीक है, दिखा दो।”

मैं पहले से ही जोश में था। मैंने अपनी शर्ट और बनियान उतार दी। उसके बाद मैंने अपनी पैंट और चड्डी भी उतार दी। मेरा नौ लंबा और खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। मैंने अपना लंड उसके चेहरे के सामने कर दिया और कहा, “देख लो मेरा औज़ार!”

उसने तिरछी निगाहों से मेरे लंड को देखा और शर्माते हुए बोली, “तुम्हारा तो बहुत बड़ा है!” इतना कह कर उसने अपने हाथों से अपने चेहरे को ढक लिया।

मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसके चेहरे पर से हटा दिया और कहा, “शरमाती क्यों हो। जी भर कर देख लो इसे। अब तो सारी ज़िंदगी तुम्हें मेरा औज़ार देखना भी है और उसे अपने छेद के अंदर भी लेना है। मैंने तो अपने कपड़े उतार दिये हैं अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो।”

वो बोली, “मैं अपने कपड़े कैसे उतार सकती हूँ, मुझे शरम आती है।”

मैंने कहा, “अगर तुम अपने कपड़े नहीं उतारोगी तो मैं अपना औज़ार तुम्हारे छेद में कैसे घुसाऊँगा?”

वो कुछ नहीं बोली। मैंने मिन्नी के कपड़े उतारने शुरू कर दिये तो वो शरमाने लगी। धीरे-धीरे मैंने उसे एक दम नंगा कर दिया। सिर्फ मैंने उसके पैरों में से उसके सैंडल नहीं उतारे। डॉली भाभी काफी फैशनेबल थीं और अपने काम पर और घर में भी ज्यादातर समय ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने रहती थी और मुझे औरतों के सुंदर पैरों में ऊँची ऐड़ी के सैंडल देख कर अजीब सी उत्तेजना मिलती थी। किस्मत से मिन्नी को भी भाभी ने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहना दिये थे।

मैं उसके संगमरमर जैसे खूबसूरत बदन को देख कर दंग रह गया। उसकी चूचियाँ अभी बहुत बड़ी नहीं थीं। मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसे होंठों को चूमने लगा। मैंने देखा की उसकी चूत पर अभी बहुत हल्के-हल्के बाल ही उगे थे और उसकी चूत एकदम गुलाबी सी दिख रही थी। मैंने उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया तो वो बोली, “मुझे गुदगुदी हो रही है।”

मैंने पूछा, “अच्छा नहीं लग रहा है?”

वो बोली, “बहुत अच्छा लग रहा है।”

मैंने उसके निप्पलों को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया तो वो सिसकारियाँ भरने लगी। उसके बाद मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। उसे गुदगुदी होने लगी। उसने मेरा हाथ हटा दिया तो मैंने पूछा, “क्या हुआ?”

वो बोली, “बहुत जोर की गुदगुदी हो रही है।”

मैंने कहा, “अच्छा नहीं लग रहा है क्या?”

वो बोली, “अच्छा तो लग रहा है।”

मैंने कहा, “तुमने मेरा हाथ क्यों हटाया। अगर तुम ऐसा ही करोगी तो मैं बाहर चला जाऊँगा।”

वो बोली, “ठीक है, मैं अब तुम्हें कुछ भी करने से मना नहीं करूँगी।”

मैंने कहा, “फिर ठीक है।” मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में उसकी चूत गीली होने लगी। वो जोर-जोर से सिसकारियाँ भरने लगी। मैंने एक अँगुली उसकी चूत के अंदर डाल दी तो उसने जोर की सिसकरी ली। मेरा लंड अब तक बहुत ज्यादा टाइट हो चुका था। थोड़ी देर तक मैं उसकी चूत में अपनी अँगुली अंदर-बाहर करता रहा तो वो झड़ने लगी। झड़ते समय उसने मुझे जोर से पकड़ लिया और बोली, “तुम्हारे अँगुली करने से मुझे तो पेशाब हो रहा है।”

मैंने कहा, “ये पेशाब नहीं है। जोश में आने के बाद चूत से पानी निकलता है।”

वो कुछ नहीं बोली। मेरी अँगुली उसकी चूत के पानी से एक दम गीली हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में वो पूरे जोश में आ गयी तो मैंने कहा, “अब मैं अपना औज़ार तुम्हारे छेद में घुसाऊँगा। तुम पेट के बल लेट जाओ।”

वो पेट के बल लेट गयी। मैंने देखा की उसकी गाँड भी एक दम गोरी थी। उसकी गाँड का छेद बहुत ही हल्के भूरे रंग का था। मैं अपनी अँगुली उसकी गाँड के छेद पर फिराने लगा। उसके बाद मैंने एक झटके से अपनी एक अँगुली उसकी गाँड में घुसा दी। वो जोर से चींखी।

मैंने कहा, “अगर तुम ऐसे चींखोगी तो डॉली भाभी आ जायेगी।”

वो बोली, “दर्द हो रहा है।”

मैंने कहा, “दर्द तो होगा ही। अभी तो मैं अपना लंड तुमहारी गाँड में घुसाऊँगा।”

थोड़ी देर तक मैं अपनी अँगुली उसकी गाँड में अंदर-बाहर करता रहा। वो बोली, “मेरा छेद तो बहुत ही छोटा है और तुम्हारा औज़ार बहुत बड़ा। अंदर कैसे घुसेगा?”

मैंने कहा, “जैसे और औरतों के अंदर घुसता है।”

वो बोली, “तब तो मुझे बहुत दर्द होगा।”

मैंने कहा, “इसी लिये तो तुम्हारी दीदी ने तुमसे कहा था की दर्द को बर्दाश्त करना, ज्यादा चींखना चिल्लाना मत।”

वो बोली, “मैं समझ गयी।”

मैं उसके ऊपर आ गया तो वो बोली, “तेल नहीं लगाओगे?”

मैंने कहा, “लगाऊँगा।”

मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगा लिया। उसके बाद मैंने उसकी गाँड के छेद पर अपने लंड का सुपाड़ा रखा और उससे कहा, “अब तुम अपना मुँह जोर से दबा लो जिस से तुम्हारे मुँह से चींख ना निकले।”

उसने कहा, “ठीक है, दबा लेती हूँ लेकिन बहुत धीरे-धीरे घुसाना।”

मैंने कहा, “हाँ, मैं बहुत धीरे ही घुसाऊँगा।”

उसने अपने हाथों से अपने मुँह को दबा लिया। मैंने थोड़ा सा ही जोर लगाया था कि वो जोर से चींखी। मेरे लंड का सुपाड़ा भी अभी उसकी गाँड में नहीं घुस पाया था। वो रोने लगी और बोली, “मुझे छोड़ दो, बहुत दर्द हो रहा है।”

मैंने कहा, “दर्द तो होगा ही। तुम अपना मुँह जोर से दबा लो।”

उसने अपना मुँह फिर से दबा लिया तो मैंने इस बार कुछ ज्यादा ही जोर लगा दिया। वो दर्द से तड़पते हुए जोर-जोर से चींखने लगी, “दीदी, बचा लो मुझे, नहीं तो मैं मर जाऊँगी।”

इस बार मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड में घुस गया। उसकी गाँड से खून निकल आया था। वो इतने जोर-जोर से चींख रही थी की मैं थोड़ा सा डर गया। मैंने एक झटके से अपना लंड बाहर खींच लिया। पक की आवाज़ के साथ मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड से बाहर आ गया। मैंने उसे चुप कराते हुए कहा, “अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी तो काम कैसे बनेगा?”

वो बोली, “मैं क्या करूँ, बहुत दर्द हो रहा था।”

मैंने कहा, “थोड़ा सब्र से काम लो। फिर सब ठीक हो जायेगा। अब तुम अपना मुँह दबा लो, मैं फिर से कोशिश करता हूँ।”

उसने अपना मुँह दबा लिया तो मैंने फिर से अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड के छेद पर रख दिया। उसके बाद मैंने उसकी कमर के नीचे से हाथ डाल कर उसे जोर से पकड़ लिया। फिर मैंने पूरी ताकत के साथ जोर का धक्का मारा। वो बहुत जोर-जोर से चिल्लाने लगी। वो मेरे नीचे से निकलना चाहती थी लेकिन मैंने उसे बुरी तरह से जकड़ रखा था। मेरा लंड इस धक्के के साथ उसकी गाँड में तीन इंच तक घुस गया। वो जोर-जोर से चिल्लते हुए डॉली भाभी को पुकार रही थी, “दीदी! बचा लो मुझे नहीं तो ये मुझे मार डालेंगे। बहुत दर्द हो रहा है।”

तभी कमरे के बाहर से डॉली भाभी की आवाज़ आयी, “ऋषी, क्या हुआ? मिन्नी इतना क्यों चिल्ला रही है?”

मैंने कहा, “मैं अपना औज़ार अंदर घुसा रहा था लेकिन ये मुझे घुसाने ही नहीं दे रही है। बहुत चिल्ला रही है।”

डॉली भाभी ने कहा, “तुम दोनों बाहर आ जाओ। मैं मिन्नी को समझा देती हूँ।”

मैंने लूँगी पहन ली और मिन्नी से कहा, “बाहर चलो... डॉली भाभी बुला रही है।”

वो उठना चाहती थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी। मैंने उसे सहारा दे कर खड़ा किया। उसने केवल अपनी साड़ी बदन पर लपेट ली। मैं उसे सहारा दे कर बाहर ले आया क्योंकि वो दर्द के मारे ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। साथ ही उसे ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहनने की आदत भी नहीं थी।

डॉली भाभी ने मिन्नी से पूछा, “इतना क्यों चिल्ला रही थी?”

वो रोते हुए डॉली भाभी से कहने लगी, “ये अपना औज़ार मेरे छेद में घुसा रहे थे इस लिये मुझे बहुत दर्द हो रहा था।”

डॉली भाभी ने कहा, “पहली-पहली बार दर्द तो होगा ही। सभी औरतों को होता है। ये कोई नयी बात थोड़े ही है।” डॉली भाभी ने मुझसे कहा, “मैंने तुझसे कहा था ना की तेल लगा कर धीरे-धीरे घुसाना।”

मैंने कहा, “मैं तेल लगा कर धीरे-धीरे ही घुसाने की कोशिश कर रहा था। जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया और मेरे औज़ार का टोपा ही इसके छेद में घुसा कि ये जोर-जोर से चिल्लाने लगी। इसके चिल्लाने से मैं डर गया और मैंने अपना औज़ार बाहर निकाल लिया। उसके बाद मैंने इसे समझाया तो ये राज़ी हो गयी। मैंने फिर से कोशिश की तो ये फिर जोर-जोर से चिल्लाने लगी और मेरा औज़ार केवल जरा सा ही अंदर घुस पाया। तभी आप ने हम दोनों को बुलाया और हम बाहर आ गये।”

डॉली भाभी ने कहा, “इसका मतलब तुमने अभी तक कुछ भी नहीं किया?”

मैंने कहा, “बिल्कुल नहीं! तुम चाहो तो मिन्नी से पूछ लो!”

डॉली भाभी ने मिन्नी से पूछा, “क्या ये सही कह रहा है?”

उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया। डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, “तुम कमरे में जाओ। मैं इसे समझा बुझा कर भेजती हूँ।”

मिन्नी कमरे में चली गयी। मैंने देखा कि डॉली भाभी की आँखें नशे में लाल-सी थीं और उन्होंने अभी तक अपने कपड़े नहीं बदले थे। उन्होंने मुझे समझाते हुए कहा, “इस बार बहुत ही धीरे-धीरे घुसाना नहीं तो मैं बहुत मारूँगी।”

मैंने कहा, “मैं तो बहुत धीरे-धीरे ही घुसा रहा था लेकिन इसका छेद भी तो बहुत छोटा है।”

डॉली भाभी ने कहा, “फिर तो ऐसे काम नहीं बनेगा। तुम इसके साथ थोड़ी सी जबरदस्ती करना लेकिन ज्यादा जबरदस्ती मत करना। ये अभी बीस साल की है... इस लिये इसे ज्यादा दिक्कत हो रही है।”

मैंने कहा, “ठीक है।”

इतना कह कर डॉली भाभी मुस्कुराने लगी। मैं कमरे में आ गया और मैंने अपनी लूँगी उतार दी। मैंने मिन्नी से अपनी साड़ी उतारने को कहा तो उसने इस बार खुद ही अपनी साड़ी उतार दी। साड़ी उतारने के बाद मिन्नी खुद ही बेड पर सैंडल पहने हुए पेट के बल लेट गयी। मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया और उसके ऊपर आ गया। उसके बाद मैंने जैसे ही अपने लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड के छेद पर रखा तो उसने अपना मुँह दबा लिया। उसके बाद मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो ज्यादा जोर से नहीं चींखी। मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी गाँड में घुस गया। मैंने अपने लंड के सुपाड़े को उसकी गाँड में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया तो वो आहें भरने लगी।

थोड़ी देर के बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो उसने जोर की आह भरी और मेरा लंड उसकी गाँड में दो इंच तक घुस गया। मैंने थोड़ा जोर और लगाया तो वो जोर-जोर से चिल्लाने और रोने लगी। मेरा लंड बहुत मोटा था ही। अब तक उसकी गाँड में तीन इंच ही घुस पाया था। मैं रुक गया लेकिन वो दर्द के मारे अभी भी बहुत जोर-जोर से चिल्ला रही थी। मुझे गुस्सा आ गया तो मैंने जोर का एक धक्का लगा दिया। इस धक्के के साथ ही मेरा लंड उसकी गाँड में चार इंच तक घुस गया। वो और ज्यादा जोर-जोर से चिल्लाने लगी, “दीदी, बचाओ मुझे। मैं मर जाऊँगी।”

उसके चिल्लाने की आवाज़ सुनकर डॉली भाभी ने बाहर से पूछा, “अब क्या हुआ?”

वो रोते हुए कहने लगी, “दीदी, मुझे बचा लो नहीं तो मैं मर जाऊँगी।”

डॉली भाभी ने कहा, “अच्छा तुम दोनों बाहर आ जाओ।”

मैंने अपना लंड उसकी गाँड से बाहर निकाला और हट गया। मेरे लंड पर ढेर सारा खून लगा हुआ था। उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर आ गये। मिन्नी ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं उसे सहारा देकर बाहर ले आया। बाहर आने के बाद डॉली भाभी मिन्नी को समझाने लगी, “देखो मिन्नी अगर तुम ऐसे ही चिल्लाओगी तो काम कैसे बनेगा। हर औरत को पहली-पहली बार दर्द होता है और उसे उस दर्द को बर्दाश्त करना पड़ता है।”

मिन्नी रो-रो कर कहने लगी, “दीदी, मैंने अपने आप को संभालने की बहुत कोशिश की... लेकिन मैं दर्द को बर्दाश्त नहीं कर पायी, इसलिये मेरे मुँह से चींख निकल गयी। इनका औज़ार भी तो बहुत बड़ा है।”

डॉली भाभी ने कहा, “औज़ार तो सबका बड़ा होता है। लेकिन एक बार जब अंदर घुस जाता है फिर कभी भी बड़ा नहीं लगाता। उसके बाद हर औरत को मज़ा आता है और तुम्हें भी आयेगा।”

मिन्नी बोली, “दीदी, मेरी बात पर विश्वास करो, इनका औज़ार बहुत बड़ा है। मैंने बहुत से आदमियों को पेशाब करते समय देखा है लेकिन इनके जैसा औज़ार मैंने आज तक कभी नहीं देखा। तुम चाहो तो खुद ही देख लो, तुम्हें मेरी बात पर विश्वास हो जायेगा।”

डॉली भाभी के हाथ में शराब का भरा ग्लास था। उन्होंने एक घूँट पीते हुए मुझसे कहा, “ऋषी, दिखा तो सही अपना औज़ार। जरा मैं भी तो देखूँ कि ये बार-बार क्यों तेरे औज़ार को बहुत बड़ा कह रही है।”

मैंने कहा, “भाभी, मुझे शरम आती है।”

डॉली भाभी ने कहा, “मैं तो तेरी भाभी हूँ, मुझसे कैसी शरम। अपना औज़ार बाहर निकाल कर दिखा मुझे।”

मैंने शर्माते हुए अपनी लूँगी खोल दी। मेरा लंड पहले से ही खड़ा था। मेरा नौ इंच लंबा और खूब मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया। उस पर खून भी लगा हुआ था। डॉली भाभी ने जैसे ही मेरा लंड देखा तो उन्होंने अपना हाथ मुँह पर रख लिया और बोली, “बाप रे! तेरा औज़ार सचमुच बहुत ही बड़ा है। मैंने भी ऐसा औज़ार तो कभी देखा ही नहीं था। अब मेरी समझ में आया की मिन्नी क्यों इतना चिल्लाती है।”

मैंने देखा की डॉली भाभी की आँखें जो पहले से नशे में लाल थीं, अब मेरे लंड को देख कर चमक उठी थीं। उन्हें भी जोश आने लगा था क्योंकी मेरा लंड देखने के बाद उन्होंने गटागट अपना ग्लास खाली किया और अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया था।

मैंने कहा, “भाभी, तुम ही बताओ मैं क्या करूँ। मैं अपना औज़ार छोटा तो नहीं कर सकता।”

डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा, “इसका औज़ार तो सच में बहुत बड़ा है। तुम्हें दर्द को बर्दाश्त करना ही पड़ेगा नहीं तो बड़ी बदनामी होगी।” डॉली भाभी ने मिन्नी को बहुत समझाया तो वो मान गयी। डॉली भाभी ने मिन्नी से कहा “अब तुम अपने कमरे में जाओ। मैं इसे समझा बुझा कर तुम्हारे पास भेज देती हूँ।”

मिन्नी कमरे में चली गयी। रात के दो बज रहे थे। डॉली भाभी ने फिर अपने ग्लास में शराब ले ली और दो घूँट पी कर मुस्कुराते हुए मुझसे कहने लगी, “देवर जी, तुम्हारा औज़ार तो वाकय बहुत ही बड़ा है और शनदार भी। मैंने आज तक अपनी ज़िंदगी में ऐसा औज़ार कभी नहीं देखा था। मेरा मन इसे हाथ में पकड़ कर देखने को कह रहा है, देख लूँ?” उनकी आवाज़ नशे में काँप रही थी।

मैंने कहा, “भाभी, आप क्या कह रही हो...? आज आपने बहुत ज्यादा पी ली है और आप नशे में हो।”

वो बोली, “तुम्हारे भैया को गुजरे हुए एक साल हो गया। आखिर मैं भी तो औरत हूँ और जवान भी। मेरा मन भी कभी-कभी इधर-उधर होने लगाता है। तुम तो मेरे देवर हो। हर औरत अच्छे औज़ार को पसंद करती है। मुझे भी तुम्हारा औज़ार बहुत ही अच्छा लग रहा है। अगर मैं तुमसे लग जाती हूँ तो मेरी भी इच्छा पूरी हो जायेगी और किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा।”

इतना कह कर उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी। मैं भी आखिर मर्द ही था। मुझे डॉली भाभी का लंड सहलाना बहुत अच्छा लगने लगा इसलिये मैं कुछ नहीं बोला। थोड़ी देर तक मेरा लंड सहलाने के बाद वो बोली, “तुमने अभी तक सुहागरात का मज़ा भी नहीं लिया है और मैं समझती हूँ की तुम भी एक दम भूखे होगे। मेरी इच्छा पूरी करोगे?”

मैंने कहा, “अगर तुम कहती हो भला मैं कैसे इनकार कर सकता हूँ। आखिर मैं भी तो मर्द हूँ और तुम्हारे सिवा मेरा इस दुनिया में और कौन है।”

वो बोली, “फिर तुम यहीं रुको, मैं अभी आती हूँ।”

इतना कह कर डॉली भाभी मिन्नी के पास चली गयी। मैंने देखा की वो काफी नशे में थीं और उनके कदम लड़खड़ा रहे थे। ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में उन्हें डगमगाते देख मेरे लंड में एक लहर सी दौड़ गयी। उन्होंने मिन्नी से कहा, “अब तुम सो जाओ। रात बहुत हो चुकी है। मैं ऋषी को सब कुछ समझा दूँगी। उसके बाद मैं उसे सुबह तुम्हारे पास भेज दूँगी। मैं बाहर से दरवाजा बंद कर देती हूँ।”

मिन्नी बोली, “ठीक है, दीदी।”

डॉली भाभी मिन्नी के कमरे से बाहर आ गयी और उन्होंने मिन्नी के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद कर लिया। उसके बाद वो मुझे अपने कमरे में ले गयी। मेरे बदन पर कुछ भी नहीं था। लूँगी तो मैंने पहले ही उतार दी थी। कमरे में पहुँचते ही डॉली भाभी ने कहा, “देवर जी, तुमने अपना औज़ार इतने दिनों तक कहाँ छिपा रखा था। बड़ा ही प्यारा औज़ार है तुम्हारा।”

मैंने कहा, “मैंने कहाँ छिपाया था, यहीं तो था तुम्हारे पास।”

वो स्टूल से शराब की बोतल उठा उसपे सीधे मुँह लगा कर पीते हुए बोली, “मेरे पास आओ।”

मैं उनके नज़दीक चला गया और बोला “भाभी... आपको मैंने इतनी ज्यादा शराब पीते हुए पहले नहीं देखा... मुझे भी एक पैग दो ना।”

उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाते हुए बोली, “देवर जी... आज तो बहुत ही खास दिन है... मैं बस मदहोश हो जाना चाहती हूँ पर तुझे नहीं दूँगी... मुझे पता है तू पहले से पी कर आया था.. और तू मर्द है... थोड़ी सी भी ज्यादा हो गयी तो तेरा ये बेहतरीन औज़ार ठंडा पड़ जायेगा।” फिर वो कहने लगी, “मैंने आज तक ऐसा औज़ार कभी नहीं देखा था। हर औरत अच्छा औज़ार पसंद करती है। मुझे तो तुम्हारा औज़ार बहुत पसंद आ गया है। आज मैं तुमसे लग जाती हूँ। तुमसे चुदवाने में मुझे बहुत मज़ा आयेगा। लेकिन जैसे तुमने मिन्नी के साथ किया था उस तरह मेरे साथ मत करना नहीं तो मुझे भी बहुत तकलीफ़ होगी और मेरे मुँह से भी चींख निकल जायेगी। मिन्नी पास के ही कमरे में है, इसका ख्याल रखना।”

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