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पत्नी, साली और पड़ोसन भाग 01

by rajNsunitaluv2explore©

यह कहानी हमारे जीवन की सच्ची घटनाओंपर आधारित हैं. कहानी विस्तृत होने के कारण तीन भागोंमें लिखी गयी हैं. गोपनीयता के हेतु पात्रोंके नाम बदले हुए है.

पाठक कृपया जान ले की यह "आओ, चुदाई करो और जाओ" (wham bam thank you mam) जैसी कहानी नहीं हैं. आशा हैं की आपको हमारा यह प्रथम प्रयास पसंद आये.

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भाग १

मेरा नाम राज हैं और मैं २८ वर्ष का हट्टा कट्टा जवान हूँ, रंग सांवला और दिखने में भी ठीकठाक हूँ. मैं मुंबई शहर के अँधेरी इलाके में एक निजी बैंक में अच्छी नौकरी पर हूँ. तीन साल पहले मेरी शादी २४ साल की सुन्दर सांवले रंग की प्यारी सी लड़की सुनीता के साथ हुई.

सुनीता एक छोटे गांव के गरीब और पुराने विचारोंवाले घर से आयी थी इसलिए उसे चुदाई के बारे में कुछ भी ज्ञान नहीं था. दस दिन के हमारे हनीमून पर मैंने उसे चुदाई के सारे पाठ पढ़ा दिए थे. उस दौरान मेरा लंड चूसना , सिक्स्टीनाइन करना , घोड़ी बनकर चुदाई, मेरा उसकी चूत चाटना, ब्लू फिल्म देखकर उत्तेजित होना और फिर चुदाई करना सुनीता ने सब अच्छे से एन्जॉय करना सीख लिया. शुरू शुरू में उसे मेरे वीर्य की एक बूँद चाटना भी अच्छा नहीं लगता था. जब उसने देखा की मैं उसकी योनि से बहता हुआ कामरस पूरी तरह मजे से चाट लेता हूँ तबसे उसने मेरे लंड के वीर्यको चाटना, पीना और निगल जाना शुरू कर दिया.

उसकी गदरायी हुई मदमस्त जवानी का मैं एकदम कायल हूँ और वो भी मुझे बिस्तर में पूरा मज़ा देती हैं . कुछ पति सिर्फ अपने सुख के बारे में ही सोंचते हैं मगर मैं जोरदार चुदाई के साथ साथ सुनीता की प्यारी और मीठी चुत का दाना चाटकर उसे बहुत आनंद दिया करता हूँ. चुत चाटने के बाद तो वह एकदम मदमस्त हो जाती हैं.

जैसे कपडेमें लपेटकर रसगुल्ले खाने का का मजा नहीं आता वैसे ही कंडोम लगाकर चुदाई करने में कोई मजा नहीं आता. जैसे ही हमारी मंगनी हुई, अगले ही दिन मैंने उसे कॉपर-टी लगवाने को कहा. जब वो शादीकी खरीदारी के लिए मुंबई आयी तभी उसने कॉपर-टी लगवा ली. इसलिए हम एकदम बिनधास्त होकर बिना कंडोम के दिन रात चुदाई कर लेते हैं.

हम एक दूसरे के साथ खुल्लम खुल्ला सेक्सी बाते भी करते है. हम जब सिक्स्टीनाइन में एक दूजे को चाट और चूस कर मज़ा देते हैं तब मैं उसकी चुत का सारा पानी बड़े प्यार से चाटता हूँ और वह भी मेरा गाढ़ा वीर्य ख़ुशी ख़ुशी से निगल जाती हैं. हम सेक्सी मैगज़ीन पढ़कर और कभी कभी ब्लू फिल्में देखकर पूरी रात चुदाई करते हैं. मेरे साढ़े छे इंच के लंड से मैं मेरी सुनीता को बहुत मस्ती से चोदता हूँ और वह भी अपनी पतली कमर और मस्त गांड उठा उठा कर मस्त चुदवाती हैं. उसके ३८ इंच के भरे हुए और कठोर वक्ष सहलाने में, मसलने में और उसके निप्पल चूसने में उसे भी बड़ा मजा आता हैं. इतने बड़े होने के बावजूद भी उसके वक्ष बिलकुल उन्नत रहते है. चुदवाने के समय कभी कभी मैं उसकी गांड की छेद में ऊँगली कर उसे और भी मस्त कर देता हूँ. मगर आज तक मैं उसकी गांड को चोदने में सफल नहीं रहा क्योंकि सुनीता को गांड की चुदाई पसंद नहीं हैं. इसलिए मैंने भी कभी इस मामले में जबरदस्ती नहीं की.

समय के साथ चुदाई में आयी हुई बोरियत को दूर करेने के लिए हमने कालोनी के दुसरे जोडियोंके बारे में सेक्सी बाते करना शुरू कर दिया. कोई एकदम माल लड़की दिखी तो रात को उसके बारे में बाते करते हुए चुदाई होती हैं और कभी कोई बाक़ा जवान मेरी सुनीता रानी को पसंद आया तो वह उसके बारे में गन्दी गन्दी बाते करते हुए मुझसे चुदती हैं.

"वो शाम को पार्क में दिखी नीले टॉप वाली लड़की की चूचियां कितनी मस्त थी न डार्लिंग?"

"हां मेरे राजा, उसके निप्पल चूसने में तुम्हे बड़ा मज़ा आयेगा."

"उसके साथ जो लड़का था वो तुम्हे बहुत अच्छे से चोदेगा सुनीता रानी!"

"आह, एक ही बिस्तर पर चारों चुदेँगे तो क्या मज़ा आएगा, हैं न?"

सिर्फ मैं किसी लड़की के साथ या सिर्फ वो किसी आदमी के साथ चक्कर चलाकर सम्भोग का आनंद नहीं लेना चाहते थे. हम ऐसा शादीशुदा जोड़ा (कपल) खोजने लगे जिनके साथ मौज मस्ती की जाए और बात बन गयी तो आगे चलकर अदलाबदली करते हुए भरपूर चुदाई भी हो जाए. मगर ऐसा कोई जोड़ा हमें पसंद नहीं आ रहा था. हमारे पडोसी तो बिलकुल ही हमारी पसंद के विपरीत थे. उनका तबादला हुआ और वह देहली चले गए. कुछ दिनों तक तो बाजू वाला घर खाली रहा.

रविवार के दिन एक सुबह के समय बड़ी सी ट्रक हमारे बिल्डिंग के सामने आकर खड़ी हो गयी. उसमे से ड्राइवर के साथ एक हसीन २५-२६ वर्षीय युवक बाहर आया. यही हमारे नए पडोसी थे, उसका नाम नीरज था। उसका रंग काफी गोरा था, चौड़ा सीना और लगभग छे फ़ीट की ऊंचाई होगी. उसने बताया की उसकी पत्नी निकिता अपने मइके गयी थी और कुछ दिनोंके बाद आने वाली थी. उनका फर्नीचर बहुत ज्यादा था. मैंने उससे बातचीत की और फिर सामान लगवाने के लिए मजदूरोंका बंदोबस्त किया. तबतक सुनीता ने बढ़िया सा खाना बनाया और हम तीनों ने साथ मिलकर भोजन किया. वह बड़ा ही मिलनसार और अच्छे स्वभाव का लग रहा था.

सुनीता ने आँखों आँखों में मुझे बताया की नीरज उसे पसंद आया है. मैं भी मन ही मन में सोच रहा था की इसकी पत्नी भी सुन्दर और सेक्सी हो तो इस नए पडोसी जोड़े के साथ मौज मस्ती करने के बारे में सोचा जा सकता हैं.

"नीरज, शाम के भोजन के लिए भी हमारे घर पर ही आ जाओ," मैंने कहा.

नीरज ने कहा, "नहीं यार राज, हम तीनो मिलकर किसी अच्छे से रेस्टारेंट में चले जाएंगे।"

जाहिर था की वो सुनीता को और कष्ट नहीं देना चाहता. सुनीता रानी तो एकदम खुश हो गयी. उसने नीले रंग की एकदम टाइट जीन्स और लाल रंग का स्लीवलेस टॉप पहना. उसका टॉप काफी लो कट था और उनमेसे उसके भरे हुए वक्ष उभर कर दिखाई दे रहे थे. रेस्टारेंट घर से थोड़ा दूर था इसलिए हम तीनो मेरी मोटरसाइकिल पर चल दिए. चलानेवाला मैं , मेरे पीछे नीरज और उसके पीछे सुनीता रानी. तीन सवारी होने के कारण सबको नजदीक एकदम चिपक कर बैठना पड़ गया और सुनीता के मम्मे नीरज की पीठ पर गढ़ गए.

डिनर के समय भी वह जान बुझ कर नीरज के सामने बैठ गयी और नीरज उसके उभारोंको छुप छुप कर देख रहा था।

"राज और सुनीता, यह देखो मेरी पत्नी की फोटो," कहते हुए उसने अपने बटवे में से निकिता की दो-तीन फोटो हमें दिखाई.

निकिता तो बहुत ही सुन्दर गोरी और प्यारी लग रही थी. उसके भरे हुए स्तनों का आकार भी फोटो में साफ़ दिखाई दे रहा था.

उसके फोटो देखते ही मैं और सुनीता ने आँखों आँखों में कह दिया की अब किसी भी हाल पर इस दम्पति को पटाकर अदलाबदली की चुदाई का मजा लेना ही चाहिए . रेस्टारेंट से वापिस आने के समय मैंने जान बूझ के नीरज को सुनीता के और करीब लाने की तरकीब चलाई.

मैंने कहा, "नीरज, इतना अच्छा खाना खानेके बाद हम तीनों एक मोटरसाइकिल पर घर तक वापिस नहीं जा सकते. आप को तो घर का रास्ता मालूम नहीं इसलिए आप और सुनीता ऑटो रिक्शा में बैठ कर घर आ जाओ. मैं अकेला ही मोटरसाइकिल पर निकलता हूँ."

कोई भी मर्द मेरी सुन्दर और सेक्सी बीवी के साथ का मजा कैसे छोड़ देता?

उसने फट से कहा, "हाँ, राज बात तो आप की सच हैं."

हम दोनोने सुनीता की तरफ देखा. उसके तो मन ही मन लड्डू फूट रहे थे. मैं उन दोनोको एक ऑटो रिक्शा में बिठाकर घर चला आया.

जब तीनों भी घर पर मिले तब नीरज बोला, "राज, आप दोनोने मेरी इतनी सहायता पूरे अपनेपन से की हैं, जैसे की हम आज नहीं, कई सालोंके मित्र हैं.

मैं एक छोटे शहर से मुंबई आया हूँ, मुझे थोड़ा डर लग रहा था. अब ऐसा लगता हैं की मैं और निकिता आप दोनों के सबसे अच्छे दोस्त बन कर रहेंगे. आप कितने अच्छे हो और ख़ास कर सुनीता जी ने तो मेरा बहुत अच्छा ख़याल रखा हैं. आज से आप लोग हमारे लिए सिर्फ पडोसी नहीं बल्कि एकदम अपने घरवाले है।"

इसके बाद वह अपने घर चला गया.

मैंने सुनीता को बाहों में भरते हुए पूंछा, "सुनीता रानी, ऑटो रिक्शा का सफर कैसा रहा?"

उसने कहा, " बस हम दोनों चिपक चिपक कर बैठे थे और निकिता के बारे में बाते कर रहे थे."

मुझे लगा चलो अच्छा हैं, नीरज अच्छा सभ्यतापूर्वक और समझदार इंसान हैं. हम दोनों ने साथ में शावर किया और बैडरूम में घुस गए.

रात में मैं जब सुनीता के मम्मे चूस रहा था तब सुनीता ने कहा, "राज, लगता हैं की अपनी सेक्सुअल फैंटसी पूरी होने की उम्मीद हैं. नीरज तो बहुत ही हैंडसम हैं और फोटो देख कर ऐसा लगता हैं की उसकी पत्नी निकिता बिलकुल तुम्हारी ड्रीम गर्ल हैं, गोरी, सुन्दर और एकदम सेक्सी।"

मैंने कहा, "हाँ मेरी जान, मुझे भी ऐसा ही लग रहा हैं. तुम नीरज को अच्छे से अपनी सुंदरता से लुभा दो. फिर वह दोनों भी हम दोनों के साथ वासना का खेल खेलने के लिए तैयार हो जाएंगे।"

उस रात को मैं सुनीता को निकिता के नाम से पुकारता रहा और वह मुझे नीरज के नाम से! हमने पूरी रात में चार बार चुदाई का लुत्फ़ उठाया. सुनीता इतनी ज्यादा एक्साइट हो गयी की जब मैं उसे डॉगी पोज़ में चोद रहा था तब उसने खुद अपने मुंहसे कहा, "नीरज डार्लिंग, चुदाई के साथ साथ तुम्हारी ऊँगली भी मेरी गांड में अंदर बाहर करो."

मैं भी निकिता का नाम लेकर उसको चोदता रहा और उसकी गांड में ऊँगली करता रहा. नीरज के नामसे सुनीता काफी उत्तेजित हुई थी. आज पहली बार हम दोनों किसी कपल के लेकर जबरदस्त फैंटसी सेक्स कर रहे थे.

अचानक सुनीता चढ़ गई मेरे लंड के ऊपर और जोर जोर से चिल्लाने लगी, "उम्म्ह... अहह... हय... याह..." और जोर जोर से चुदाई करने लगी.

मैं भी नीचे से धक्के लगा रहा था और फिर आवेश में आकर मैंने सुनीता को पागलपने की हद जैसा नीचे पलटा और लगा चोदने!

"हाय मेरी निकिता रानी तेरी गोरी गोरी जवानी चोदने में क्या मजा आ रहा हैं. आह आह," मैं पागलोंकी तरह उसके वक्ष मसलते हुए कहता गया.

जैसे की नए पार्टनर के साथ चुदने के स्वप्न का वहशीपन सा छा रहा था हम दोनों पर. अब मैंने सुनीता की गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया और उसकी चूत ऊपर उठ गई. ऐसी भरपूर चुदाई हो रही थी.

सुनीता बोल रही थी, "मेरे हैंडसम नीरज डार्लिंग, आ मेरी इस साफ़ और मुलायम चूत को अपने मोटे लौड़े से चोद कर पूरा खोल डाल."

इस घमासान लंड - चुत की लड़ाई में न सुनीता थक रही थी और मैं भी अपनी लंड की पिचकारी छोड़ने को तैयार न था.

"निकिता डार्लिंग तेरी चुत, गोरी जाँघे, भरी हुई गांड और बड़े बड़े बूब्स को सारा खा जानेवाला हूँ," मैं उसे चोदते हुए कह रहा था.

पांच मिनट के बाद अब मेरे लंड से वीर्य छुटने को तैयार था. मैंने सुनीता को नीचे लिटाया और उसकी मांसल टांग ऊपर अपने कंधे पर रखी और पूरा लौड़ा अंदर करके आखरी के चार जोरदार धक्के लगाये और सारा वीर्य उसके मुँह में डाल दिया.

उस रात को मदहोशी की तरह हम दोनों एक दुसरे को नीरज और निकिता के बारे सोचकर प्यार करते रहे. कई महीनोंके बाद ऐसी धुआंधार चुदाई हुई थी.

जबतक निकिता उसके मैके से नहीं आयी तबतक रोज शाम का भोजन नीरज ने हमारे साथ ही किया. सुनीता रानी ने नीरज को उसकी पसंद के अनेक व्यंजन बनाकर खिलाये. भोजन परोसते समय सुनीता कई बार अपना पल्लू गिराकर ध्यान से अपने सुडौल मम्मोंका उसे दर्शन कराती रही. इन दो हफ़्तों में हम तीनो एकदम ख़ास दोस्त बन गए. मेरा हंसी मजाक करना और एकदम साफ़ दिल से रहना उसे भी अच्छा लगा होगा. अगर मुझे उसकी बीवी को पटाना हैं तो मुझे पहले नीरज को भी तो इम्प्रेस करना था ना!

सुनीता के भरे हुए वक्ष ज्यादा समय तक देखने के लिए वो कुछ न कुछ बहाना रहता और मैं भी उसे हमारे घर पर देर रात तक रुकने के लिए बार बार मजबूर करता था. रोज रात को वो जब हमारे दरवाजे से निकलता तब मैं उससे हाथ मिलाता और सुनीता उसे बड़े प्यारसे गले लगाकर अपने बूब्स उसकी चौड़ी छाती पर दबाकर बाय बाय करती रहती. मुझे लगता हैं हर रात को उसने सुनीता रानी के नाम की मूंठ जरूर मारी होगी.

जिस दिन निकिता आने वाली थी उस दिन हम तीनो भी उसे लेने बोरीबन्दर स्टेशन पर गए. पिछले दिनोंमे निकिता को नीरज ने हम दोनोके बारेमें काफी कुछ बताया होगा।

जब निकिता प्लेटफार्म पर उतरी तो जन्नत की हूर लग रही थी. सचमुच नीरज बड़ा ही किस्मतवाला था की उसे इतनी सुन्दर और मादक पत्नी मिली थी. उसने नीरज को गले लगाया और दोनों एकदम जबरदस्त आलिंगन में जुड़ गए. नीरज ने एक हल्का सा चुम्बन भी उसके गाल पर भी जुड़ दिया.

फिर निकिता मेरी सुनीता रानी के गले मिली.

"पिछले दो हफ्तोंसे नीरज के मुँह से तुम्हारी बहुत तारीफे सुन रही हूँ," निकिता ने कहा.

"अरे, मैं तो बस एकदम सीधी साधी लड़की हूँ, नीरज ही इतने अच्छे हैं की उन्हें हर कोई अच्छा लगता हैं. अब तुम आ गयी हो तो हम दोनों एकदम प्यारी सहेलिया बनकर रहेंगे," सुनीता हंसकर बोली.

लग रहा था की निकिता सचमुच बहुत खुश थी की उसे सुनीता जैसी अच्छी सहेली एकदम पड़ोस में ही मिल गयी नहीं तो पूरा दिन वह कैसे बिताती. जब दोनों सेक्सी लड़किया एक दुसरे से अलग हुई तब आखिर में निकिता ने मुझसे हाथ मिलाया. वह, क्या मस्त और मुलायम हाथ था उसका!

"चलो, आखिर आप से भी मुलाक़ात हो ही गयी राज। नीरज ने आप के बारे में भी बहुत सारी बाते कही हैं," निकिता ने कहा.

मैंने हँसते हँसते कहा, "अच्छा! उम्मीद हैं की कमसे काम थोड़ी तो अच्छी बाते कही होंगी। और एक बात, आज से मेरा कैमरे के ऊपर से विश्वास पूरी तरह से उठ गया हैं."

निकिता ने पूंछा, "आप ऐसा क्यों कह रहे हैं?"

मैंने कहा, "फोटो में देखा तो आप एक सुन्दर लड़की दिख रही थी मगर आज वास्तविक में देखा तो आप तो जैसे स्वर्ग की अप्सरा हो."

अपनी अचानक इतनी प्रशंसा सुनकर निकिता एकदमसे झैंप गयी.

नीरज हँसते हुए बोला, "अरे यार, राज को तो ऐसे ही मजाक करने की आदत हैं. मैं पिछले कई दिनों से देख रहा हूँ."

हम चारो हंस दिए और सामान लेकर लोकल प्लेटफार्म की और चल पड़े. मैंने अपने बलिष्ठ हांथोसे दो बड़े बड़े सूटकेस ले लिए. पांच मिनट में लोकल आ गयी और उसमे बैठकर हम दादर उतर गए. नीरज काफी पैसेवाला था इसलिए उसने दादर से ही टैक्सी कर ली. टैक्सी में हमने सामान रखा और मैं जानबूझकर सामने ड्राइवर के बाजू मैं बैठ गया. नीरज दोनों लड़कियों के बीच बैठ गया. मैं पूरी सोच समझ के साथ नीरज को मेरी सुनीता रानी के नजदीक लाने के सारे उपाय आजमा रहा था. बाद में सुनीता ने बताया की सीट पर भी कुछ सामान होने के कारण वह भी नीरज से एकदम चिपट कर बैठी थी और नीरज भी उसकी मांसल जांघोंके स्पर्श का मजे ले रहा था.

अब हम चारो मिलकर अक्सर एकसाथ समय बिताने लगे. बाहर डिनर पर जाना, एक दुसरे के घर पर भोजन पर आना जाना , साथ में पिकनिक पर जाना भी शुरू हुआ। निकिता काफी शर्मीली लड़की थी इसलिए उसे सेक्सी कपडे पहनने की आदत नहीं थी. अब सुनीता को भी नीरज से चुदवाने की आग लगी हुई थी. इस लिए उसने निकिता से सेक्स की बाते करना, नंगी फोटोवाली मैगज़ीन साथ में देखना और चुदाई के अनुभव एक दुसरे को बताना शुरू किया.

बस कुछ ही दिनों में सुनीता के साथ साथ निकिता भी लो कट के ब्लाउज पहनकर अपनी मस्त चूचियोंका प्रदर्शन करने लगी। जब हम चारों साथ में होते तब बिना किसी शर्म के नीरज मेरी सुनीता रानी की गोलाईयोंको ताकता रहता और मैं उसकी हुस्न की परी निकिता के मम्मोंको देखता रहता. दोनों लडकियोंको पता था की एक दूसरे के पति उनके यौवन से अपनी आँखे सेकते है. यह एक दोनों आदमियोंके बीच का जैसे एक अलिखित समझौता था.

निकिता आज तक सिर्फ साडी और अब लो कट ब्लाउज ही पहनती थी मगर कुछ दिनों बाद सुनीता ने उससे अलग अलग प्रकार के कपडे मतलब टी शर्ट और स्कर्ट जैसे पहननेकी बात कही. एक रविवार के दिन हम चारों एक वेस्टर्न ड्रेस की अच्छी दूकान पर गए और दोनों लड़कियोंके लिए एक से एक आधुनिक वेस्टर्न कपडे लेकर आ गए. अब घुट्नोंतक के स्कर्ट में और एकदम कसे हुए टॉप में दोनों एकदम गज़ब ढाने लगी.

गर्मी ज्यादा होने के बहाने दोनों स्लीवलेस और लो कट वाले टॉप्स ज्यादा पहने रहती थी. सुनीता के साथ साथ निकिता को भी इस खेल का मज़ा आने लग गया था. मेरा उसकी चूचियोंको निहारना और उन्हें देख कर मेरा लंड खड़ा होते हुए देखना उसे अच्छा लगने लगा.

मैं भी हमेशा निकिता की सुन्दरता, उसकी मीठी आवाज की और अच्छे स्वभाव की तारीफ़ करता रहता.

"वाह निकिता, तुम्हारी कपडोंके मामलेमे चॉइस बहुत ही बढ़िया रहती हैं!"

"निकिता, तुमपर यह काले रंग का स्कर्ट बहुत ही अच्छा दिख रहा है. इतनी गोरी और सुन्दर हो आप!"

"यार निकिता, तुम्हारी आवाज़ सुनो तो ऐसा लगता हैं की बस सुनते ही जाओ."

अपनी तारीफ़ सुनना कौनसी लड़की को अच्छा नहीं लगता? वैसे तो नीरज को भी मेरी सुनीता रानी की भरपूर मदमस्त जवानी पसंद आ गयी थी। इसलिए वह भी कभी मेरे मुँह से बार बार निकिता की तारीफ करने से ऐतराज़ नहीं करता था.

नीरज को खुश रखने के लिए सुनीता रानी रोज कसरत करके अपने हसीं हुस्न को और भी कस रही थी. उसके ३८ इंच के वक्ष बिलकुल कसे हुए और कठोर थे. जभी भी नीरज निकिता से मिलने का मौका हो तब सुनीता बढ़िया सा मेकअप जरूर करती थी. ऐसा लग रहा था की आग चारों में एक जैसी लगी थी.

कुछ दिनोंके बाद सुनीता रानी ने बताया की नीरज और निकिता भी रात में हमारे बारे बाते करते हुए चुदाई करते हैं. यह सुनकर तो मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया. अब रात भर हम दोनों में धमासान चुदाई हुई.

अगले दिन सुनीता ने निकिता से एक दुसरे की वैक्सिंग और मालिश करने की बात की. पहले तो वह ना - नुकूर करती रही फिर शर्माते हुए मान गयी. एक दिन सुबह सुनीता उसके घर चली गयी. वैक्सिंग और मालिश का सारा सामन निकिता ने तैयार रखा था.

दोनों सिर्फ ब्रा और पैंटी पर आ गयी और एक दुसरे की वैक्सिंग करने के बाद पहले तो बेबी आयल से हल्का हल्का एक दुसरे के अंगो को सहलाया. इस दौरान सुनीता ने एक से एक सेक्सी बाते कहके और निकिता की तारीफ़ करके उसे गर्म कर दिया. दोनों ने एक दुसरे के अच्छे से मालिश करने के बाद सुनीता एकदम निकिता से लिपट गयी. दोनों भी कामसीमा से असीम चरण पर आ चुकी थी. फिर भी निकिता शर्मा रही थी.

अब सुनीता ने सोचा की मौके पे चौका मारना ही चाहिए. उसने निकिता के मधुर होंठोंपर चुम्बन जड़ दिया , धीरे धीरे निकिता भी जवाब देने लगी. जल्द ही दोनों ने होंठ चूसते हुए जीभ से खेलना शुरू किया. निकिता को फिर भी शर्म आ रही थी इसलिए कमरे की बत्ती बंद कर दोनों फिर आलिंगन और चुम्बन में जुड़ गयी. ब्रा और पैंटी कब उतर गए इसका पता ही नहीं चला. निकिता के मम्मे मसल कर और निप्पल चूसकर सुनीता ने उसे दीवाना बना दिया, और फिर निकिता की ऊँगली सुनीता की गीली चुत में घुस गयी. दो घंटे तक दोनों लगी रही और दोनों को कई बार एक नए सुख का अनुभव मिला.

अब दिन में जभी भी समय मिले तब दोनों सहेलिया मिलकर एक दुसरे से मस्त लेस्बियन सेक्स का आनंद लेने लगी. दोनों के लिए यह पहली बार थी मगर ब्लू फिल्मे देख देख कर सुनीता को सारी जानकारी थी. अपने अपने पतियों से अब तक यह बात छुपाई हुई थी (जो मुझे सुनीता ने बाद में बतायी) . मगर इस बात का मेरे लिए फायदा यह हुआ की अब निकिता की शर्म काफी हद तक ख़त्म हो गयी और वह भी सेक्सी ड्रेस पहनना , एडल्ट जोक्स बोलना और हम चारोंके बीच सेक्स की बाते करने में मजे लेने लग गयी. लंड , चुत , मम्मे , चाटना, चूसना और चोदना यह सब हमारे लिए आम शब्द हो गए.

एक दिन सुनीता का जन्मदिन था और स्वाभाविक रूपसे नीरज और निकिता ने हमें ख़ास दावत पे बुलाया.

मैंने सुनीता से कहा, "मेरी जान आज तुम सबसे सेक्सी ड्रेस पहनो और हो सके तो निकिता को भी सेक्सी ड्रेस पहनने को कहो."

अब मुझे क्या पता था की अब दोनों लड़किया हमबिस्तर हो चुकी हैं और निकिता मेरी सुनीता रानी की यह बात आराम से मान जायेगी.

सुनीता सफ़ेद रंग का स्लीवलेस और लो कट टॉप और लाल रंग की शार्ट स्कर्ट में सेक्स बम लग रही थी. जैसे ही हम उनके दरवाजे पर पहुंचे नीरज और निकिता ने हमारा स्वागत किया. निकिता नेवी ब्लू रंग का गाउन पहनी हुई थी जिसमे उसकी कठोर चूँचिया मस्त झलक रही थी. गाउन का गला काफी खुला हुआ था और उस को दोनों तरफ से लगभग कमर तक एक लम्बी स्लिट थी जिसमे से उसकी गोरी मांसल जाँघे दिख रही थी. नीरज ने सुनीता को गले लगाकर जन्मदिन की बधाई दी. मैंने भी निकिता को बाहोंमे ले लिया।

अब हम चारोंमें एक दुसरे की पत्नी को गले लगाना और उनकी गांड पर हाथ फेरना आम हो गया था. सुनीता के लिए तोहफे में एक बड़ा सा गुलदस्ता, एक कीमती ड्रेस, और बढ़िया सा परफ्यूम लाया हुआ था. बाते और हंसी मजाक के बाद वाइन के साथ भोजन हो गया. मैं और नीरज एक दुसरे की पत्नियो की ताऱीफोंके पूल बाँध रहे थे. आधे घंटे बाद नीरज ने हॉल का फर्नीचर थोड़ा बीचमें से हटाया और चार मोमबत्ती जलाई. हॉल की लाइट बंद हुई और धीमे संगीत के स्वर शुरू हुए.

नीरज ने कहा, "राज, क्या मैं आज बर्थडे गर्ल के साथ डांस कर सकता हूँ?"

मैंने कहा, "हां ख़ुशी से, मगर पहले निकिता से पूंछ लो की वह मेरे साथ डांस करेगी क्या?"

अब निकिता ने फट से कहा, "ओह राज, यह लो मैं आ गयी तुम्हारे साथ डांस करने."

फिर क्या था, एक दुसरे की पत्नियोंके कमर में हाथ डाल कर हम संगीत की ताल पर झूमने लगे.

वैसे डांस करना न मुझे आता था न नीरज को, हम तो सिर्फ एक दुसरे की सुन्दर और सेक्सी पत्नियोंके अंगो को छू रहे थे. मेरे हाथ निकिता की कमर और उसके सुडौल नितम्बोँको सेहला रहे थे, वहां नीरज सुनीता को चिपककर उसके गर्दन पर हलके से किस कर रहा था. उनका हॉल काफी बड़ा था और नाचते नाचते मैं जान बूझ कर निकिता को उन दोनोंसे दूर लेकर आ गया.

मैंने निकिता के कानो में कहा, "आप के साथ ऐसा रोमांटिक डांस करने के मेरी कबसे इच्छा थी, जो आज पूरी हो गयी. आज तो तुम सचमुच की मेनका लग रही हो."

अब मैंने उसके गर्दन पर चूमना शुरू किया. अब वह भी गर्म हो चुकी थी. अब निकिता उसके तने हुए मम्मे मेरी छातीपर दबाने लगी. मैंने आँखों के किनारे से देखा तो नीरज सुनीता के स्कर्ट के अंदर से उसके कुल्होंको सेहला रहा था, और मेरी सुनीता रानी उसका चेहरा अपने बड़े वक्षोंके क्लीवेज में दबा रही थी. फिर अचानक संगीत ख़त्म हुआ और हम अपने अपने पार्टनर के पास आ गए.

सुनीता ने मुझे बाहों में लेकर मीठा चुम्बन दिया और बोली, "राज, इतना अच्छा जन्मदिन मुझे हमेशा यादगार रहेगा."

वहां नीरज और निकिता भी मस्ती से किसिंग कर रहे थे. वाइन पीने का एक दौर और हो गया. मैंने सोचा की बहुत दिन से जो प्लान मेरे दिमाग में चल रहा हैं उसे सच्चाई में लाने का इससे अच्छा मौका नहीं आएगा.

मैंने कहा, "चलो सब लोग मिलके स्पिन द बोतल का खेल खेलते हैं."

हम चारों जमीन पर बैठ गए और उस चक्कर में मुझे और नीरज को दोनों लड़कियोंके जांघोंके दर्शन हो रहे थे.

पहले राउंड में घूम कर बोतल सुनीता पर रुकी।

मैंने कहा, "चलो, बर्थडे गर्ल से ही शुरुआत हो गयी."

अब रूल के अनुसार निकिता उसे पनिशमेंट देने वाली थी.

"मेरे नीरज को अच्छे से एक मिनट तक आलिंगन दो," उसने कहा.

"अरे यह भी कोई पनिशमेंट हैं?" हँसते हँसते सुनीता बोली और जाकर नीरज से लिपट गयी.

अब सुनीता ने अपने मम्मे उसपर दबा दिए.

अगली बार बोतल मेरे ऊपर रुकी, तो नीरज बोला, "चल, तू भी निकिता को अच्छे से हग करले।"

जैसे ही निकिता मेरी बाहों में आयी मैंने उसकी कमर और कूल्हों को सहलाया और गाल पर चुम्बन किया. मेरा खड़ा लंड उसे जरूर चुभा होगा.

अगले दो राउंड में आलिंगन और चुम्बन होने के बाद मैंने नीरज से कहा, "नीरज, अब सुनीता की स्कर्ट उठाकर उसकी जाँघे सेहलाओ।"

अब वाइन के नशे में सुनीता भी बिनधास्त होकर सोफे पर लेट गयी. नीरज ने उसकी लाल स्कर्ट उठाई और जाँघे सहलाकर उन्हें चूमने भी लगा. अब मैं भी बहुत उत्तेजित हुआ और मैंने निकिता को पीछे से बाहोंमें ले लिया। मेरा लंड उसकी गांड पर टक्कर मार रहा था और मेरे हाथ उसके वक्षों को उसके गाउन के ऊपर से ही दबा रहे थे.

अब लग रहा था की हमारा बरसो का पार्टनर स्वैपिंग का सपना आज पूरा होने वाला हैं. इतने में निकिता ने मेरे हांथों को रोक दिया और नीरज से भी सुनीता के ऊपर से उठने के लिए कहा. मैं समझ गया की निकिता से इस के आगे बढ़ने के लिए अभी इस समय तैयार नहीं हैं. वैसे सुनीता को भी सबके सामने थोड़ी शर्म आ रही थी.

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