Category: Loving Wives Stories

साँझा बिस्तर साँझा बीबियाँ 02

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क्यूंकि मोहल्ले में गरबा हो रहा था इसलिए उन्होंने ऑटो रिक्शा घर से थोड़ी दूर पर ही छोड़ दिया। जब राज और कुमुद घर पहुंचे तो उनके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। घर में कमल और रानी पहुँच चुके थे क्यूंकि घर अंदर से बंद था। बाहर कोई ताला नहीं लगा था। कुमुद ने राज की और देखा। राज ने अपने होंठों पर उंगली रख कर कुमुद को चुप रहने का इशारा किया। राज फिर धीरे से कंपाउंड की लॉन में से होकर अपने बैडरूम की खिड़की के पास दबे पाँव पहुंचा और खिड़की पर कान देकर अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करने लगा। वह खिड़की राज के बेडरूम की थी।

अंदर कमल और रानी की आवाजें हलकी सी सुनाई पड़ती थीं। राज ने कुमुद को भी अपने पास बुलाया ताकि अंदर हो रही बात कुमुद भी सुन सके। अँधेरे में कुछ दिखाई तो नहीं पड़ रहा था पर रानी की आवाज राज और कुमुद ने सुनी। रानी की साँसें तेज गति से चल रही थीं। उसकी आवाज रुक रुक कर आ रही थी। रानी कमल से कह रही थी, "कमल, यह हम ठीक नहीं कर रहें हैं। यह तुम क्या कर रहे हो? थोड़ा रुको, देखो कहीं राज और कुमुद आ ना जाए।"

फिर कमल की आवाज, "रानी, मैं कब से तुम्हारे यह गोरे भरे हुए बदन को छूने की कल्पना कर के पागल हो रहा हूँ। तुम भी तो कभी से मचल रही हो। तो क्यों न हम एकदूसरे की इच्छा की आज मन भर कर तृप्ति कर लें? राज और कुमुद को आने में अभी काफी देर है। अगर राज और कुमुद आ भी गए तो मैं उनको उनको कुछ कह कर समझा लूंगा। कह दूंगा की वह दूसरे कमरे में ही चले जाएँ और हमें अकेला छोड़ दें।"

रानी, "पागल हो गए हो? अगर वह आ गए तो आप कुछ मत बोलना, मैं सब सम्हाल लुंगी।"

कमल, "पर अभी तो वह नहीं है ना। तो फिर मान जाओ ना? आ जाओ ना?"

रानी: "अरे कमल प्लीज तुम मान जाओ ना? ऐसा मत करो, प्लीज? देखो, वह दोनों आने वाले ही होंगे।"

कमरे में थोड़ी देर फिर चुप्पी हुई। शायद कमल रानी के कपडे पकड़ कर उसे अपनी और खिंच रहा था। रानी सहम कर बोली, "हे भगवान्! कमल तुम मानोगे नहीं। चलो ठीक है। लो मैं आ गयी, बस? खुश? पर अब कपडे मत निकालो।"

कमल: "प्लीज डार्लिंग! अब थोड़ी देर के लिए ही! मान जाओ न!"

रानी: "अरे समझो भी! पागल मत बनो। बहुत मौके मिलेंगे। अगर वह दोनों आ गए तो कपडे पहनने में समय लगेगा और उनको शक हो जाएगा।...... "

और फिर अंदर बातचीत बंद हो गयी। यह समझना कोई मुश्किल न था की बैडरूम में राज की पत्नी रानी और कुमुद का पति कमल एकदूसरे को गाढ़ आलिंगन कर रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे कमल रानी का ब्लाउज खोलकर उसके मम्मे चूस रहा था। अंदर से चूमने की और रानी की सिसकारोयों की आवाजें आने लगीं।

रानी: " फिर वही जिद? अरे ........ कमल, प्लीज मान जाओ ना? कपडे मत निकालो प्लीज़? इस अंधेरेमें वैसे भी तुम्हें कुछ नहीं दिखेगा। कमल प्लीज यह क्या कर रहे हो? यह ठीक नहीं है। रुको, ऐसे नहीं। मैं ठीक कर देती हूँ। हे भगवान् तुम मानोगे नहीं। आह्हः... आह.... धीरे से कमल धीरे से। दर्द होता है। क्या कर रहे हो? चलो बस अब हो गया। अरे ब्लाउज मत खोलो बाबा। नहीं। रुको, मैं ब्लाउज और ब्रा को थोड़ा खिसका देती हूँ, ठीक है? चलो बाबा कर लो।"

अंदर से फिर कुछ कपड़ों को खिंचने की आवाज आयी। बाहर खिड़की में सुन रहे कुमुद और राज एक दूसरे को भौंचक्का सा देखते ही रह गए। कुमुद के मुंह पर अजीबो गरीब भाव नजर आ रहे थे। राज डर गया की कुमुद कहीं कुछ उत्तेजनात्मक काम ना कर बैठे। राज ने धीरे से कुमुद का हाथ दबाया और चुप रहने का इशारा किया। अचानक अंदर का कमरा जगमगा उठा। लगता था जैसे कमल ने बिजली का स्विच चालु कर दिया था। अब राज और कुमुद को अंदर की गतिविधियां साफ़ दिख रही थीं।

रानी की साडी और ब्लाउज गायब थे। रानी कमल के सामने अपनी छाती पर अपने दो हाथों से ब्रा को ढकने का नाकाम प्रयास करते हुए ऊपर ब्रा और निचे घाघरा पहने खड़ी हुई थी। अंदर से रानी की दबी हुई आवाज आयी, "कमल यह क्या कर रहे हो?"

कमल: "तुम कह रही थी ना अन्धेरा है कुछ नहीं दिखेगा। तो चलो अब मैंने बत्ती जलादि। अब तो सब कुछ दिख रहा है न? अब तो मुझे देखने दो, मत रोको, प्लीज ....?"

ऐसे कहते हुए कमल ने फुर्ती से लपक कर रानी को अपनी बाहों में दबोच लिया और पीछे हाथ डाल कर रानी के ब्रा की पट्टी खोलदी। रानी की ब्रा रानी के कन्धों पर असहायता पूर्वक लटक पड़ी। रानी के उन्नत उरोज नंगे हो चुके थे पर फिर भी नहीं दिख रहे थे, क्यूंकि रानी ने अपने हाथों से उसको ढक दिया था। कमल के आहोश में जकड़ी हुई रानी के स्तन कमल की छाती से दबने के कारण फैल गए थे और वह फैलाव नजर आ रहा था।

जैसे ही कमल का एक हाथ रानी के उभरे करारे स्तनों और उसकी फूली हुई निप्पलोँ से खेलने लगा, रानी का अवरोध धीरे धीरे कम होने लगा। रानी की कमल का हाथ हटाने की कमजोर चेष्टा का कमल पर कोई असर नहीं हुआ। कमल का दुसरा हाथ रानी के घाघरे के उपरसे ही रानी की गाँड़ पर रानी को अपने बदन से सटाकर दबाकर रखने में लगा हुआ था। कमल की उंगलियां रानी की गाँड़ को दबा ने में और एक उंगली तो उसकी गाँड़ के गालों के बिच वाली दरार को कुरेद ने की कोशिश में लगी हुई थी।

जैसे ही रानी के कुछ बोलने की चेष्टा की की फ़ौरन कमल ने अपने होंठ रानी के होठों से चिपका दिए और बोला, "रानी, अब कुछ मत बोलो। जो होगा वह होने दो। अब मैं रुकने वाला नहीं। जिस दिन से मैंने तुम्हें पहली बार देखा था उस दिनसे मैं इस दिन का इंतजार कर रहा था।" और बिना समय गँवाए कमल ने अपना हाथ रानी के घाघरे में डाल कर घाघरे का नाडा खोल दिया। देखते ही देखते रानी का फैला हुआ घाघरा फर्श पर जा गिरा।

रानी सिर्फ पेंटी पहने हुए अपने स्तनों को अपने हाथों से छुपाने की नाकाम कोशिश करते हुए खड़ी शर्म के मारे मरी जा रही थी। छोटी पेंटी में से रानी के झांटों के बाल भी दिख रहे थे। रानी की समझ में नहीं आ रहा था की वह हाथों से अपने स्तनों को छुपाये या अपनी चूत को।

राज और कुमुद दोनों रानी के आधे नंगे बदन को बाहर से देखते ही रह गए। यह राज की जिंदगी का पहला मौक़ा था जब राज को अपनी पत्नी रानी के नंगे बदन को अपने ही घर की खिड़की में से देखना पड़ रहा था और वह भी किसी और मर्द की बाहों में। राज का लण्ड उसकी पतलून में फूल गया था और राज से कमल भैया को रानी के नंगे बदन को सहलाते हुए देखकर रहा नहीं जा रहा था। राजने अपनी पतलून में हाथ डाल कर अपने लण्ड को धीरे धीरे सहलाना शुरू किया और अंदर हो रही गतिविधियों को देखने लगा।

कुमुद ने राज को अपने पेण्ट में हाथ डाल कर अपने लण्ड को सहलाते हुए देखा तो वह देखते ही रह गयी। राज के इस अंदाज को वह समझ नहीं पा रही थी। भला एक आदमी अपनी बीबी की दूसरे मर्द से चुदाई होने वाली है यह देखकर कामोत्तेजित कैसे हो सकता है? कुमुद ने अपने उत्तेजना से कांपते हुए हाथ से राज का हाथ थामा। राज ने कुमुद की और देखा। उसे लगा की कुमुद बड़े असमंजस में है। एक और गुस्सा और दुःख है तो दूसरी और उत्तेजना और रोमांच है। पर कुमुद के चेहरे के भाव देखकर राज ने महसूस किया की गुस्सा शायद रोमांच पर हावी हो रहा था।

राज ने तुरंत ही कुमुद के मुंह पर अपनी हथेली जोरों से दबा दी ताकि वह कुछ भी बोल ना सके और कमल और रानी को पता न चले की राज और कुमुद उन दोनों को खड़की से देख रहे थे। फिर खिड़की से कुमुद को खिंच कर बरामदे में लाया और धीरे से बोला, "कुमुद डार्लिंग, जो होता है उसे होने दो। रानी मेरी पत्नी है और रहेगी। कमल तुम्हारा पति है और रहेगा। हमारे और तुम्हारे दोनों के पत्नी और पति हमारे ही रहेंगे। इस मिलन से उसमें कोई फर्क नहीं पडेगा। प्लीज शांत हो जाओ।"

राज ने देखा की कुमुद उन दोनों को देखकर बाँवरी सी हो रही थी। राज ने कुमुद को अपनी बाँहों में लिया और उसे शांत करने की कोशिश करते हुए ढाढस देने लगा। पर कुमुद ने राज का हाथ पकड़ कर उसे वहाँ से हटाया और घर के मुख्य द्वार के सामने ले आयी।

बाहर लाउड स्पीकर की वजह से कुछ ज्यादा ही शोर हो रहा था। कुमुद ने राज से रोनी सी आवाज में कहा, "राज अब तुम बताओ, हम क्या करें? मैं तो कहीं की ना रही। मेरा संसार तो तुम्हारी बीबी ने चौपट कर दिया।"

राज ने कुमुद को अपनी बाहों में दबाते हुए ढाढस देते हुए कहा, "कुमुद डार्लिंग, अरे भाई अगर तुम्हारा संसार चौपट हुआ है तो मेरी बीबी की भी तो चुदाई होने वाली है। मेरा तो चौपट नहीं, छौपट ही हो गया। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। कोई आसमान टूट नहीं पड़ा। धीरज रखो और मजे लो। क्या तुम उन दोनों को देख कर उत्तेजित नहीं हुई? सच सच बताओ?"

कुमुद ने राज की और देखा और मुंह बनाते हुए बोली, "मैंने कभी कोई भी स्त्री पुरुष को चोदते हुए अब तक नहीं देखा था। अगर वह दोनों मेरे पति और तुम्हारी पत्नी ना होते तो मैं वास्तव में उनके चोदने का पूरा आनंद लेती।"

राज ने कहा, "तुम चिंता मत करो। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है। हम लोग उनकी ही जबान में उनको जवाब देंगे ना। चलो अब हंस दों। हम उन युगल के रंग में भंग करते हैं और उनकी पूरी फिरकी करते हैं। तुम यह मत जताना की हम ने कुछ भी देखा है।"

राज की बात सुनकर कुमुद उठ खड़ी हुई। राज ने कुमुद का हाथ पकड़ा और उसे वापस दरवाजे पर ले आया। बाहर किसी कारण अचानक लाउड स्पीकर बंद हो गए। तब अंदर से कमल और रानी की आवाजें सुनाई देने लगीं। राज ने कुमुद को चुप रहने का इशारा करते हुए घंटी बजायी। राज और कुमुद ने महसूस किया की अंदर से आवाजें आनी बंद हो गयीं। थोड़ी देर के लिये अचानक सन्नाटा छा गया। काफी समय के बाद अंदर से रानी की आवाज आयी, "रुको, आती हूँ।"

जब दरवाजा खुला तो राज और कुमुद ने देखा की पकडे जाने के डर और शर्म के मारे रानी के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था। उसके बाल बिखरे हुए थे और रानी उसे संवारने की कोशिश कर रही थी। रानी अपना ब्लाउज भी ठीक ठाक करने में लगी हुई थी। जैसे ही राज और कुमुद ने घर के अंदर कदम रखा तो कमल को राज के बैडरूम से निकलते हुए देखा। राज और कुमुद का सामना होते ही कमल की नजरें झुक गयीं। वह राज और कुमुद से आँखें नहीं मिला पा रहा था।

राज ने बड़ी ही सरलता से पूछा, "रानी डार्लिंग, दरवाजा खोलने में इतनी देर क्यों हुई? कहीं आप दोनों बिज़ी तो नहीं थे?"

राज का सवाल सुनकर रानी के चेहरे से तो जैसे हवाइयां उड़ने लगीं। वह अपने पति से नजरें नहीं मिला पा रही थीं। रानी की आँखें एकदम सुनी हो गयीं। वह अपने पति की और चेहरे पर एकदम हक्की बक्की भाव शून्य नजर से देखती रह गयी। उसके पास कोई जवाब नहीं था। राज ने रानी को खिंच कर अपनी बाँहों में लिया और बोला, तुम कहीं अपना सपना साकार करने में तो नहीं लगी थीं?"

रानी के हाल ऐसे हो गए की काटो तो खून ना निकले। जब रानी काफी समय तक निरुत्तर रही तो राज कमल की और घुमा और बोला, "भैया, आप और रानी चुप क्यों है? खैर, कोई बात नहीं। पर मुझे आपको एक खुश खबर देनी है। वह आपको कुमुद देगी।"

राज की बात सुनकर कुमुद आगे बढ़ी और रानी की और घूमी। कुमुद रानी के करीब गयी और अपना हाथ उठाकर कुमुद ने रानी के गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया और बोली, "क्या गुल खिला रही थी मेरे पति के साथ?"

तमाचा इतना करारा था की रानी के गाल लाल हो गए थे। रानी की आँखों से आंसू टपक ने लगे। पुरे कमरे में सन्नाटा छा गया। सब जमीन पर नजरें गाड़े चुप हो गए। ऐसा कुछ होगा उसकी कल्पना तक किसी ने नहीं की थी। कमरे में से कोई भी कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं था।

राज के तो होश ही उड़ गए। कुमुद को इतना कुछ समझाने के बाद भी ऐसा होगा यह उसने सोचा न था। कमल राज की पत्नी रानी के करीब गया और उसकी की और गौर से देखने लगा। उसे कुमुद पर गुस्सा और बेचारी रानी पर दया आ गयी। जो हुआ उसमें रानी का कोई कसूर नहीं था। . रानी की आँखें एकदम शून्य सी लग रही थी। वह एक पुतले की तरह भौंचक्की सी थोड़ी देर खड़ी रही और फिर एकदम जमीन पर लुढ़क कर एक मृत शरीर की तरह गिरने लगी तब कमल ने भाग कर रानी को अपनी बाहों में ले लिया और उसे उठाकर बैडरूम में ले गया। जाते जाते कमल ने कड़ी नज़रों से अपनी बीबी कुमुद की और देखा और बोला, "बहुत अच्छा किया तुमने। अपना गुस्सा तुम अगर मुझ पर निकालती तो मैं कुछ ना बोलता। पर बेचारी रानी का क्या दोष था? वह तो मुझे रोकती ही रही। सारा दोष तुम्हारा है। ना तुम मुझसे रूठती और सेक्स के लिए मना करती और ना मैं ऐसी कोई हरकत करता।"

फिर राज की और घूमकर कमल ने कहा, "भाई तुम कुमुद को हमारे बैडरूम में ले जाओ। कुमुद को समझाओ। क्या मैं उसे प्यार नहीं करता? मुझे अभी रानी से माफ़ी मांगनी है। वह बेचारी मेरी वजह से यह सब भुगत रही है।"

कुमुद ने जो करना था वह तो कर दिया पर अब उसे अपनी करनी पर दुःख और पछतावा होने लगा। कमल की बात सही थी। रानी का क्या दोष था? रानी बेचारी करती भी तो क्या करती? क्या वह कमल के सामने चिल्लाती और सब को चिल्ला कर बुलाती और कमल पर इल्जाम लगाती? कमल के व्यक्तित्व के सामने तो अच्छी अच्छी पतिव्रता औरतें भी अपने शील को सम्हाल नहीं पायी तो रानी क्या करती?

राज ने कुमुद की बाहें थामी और कुमुद का हाथ पकड़ कर उसे जैसे खींचकर दूसरे बैडरूम में ले गया। राज ने धीरे से कुमुद को पलंग पर बिठाया और उसके बाजू में बैठ कर कुमुद की हथेली पर अपनी हथेली को मसलते हुए बोला, "डार्लिंग, मैंने तुम्हारा इतना क्रोधित रूप आज पहली बार देखा। कुमुद तुम इस विकराल रूप में भी बहुत अधिक सुन्दर और सेक्सी लग रही थी। अब महेरबानी करके शांत हो जाओ और अपने इस विकराल रूप को वापस सौम्यता में परिवर्तित करो। मैं तुम्हारे इस भयानक रूप से डर रहा हूँ।"

राज की बात सुनकर कुमुद के चेहरे पर बरबस मुस्कराहट की एक रेखा आ गयी। कुमुद ने अपने आप को सम्हाला और बोली, "राज, मैंने आवेश में आकर बड़ा ही गलत काम कर दिया। बेचारी रानी को मैंने बड़ा ही आहत किया है। मुझे उससे माफ़ी मांगनी चाहिए।" कहकर कुमुद उठ खड़ी होकर दूसरे बैडरूम की और जाने लगी।

राज ने कुमुद को थोड़ा हल्का सा धक्का मार कर पलंग पर बिठाया और बोला, "यह काम कमल भैया को ही करने दो। पहले आप शांत हो जाओ और मेरी बात सुनो।"

कुमुद ने राज की और देखा और उसकी ठुड्डी एक हाथ से पकड़ी और राज का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ कर राज के मुंह को खिंच कर राज के होठोँ को अपने होठोँ से सटा कर राज को एक गहरा चुम्बन करने लगी। राज भी कुछ बोल ना पाया और कुमुद के रसीले होठों को चूमने और चूसने लगा। राज और कुमुद एक दूसरे से गहरे चुम्बन करने में लग गए। कुछ देर बाद कुमुद राज से अलग हुई और उसे उलाहना देते हुए बोली, "राज, मैं एकदम शांत हूँ। अब मुझे और कोई सिख नहीं चाहिए राज। अब मुझे क्या करना है, मैं जानती हूँ।और अब तुम मेरी बात सुनो। मैं तुम्हें बताती हूँ की तुम्हें अब क्या करना है।"

यह कह कर कुमुद ने राज के कान में अपना प्लान सुनाया। कुमुद की बात सुन कर राज के चेहरे पर मुस्कराहट फ़ैल गयी। दोनों ही दूसरे बैडरूम की और चल पड़े।

कुमुद जब कमरे में दाखिल हुई तो देखा की रानी बेहोश सी पलंग पर लेटी हुई थी और कमल उसके सर पर हलके से प्यार से हाथ फिरा रहा था। कुमुद को आती हुई देख कर कमल थोड़ा सा अचम्भित हुआ। कुमुद ने अपने पति कमल के पास जाकर उसे वहाँ से हटने का इशारा किया और खुद कमल की जगह बैठ गयी।

कुमुद ने धीरे से प्यार से रानी के सर पर हाथ फिराना शुरू किया और हलके से झुक कर रानी के कानों में बोली, "रानी डार्लिंग, उठो और अपनी बड़ी बहन की ऐसी हरकत के लिए कस कर उसे एक थप्पड़ मार कर उससे बदला वसूलो और अपना मन शांत करो। मैं तुम्हारी बड़ी बहन तुमसे माफ़ी मांग रही हूँ, पर यदि तुमने मुझे माफ़ नहीं भी किया तो भी मैं तुम्हारा दोष नहीं दूंगी। मुझे आपको इस तरह जलील करने का कोई हक़ नहीं था और इस लिए मैं आप की दी हुई कोई भी सजा सहर्ष स्वीकार करुँगी। "

कुमुद की बात सुन कर रानी ने धीरे से अपनी आँखें खोली। कुमुद को प्यार से सर पर हाथ फिराते और केश संवारते देख कर रानी की आँखों में आँसू की बाढ़ आ गयी। रानी सिसक सिसक कर रोने लगी और कुमुद को अपनी और खिंच कर कुमुद के गले लिपट कर बोली, "बहन, गलती तुम्हारी नहीं है। मैं तुम्हारी गुनहगार हूँ। माफ़ी तुम्हें नहीं मुझे मांगनी चाहिए। आपने जो मुझे थप्पड़ मारा वह तो बहुत ही छोटी सजा थी। आप जो कहेंगीं, मैं वह सजा भुगतने के लिए तैयार हूँ। बस आप मुझे माफ़ कर दीजिये।"

कुमुद ने रानी के होठोँ पर उंगली रखते हुए कहा, "चलो ठीक है। तुम मेरी दोषी हो ना? मैं जो कहूँगी वह सजा तुम स्वीकार करोगी? मुझे वचन दो।"

रानी पलंग पर धीरे से बैठ गयी। रानी ने कुमुद के हाथ अपने हाथमें लिये और उसे दबाकर बोली, "मैं मेरी बहन कुमुद को वचन देती हूँ की जो सजा तुम मुझे दोगी वह बिना सोचे समझे स्वीकार करुँगी। तुम मुझे आत्महत्या करने को कहोगी तो वह भी मैं करुँगी। तुम मुझे अपनी, राज की और कमल की जिंदगी से हमेशा के लिए दूर चले जानेको कहोगी तो मैं वह भी करुँगी। मुझे तुम्हारी कोई भी सजा मंजूर है।"

कुमुद ने रानी के हाथों को संवारते हुए रानी को बिस्तर से धीरे से उठाया और अपनी बाँहों में लिया। कुमुद ने रानी से कहा, "देखो बहन, तुम मेरी छोटी बहन और अब मेरी अत्यंत घनिष्ठ और निजी मित्र हो। जैसे हमारे पति एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं वैसे ही हम दोनों भी एक दूसरे के घनिष्ठ हैं। मेरी नजर में सिर्फ तुम ही नहीं, हम चारों एक दूसरे के गुनेहगार हैं। वह ऐसे की यह हमारे दो पति एक दूर से पुरे खुले हुए और एकात्म हैं। ये कोई भी चीज एक दूसरे छुपाते नहीं हैं और करीब करीब सारी खुशियां मिलजुल कर बाँटते हैं। वह एक दूसरे के साथ लगभग पूरी तरह से पारदर्शी हैं। पर जहां तक पत्नियों का सवाल है वहाँ गड़बड़ हो गयी। अब हम दोनों उनके साथ जुड़ गयीं और हमारी मर्जी भी जरुरी हो गयी। इसलिए हमें भी एकात्म होना होगा और अब हम एकात्म हो भी गए हैं। तो फिर मैं तुम्हें, अपने आपको और बाकी हमारे दोनों पतियों को भी यह सजा सुनाती हूँ की हम चारों एकदूसरे से कोई भी बात नहीं छुपायेंगे और एक दूसरे से कोई पर्दा नहीं करेंगे। हम किसी के कोई भी कार्य का बुरा नहीं मानेंगे और एक दूसरे के साथ मस्ती में रहेंगे। क्या यह बात तुम्हें और हम सब को मंजूर है?"

राज और कमल एक दूसरे की और बड़े अचम्भे से देखने लगे। रानी ने तब कुमुद से शर्माते हुए दबी आवाज में पूछा, "बहन तुम्हारी सजा मंजूर है पर मेरे साथ ऐसा कुछ हुआ तो मैं तो शर्म के मारे मर ही जाउंगी। मुझे कमलजी के सामने बड़ी शर्म और लज्जा आती है। मैं क्या करूँ?"

राज यह सुन कर आगे आया और बोला, "मेरी प्यारी रानी! शर्म और लज्जा स्त्री के आभूषण हैं। लज्जा तो आएगी ही। डार्लिंग, तुम्हें कुछ नहीं करना है। यह सब ऊँची ऊँची गंभीर बातें छोडो। बस हम दोनों पति और दोनों पत्नियां मिलकर यह शपथ लें की अब हम एकदूसरे से कुछ नहीं छुपायेंगे। इसकी शुरुआत हम ऐसे करें की आज रात हम हमारे बिस्तर एक साथ एक ही रूम में लगाएंगे और खूब प्रेम से एक दूसरे से खुली बात करेंगे और एक दूसरे की बातें सुनेंगे। हम चारों के बीचमें कोई भेद हम नहीं रखेंगे। हम पति और पत्नी खूब प्रेम करेंगे और एक दूसरे के सामने ही करेंगे। अब हम एक दूसरे से पर्दा नहीं करेंगे। अब हमें पूरी आजादी रहेगी। हम जो चाहे कर सकते हैं। बोलो मंजूर है?"

सब ने मिलकर कहा, " मंजूर है।"

तब कुमुद थोड़ा मुस्कुरायी और रानी के पास आयी और उसे अपनी बाँहों में लेती हुई बोली, "तू मुझे अपनी बहिन कहती है न? और मुझसे ही चोरी छुप्पी? मेरा पति तो पहले से ही लम्पट है। मुझे पता है की वह तुम्हें छेड़े बगैर रहेगा नहीं। तुम्हें छेड़ रहा था न वह? सच सच बोलना। और अगर तू उसे पसंद है ना तो वह तुझे छोड़ेगा भी नहीं।" इतना बोल कर कुमुद चुप हो गयी और सब की और देखने लगी।

फिर कुमुद ने एक गहरी साँस लेते हुए कहा, "पर आखिर तू भी तो एक स्त्री है और तेरी भी तो अपनी कामनाएं हैं और मजबूरियां भी हैं। मेरे लम्पट और आकर्षक पति को दूर रखना कोई भी स्त्री के लिए बड़ा ही मुश्किल है। उसके ऊपर तुम्हें लपेटने में कमल के सहायक और हितैषी तुम्हारे पति? तुम कहाँ बच पाती? तुम्हारा क्या दोष?" कह कर कुमुद ने रानी को गले लगा लिया।

रानी: "कुमुद तुम मेरी सच्ची बड़ी बहन हो। मैं तुम्हें कभी आहत नहीं करुँगी। यह मेरा वादा है।"

कुमुद अपने पति कमल के पास गयी और बोली, "डार्लिंग, तुम तो सुधरोगे नहीं। तुम अपने आपको क्या समझते हो? कोई लड़की ने ज़रा सी छूट दे दी तो तुम जो चाहो करोगे? अब चलो मेरे साथ मैं तुम्हें इसकी सजा देती हूँ।"

यह कह कर कमल का हाथ पकड़ कर कुमुद अपने पति को खिंच कर दूर बैडरूम में ले गयी। कमरे में पहुंच कर पलंग पर पति को बिठाकर कुमुद स्वयं उसकी गोद में बैठ गयी। अपने पति कमल को कुमुद ने गले लगा लिया, अपनी बाहों में ले लिया और कमल के कानों में फुसफुसाती हुई बोली, "मेरे चालु लम्पट पतिदेव। बेचारी भोली भाली चिड़िया को फँसा रहे थे? यार निर्लज्जता की भी कोई हद होती है। अपने भाई की बीबी को ही चोदना चाहते हो?"

कमल बड़े ही असमंजस में अपनी बीबी कुमुद को देखता रहा। उसे समझ नहीं आ रहा था की वह क्या बोले। उसने कुमुद का यह रूप कभी पहले नहीं देखा था। कुमुद बोली, "तुम तो सुधरने से रहे। अब मुझे ही सुधरना पडेगा। मैं कोई गुस्से में नहीं हूँ। तुम्हारे और रानी के बारे में मेरी राज से खुल्लमखुल्ला बात हुई है। अब मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं है। अब तक के मेरे रूखे बर्ताव के लिए मुझे माफ़ करना। पर हाँ याद रहे मैं तुम्हारी बीबी हूँ और हमेशा रहूंगी। तुम पर मेरा ही अधिकार है। रानियां तो आएंगी और जाएंगी। और दूसरी बात तुम्हारी खैर नहीं जो मेरे पीछे, मुझसे पूछे बगैर कुछ भी गड़बड़ की। राज से मेरी साफ़ साफ़ बात हुई है। अब हम जो भी करेंगे, साथ में मिलकर करेंगे। बोलो मंजूर?"

कमल को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। उस के चेहरे पर तो वैसे ही पहले से ही हवाइयां उड़ रही थीं। अपनी पत्नी का वह रूप देख कर उसकी बोलती बंद हो गयी थी। कुमुद की बात सुनकर कमल की जान में जान आयी। वह आगे बढ़ा और अपनी पत्नी कुमुद को अपनी बाहों में लेते हुए बोला, "मुझे मंजूर है। तुम बहुत अच्छी पत्नी हो जो मुझ जैसे लम्पट को भी झेल रही हो। अब मैं तुमसे कोई धोखाधड़ी नहीं करूंगा। जोभी करूंगा यातो तुम्हारे सामने या फिर तुमको बताकर करूँगा।"

कुमुद ने जवाब में कहा, "कमल, मतलब तुम अपनी करतूतों से बाज नहीं आओगे? खैर मैं जानती हूँ तुम सुधर नहीं सकते। पर तुम्हारा क्या दोष? मैं भी तो तुम पर बेकार ही इतना गुस्सा कर बैठी और तुम्हें कई रातों तक पास नहीं आने दिया। मैं जानती हूँ सेक्स के बगैर तुम रह नहीं सकते। अब मैं तुम्हें नहीं रोकूंगी। तुम्हारी ख़ुशी मैं ही मेरा जीवन है। मैं तुम्हारी हूँ और तुम मुझसे जो चाहे कर सकते हो और तुम जो कहोगे मैं करुँगी। मुझे तुम पर पूरा विश्वास है। मैं तुम्हें किसी भी बातमें कभी नहीं रोकूंगी।"

अपनी बीबी की बात सुनकर कमल का मुंह खुआ का खुला ही रह गया। उसकी समझ में नहीं आया की यह सब क्या हो गया था। पर जो भी हुआ इससे कमल खुश था। कमल ने कुमुद को अपनी बाहों में ऊपर उठा लिया और पूछा, "डार्लिंग क्या बात है? राज के साथ क्या बात हुई जो तुम अचानक ही मुझ पर इतनी मेहरबान हो गयी?"

कुमुद ने अपने पति की और हँसते हुए देखा और कहा, "तुम तो पागल हो, पर रानी तो समझदार है। राज कह रहा था की कमल भैया तो पागल हैं, उनकी बातों का क्या बुरा मानना?"

कमल: "अच्छा तो मैं राज और तुम्हारी नजर में पागल हूँ? तो फिर तो आज मैं अपना पागलपन जरूर दिखाऊंगा। और तुम मुझे रोकेगी नहीं, मंजूर है?"

कुमुद, "अच्छा भाई, वचन दिया की मैं तुम्हेँ बिलकुल नहीं रोकूंगी। बस? अब चलो हम कपडे बदल कर चलते हैं और देखते हैं की राज और रानी क्या कर रहें हैं?" ऐसा कह कर कुमुद ने कमल को सूटकेस खोल कर अपने पति कमल को उसका कुर्ता पजामा दिया और खुद स्कर्ट और टॉप निकाल फेंका।

कमल अपनी बीबी को ब्रा और पेंटी में खड़ी हुई देखता ही रहा। कुमुद उस वेश में बड़ी खूबसूरत दिख रही थी। कुमुद की पतली कमर के निचे का घुमाव जो उसकी आकर्षक गांड और चूत में जाकर मिलता था, वह देखते ही बनता था। वैसे तो उसने कई बार कुमुद को नंगी भी देखा था, परन्तु आज की बात कुछ और थी। जब कुमुद झुक कर गाउन निकाल कर पहनने लगी तो कमल कुमुद के पीछे आ गया। कुमुद की कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर पीछे से अपना लण्ड कुमुद की गांड में घुसाने का नाटक करते हुए कमल ने अपनी बीबी की ब्रा की पट्टी खोल दी और कुमुद की पेंटी को निचे की और खिसकाते हुए बोला, "यह निकालो। "

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