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पत्नी, साली और पड़ोसन भाग 02

by rajNsunitaluv2explore©

अब तक आपने भाग १ में राज की जुबानी पढ़ा: जवान जोड़ा राज और सुनीता अदलाबदली की चुदाई ( पार्टनर स्वैपिंग) के लिए कोई और शादीशुदा जोड़ा ढूंढ रहे थे. नए पडोसी नीरज और निकिता के साथ अच्छी दोस्ती होने के बाद एक रात दोनों जोडियोंने एक ही बिस्तर पर अपने अपने पार्टनर के साथ चुदाई की. मगर चारोंमें से सिर्फ निकिता ही फुल स्वैपिंग के लिए तैयार नहीं थी.

अब आगे की कहानी सुनिए सुनीता की जुबानी.

अब नीरज और निकिता को पटाने के लिए आगे क्या किया जाए इस सोच में मैं और राज थे तभी मेरी छोटी बहन के परिवार पर एक विपत्ति आ गयी.

मेरी छोटी बहन का नाम सारिका था. वह भी मेरी तरह बड़ी सुन्दर और जवानी से भरपूर थी. सारिका दिखने में मुझसे थोड़ी ज्यादा गोरी थी, बस कद से थोड़ी सी नाटी थी. उसकी शादी महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव के एक गरीब परिवार में रूपेश के साथ हुई थी. रूपेश देखने में गौरवर्णीय, बहुत हैंडसम और एकदम फुर्तीला था. उस की अपनी मेडिकल की दूकान थी जिससे उनका घर चलता था. एक दिन अचानक उसकी दुकान में आग लग गयी. बीमा नहीं होने के कारण बहुत भारी आर्थिक नुकसान भी हो गया और आमदनी का एकमात्र जरिया खत्म हुआ.

जैसे ही हमें पता चला, मैं फूट फूट कर रोने लगी. मुझे शांत करके राज तुरंत रूपेश के गांव पहुंचा और उससे बात की.

राज ने रूपेश से कहा, "रूपेश, मैं अँधेरी में कुछ दवाई की दूकान मालिकोंको अच्छे से जानता हूँ. मैं तुम्हारे लिए नौकरी की बात करके सारा मामला ठीक कर दूंगा. रूपेश और सारिका, तुम दोनों भी हमारे अँधेरी वाले घर पर हमारे साथ रह सकते हैं. फिर तुम्हे किसी भी प्रकार के खर्चे के बारे में सोचना नहीं पडेगा. कुछ पूँजी जमा होने के बाद हम लोग अपनी खुद की मेडिकल की दूकान खोलने के बारे में भी सोच सकते हैं."

उसकी बात सुनकर रूपेश ने राज को गले लगाया और रोने लग गया.

उसने भावुक होकर कहा, "राज भैया, मैं आप का एहसान पूरी जिंदगी नहीं भूलूंगा. समझ लो की आज से मैं आप का गुलाम हो गया."

राज ने कहा, "रूपेश, हिम्मत मत हारो और रोना बंद करो. जल्द से जल्द यहाँ का मामला निपटाकर आप दोनों मुंबई पहुँच जाओ."

जैसे ही सारिका ने यह बात सुनतेही उसके भी आँखों में आँसू छलक गए. राज ने दोनोंको बड़े प्यार से गले लगाया और हिम्मत बँधायी. बाद में राज ने मुझे बताया की इस समय तक उसके मन में अपनी सुन्दर और सुडौल साली सारिका के बारे में कोई सेक्सी विचार नहीं आये थे. वो तो बस उनकी सचमुच अपनेपन से मदद करना चाहता था.

राज अपनी बैंक में अच्छे पद पर था और उस पर काम की काफी जिम्मेदारी भी थी. इसलिए वो तुरंत अगले ही दिन मुंबई वापिस चला आया. एक हफ्ते के बाद रूपेश और सारिका अपने गावसे बस में बैठकर मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर आ गए. राज और मैं उन्हें लेने के लिए पहले से ही प्लेटफार्म पर खड़े थे. अपना सामान लेकर दोनों नीचे उतर गए.

हमें देखकर दोनोंके चेहरों पर अपार प्रसन्नता छा गयी. पहले रूपेश राज के गले लगा और सारिका मेरे. फिर राज ने आगे बढ़ कर सारिका को बाहों में भर लिया और रूपेश ने अपनी मजबूत बाहों में मुझे ले लिया. सारिका फिर से रोने लग गयी, फिर राज ने उसे कसकर बाहोंमे जकड़ा और उसके सर पर बड़े प्यार से हाथ फेरते हुए उसके आंसू पोंछ दिए.

वहाँ मैंने भी रूपेश को कहा "रूपेश, आज से हम चारों सबसे अच्छे दोस्त बनकर साथ साथ रहेंगे." उसका मुझे अपनी बाहों में लेना अच्छा लगा था.

अँधेरी जाने के लिए हम लोकल में चढ़ गए. उन दोनोंका मुंबई मायानगरी में यह पहला ही दिन था. साथ में काफी सामान भी था और वह लोग कहीं खो न जाए इसलिए राज और सारिका एक डब्बे में चढ़ गए और मैं और रूपेश दुसरे डब्बे में!

लोकल में हमेशा की तरह खचाखच भीड़ थी. बड़ी मुश्किल से सामान जमाकर राज और सारिका बैठ गए.

जैसे ही वो दोनों बैठे, खड़े हुए लोगों में से एक आदमी ने कहा, "भाई, भीड़ बहुत ज्यादा हैं. अपनी लुगाई को गोदी में बिठा दो ताकि मैं बची हुई जगह पर बैठ जाऊं."

मुंबई की लोकल में यह एकदम सामान्य बात थी. सारिका झटसे आकर राज की गोदी में बैठ गयी. उसने नीले रंग का कमीज और गुलाबी रंग की सलवार पहनी थी. भीड़ में आजु बाजू के लोग उसके जिस्म को धक्के न मार सके इसलिए राज ने अपने हाथोसे उसकी कमर को लपेट लिया। पहली बार वो सारिका के बदन से इतना नज़दीक था. उसकी भरी हुई गांड और मांसल जाँघे राज को उत्तेजित करने लगी.

फिर दोनों यहाँ वहां की बाते करने लगा, भीड़ ज्यादा होने के कारण सारिका राज के और पास आकर उसकी बाते सुनने और बाते करने लगी. उसके बदन की खुशबू, उसकी गर्म साँसे, उसकी गांड और मांसल जाँघे सबकुछ मिलकर राज को पागल करने लगी. राज ने बताया की उसका लंड भी तन गया था. अब इतनी भीड़ में इधर उधर हिलकर उसे एडजस्ट करना भी संभव नहीं था. शायद सारिका को भी उसकी चुभन महसूस हो रही थी मगर वह भी कुछ न बोली. लोकल रस्ते में दो बार रूक गयी और उससे राज की हालत और भी खराब हो गयी.

दुसरे डब्बे में मैं और रूपेश भी अजब हालात में थे. हम दोनों को तो बैठने की जगह मिली ही नहीं इसलिए एक कोने में मैं खड़ी रही और रूपेश अपने मजबूत शरीर से मुझे दुसरे मर्दोंके स्पर्श से रोकने के लिए बाहोंसे जकड लिया था. इस पूरे सफर में अनजाने में मुझे भी बड़ा मजा आया और मैंने भी रूपेश के खड़े लंड का मजा लिया। मैंने भी अपने कठोर वक्ष उसकी चौड़ी छाती पर दबा दिए थे. कुल मिलाकर राजकी और मेरी अंदर की वासना की आग उस लोकल में ही चालू हो गयी थी.

जैसे ही हम लोग घर पहुंचे सब लोग बारी बारी नहाये और फिर भोजन किया. थोड़ा आराम करने के बाद रूपेश की नौकरी के बारे में आगे क्या करना इसकी रूपरेखा बनायीं गयी. उन दोनोका सामान ठीक ठाक जगह लगाया और उनके सोने के लिए हॉल में बेड का इंतज़ाम किया.

मैं राजसे बहुत खुश थी की उसने मेरी बहन और बहनोई की मुश्किल घडी में उनकी सहायता का कदम उठाया था. उस रात को हमने एक दुसरे को प्यार करते समय लोकल वाली बात शेयर की. हम कभी भी कोई बात एक दुसरे से छुपाते नहीं थे.

"रानी, तुम्हे छूने के बाद तो किसी भी मर्द का लंड खड़ा होगा. बड़ी ख़ुशी की बात हैं की मुझे और रूपेश को एक दुसरे की पत्नियोंको स्पर्श करने का मौका मिल गया," राज बोल रहा था.

"हां मेरी जान, उसके सीने पर दबने के बाद मेरे निप्पल तक एकदम कठोर हो गए थे. सचमुच बड़ा मजा आया," मैं बोली.

कुछ दिनोंके बाद रूपेश को एक दवाई की दूकान में काम मिल गया. सुबह वह अपना लंच लेकर जाता और शाम को देरी से आता. जब कभी लंच तैयार न हो तो मैं ही अपनी लूना चलाकर उसे भोजन का डब्बा देकर आती थी. सारिका अब तक लूना चलाना सीखी नहीं थी. दोपहर के समय दूकान पर ज़्यादा भीड़ नहीं होती थी, इसलिए मैं वही रूककर उससे बाते करके फिर खाली डब्बा लेकर आ जाती थी. अब परिवार में दो सदस्य और होने के कारण हमारा नीरज और निकिता के साथ मिलना जुलना कम हो गया, मगर मित्रता में कोई अंतर नहीं आया था. बस मेरी और राज की प्राथमिकताएं कुछ दिनों के लिए बदल गयी थी.

रूपेशकी दूकान काफी दूरीपर थी, देर रात तक रुकना पड़ता था और वेतन भी कुछ ख़ास नहीं था, इसलिए दोनों पति पत्नी काफी परेशान थे. वह सब देखकर मैंने फिर राज से उनकी कुछ और सहाय्यता करने के लिए कहना शुरू किया. अब शायद राज को भी मन ही मन लगा की रूपेश और सारिका परेशान रहेंगे तो उसका सारिका को चोदने का सपना शायद ही पूरा होगा।

कुछ दिन बाद राज ने उसके बैंक मैनेजर से बात की और उसे ५००० रुपये की घूस देकर अपने नामपर ४ लाख रुपयोंका लोन बहुत काम ब्याजदर पर मंजूर करा लिया. दो हफ्ते पहले से ही रूपेश घर के आसपास कोई मेडिकल दूकान बेचनेमें हैं क्या इसकी तलाश कर रहा था. लोन मिलने के तीसरे दिन ही साडेतीन लाख में एक दुकान मिल गयी और पचास हज़ार की दवाईयोंका स्टॉक ख़रीदा गया. दुकान का नाम राज ने सुनीता मेडिकल स्टोर्स रखकर मुझे और भी ज्यादा खुश कर दिया. ओपनिंग सेरेमनी सादगीसे किया और अब दूकान भी अच्छे से चलने लगी.

दोपहर के समय ज्यादा ग्राहक न होने कारण कुछ घंटोंके लिए रूपेश घर पर आता तब हम दोनों बहनोंमे से कोई भी दूकान संभाल लेती. सारिका की सुंदरता और सेक्सी ब्लाउज से मम्मोंकी झलक देखने से आया हुआ ग्राहक दो - चार चीज़े और लेके जाता था. इसके कारण सारिका ज्यादा दूकान पर रहती थी और मुझे रूपेश के साथ अच्छा समय बिताने को मिलता था. रूपेश भी मेरी की सुंदरता और सेक्स अपील से घायल हो रहा था. मौका पाकर मैं भी अपने जवानी के जलवे दिखाकर उसे एक्साइट करती रहती थी. नीरज जैसा बांका जवान हाथ न लगा तो अब मैं रूपेश पर डोरे डालने लगी।

रूपेश और सारिका अब मुझे और राज को इतनी ज्यादा इज़्ज़त और प्यार करने लगे की उनके लिए हम दोनों जैसे भगवान् का रूप हो गये. दोनों भी हमारी हर बात मान जाते थे.

राज कभी भी किसी काम से घरके बाहर निकलने की बात करता की तुरंत सारिका उसकी मोटरसाइकिल पर उसके पीछे बैठ जाती थी खरीदारी में सहायता के लिए. अब राज को भी उसके मम्मे अपनी पीठपर दबते हुए अच्छा लगता था. जानबूझकर वो खचाखच ब्रेक मारकर उसे पीछे से लिपटने पर मजबूर कर देता था. सारिका को भी अब इसमें मज़ा आने लगा था. रूपेश के सामने भी सारिका अक्सर राज को गालों पर किस कर देती थी और मैं भी रूपेश को बाहोंमे भरने का एक भी मौका गंवाती नहीं थी. सारिका को भी इसका बुरा नहीं लगता था.

आने वाले रविवार को अब हम दोनों रूपेश और सारिका को लेकर बोरीबन्दर स्टेशन के पास वाले फैशन स्ट्रीट गए और सारिका के लिए कुछ सेक्सी ड्रेस लेकर आ गए. अब मैंने सारिका को ऐसे वेस्टर्न कपडे पहनकर अपनी पति को लुभाने की अदा सिखाई. अब तो मैं और सारिका दोनों भी बहने शार्ट स्कर्ट और लूज़ टॉप घर में पहनने लग गयी. अब घर में राज और सारिका / और मेरा और रूपेश का हंसी मजाक काफी सेक्सी होने लगा.

पहले तो रूपेश को मेरे बारे में सेक्सी बाते बोलने में शर्म आयी मगर राज ने और खुद मैंने ही उसे बिनधास्त रहने के लिए कहा तो वो भी खुले आम मेरे सेक्सी के अंगोंकी तारीफ़ करने लगा.

"सुनीता दीदी, आप इस मिनी स्कर्ट में बिलकुल कॉलेज क्वीन लग रही हो. ख़ास कर आपकी मुलायम जाँघे बहुत सुन्दर लग रही है."

"ओह दीदी, आपका आज का टॉप तो बड़ा ही ख़ास हैं. आप ऐसे लो नेक ड्रेस में किसी सेक्सी फिल्म की हिरोइन से भी ज्यादा हॉट लग रही हो. क्या बढ़िया चूचियां हैं आप की."

"सुनीता दीदी, आज आप इस स्कर्ट के साथ वो लाल रंग का टॉप पहनोगी तो और भी ज्यादा प्यारी लगोगी. उस टॉप का गला कुछ ज्यादा ही खुला हैं, जिससे आप का क्लीवेज देखन मुझे बड़ा अच्छा लगता हैं."

"दीदी, क्या बढ़िया मिनी स्कर्ट हैं, मुझे तो आपकी गुलाबी पैंटी भी नज़र आ रही हैं. बहुत ही परफेक्ट आकार हैं आप के नितम्बोंका!"

इतना हैंडसम जवान मेरी तारीफ करे और जब मौका मिले तब यहाँ वहाँ हाथ लगाए इससे मैं भी अपने आप को ज्यादा सेक्सी फील करने लगी थी.

छुट्टी के दिन हम चारों साथ में बैठकर ऐसे ही गपशप कर रहे थे की हमारी स्पेशल फोटोशूट वाली एक एल्बम सारिका के हाथ लगी. जैसे ही वो खोलकर देखने लगी, मैंने सारिका के हाथ से खींच कर एल्बम ले ली.

रूपेशने हँसते हुए पूछा, "अरे जरा हमें भी दिखाओ, क्या ख़ास हैं इसमें!"

बेशर्म होकर राज ने कहा, "मेरी और सुनीता की हॉट पोजेस की फोटो हैं."

अब मैं झूठ मूठ के गुस्से से राज को कोसने लगी, "तुम्हे कोई भी शर्म नहीं है कुछ भी बता देते हो."

हालांकि मेरे मन में भी लड्डू फूट रहे थे. मेरी सेक्सी तस्वीरें देखकर रूपेश पर क्या असर होगा यह सोच कर मेरी चूत गीली होना शुरू हो गया.

राज ने हँसते हुए कह दिया, "रूपेश, तुम्हारी और सारिका की भी ऐसी पोजेस की एल्बम बनाना हैं तो मुझे बता दो. कैमरा, लाइट्स और रील सबका इंतज़ाम हैं मेरे पास."

"अब ज़रा फोटो देखेंगे तो पता चलेगा न राज भाई," रूपेश ने कहा.

राज ने मुझसे पूछा, "सुनीता रानी, क्या कहती हो? अब हम चारों एकदम गहरे दोस्त बन कर साथ में ही रह रहे है. सारिका ने तो थोड़े देख भी लिए हैं, चलो रूपेश को भी देखने दो. फिर उनका फोटोशूट करेंगे तो हमको भी मजा आएगा."

आखिर झूठ मूठ का दिखावा करने के बाद मैं भी मान गयी और चारो मिलकर उस एल्बम को देखने लगे. मेरी सिर्फ ब्रा और पैंटी में तस्वीरें देखकर कोई नामर्द का लंड भी खड़ा हो जाता, रूपेश तो फिर भी असली मर्द था. कुछ फोटो बैकलेस भी थी और कुछ में तो मेरी गांड भी दिख रही थी.

रूपेश: "अरे वा, सुनीता दीदी आप तो बहुत ही ज्यादा सुन्दर, सेक्सी और हॉट लग रही हैं. ए सारिका चल, हम भी ऐसी ही फोटो खिचायेंगे."

सारिका रूपेश की बात को टाल न सकी और बोली, "अच्छा, ठीक हैं रूपेश. चलो हम दोनों बैडरूम में जाकर कपडे बदलकर आते हैं."

लगता हैं रूपेश फोटो खिंचवाने के लिए काफी उतावला हो रहा था, इसलिए दो मिनट के अंदर ही दोनों भी बैडरूम के बाहर आ गए. दोनोंके बदन के ऊपर से एक पतली चादर ओढ़ी हुई थी.

जैसे ही दोनों लाइट्स के बीच में आये, राज ने कहा, "चलो, अब घूंघट उतारो और अपनी जवानी के जलवे दिखाओ."

सारिका और रूपेश ने एक दुसरे की और देखा और चादर उतार दी. सारिका के गोरे गोरे बदन पर भड़कीले लाल रंग की ब्रा और पैंटी थी.

उसको अधनंगी देखकर राज उत्तेजित हो गया था. मैं भी रूपेश को सिर्फ नीले रंग की फ्रेंची में देखकर खुश हो गयी.

राज उन दोनोंको एक एक पोज लेने और फोटो खींचने लगा.

उनके पोज एडजस्ट करने के बहाने राज ने कई बार सारिका के बदन को हाथ लगा लिया. सारिका की मांसल जाँघे, गोलाईदार नितम्ब और पुष्ट स्तन देखकर राज बहुत उत्तेजित हो गया और अच्छी सेक्सी पोज देने के बहाने उसके अंगोंको छू लिया.

अब मौका पाकर जान बूझ कर मैं बोली, "राज, कुछ ज्यादा गर्मी हो रही हैं," और मैंने अपना टॉप उतार दिया.

अब मेरे काले रंग की ब्रा में कैसे हुए कठोर वक्ष देखकर रूपेश का लौड़ा और भी कड़क हुआ ऐसा लग रहा था.

"अरे रूपेश, तुम थोड़ा इस तरफ से सारिका को पकड़ो ताकि फोटो और भी अच्छा आएगा," यह कहते हुए मैं जाकर उसका पोज एडजस्ट करती रही और उसे छूने का मजा भी लेती रही.

मेरे ३८ इंच के बड़े बड़े वक्ष सिर्फ ब्रा में देखकर उसका कड़क लंड और भी तन रहा था.

अब तो रूपेश अपनी छोटी से अंडरवियर में उसका खड़ा हुआ लंड छुपाने की कोशिश भी नहीं कर रहा था. उसका वह तगड़ा लौड़ा देख कर तो मेरी चुतसे कामरस की हलकी धरा निकली.

करीब एक घंटे तक मैं रूपेश के और राज सुनीता के अंगोंको छूने का मजा लेते रहे.

जैसे ही फोटोशूट पूरी हुई, सारिका को गोदी में उठाकर रूपेश हमारे बैडरूम में चला गया. दो घंटे तक बैडरूम बंद रहा और जबरदस्त चुदाई के आवाज़े अंदर से आ रही थी. मैं और राज बहार सोफे पर और बेड पर अलग अलग पोजेस में चुदाई कर रहे थे. माहौल एकदम गर्म हो गया था और हम दोनों पति पत्नी पूरी तरह से कामवासना की आग में झुलस रहे थे.

उस रात मुझे घोड़ी बनाकर चोदते हुए राज ने आखिर अपने दिल की बात पूंछ ही डाली, "सुनीता रानी, क्या तुम हमारी अधूरी कहानी पूरी करना चाहोगी?"

मैंने जानबूझ कर नादान बनते हुए पूंछा, "कैसे करेंगे मेरे राजा?"

मेरी गीली चुत में एक और झटका लगाते हुए राज ने बिना हिचकिचाते हुए कह दिया, "नीरज और निकिता की जगह रूपेश और सारिका।"

वैसे गोरा चिट्टा और हैंडसम रूपेश मुझे भी बेहद पसंद था मगर अपने पति से खुद की बेहेन को चुदवाने के बारे में मैं थोड़ी सोच में पड गयी.

मैंने राज से कहा, "ठीक हैं मेरे राजा, मैं सारिका से धीरे धीरे इन डायरेक्टली बात छेड़कर देखती हूँ."

फिर राज भी ख़ुशी ख़ुशी मुझे लम्बे समय तक चोदता रहा और फिर अपने खड़े लौड़े का सारा वीर्य उसने मेरे मुँह में डाल दिया। मुझे वीर्य पीना बड़ा अच्छा लगता हैं और फिर मैं भी तो रूपेश से चुदवाने के ख़याल से काफी नशीली हो गयी थी. उस रात राजने दो बार और मुझे चोदा और दोनों बार हम सारिका और रूपेश का नाम लेकर एक दुसरे को और भी ज्यादा उत्तेजित करते रहे.

गर्मी के मौसम में एक रात को अचानक बिजली चली गयी. हमारे बैडरूम का एयर कंडीशनर और बाहर के रूम का पंखा सब बंद. किसी को भी अब नींद नहीं आ रही थी. हम दोनों भी बाहर आ गए, राज सिर्फ लुंगी में और मैंने सिर्फ घुटने तक की पतली सी स्लीवलेस नाइटी पहनी थी. बाहर आकर देखा तो रूपेश सिर्फ शॉर्ट्स में और सारिका भी पतली से स्लीवलेस नाइटी में थी. कुछ देर बाते करके, हाथ से पंखा करके भी हो गया. अब हॉल की सारी खिड़किया खोल दी और हम दोनों जोड़े जमीन पर सिर्फ चटाई बिछा कर पास पास सो गए.

लेटते ही राज की हरकते चालू हो गयी, और मैंने थोड़ी देर तक उसे रोकने का असफल प्रयास किया। उसके बाद हम दोनों अँधेरे में चालु हो गए, फिर लगा की बाजु की चटाई भर धामधूम हो रही है. अब तो मेरा सब्र का बांध टूट गया और राज भी जोर शोरोसे मेरी चुत में अपना लौड़ा डालकर चोदने लगा. पूरे हॉल में मम्मे चूसने की, लंड पेलने की और चुत चाटने की सेक्सी आवाजे गूँज रही थी.

इस रात के बाद हम चारो एक दुसरे से पूरी तरह खुल गए. अब बिनधास्त एडल्ट जोक्स बोलना, सेक्स के बारे बाते करना और एक दुसरे के पार्टनर को छेड़ना आम हो गया. हम दोनों लड़किया चूचियोंके क्लीवेज और टाँगे दिखाकर दोनों लडकोंको दीवाना करती थी. सारिका के लिए यह सब नया था मगर मैं तो इस खेलको पहले नीरज के साथ खेल चुकी थी. बस निकिता के न मानने से नीरज का लंड नहीं मिला था.

अब ऐसा चलने लगा की दिन में जब सारिका दुकान पर होती तब रूपेश मेरे साथ छेड़छाड़ करता रहता और कभी कभी चूमा चाटी भी करता। शाम को जब रूपेश दुकान पर रहता था तब मेरा सेक्सी पति सारिका के साथ छेड़छाड़ करता था. कभी कभी शामको रूपेश का हाँथ बटाने के बहाने मैं दूकान पर चली जाती ताकि राज को सारिका के साथ और भी ज्यादा छूट मिल जाए.

एक दो बार तो राज ने मेरे और सारिका साथ में बैठ कर वाइन पीते हुए हॉट सेक्सी फिल्म लगाई और बारी बारी हम दोनोंको आलिंगन चुम्बन करते रहता. मैंने देखा था की सारिका अब राज से पूरी तरहसे खुल गयी थी और उसके सामने अपने मम्मोंका और मांसल जांघोंका प्रदर्शन बिनधास्त करती. रात में चुदाई के समय मैं मेरी और रूपेश की दोपहर की हरक़तोंके बारे में बताके राज को और भी ज्यादा उत्तेजित करती और फिर वो भी बड़े प्यारसे मुझे चोदता था.

एक रात को जब राज मेरी गीली चुत और चुत का दाना चाट रहा था तब मैंने उस दिन दोपहर वाला किस्सा बताया.

मैंने कहा, "आह मेरे राजा, आज मैं रूपेश को कोल्ड कॉफी का ग्लास दे रही थी और मस्ती मस्ती में वो उसकी शर्ट पे गिर गया. मैंने तुरंत उसका शर्ट और बनियान उतारकर उसकी बालोंसे भरी छाती को साफ़ किया. पानीसे साफ़ करने के बाद थोड़ी देरतक सहलाया और उसके दोनों निप्पल को भी उँगलियों में लेकर रगड़ा."

"अरे वाह, उसका तो लंड बिलकुल खड़ा हो गया होगा मेरी जान," एकदम सेक्सी आवाज में राज बोल दिया.

मेरी यह सेक्सी बात सुनते हुए उसका खुदका लंड एकदम कड़क हो गया था.

मैं: "हाँ, मैंने उसकी जीन्सपर से महसूस किया. मैं चाहती हूँ की हम चारों और भी खुल जाए और नजदीक आये, ताकि तुम्हे सारिका की गोरी चुत और मुझे रूपेश का गर्म कड़क लौड़ा मिल जाए.. आह ऐसी ही चाटते रहो डार्लिंग"

राज: "मेरे खयाल से, रूपेश तो राजी हो जायेगा। तुम दिनके समय जब सरिकाके साथ होती हो तब उसके सामने मेरी खुलके तारीफ़ करो. ताकि वो भी इस अदलाबदली के खेलमें आ जाए."

मैं: "कर रही हूँ मेरे राजा, पूरी कोशिश कर रही हूँ. मुझे भी तो रूपेश से चुदना है मेरी जान!"

अब इतना सब सुनने के बाद राज से और रहा नहीं गया और उसने घोड़ी बनाकर मुझे जबरदस्त चोद दिया. दस मिनट बाद उसने पूरा वीर्य मेरी योनि में छोड़ दिया.

अगले ही दिन धुआंधार चुदाई के बाद मैं बेहोशी में सो गयी थी. तब राज आधी रातको उठकर रसोईघर से पानी पीकर बैडरूम की तरफ वापिस आ रहा था. तभी उसने देखा की रूपेश गहरी नींद सोया हुआ था और सारिका सोफेपर बैठकर टीवी के रिमोट से चैनल बदल कर कुछ देख रही थी. अपनेआप उसके कदम मेरी सुन्दर और सेक्सी बहन की तरफ बढे.

राज: "क्या हुआ सारिका, लगता हैं नींद नहीं आ रही हैं."

सारिका: "हाँ राज भैया, मैं आज दिन में थोड़ा सो गयी थी इसलिए अब रात काली हो रही है. और आप?"

सोफेपर उसके बाजू बैठते हुए उसने कहा, "कुछ नहीं यार, सुनीता भी गहरी नींदमें हैं और मैं पानी पीने आ गया था."

उसकी काली स्लीवलेस नाइटी में गोरी बाहे, उन्नत उभार और पैर चमक रहे थे.

वैसे भी राज गोरी निकिता को नंगा देखकर गोरी लड़की को चोदने के लिए उतावला था ही.

"क्या देख रही हो टीवी पर?"

"कुछ नहीं ऐसे ही बोर हो गयी इसलिए टाइमपास कर रही थी."

"चलो टाइमपास ही करना हैं तो कुछ गेम खेलते हैं, मजा भी आएगा और वक़्त भी काट जाएगा।"

"कैसा गेम भैया?"

राज ने ताश के पत्ते निकालते हुए कहा, "चार चार पत्ते बाटेंगे, जिसके पास छोटे पत्ते आये वो हार गया. फिर उसे जीतने वाले की एक बात मानना पड़ेगा।"

सारिका: "बढ़िया है राज भैया, आप के पास तो एक से एक बढ़िया तरीके रहते हैं!"

"सारिका, तुम इतनी प्यारी हो की तुम्हें मेरी हर बात अच्छी लगती हैं," राज ने उसके गाल को चूमते हुए कहा.

राज को पहली चाल में आठ, तीन, पांच और दो आये. सारिका को एक्का, रानी, आठ और तीन मिले.

अब राजने सारिका से पूंछा, "चलो तुम जीत गयी, बोलो मेरे लिए क्या पनिशमेंट हैं?"

सारिका बोली, "राज भैया, मेरे पैरों की मालिश करो."

राज किचन से बादाम का तेल कटोरी में लेकर आया और उसकी नाइटी को घुटनोंके ऊपर उठाकर उसके पैरोंकी मालिश करने लगा. राज अपने मजबूत पँजोंकी ताकतसे उसके मुलायम गोरे पैर सहलाने लगा और उसे भी अच्छा लगने लगा.

सारिका: "वा राज भैया, आप तो अच्छी खासी मालिश भी कर लेते हो!"

दो मिनट के बाद अगली चाल चली. अब राज को नौ, गुलाम, एक्का और चार आये. सारिका को दो, सात, रानी और दो मिले.

उसकी आंखोंमे आँखें डालकर सारिका अपनी मीठी आवाज में बोली, "अब आप जीत गए. बोलो मेरे लिए क्या हुकुम हैं?"

राज: "मेरी छाती और पीठ को सेहलाओ।"

सारिका राज के नजदीक आकर उसकी पीठपर अपने मुलायम हाँथोंसे सहलाने लगी. मेरे पति के बदन की खुशबू से वह भी शायद गर्म हो रही थी. एक दो बार उस नंगी पीठपर उसने हलके चुम्बन भी जड़ दिए.

सारिकाने कहा, "अब मेरी तरफ पलटो राज भैया।"

जैसे ही राज पलटा सारिका के हाथ राज की चौड़ी छाती से खेलने लगे. अब बेताब राज ने धीरे से उसे पास खींचा और वो धीरे से छाती को और दोनों निप्पल को किस करने लगी.

सारिका: "आह कितनी अच्छी परफ्यूम लगाते हो राज भैया, अभी तक महक रहे हो.. आह!"

जैसे ही राज ने उसके सर पर हाथ रखा और उसे और नजदीक खींचना चाहा, वो थोड़ा शर्माके पीछे हटी.

सारिका: "चलो अगली चाल चलते हैं"

अब राज को पांच, दो,रानी और दो आये. सारिका को दो राजा, तीन और नौ मिले। फिर उसकी ही जीत हुई.

राजने कहा, "बोलो अब मैं क्या करू?"

सारिका हँसते हुए बोली, "मेरी पीठ की मालिश कर दो।"

सारिका ने अपनी नाइटी को दोनों कांधोंसे हटा दिया. उसकी गोरी काया राज को लुभा रही थी. पंजोंमे तेल लगाकर उसकी पीठ सहलाना चालू किया.

सारिका आँखें मूंदकर आनंद ले रही थी और राज का भी लंड खड़ा हो गया था.

अगला गेम फिर सारिका ही जीती, अब उसने राज को जाँघे सहलाने कहा. उसने शुरू ही किया था की इतने में रूपेश की नींद खुली ऐसा लगा. फिर सारिका ने झटसे अपनी नाइटी ठीक की और उसे ईशारोंमे बाय कह दिया.

अब ये सब बाहर हॉल में चल रहा था. मैं तो बैडरूम में पूरी नंगी ही सो रही थी. अंदर आकर राज ने अपनी लुंगी उतारकर मेरे नंगे बदन के ऊपर सिक्सटी नाइन की पोज में लेट गया और मेरी चुत का दाना चाटने और चूसने लगा.

जैसे ही उसका कड़क लंड मेरे होठोंपर आया मैंने आधी नींद में ही चूसना आरंभ किया. पांच मिनट तक मौखिक सम्भोग (ओरल सेक्स) करने के बाद उत्तेजित हुआ राज मेरी टाँगे फैलाकर मुझे जोर जोर से चोदने लग गया.

मैं: "आज क्या हो गया मेरे राजा, आधी रात को फिरसे चालू हो गए.. आह चोदो मुझे और चोदो।"

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