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सामूहिक सम्भोग का सुख 01

by rajNsunitaluv2explore©

इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. गोपनीयता के हेतु पात्रोंके नाम बदले हुए है. हम एक शादीशुदा भारतीय कपल हैं - राज (२८) और सुनीता (२४).

इस श्रृंखला में हर एक कहानी नीचे दी हुई पार्श्वभूमी पर आधारित हैं. हर कहानी एक स्वतंत्र कहानी है, जिसका अपने आप में पढ़कर आनंद लिया जा सकता हैं.

आशा हैं आपको हमारा यह नया प्रयास भी हमारी पहली कहानी की तरह पसंद आएगा.

पार्श्वभूमी: हमारी पहली कहानी "पत्नी, साली और पड़ोसन" में आपने पढ़ा - नए पडोसी दांपत्य नीरज (२६) और निकिता (२४) के साथ हमने अदलाबदली की चुदाई करने की असफल कोशिश की. बाद में सुनीता की छोटी बहन सारिका (२२) और उसका पति रूपेश (२५) हमारे साथ रहने लगे और हम चारोंने पार्टनर स्वैपिंग कर लिया. उसके बाद नीरज और निकिता को भी इस खेल में शामिल कर लिया.

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श्रृंखला - सामूहिक सम्भोग का सुख

कहानी १: नौकरी के लिए कुछ भी करेंगे!

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सुनीता की जुबानी

पिछले एक साल से राज अपनी बैंक में पदोन्नति (प्रमोशन) के लिए पूरी कोशिश कर रहा था मगर किसी न किसी कारण से बात बन नहीं रही थी. अब गुस्से में आकर, राज ने दुसरे बैंकोंमें नौकरी ढूंढना शुरू कर दिया. पता चला की एक बड़ी बहु राष्ट्रीय (मल्टी नेशनल) बैंक अपनी नयी शाखा (ब्रांच) के लिए मैनेजर की तलाश में हैं.

राजने तुरंत वहाँ के लिए अर्जी दे दी और तीन दिन में साक्क्षातकार (इंटरव्यू) के लिए बुलावा भी आ गया.

जैसे ही राज कमरे में दाखिल हुआ, उसे "हे राज, तुम और यहाँ?" एक परिचित आवाज़ ने स्वागत किया.

कमरे में तीन आदमी बैठे थे, जिसमे से बीचमें बैठा हुआ राज के कॉलेज का सीनियर रोहित था.

रोहित के पिताजी सरकारी नौकरी में उच्च पद पर थे और उन्हींके कारण रोहित को उस बहु राष्ट्रीय बैंक का मुख्य अधिकारी (जनरल मैनेजर) बनाया गया था.

इंटरव्यू के बाद दोनों दोस्तोंने आपस में चाय पी और बाते हुई.

राजने सारा किस्सा बताया और कहा, "यार रोहित, यह नौकरी लग जाए तो मेरी किस्मत खुल जायेगी. तनख्वा भी अच्छी रहेगी और इतने बड़े बैंक में काम करने के बाकी लाभ भी."

रोहितने कहा, "देखते हैं मैं क्या कर सकता हूँ! वैसे भी अबतक आये सारे उम्मीदवारोंमें तुम्हारा ही पलड़ा सबसे भारी है."

फिर जब घर की बातें निकली तब रोहितने बताया की उसकी पत्नी माधुरी डिलीवरी के लिए अपने मइके गयी है.

"कल शाम को मेरे घर पर आ जाओ डिनर के लिए," राजने तुरंत कह दिया.

"अच्छा, ठीक है."

घर आते ही राजने मुझे सब बताया. अगले दिन मैं और सारिका ने मिलकर बहुत स्वादिष्ट खाना बनाया, साथमें महंगी वाली वाइन, बाहर से मिठाई सारा इंतज़ाम बढ़िया था. फिर घर को सजाके खुशबू वाला सेंट छिड़क दिया.

सारिका ने कहा, "दीदी, आप दोनों रोहित की अच्छी खातिरदारी करो. मैं दूकान पर रूपेश का हाथ बटाने चली जाती हूँ."

मैंने भी पीले रंग का डीप नैक स्लीवलेस ब्लाउज और नीले रंग की पारदर्शी साड़ी पहनी. साढ़े पांच बजे ही राज रोहित को लेकर घर में दाखिल हुआ.

"वॉव राज, तुम्हारा घर और पत्नी दोनों भी सुन्दर हैं यार," रोहित ने मुझसे हाथ मिलाते हुए कहा.

"थैंक यू रोहित जी," मैंने मुस्कुराते हुए कहा.

"अरे रोहित जी नहीं, सिर्फ रोहित!"

"अच्छा बाबा, थैंक यू सिर्फ रोहित!"

"सुनीता, आज कितने दिनों के बाद मैं खुल कर हंस रहा हूँ."

सभी हंसी मजाक करते रहे और फिर हम तीनो साथ में बैठकर वाइन और नमकीन का स्वाद लेने लगे.

"लीजिये रोहित, मैं थोड़ी और वाइन आपके ग्लास में भर देती हूँ," कहते हुए मैंने झुककर अपने वक्षोंका दर्शन रोहित को कराया.

फिर पल्लू ठीक करते हुए उसे एक मुस्कान देते हुए बैठ गयी.

खाने पीने का दौर नौ बजे तक चला. अब रोहित भी बेशर्मी से मेरे कैसे हुए वक्षोंको और मेरी साड़ी में झलकते हुए नितम्बोँको ताड़ रहा था.

निकलते हुए हाथ मिलाने के बाद, मैंने उसे गले लगाते हुए कानोंमें कहा, "आशा हैं की राज को यह पोस्ट मिल जाए और हम ऐसे ही मिलते रहेंगे!"

"हाँ हाँ, क्यों नहीं, जरूर मिलेंगे, और राज तो मेरा जिगरी यार हैं. उसके लिए जो कुछ हो सकता हैं, मैं ज़रूर करूंगा."

बाद में राज से पता चला की इस नयी नौकरी में अभी के मुक़ाबले दुगनी से भी ज्यादा वेतन (सैलरी) था और जोइनिंग बोनस मिलने के भी अपेक्षा थी.

"अगर ये नौकरी तुम्हे मिल गयी तो हम और भी अच्छे ढंग से रह सकेंगे, और फिर वो सोने का कमरपट्टा भी तुम मुझे दिला सकोगे," राज के निप्पल्स को चूमते हुए मैंने रात को कहा.

"हाँ सुनीता रानी, मगर यह रोहित साला मानने को तैयार नहीं लग रहा हैं. मेरा कॉलेज में सिर्फ सीनियर ही नहीं था, हम अच्छे दोस्त भी थे. अब जनरल मैनेजर बन गया हैं तो दोस्त के जैसा बर्ताव नहीं कर रहा हैं साला," राज गुस्से में था.

"ठीक है, कुछ दिन इंतज़ार करके देखो. शायद कुछ अच्छी खबर आ जाए," मैंने धीरज बंधाते हुए कहा.

उस रात चुदाई भी नहीं हुई क्योंकि राज काफी अपसेट था. मैंने भी रूपेश और सारिका को एक दिन बाहर सोने के लिए कह दिया था.

दो दिन बाद जब राज बैंक से लौटा तब से उखड़ा हुआ था. मेरा और सारिका की हंसी मज़ाक और आलिंगन चुम्बन भी उसे आज अच्छे नहीं लग रहे थे.

"सारिका, आज तुम जरा रूपेश के साथ दुकान पर रहो. मुझे राज का मूड ठीक करना पडेगा."

"ठीक हैं दीदी।"

जैसे ही सारिका चली गयी मैंने राज के गलेमें अपनी बाहें डालकर पूंछा, "क्या बात हैं मेरे राजा, आज कुछ नाराज़ लग रहे हो?"

"नहीं डार्लिंग, कुछ नहीं. बस ऐसे ही थका हुआ हूँ."

"नहीं, मैं तुम्हे अच्छे से जानती हूँ. कुछ तो बात हैं."

"सुनीता, नयी नौकरी में दो गुना सैलरी, एक लाख का जोइनिंग बोनस और हो सकता है की बैंक की तरफसे दो बैडरूम का फ्लैट भी मिल जाए."

"यह तो बड़ी ख़ुशी की बात हैं, इसमें परेशान होने का क्या कारण हैं?"

"यह सब पाने के लिए.."

"पाने के लिए क्या?"

"जाने दो रानी, हम जैसे हैं वैसे ही अच्छे है!"

"तुम्हे मेरी सौगंध हैं, बताओ क्या बात हैं," मैंने पूंछा.

"रोहित की शर्त हैं की... "

"क्या हुआ राज, तुम अच्छे से बताओ।"

"वो तुम्हारे साथ दो दिन और तीन रात बिताने के बाद हि तुम्हारे हाथ में मेरा अपॉइंटमेंट लेटर देगा."

मेरे तो पैरोंतले से जैसे जमीन खिसक गयी.

हाँ, यह सच बात हैं की मैं रूपेश और नीरज के साथ कई बार सम्भोग कर चुकी थी, मगर वो मेरी और राज की मर्ज़ी से हुआ था.

अब मैं जान गयी की घर लौटने के बाद से ही राज इतना अपसेट क्यों हैं.

"रोहित तो तुम्हारा अच्छा दोस्त हैं फिर उसने ऐसी शर्त क्यों रक्खी?"

"उसकी बीवी चार महीने से अपने मैके में है और मुझे लगता हैं तबसे वो शायद भूखा शेर बन गया हैं. जिस दिन तुम्हे डिनर के समय देखा, शायद तभी उसने मन बना लिया था की तुम्हे चोदे बगैर वो यह नौकरी मुझे नहीं देगा."

काफी देर तक हम दोनों उलझे रहे, समझ में नहीं आ रहा था क्या किया जाए.

आधी रात को मैंने राज का लौड़ा चूसना शुरू किया. आज वो इतना अपसेट था की उसका लौड़ा कड़क भी नहीं हो रहा था.

उसकी गोटिया सहलाते हुए मैं बोली, "राज डार्लिंग, हमारे सुनहरे भविष्य के लिए मैं दो दिन रोहित के साथ बिताने के लिए राजी हूँ."

"नहीं सुनीता रानी, मैं नहीं चाहता की तुम अपने मन को मारकर ये कदम उठाओ."

"नहीं राज, बहुत सोच कर मैंने यह फैसला किया हैं," उसके लंड को सहलाते और चाटते हुए मैं बोली.

"मैं नहीं चाहता की तुम.."

"राज, सिर्फ दो दिन की बात हैं, उसके बाद हमारी पूरी जिंदगी बदल जायेगी. बस उसे कंडोम पहनना होगा, क्योंकि मैं नहीं चाहती की उसके कारण मुझे कोई गुप्तरोग हो जाए."

अब राज का लंड खड़ा हो गया था और उसने मुझे घोड़ी बनाकर चोदना शुरू किया, शायद उस समय वो मेरी आँखों में आँखें डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.

"आह आह चोदो मुझे राज, कितना सख्त और मोटा लंड है तुम्हारा, आह, कितना मज़ा आ रहा हैं."

शायद एक नए लंड से चुदने की कल्पनासे मैं उत्तेजित हो रही थी.

"ले मेरी जान, ले, ये ले मेरा लौड़ा तेरी इस चिकनी चुत में डालकर सारी रात तुझे चोद डालूँगा आज!"

पच पच ऐसी अावाज़ोंसे उसका लौड़ा मेरी चुत के अंदर बाहर हो रहा था और मैं भी गांड पीछे की ओर धकेलते हुए उसे और सुख दे रही थी. लग रहा था की मेरे किसी और पराये मर्द से चुदने के बारे में सोच कर राज भी काफी एक्साइटेड हो गया था.

"आह, आह, क्या मजा आ रहा हैं तेरी चुत से आज मेरी जान," कहते हुए अब वो मेरे ३८ इंच के झूलते हुए वक्ष मसलने लगा. एक हाथ से चूँची और निप्पल मसलकर दुसरे हाथ की ऊँगली अब मेरी गांड के अंदर डाल दी.

अब तक मेरी चुत दो बार पानी छोड़ चुकी थी मगर राज का लौड़ा पानी छोड़ने का नाम नहीं ले रहा था.

लगातार दस मिनट तक डॉगी पोजमें मुझे चोदने के बाद उसने कहा, "डार्लिंग, अब तुम ऊपर आ जाओ."

राज पीठके बलपर लेट गया और मैं उसके लंडपर अपनी चुत सेट करके उछलने लगी.

अब वो दोनों हाथोंसे मेरी चूचियाँ मसलते हुए मेरी आँखों में आँखे डाल कर बोला, "क्या सचमुच तुम रोहित से दो दिन और तीन रात चुदोगी?"

"हाँ मेरे राजा, तेरे लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ डार्लिंग, तेरी ख़ुशी के लिए."

इतना कहकर मैं और भी जोरसे उसके लंडपर कूदने लगी. अपने मजबूत हाथोंसे उसने मेरी गांड पकड़ी और और ताकत लगाकर मुझे नीचे से चोदने लगा.

"ओह फक मेरे राजा और चोदो मुझे और और.. आह आह, यस, फक में हार्ड राज, चोदो मुझे, यसऽऽ.... ओह, माय गाडऽऽऽ... येसऽऽऽ.."

अब राजका छूटने वाला था इसलिए उसने मुझे अपने लौंडेपर से उठाया और सिक्सटी नाइन की पोज में लिटा दिया. वो मेरी गीली चुत चाटने लगा और मैं मेरे योनि रस से भरा उसका कड़क लंड लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. एक जोरदार आवाज़ के साथ राज मेरे मुँह में स्खलित हो गया.

इस बात को सिर्फ मैं और राज ही जानते थे और मेरी सारिका रूपेश को बताने की हिम्मत नहीं हुई.

राज ने भी कहा, "ये सिर्फ हम दोनोंके बीच ही रहेगा. किसी औरको पता नहीं चलना चाहिए."

दो दिन बाद राजने मुझे बताया की रोहित बिना कंडोम सेक्स ही चाहता हैं. उसके लिए वो टेस्ट करके रिपोर्ट दिखाने को भी तैयार हैं मगर चुदाई कंडोम के बगैर ही होनी चाहिए. शर्त के मुताबिक़ मुझे भी टेस्ट करके रिपोर्ट दिखाना था, ताकि उसे भी विश्वास हो जाए की मैं एकदम सेफ हूँ.

आने वाले दिनोंमें दोनोंके टेस्ट हो गए और दोनोंके के रिपोर्ट्स ठीक ही आये.

शुक्रवार की शाम को एक बड़ी मर्सिडीज़ गाडी नीचे आकर रुकी. मैं पहले से ही तैयार होकर साथमें छोटा सा बैग लेकर घर में बैठी थी. ड्राइवर ऊपर आकर मुझे ले गया.

कार में पीछे रोहित बैठा हुआ था. उसने मेरा हाथ चूमकर मेरा अभिवादन किया.

"हेलो सुनीता।"

"हाय रोहित, कैसे हो आप?"

"मैं तो ठीक हूँ, आप बला की ख़ूबसूरत लग रही हो."

"अरे अब मुझे सिर्फ सुनीता कहके पुकारो, ये आप वाप छोड़ दो."

मैंने मन ही मन सोचा, साला ये हरामी मुझे तीन रात और दो दिन चोदने वाला है और यहाँ आप आप का नाटक कर रहा हैं.

सफर के दौरान हमने यहाँ वहां की बाते की और मैं मुस्कुराते हुए उसपर मेरे हुस्न के तीर चला रही थी. ड्राइवर शीशे में से हमको बारी बारी देख रहा था, इसलिए रोहित ने भी कारमें कुछ नहीं किया.

आधे घंटे के सफर के बाद हम लोग फार्म हाउस पहुँच गए. वहाँ कार के रुकते ही, एक नौकर भागता हुआ आया और द्वार खोल कर हम दोनोंको अंदर ले गया. मेरा और रोहित का सामान भी उसने उठाया और मास्टर बैडरूम में रख दिया. रोहित ने उसे ५०० की नोट पकड़ाई और वो गायब हो गया. मैं अंदर बाथरूम में फ्रेश होकर झीनी से गुलाबी नाइटी पहन कर आयी, तबतक मेजपर वाइन, नमकीन, पकोड़े, फ्रूट्स और ड्राई फ्रूट्स जमाकर नौकरानी चली गयी थी.

रोहित अंदर जाकर एक पतली लुंगी और सफ़ेद कुरता पहनकर आ गया. वैसे दिखने में वो भी ठीक ठाक था, मगर मैं मजबूरी में चुदने जा रही थी, न की मेरी अपनी इच्छा से!

मैंने मुस्कुराकर अंगड़ाई लेते हुए कहा, "अब आगे का क्या प्रोग्राम हैं रोहित?"

उसने मुझे बाहोंमे लिया और मेरे होठोंपर अपने होंठ रख दिए. इसका मतलब साफ़ था की अब दिन रात सिर्फ चुदाई ही चुदाई होने वाली थी.

"सुनीता, मैं कई दिनोंसे प्रेम का प्यासा हूँ. अब मेरी प्यास बुझा दो. मैं चाहता हूँ की तुम्हे भी पूरा सुख मिले," मेरे होंठ चूमते हुए और मेरी जीभ को चूसते हुए उसने कहा.

मैंने अपनी आँखें मूँद ली और उसके जीभ से अपनी जीभ मिला दी. अब उसने मुझे कसके बाहोंमे लिया और उसका कड़क लंड मेरी चुत पर दबने लगा.

"हाँ रोहित, हम दोनों एक दुसरे को जी भर के सुख देंगे।"

एक ही झटके में उसने मुझे उठाया और पलंग पर लिटा दिया. मेरी नाइटी ऊपर हो गयी और मेरी मांसल जाँघे उसकी आँखोने देख ली. मेरे पैरोंको चूमते हुए उसने मेरी जाँघे सहलाना शुरू किया. एक नए मर्द का स्पर्श थोड़ा अजीब, थोड़ा अलग और शायद थोड़ा अच्छा भी लगने लगा था.

मैंने अपनी आँखे बंद की और उसके प्यार का आनंद लेने लगी. अगले दस मिनट तक उसने मेरी जांघोंको स्पर्श और चुम्बनोंसे उत्तेजित कर दिया. अब तक मेरी पैंटी गीली भी हो चुकी थी. मैं जान बूझकर शर्माने का नाटक कर रही थी ताकि उसे लगे की सचमुच मैं आज तक सिर्फ अपने पति राज से ही चुदी हूँ.

उसने अपना कुरता उतार दिया और मैं बालोंसे भरी उसकी चौड़ी छाती को सहलाने और निप्पल रगड़ने लगी. अब मैंने उसे नीचे लिटाया और उसकी छाती को हलके हलके चूमने लगी.

"आह सुनीता, कितना अच्छा लग रहा हैं, आह, ऐसे ही चूमते रहो. आह, डार्लिंग थोड़ा मेरे निप्पल भी चूसो न प्लीज."

मुझे लगा की ये जबरदस्ती सेक्स करवाने वाले बलात्कारी टाइप का आदमी नहीं हैं. ये सच मुच कई महीनोंसे सम्भोग सुख से वंचित हैं. इसे मैं इतना सुख दूँगी के मेरे राज को यह नौकरी शत प्रतिशत मिल जायगी.

"हां रोहित डार्लिंग, " उसे चूमते हुए और निप्पल चूसते हुए मैं बोली.

"ओह, कितना अच्छा चूसती हो तुम. आह, सुनीता, तुम सिर्फ सुन्दर ही नहीं, बहुत प्यारी भी हो. आह."

अब मैंने अपनी नाइटी उतार दी और उसके होंठोंको चूमने लगी. मेरे वक्षोंका स्पर्श होते ही उसका लंड और भी कड़क हो गया. मैं बेतहाशा उसे चूमने लगी और उसके दोनों हाथ अब मेरे कठोर चूचियोंको सहलाने और मसलने लगे.

जैसे ही उसने मेरी पैंटी उतारनी चाही, मैं जान बूझ कर शरमाई और जलती हुई ट्यूबलाइट की तरफ इशारा किया.

उसने झट से अँधेरा कर दिया और फिर मैंने उसकी लुंगी खींचकर उसके सख्त और लम्बे लौड़े को हाथ में लिया.

"आह, ओह माय गॉड, सुनीता, तुम कितनी हॉट और सेक्सी हो, ओह..."

"आह, रोहित, कितना कड़क और बड़ा हैं ये," उसके लंड को चूमते हुए मैंने कहा.

अब मुझे थोड़ी शर्मीली और थोड़ी सेक्सी, ऐसा डबल रोल खेलना जरूरी था ताकि उसे मज़ा भी आये और मेरी चुदक्कड़ सच्चाई का पता भी न चले.

रोहित ने दो उंगलियां मेरी पैंटी की दोनों तरफ डालकर मेरी पैंटी, जो अबतक काफी गीली हो चुकी थी, नीचे की तरफ सरकायी. मैंने भी अपने गांड उठाकर उसका सहयोग किया। अब हम दोनों पूरी तरह से नग्नावस्था में थे. रोहित ने फिरसे मेरे होठोंको अपने होठों में लेकर बड़े प्यारसे मेरी जीभको चूसने लगा.

मैंने भी उसका पूरा सहयोग करते हुए उसके मुँह से लार पीना शुरू किया. अब उसके दोनों बलिष्ठ हाथ मेरे वक्षोंको स्पर्श करने, धीरे से मसलने और मेरे स्तनाग्रोंको छूने लगे।

उसका शिश्न (लंड) उत्तेजनामें आकर और भी सख्त हो रहा था. मुझे भी अब सुख का अनुभव होने लगा और मैं भावनाओंमें बहती चली गयी.

"आह, रोहित, मेरे बूब्स को चाटो और मेरे निप्पल्स को चूसो ना. आह," मेरे हाथ उसके सरके बालोंको सहलाते हुए उसे माथे पर चूमकर मैं बोली.

"आह, ऐसे ही, चूसते रहो मेरे निप्पल्स, आह, कितना अच्छा चूस रहे हो, ओह माय गॉड."

उसने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुराया, फिर मेरे निप्पल को अपने होठोंसे और जीभ से प्यार देने लगा.

"रोहित, ओह रोहित, अब मुझे नीचे भी प्यार करो न प्लीज. आह, ओह रोहित.."

मेरे स्तनोंको मसलकर वो मेरे पेटके आसपास चूमने और गीली जीभसे चाटने लगा. मुझे इतना प्लेज़र मिल रहा था की उसके योनि को छूने के पूर्व ही मैं एक बार झड़ चुकी थी. नीचे आते हुए उसने मेरी दोनों जांघें खोलकर अलग की और मेरे चुत को सूंघकर जैसे दीवाना हो गया. योनिपटल को चूमते हुए जैसे ही उसकी जीभ मेरी योनिमें प्रवेश कर गयी, मैं जोर से चीखी.

उसने जान लिया की मुझे अत्याधिक कामसुख मिल रहा हैं. उसने अपना चेहरा उठाकर बड़े प्रेमभावसे मुझे देखा और फिर से मेरी योनि का रस चाटते हुए मुझे स्वर्ग के दर्शन कराने लगा.

अब मैं भी अपने आप को रोक न साली और मेरे मुँह से बस आहें और गर्म साँसे निकलती रही.

"आह, आह, आह, हां चाटो, ओह, वहीँ पर, आह, ओह रोहित, आह चाटो वहीँ पर..और अंदर डालो. आह, आह, आह, रोहित तुम कितने अच्छे हो, आह, माय डार्लिंग, आह, येस येस, ओह्ह.."

अब उससे भी और रहा न गया और उसने उठकर अपना सख्त औज़ार मेरी योनि के द्वार पर रगड़ना शुरू किया.

"ओह, डालो अंदर डालो इसे. ओह माय गॉड, रोहित, डालो न प्लीज."

वो फिर भी मुझे तड़पाता रहा और अपने लौड़े के सुपाडे से सिर्फ मेरी योनि के द्वार पर ऊपर नीचे स्पर्श करता रहा. आजतक मैं लौड़ा अंदर लेने की लिए कभी इतना तरसी नहीं थी.

"रोहित, फक मी प्लीज, फक मी हार्ड, ओह.."

जैसे की वो मेरी तड़प और बढ़ाना चाहता हो और उसने तुरंत पलटी खाकर मुझपर उल्टा आ गया. अब उसका कड़क लौड़ा मेरे होठोंके पास था और उसकी गीली जीभ मेरे चुत के दानेपर धावा बोल रही थी. मैंने उसका लंड मुँहमे लेकर जैसे ही चूसना आरम्भ किया, अब तेज आहें और गर्म साँसे उसके मुँह से निकलने लगी.

"आह, ओह गॉड, ऐसे ही, सुनीता, चुसो, प्लीज, आह.."

कभी चूसना, कभी बहार निकाल कर चाटना और कभी अण्डकोषोंको चूसना चल रहा था और रोहित जैसे सुख के सागर में हिंडोले ले रहा था.

"कितने दिनोंके बाद इतना सुख मिल रहा हैं, आह, मेरा पानी मत निकालो, मुझे तुमको चोदना हैं जान," उसके मुँहसे बड़ी मुश्किल से आवाज़ निकल रही थी.

मैंने लम्बे चौड़े कड़क लंड को मुँह से निकालकर पलट गयी और उसके बाजू में लेट गयी. मेरे मम्मोंको मसलता हुआ रोहित मेरे ऊपर चढ़ गया और एक ही झटके में अपना लिंग मेरी योनिमें घुसेड़ दिया.

अब वो मुझपर सवार होकर मुझे चोदने लगा और मैं भी अपनी टाँगे खोलकर उसके कड़क लंड को जितना हो सके उतना ज्यादा अंदर लेने लगी.

"आह, आह, यस, चोदो मुझे, हाँ ऐसे ही, यस, ओह गॉड, रोहित, आह चोदो मुझे, यस, फक मि हार्ड."

मेरे उन्नत वक्षोंको और खड़े हुए निप्पल्स को अपने मजबूत हाथोंसे मसलते हुए वो मुझे लगातार चोदे जा रहा था. उसका लौड़ा राज, रूपेश और नीरज के लौडोंके मुक़ाबले में थोड़ा ज्यादा मोटा था, इसलिए मेरी चुत को कुछ अलग ही मज़ा आ रहा था.

रोहित हाँफते हुए मुझे मिशनरी पोज में चोदता गया और मैं सोचती रही की यह अभीतक झडा कैसे नहीं. बादमें उसीने बताया की जब ड्राइवर मुझे लेने के लिए आया था तब उसने अमेरिका से मंगाई हुई वायग्रा दवाई खाई थी. इसलिए उसका लौड़ा पानी छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था.

"सुनीता डार्लिंग, अब मैं तुझे घोड़ी बनाकर पीछेसे चोदता हूँ, आजा अपने हाथों और घुटनोंपर।"

जैसे ही मैं घोड़ी बन गयी, उसने मेरी गांड पर दो चार चाटे मारकर मेरी योनि को खोल दिया और अपना सख्त और मोटा लंड उसमे घुसा दिया. लगातार बीस-पच्चीस मिनट तक लंड और चुत दोनों झूंझते रहे. मेरी चुतसे कामरस बहकर उसे गीली कर दे रहा था और रोहित को मेरी तंग योनिमें चोदकर ज़िन्दगी का असीम सुख मिल रहा था.

दोनों हाथोंसे मेरी चूचियोंको मसलते हुए आखरी उसके मुँहसे निकला, "डार्लिंग, अब मेरा छूटने वाला हैं, बता कहा निकालू?"

वैसे तो मैं वीर्य पी जाना ही पसंद करती हूँ मगर इसके सामने थोड़ा शर्मीलापन भी ज़रूरी था.

"मेरी चुत में ही पूरा छोड़ दो तुम्हारा पानी, मेरी प्यास मिटा दो रोहित डार्लिंग!"

इतना सुनने के बाद उससे और रहा न गया और उसने अपने गरम वीर्य की पिचकारी मेरी योनि में छोड़ दी.

अब मैं पेट के बलपर ही लेटी रही और वो मेरे ऊपर निढाल होकर लेटा रहा. करीब दस मिनट के बाद रोहित पलट कर मेरे समीप सो गया और उसने मुझे बाहोंमें ले लिया.

"सुनीता, तुमने मुझे आज वह प्लेज़र दिया है जिसके लिए मैं कई महीनोंका प्यासा था. मैं कोई कालगर्ल बुलाकर चुदाई नहीं करना चाहता था. तुमने मुझे इतना खुश किया हैं की मेरे पास तुम्हारी तारीफ़ करने के लिए शब्द भी नहीं हैं."

ऐसे ही कुछ समय तक हम एक दुसरे को सहलाते और चूमते रहे. उसके बाद उठकर दोनों एक साथ आलिशान बाथरूम में नहाये. तन को सुखाकर और तौलिये लपेटकर हमने टेबलपर रखे भोजन का आस्वाद लिया. लग रहा था रोहित एकदम मुझपर लट्टू हो गया था.

मैंने अपने बैग में से मिनी स्कर्ट और एक तंग चोली पेहेन ली. रोहित भी शॉर्ट्स और टी-शर्ट पहनकर मेरे साथ हाथोंमें हाथ डालकर निकला. थोड़ी दूर टहलने के बाद हम वापिस लौटे और अगले दो दिन (शनिवार और रविवार) यही दौर चलता रहा.

पूरे समय रोहित ने मेरे साथ मिशनरी, डॉगी , काउबॉय, रिवर्स काउबॉय, सिक्सटी नाइन और न जाने किन किन पोजेस में सम्भोग किया. उसने दिन में दो या तीन बार वायग्रा खाई और उसका लौड़ा बहुत ज्यादा समय तक खड़ा रहा. मैंने भी उसका पूरा साथ देते हुए सम्भोग के दौरान हर एक पल उसे स्त्री पुरुष का सर्वोत्तम सुख दिया. दुसरे दिन से मैंने उसके लौड़े से वीर्य पीना भी शुरू किया, जिसके कारण वो मुझसे और भी ज्यादा खुश हो गया.

सोमवार की सुबह जब हम उठकर तैयार हो रहे थे तब उसने मुझे अपने पास बुलाया.

"सुनीता, मैं साथ में दो लिफ़ाफ़े लाया था. अगर तुम मुझे तुम सिर्फ जबरदस्ती के सेक्स का सुख देती, तो मैं तुम्हे ये लिफाफा देता. इसमें दो गुना सैलरी, डेढ़ लाख का जोइनिंग बोनस और बैंक की तरफसे सिर्फ दो बैडरूम का फ्लैट वाला लेटर था."

"अच्छा, और दुसरे लिफ़ाफ़े में?" मैंने पूंछा.

"दुसरे लिफ़ाफ़े में तीन गुना सैलरी, ढ़ाई लाख का जोइनिंग बोनस और बैंक की तरफसे सिर्फ तीन बैडरूम का आलिशान फ्लैट वाला लेटर हैं."

फिर रोहित ने मुझे बाहोंमें लेकर चूमते हुए कहा, "क्योंकि तुमने मुझे इतना सुख देकर तृप्त कर दिया हैं इसलिए मैं तुम्हे यह दूसरा वाला लिफाफा दूंगा."

"ओह, थैंक यू रोहित, तुम कितने अच्छे और प्यारे हो," मैंने झूठ मूठ का प्यार दिखाते हुए कहा.

फिर कुछ समय तक हम चूमा चाटी करते रहे.

उसी समय मैं अपने दिल से कह रही थी, "सुनीता, अगर तू रोहित को इतना जी भरके सेक्स का सुख नहीं देती थी तो उतना ज्यादा लाभ नहीं होता था. अच्छा हैं की तूने बिना झिझक के उसपर सबकुछ लूटा दिया. अब तेरा सोने का कमरपट्टा पाने का ख्वाब भी जल्द ही पूरा होगा."

लिफाफा लेकर मैंने अपनी पर्स में रख दिया और उसे फिर से चूम लिया. नौकर दोनोंके बैग्स उठाकर कार में रख चुका था.

उसकी कार और ड्राइवर बाहर इंतज़ार ही कर रहे थे. हम दोनों बैठ गए और पौने घंटे में मुझे हमारे सोसाइटी के अंदर छोड़ दिया. जैसे ही मैं घर पर पहुँची, राज ने मुझे गले लगाकर मेरा स्वागत किया.

मैंने भी उसे चूमकर वो लिफाफा उसके हाथ में दे दिया.

"ओह मेरी प्यारी सुनीता रानी, तूने आखिर काम कर ही दिया!"

"हाँ, मेरे राजा, खोलके पढ़ तो लो."

जैसे ही राज ने पूरा लेटर पढ़ा, वो ख़ुशी मारे झूम उठा. हर चीज़ उसकी अपेक्षा से भी ज्यादा थी.

"उसने तुम्हे परेशान तो नहीं किया न मेरी रानी?"

"नहीं मेरे राजा, मैंने उसे पूरा खुश किया और उसने भी अपनी बात पूरी की. दो दिन तुमने क्या किया डार्लिंग?"

"आखिर मुझे सारी बात रूपेश और सारिका को बतानी ही पड़ी. मगर इस पूरे मामले में हम उन दोनोंको दूर ही रक्खेंगे. नहीं तो साला रोहित फिर सारिका के पीछे भी पड जाएगा!"

"हाँ, सच केहते हो," मैंने कहा.

राज ने अपनी मौजूदा नौकरी में त्यागपत्र दे दीया और एक महीने के अंदर नयी नौकरी शुरू कर ली. हमे अँधेरी में ही और अच्छे पॉश एरिया में बारहवीं मंज़िल पर तीन बैडरूम का बड़ा आलिशान फ्लैट नयी बैंक की तरफ से मिला था. एक वीकेंड को मजदूरोंको बुलाके सारा सामन पैक और शिफ्ट करवा दिया. फिर अगले दिन और तीन चार लोगोंकी मददसे सारा सामान नए फ्लैट में लगा दिया गया.

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