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पत्नी, साली और पड़ोसन भाग 03

by rajNsunitaluv2explore©

भाग ३

अब तक आपने पहले भाग में पढ़ा : जवान जोड़ा राज और सुनीता अदलाबदली की चुदाई ( पार्टनर स्वैपिंग) के लिए कोई और शादीशुदा जोड़ा ढूंढ रहे थे. नए पडोसी नीरज और निकिता के साथ अच्छी दोस्ती होने के बाद एक रात दोनों जोडियोंने एक ही बिस्तर पर अपने अपने पार्टनर के साथ चुदाई की. मगर सिर्फ निकिता ही फुल स्वैपिंग के लिए तैयार नहीं थी.

फिर दुसरे भाग ने आपने पढ़ा: सुनीता को छोटी बहन सारिका और उसका पति रूपेश इन दोनोंके साथ आकर रहते है. राज और सुनीता उनको आकर्षित करके पार्टनर स्वैपिंग में शामिल कर लेते हैं. सुनीता दोनों लडकोंके साथ थ्रीसम भी कर लेती हैं.

अब आगे की कहानी सुनिए सुनीता की जुबानी.

अगले सात आठ दिन हम तीनोंने थ्रीसम का भरपूर मजा लिया. छुट्टी के दिन तो पूरा दिन और पूरी रात हम सिर्फ सम्भोग का आनंद लेते रहे. खाना भी नजदीक के होटल से मंगाया. अब राज ने एक बार भी गांड चुदाई की बात नहीं छेड़ी. राज सचमुच मुझसे बहुत ज्यादा प्यार करते हैं और मेरी हर ख़ुशी का पूरा इंतज़ाम करते हैं.

जब सारिका को गाँव से वापिस लाने के लिए बात निकली तब रूपेश ने राज से खुद ही कहा, "राज भैया, आप ही छुट्टी के दिन जाकर सारिका को लेकर आ जाओ. बेकार में दो दिन दुकान बंद रखनी नहीं पड़ेगी।"

वैसे तो राज को बस से सफर करना अच्छा नहीं लगता था पर इस बार तो उसे जाना जरूरी था.

मैं और रूपेश उसे मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर बस में बिठाकर वापिस आ रहे थे.

तभी रूपेश ने पूंछा, "सुनीता दीदी, चलो आज फिल्म देखकर बाहर अच्छे से रेस्ट्रॉन्ट में खाना खाते हैं."

यह बात सुनकर, मैं ख़ुशी से झूम उठी क्योंकि मेरी भी घर जाकर खाना बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं थी.

मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर आकर हमने अँधेरी की जगह चर्चगेट जानेवाली लोकल पकड़ ली. सफर के दौरान आज फिर रूपेश ने अपनी मजबूत बाहोंसे दुसरे आदमियोंके धक्कोसे बचाया. मैं भी उसे लिपट कर सुरक्षित अपने आप को महसूस कर रही थी. वो भी मुझे मन ही मन चाहने लग गया था और मैं भी उसे बहुत पसंद करने लग गयी थी. हम दोनों भी अपने अपने पार्टनर से ही सच्चा प्यार करते थे मगर पिछले कई हफ्तोँकि अदलाबदली की चुदाई के बाद स्वाभाविक रूप से हम भी एकदूसरे के निकट आ गए थे.

रूपेश ने इरॉस सिनेमा की टिकटे ली और हम दोनों ने आजु बाजू के ठेलोंपर पकोड़े, भेल और आइसक्रीम खायी. वो बड़े प्यार से मुझे देख रहा था और मैं भी उसकी आँखों में आँखे डालकर नयी नवेली दुल्हन की तरह शर्मा रही थी.

थिएटर में जाते ही उसने मेरा हाथ पकड़कर मुझे सीट पर बिठाया. पूरी फिल्म के दौरान हम एक दुसरे को चूमते सहलाते रहे. सेक्स के बगैर किया हुआ रोमांस बड़ा ही अच्छा लग रहा था. हम दोनों भी काफी उत्तेजित हो चुके थे. सिर्फ हम दोनों ही साथ में रहने का यह पहला ही मौक़ा था , जिसका हम दोनों भी दिल खोलके आनंद ले रहे थे.

फिल्म देखने के बाद बढ़िया पंजाबी रेस्ट्रॉन्ट में खाना खाकर हम बाहर निकले.

रूपेश मुझसे कहने लगा, "सुनीता दीदी.."

वो आगे कुछ कहे इसके पहले मैंने उसके होठोंपर अपनी ऊँगली रखी और कहाँ, "आज से सिर्फ सुनीता!"

रूपेश: "क्या राज भैया के सामने भी?"

मैंने कहा, "हां मेरी जान, मैं सचमुच तुम्हे बहुत चाहती हूँ. हम दोनों के बीच आज तक जो कुछ हो गया हैं, उसके बाद अब तुम हमेशा मुझे सुनीता ही पुकारोगे."

फिर उसकी आँखों में आँखे डालकर और भी प्यार से मुस्कुराते हुए मैंने कहा, "और जब सिर्फ हम दोनों ही हो, तब सुनीता रानी कहो. मुझे बड़ा अच्छा लगेगा।"

रूपेश: "ओ मेरी डार्लिंग सुनीता रानी, मैं भी तुम्हे जी जान से चाहता हूँ. तुम्हे खुश करने के लिए मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ. अब घर जाने के लिए लोकल में जाने का मेरा मन नहीं कर रहा है। क्या हम यहीं पर एक कमरा लेकर आज की रात रुक सकते है?"

जैसे की रूपेश ने मेरे दिल की बात जान ली, इसलिए मैं खुश हुई और उसे गले लगाकर गालोंपे चुम्मी जड़कर अपनी हां जाहिर की. दस मिनट में हम एक नजदीकी लॉज के कमरे में दाखिल हुए.

अगले आधे घंटे तक एकदम रोमैंटिक सीन चल रहा था. पहले हमने खड़े खड़े ही एक दुसरे को आलिंगन चुम्बन किया. मुझे मेरी गर्दन , काँधे और कानों पर किये हुए किसेस बहुत उत्तेजित करते है. रूपेश ने भी उन्ही जगहोंपर गीले चुम्बनोंकी बौछार लगा दी. तीन चार मिनट तक तो हम एक दुसरे के होंठ और जीभ चूसते रहे. उसके हाथ मेरे नितम्बोँको और चूचियोंको प्रेमसे स्पर्श करके मुझे दीवाना कर रहे थे. मैं भी उसकी पीठ और कमरको सहलाकर अपने प्रेम का प्रदर्शन कर रही थी.

फिर हम दोनोंके वस्त्र धीरे धीरे हट गए और हम सम्भोग सुख का आनंद लेने और देने लगे. ऐसा लग रहा था की इसमें हमेशा की सेक्स के साथ कुछ और भी था. रूपेश ने मुझे सिक्सटी नाइन में, नीचे लिटाकर और आखिर घोड़ी बनाकर सम्भोग सुख दिया. आज वो मुझे जोर जोर से नहीं बल्कि बड़े प्यार से चोद रहा था. चरम सीमा पर आने के बाद रूपेश ने उसका सारा वीर्य मेरी चुत में ही छोड़ दिया और मुझे वैसे ही लिपटे रहा.

मैंने उसे अपनी बाहोंमें जकड लिया और कहा, "रूपेश डार्लिंग, तुम और सारिका हमेशा हमारे साथ रहो और तुम मुझे ऐसे ही सुख देते रहो. तुम मुझे बहुत प्यारे हो."

उसने भी मेरे होंठ चूमकर कहा, "मेरी सुनीता रानी, मैं हमेशा तुम्हारा गुलाम बनकर तुम्हे सर्वोच्च सुख देता रहूंगा."

इसपर मैंने उसे प्यार से चाटा मारा और कहा, "गुलाम बनके नहीं, मेरे दिल के राजा बनके!"

सारी रात एक दूसरेको असीम सुख देने के बाद अगले दिन हम अँधेरी चले गए. दो दिन बाद सारिका को लेकर राज आ गए. रूपेश दुकान पर व्यस्त होनेके कारण वो नहीं आ सका इसलिए मैंने भी अकेले मुंबई सेंट्रल तक जाना उचित न समझा. राज और सारिका सीधे घर पर दाखिल हुए.

आते ही सारिका मेरे गले लगी और कहा, "दीदी, मैंने आपको और हमारी ग्रुप चुदाई को बहुत मिस किया."

मैंने भी उसे गले लगाकर गालोंपे चूमकर बोली, "पगली, मैंने भी तुम्हे कितना ज्यादा मिस किया. अब तुम आ गयी हो, मैं कितनी खुश हूँ, देखो?"

मैंने राजको कमरे के अंदर ले जा कर उसे मेरी और रूपेश की चुदाई के बारे में भी बताया.

राज ने भी मुझे बताया, "सुनीता रानी, सारिका के ससुराल में उसे आधी रातको जगाकर मैंने उसकी चुत बड़ी देर तक चाटी। फिर उसे घोड़ी बनाकर घर के पीछे खुले आँगन में हो चोद डाला. यहां तुम रूपेश से लॉज के कमरे में चुद रही थी और वहां गाँव में उसी समय मैं आसमान के नीचे गोरी गोरी सारिका को चोद कर सुख दे रहा था."

मुझे पता भी था की राज को भी उसकी गोरी और सेक्सी साली बड़ी पसंद थी और उसका लंड एक रात भी खाली रहना पसंद नहीं करता था.

"वा, मेरे शेर, तुमने भी एक नया मजा ले ही लिया," मैं बोली.

रूपेश और सारिका से पार्टनर स्वैपिंग शुरू होने से पहले भी जब मेरी माहवारी (पीरियड्स) होते थे तभी भी मैं राज का खड़ा लंड चूसकर उसे पूरा सुख देती थी.

उस रात से फिर हमारा अदलाबदली की चुदाई का कार्यक्रम जारी रहा. मैंने सारिका को मेरे, राज और रूपेश के बीच हुए थ्रीसम की बात भी बता दी और एक दिन उसने भी दोनों लौडो के साथ थ्रीसम का मजा लिया.

अब हम लोग बीच बीच में अलग अलग प्रकार से थ्रीसम करने लगे. कभी दो लौडोंके के साथ एक चुत, तो कभी एक लौड़े के साथ दो चुत । उस रात को चौथा पार्टनर आराम करता था. इतना सब कुछ होने के बावजूद भी हममें से किसी एक को कभी भी ईर्ष्या नहीं हुई.

कभी कभी सारिका अपनी टाँगे खोलकर लेटती और मैं उसकी योनि का दाना चाटते हुए घोड़ी बन जाती. तब रूपेश मुझे पीछे से चोदता और राज अपना लौड़ा सारिका से चुसवाता। ऐसा करके हम थ्रीसम के बाद फोरसम में भी आ गए.

जब एक रात राज सारिका से अपना लौड़ा चूसा रहे थे और मैं घोड़ी बनकर रूपेश से चुद रही थी तब राजने फिरसे नीरज और निकिता की बात छेड़ी. उसने रूपेश और सारिका को हमारे और पडोसी कपल के साथ जो भी हुआ सब विस्तारसे बता दिया.

मेरी चुत में अपना तगड़ा लंड पेलते हुए रूपेश बोला, "हां राज भाई, मुझे भी निकिता बड़ी सुन्दर और सेक्सी लगती हैं. क्या चूचिया हैं साली की. अगर उन दोनोंको भी इस खेल में जोड़ा जाए तो अपने तो वारे न्यारे हो जाएंगे."

राज बोला, "अरे यार, मैं तो कबसे आस लगाए बैठा हूँ, की कब निकिता मान जाए अदलाबदली को. उसके गोर गोर मम्मे पहले चूसूंगा और फिर उन्ही मम्मोंको देर तक चोद कर मेरे लंड को खुश करूंगा. अब तो उसको एक नहीं दो दो लौड़े खाने को मिलेंगे."

फिर मैं भी बोली, "सारिका, तुमने भी तो नीरज को देखा हैं. कितना हैंडसम और सेक्सी हैं. मैं तो उसे पूरा नंगा होके निकिता को चोदते देख चुकी हूँ. उसका लौड़ा भी बड़ा तगड़ा है और वो काफी देर तक चुदाई करने के बाद ही अपना पानी छोड़ता है. जब निकिता मान जायेगी तब हम दोनोंकी भी लाटरी लग जायेगी और इतने मस्त कड़क लौड़े से चुदवाने का मज़ा ही कुछ और आएगा।"

नीरज और निकिता के ख़यालोंमें उस रात हम दोनों बहनोंकी जबरदस्त चुदाई हुई. सुबह यह तय हुआ अब चारों मिलकर नीरज और निकिता को लुभाने के लिए हर कोई पैंतरा आजमाएगा.

अब रूपेश की दूकान भी अच्छी सेट हो गयी, आमदनी भी बढ़िया आने लगी तब हमने फिरसे नीरज और निकिता को भोजन पर बुलाना और साथ में घूमने जाना शुरू कर दिया. अब तो दो की जगह तीन कपल थे, हंसी मज़ाक और मस्ती सभी अच्छे से एन्जॉय करने लगे. निकिता अब राज के साथ साथ रूपेश से भी खुल गयी और नीरज भी सारिका की सुंदरता पर लट्टू होने लगा.

अचानक निकिता को कुछ काम से एक हफ्ते के लिए अपने मैके जाना पड़ा. स्वाभाविक रूप से उसके निकलने के पहले मैंने निकिता से कहा, "निकिता, तुम्हे यह बताने की कोई बात ही नहीं की जब तक तुम वापिस नहीं आती तब तक नीरज शाम का भोजन हमारे साथ ही करेंगे."

"तुम हमेशा से ही उसका ख्याल रखती हो सुनीता, मेरी सबसे अच्छी और प्यारी सहेली," ये कहकर उसने मुझे गले लगाया. हम दोनों एक दुसरे के सामने नंगे होकर अपने अपने पतियोंसे सम्भोग कर चुकी थी, इस कारण हम एकदम करीबी बन गयी थी.

हर शाम को नीरज हमारे साथ ही भोजन करता और दो-तीन घंटोंतक हंसी मजाक चलते रहता. मैं और सारिका अपने पल्लू गिराकर हमारी चूचियोंकी बिजली उसपर गिराने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे. दुसरे ही दिन मैंने नीरज के अगले दिन के लंच के लिए भी डब्बा पैक करके रक्खा और उसे एक अच्छे से प्लास्टिक बैग में रख दिया.

जैसे ही नीरज निकल रहे थे तब मैंने उसके हाथ मैं थैली थमाकर कहा, "नीरज, इसमें आप के कल के लंच का भी इंतज़ाम है. हां, और बैग को जरा ध्यान से देख लेना," कहते हुए मैंने उसे आँख मार दी.

घर जाकर नीरज ने जब थैली खोलकर देखि तो उसे डब्बे के साथ एक और छोटी थैली अंदर मिली. उसके अंदर मैंने अपनी पहनी हुई पैंटी रक्खी थी और साथ में मेरे ब्रा पैंटी में फोटो. मेरा अनुमान हैं की पैंटी में से मेरी चुत की सुगंध लेकर और मेरे फोटो देखकर उसने मेरे नाम से मूठ जरूर मारी होगी.

अगले रात को डब्बे वाली थैली सारिका ने दी और कहा, "नीरज, आज का डब्बा ख़ास रूप से मैंने पैक किया हैं."

नीरज समझ गया की आज छोटी थैली में सारिका की पहनी हुई पैंटी और उसके फोटो होंगे. घर जाकर उसने उसे सूंघ कर सारिका के नाम से मूठ जरूर मारी होगी.

रोज खाली डब्बा वापिस करने के बहाने उसी थैली में वो पैंटी भी वापिस करता और बड़े प्यार से, "थैंक यू!" कहकर आँख मार देता. मैं या सारिका उसे आंखोके इशारे से पूछती और वो उंगलिया दिखाकर बता देता की उसने पिछली रात कितनी बार पैंटी को सूंघकर और लौड़े पर रगड़कर मूठ मारी थी.

जब रात में फोरसम के समय हम इस के बारे में बात करते तब चारो हंस कर एन्जॉय करते. राज और रूपेश हम दोनों बहनोंको नीरज को उत्तेजित करने के लिए बहुत प्रोत्साहन देते थे.

निकिता के आने के एक दिन पहले जैसे ही राज घर में आया, उसने कहा, "राज, आज मैं सुनीता और सारिका को कुछ स्पेशल शॉपिंग कराना चाहता हूँ. इतने दिन तक इन दोनों ने मेरा ख्याल रक्खा हैं, तो मेरा भी फ़र्ज़ बनता हैं."

राज ने कहा, "हाँ, नीरज तुम्हारी मर्ज़ी से जो चाहो वह शॉपिंग करा दो." मन ही मन उसे पता था की नीरज दोनों सेक्सी बहनोंपर लट्टू हैं और शायद कुछ सेक्सी कपडे दिलाना चाहता हैं.

भोजन के बाद ऑटो रिक्शा में बैठकर मैं, नीरज और सारिका उसी दूकान पर गए जहांसे निकिता के लिए वेस्टर्न और सेक्सी कपडे ख़रीदे थे.

ऑटो में नीरज बीच में बैठकर हम दोनों बहनों के स्पर्श का आनंद ले रहा था.

"सुनीता और सारिका, ऐसा लगता हैं की तुम दोनों बहने एकदम अच्छी सहेलियों जैसी रहती हो," उसने कहा.

"हाँ, नीरज यह बात तो सच हैं. और सारिका रूपेश के आने के बाद मैं और राज लाइफ को और भी अच्छेसे एन्जॉय करने लगे हैं," मैंने हँसते हँसते सच कह दिया.

"सही में, आप चारों इतनी ख़ुशी से साथ रहते हो. और ख़ास कर तुम दोनों इतनी सुन्दर और हॉट हो, सचमुच राज और रूपेश की किस्मत अच्छी हैं," उसने आँख मारते हुए कहा.

उसपर सारिका भी व्यंग कसते हुए बोली, "नीरज, आपकी निकिता तो हुस्न की मलिका हैं. हम दोनोंके पति तो उसके नाम की आहें भरते रहते हैं!"

ऐसे ही हंसी-मजाक करते करते हम लोग दूकान तक पहुंचे. पूरे रस्ते में उसकी एक एक कोहनी हमारी चूचियोंको दबाकर उसका लौड़ा उठा रही थी.

वहां पहुँचते ही उसने कहा, "पिछले दिनों आप दोनोने अपनी सुन्दर और सेक्सी पैंटी मुझे सूंघने देकर खुश कर दिया. आज मैं आप दोनोंको आपकी मनपसंद ब्रा और पैंटी की शॉपिंग कराऊंगा."

मैं जानती थी की नीरज काफी पैसेवाला हैं, इसलिए हम दोनों बहनोंके लिए बढ़िया महंगी वाली चीज़े खरीदने का यह अच्छा मौका था.

मैं और सारिका अपने अपने पसंद की अलग अलग ब्रा और पैंटी साथ में लेकर चेंजिंग रूम में पहन कर देखने लगे. जब मैं पहनती, तब सारिका उसे साथ में लाकर आयी. "देखो नीरज, कैसी लग रही हूँ मैं इसमें?" मैंने पूंछा.

"एकदम सुपर हॉट," उसका जवाब आया.

जब सारिका पहन रही थी तब मैं उसका हाथ पकड़ कर उसे चेंजिंग रूम में ले आयी. उसने मुझे पूरा नंगा देखा था मगर अब तक सारिका को ब्रा और पैंटी में भी नहीं देखा था , इसलिए उसे जबरदस्त मज़ा आ रहा था.

"ओह माय गॉड, सारिका तुम तो फिल्म की हीरोइन या किसी मॉडल से भी ज्यादा सुन्दर और सेक्सी हो. रूपेश बहुत किस्मतवाला हैं!" उसने कहा.

आँख मारते हुए मैंने हँसते हुए कहा, "तुम्हारी निकिता भी पूरी सेक्स बम है. तुम भी बड़े भाग्यशाली हो. हाँ अगर निकिता मान जाए तो, ..." इतना कह कर मैं जोर से हंस पड़ी.

मुझे पूरा विश्वास हैं की वह मेरी आधी बात को पूरा समझ गया था.

हम दोनोंको सिर्फ ब्रा और पैंटी में देखकर उसकी हालत देखने लायक हो गयी थी और हमें भी उसे एक्साइट करने में ख़ुशी हो रही थी. मैंने जान बूझ कर अनजान बनते हुए उसके लंड को पैंट के उपरसे ही दो-तीन बार सहलाया. इतना कड़क लैंड, चूसने का मन हो रहा था.

इतनी महंगी वाली शॉपिंग करने वाली ग्राहक दुकान के मालिक को भी पसंद आती हैं. उसने भी हमारे लिए समोसे, पकौड़े और पेप्सी मंगाई.

अच्छे से खा पिके और शॉपिंग पूरी करके उसे एक बड़ी रकम का चुना लगाकर हम तीनो फिर ऑटो रिक्शा में बैठ गए.

पूरे सफर के दौरान वो फिर से हमारी तारीफे ही करता रहा.

"यार सुनीता, तुम दोनों को इन सुन्दर सुन्दर ब्रा और पैंटी में देखने में बड़ा मज़ा आएगा," नीरज ने दरखास्त की.

"हाँ, निकिता को अपनी ब्रा और पैंटी में लेके आ जाओ, फिर मैं और सारिका भी तुम्हें यह वाली पेहेन कर दिखा देंगे," मैंने भी हँसते हुए तीर मार दिया.

सारिका भी नीरज की ताऱीफोंसे बड़ी खुश लग रही थी. ऐसे ही हंसी मज़ाक और बातें करते हुए हम लौट आ गए. ऑटो रिक्शा में बैठे बैठे भी मैंने दो-चार बार उसके लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाया.

निकिता के वापिस आने के बाद एक शाम हमारे घर पर पार्टी रखी गयी जिसमे थीम थी "शॉर्ट और सेक्सी". जो कपल सबसे काम कपडे पहनेगा उसे ख़ास पुरस्कार मिलने वाला था. राज और रूपेश छोटे बरमूडा और ऊपर सिर्फ बनियान में थे. मैं पीले रंग की मिनी स्कर्ट और नीली चोली पहनी. सारिका ने काले रंग की शॉर्ट्स और हरे रंग का टैंक टॉप पहना। हम खुद ही चाह रहे थे की हमारे कपडे थोड़े ज्यादा हो ताकि हम नीरज और निकिता को कुछ ख़ास गिफ्ट दे सके.

जैसे ही नीरज और निकिता ने दरवाजे पर दस्तक दी, मैंने झट से द्वार खोला। दोनोंके अंगपर चादर थी. जैसे ही अंदर आते ही दोनोंने अपनी अपनी चादर उतार दी, तब हमने देखा की नीरज ने एक छोटे से सफ़ेद कपडे से सिर्फ अपने निप्पल ढके हुए थे और नीचे सिर्फ फ्रेंची में था. हुस्न की रानी निकिता ने गुलाबी रंग की फूलोंके डिज़ाइन वाली छोटी ब्रा और पैंटी ही मात्र पहनी थी. उसमे से उसके उन्नत वक्ष झलक रहे थे और पैंटी के पीछे के हिस्से से उसकी गोल गांड लगभग पूरी दिख रही थी.

गोरी गोरी निकिता को एक छोटी सी ब्रा और पैंटी में देखकर राज और रूपेश के लंड पूरी सलामी देते हुए खड़े हो गए थे.

"वा, आप दोनों ने तो बिलकुल ठान लिया था की इस पार्टी के थीम को जीतना ही हैं," रूपेश ने अपनी आँखों से निकिता के अधनंगे रूप को निहारते हुए कहा.

"निकिता, तुम इस ब्रा और पैंटी में कमाल की सेक्सी लग रही हो. ख़ास कर तुम्हारी गोरी गोरी जांघें बहुत ही हॉट लग रही हैं." राज बोला।

"सचमुच, नीरज तुमने भी कमाल कर दिया, बहुत हॉट लग रहे हो," सारिका हँसते हुए बोली और मैंने भी उसकी हाँ में हाँ मिलाई.

मैं, राज, सारिका और रूपेश उन दोनोंके इर्दगिर्द नाचने लगे और तालिया बजाते रहे. अब निकिता किसी भी शर्म या लज्जा के बगैर अपने सेक्सी गोर बदन का खुले-आम प्रदर्शन कर रही थी और दोनों लड़के, खासकर रूपेश उसकी तारीफ़ पर तारीफ़ करते जा रहे थे.

अब वाइन पीने का एक और दौर चला और हम सारे संगीत की लय पर नाचने लगे.

शुरुसे ही कोई भी अपने पार्टनर के साथ नहीं नाच रहा था. निकिता कभी राज की बाहों में थी तो कभी रूपेश की बाहों में. वो दोनों उसके वक्ष, जाँघे और नितम्बोँको स्पर्श कर उसे उत्तेजित कर रहे थे. उनके उठे हुए कड़क लंड जब निकिता को छूते तब उसके मुँह से दबी हुई आवाज़ में आहें निकल रही थी.

दूसरी ओर मैं और सारिका मिलकर नीरज को एकदम करीब से सेहला रही थी. वो भी हम दोनों को बारी बारी से बाहों में लेकर हमारे यौवन को छू रहा था. कुछ देर के बाद तो उसने मेरी मिनी स्कर्ट उठाकर मेरी गांड और चुत को अच्छेसे स्पर्श किया. इतने गर्म माहौल में मेरी पैंटी का गीली होना स्वाभाविक था. फिर उसने सारिका को भी नजदीक से सहलाया और उसकी गांड पर हाथ फेरता रहा.

पार्टी थीम की जीत पर हमने एक बड़ा सा गिफ्ट नीरज और निकिता को दिया. उसमे महंगे वाले परफ्यूम, निकिता के लिए कॉस्मेटिक्स और नीरज के लिए एक बढ़िया सी घडी थी.

"अरे, इतने सारे तोहफ़ोंकी क्या जरूरत थी?" निकिता ने शर्माते हुए कहा.

"अरे नहीं, अब तो आप दोनों हमारे चारों के लिए सबसे नजदीकी और निकट के स्पेशल दोस्त हैं. फिर इतने स्पेशल दोस्त के लिए गिफ्ट भी तो कुछ ख़ास ही होना चाहिए, हैं न?" रूपेश ने कहा.

इस बात पर निकिता ने रूपेश को फिर से अच्छे से गले लगाया और मैंने नीरज को. तभी राज ने सारिका को पीछे से बाहोने में लेकर अपने हाँथोंसे उसकी चूचियां दबाई.

फिर निकिता राज के पास आकर उसकी बाहोंमें समा गयी. यह सिर्फ दोस्त बनकर गले मिलना नहीं था, कुछ ज्यादा ही लग रहा था. राज ने अपने होंठ निकिता के होठोंसे मिलाये और उसका एक दीर्घ चुम्बन लिया. निकिता भी आँखें मूंदकर एन्जॉय कर रही थी.

अब बिनधास्त होकर सारिका ने भी नीरज को अपनी बाहोंमें भर लिया. अब रूपेश ने मुझे प्यार से आलिंगन करके मेरे होंठ चूमे.

इतने कम कपडोंमें जब एक दुसरे के पार्टनर को इतना आलिंगन चुम्बन हो रहा था तो मानो उस कमरे में एक सेक्सुअल करंट दौड़ रहा था.

हम सबका बार बार आभार प्रकट करने के और पार्टी अच्छे से एन्जॉय करने के बाद नीरज और निकिता अपने घर चले गए और फिर हमारा बैडरूम फिर एक बार जबरदस्त चुदाई की आवाज़ोंसे गूँज गया.

अगले ही दिन दोपहर को मैंने और सारिका ने निकिता को अपने घर पर बुलाया. आते ही उसे गले लगाकर उसका स्वागत किया. मैंने उसकी पसंद के गरमागरम प्याज के पकौड़े और कॉफी टेबल पर रक्खी और हम तीनोंका खाना-पीना-हंसी-मजाक शुरू हो गया.

फिर बातों बातों में मैंने कहा, "निकिता, तुम्हे याद हैं न मेरी और राज की स्पेशल फोटोशूट जो तुमने और नीरज ने की थी?"

"हाँ, हाँ, अच्छे से याद हैं सुनीता रानी," कहते हुए निकिता के गाल लाल हो गए थे.

"वैसे ही स्पेशल फोटोशूट हमने सारिका और रूपेश की भी कराई," मैंने मुस्कुराते हुए कहा.

"वॉव, तुम दोनों बहने एकदम ही बिनधास्त हो और दोनोंके पति कितने लकी हैं!" निकिता ने लगभग चिल्लाते हुए कहा. "दिखाओ, मुझे भी देखना हैं वो अल्बम।" वो बोली.

सारिका बैडरूम में गयी और अल्बम ढूंढने लगी. तब तक निकिता ने मुझे दबी हुई आवाज़ में पूंछा, "क्या रूपेश भी राज के जितना ही सेक्सी है?"

"हाँ री , एकदम हट्टा कट्टा, तगड़ा और शूटिंग के वक़्त उसका लम्बा लौड़ा खड़ा होकर सलामी दे रहा था. मैंने भी सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनकर उसे उकसाने में कोई कसर नहीं छोड़ी," मैंने धीरे से कहा.

इतने में सारिका अंदरसे अल्बम लेकर आ गयी. फिर हम तीनो अल्बम की एक एक फोटो देखने लगी. रूपेश के लगभग नग्न शरीर को देख कर निकिता उत्तेजित होती दिख रही थी.

सारा अल्बम देखकर पूरा होने के बाद निकिता सारिका से बोली, "तेरा पति तो एकदम फिल्म के हीरो के माफ़िक़ सेक्सी हैं री!"

मैंने निकिता को पीछेसे बाहोंमे लिया और सारिका उसके होंठ चूम कर बोली, "रूपेश चाहिए क्या तुझे निकिता?"

निकिता के मुँह से सिर्फ गरम आहें निकल रही थी. "हाँ सारिका, तुम दोनोंके पति बहुत ही सेक्सी हैं. मेरा भी बहुत मन करता हैं उन्हें नंगा देखने का और उनकी बाहोंमे समाने का," निकिता बोली.

अब हम तीनों भी गरम हो चुकी थी.

सारिका ने निकिता के टॉप को कंधेपे से हटाकर उसकी गर्दन और कांधोंपर किस किया। मैंने पीछेसे उसकी स्कर्ट उठाकर जांघोंको सहलाते हुए उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चुत को स्पर्श करने लगी.

"चल बैडरूम में जाएंगे," मैंने धीरे से निकिता के कानोंमें कहा.

फिर मैं, निकिता और सारिका एक दुसरे को चूमते और सहलाते हुए बैडरूम में दाखिल हो गयी.

निकिता ने आगे बढ़कर सारिका का टॉप उतार दिया, अंदर देखा की सारिका ने ब्रा पहनी ही नहीं थी. मैं अपना टी-शर्ट और स्कर्ट उतारकर निकिता का टॉप उतारने लगी. एक मिनट के अंदर तीनो नंगी होकर बेड पर लेटी थी. सारिका अब निकिता के वक्षोंको सहलाकर उसके निप्पल्स चूसने लगी. मैंने निकिता की जांघोंको खोलकर उसकी चुत का दाना रगड़ने लगी.

निकिता को दोनों तरफ से सुख का आनंद हो रहा था और उसने अब अपनी ऊँगली सारिका के चुत में कर दी. तीनोंके दिल जोरो शोरोसे धड़क रहे थे.

"एक सीक्रेट बताऊ तुम्हे निकिता?" उसकी चुत को चाटते हुए और दानेको अपनी जीभ से दबाती हुई मैं बोली.

"आह, आह, हाँ.. बताओ न जल्दी.. आह, मुझे चाटती रहो और बताओ..आह," निकिता अब आँखें मूंदकर डबल प्लेज़र का मजा ले रही थी.

मैंने उसे और भी उत्तेजित करने के लिए चुत चटाई के साथ मेरी दो उंगलियोंसे उसकी गुलाबी चुत को चोदने लगी. वहा सारिका अपनी चुत निकिता के मुँह पर रगड़ रही थी.

"साली, जल्दी बता न, आह आह.." निकिता काम रसमें डूबकर मदहोश होती जा

उसकी चुत के दाने को मूंहमें लेकर चूसते हुए मैं बोली, "मैं और सारिका, दोनों.."

"तुम दोनों क्या, आगे बोल न हरामी," निकिता की उत्तेजना चरमसीमा पर आ रही थी.

"एक दुसरे के.."

"साली रंडी, जल्दी बता न," पहली बार मैंने निकिता के मुँहसे गाली सुनी थी. मुझे निकिता को तड़पाने में बड़ा मजा आ रहा था.

"पतियोंसे चुद चुकी हैं.."

"क्या?"

"हाँ, निकिता, हम दोनों पिछले कई दिनोंसे पार्टनर स्वैपिंग करके एक दुसरे के पतियोंसे चुद रही है."

यह सब सुनने के बाद निकिता के मुँह से जबरदस्त आह और उसकी चुत से रस की धरा निकली. मैंने उसका सारा रस चाट लिया और थोड़ा मुँह में रखकर सारिका का चुम्बन लिया. अब निकिता की योनि का थोड़ा रस सारिका ने भी चख लिया था.

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