Category: Group Sex Stories

खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे भाग 02

by rajNsunitaluv2explore©

इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है. आशा है की आप को यह नयी प्रस्तुति पसंद आएगी.

*****

अब तक आपने पढ़ा:

कहानी के दो पात्र हैं, पराग और अनुपमा. अनुपमा और पराग मुंबई के कॉलेज में मिले, उनके दिल मिले फिर जिस्म मिले. कॉलेज के चार साल तक दोनोंका सेक्स जबरदस्त चलता रहा. अब उनकी शादी हो गयी और दोनों हनीमून के लिए मालदीव आये है.

अब आगे:

दूसरा भाग भी अनुपमा की जुबानी है.

एक तो हनीमून, उसमे भी मालदीव जैसी रूमानी जगह, और पहचान ने वाला कोई नहीं. हम जब रूम के अंदर चुदाई नहीं करते थे, तब बीच पर और स्विमिंग पूल में बिंधास्त मस्ती करते. पराग सिर्फ शॉर्ट्स में और मैं सिर्फ टू पीस बिकिनी में घुमते, आलिंगन, चुम्बन और मौज मस्ती करते रहते. होटल के कई लोग (आदमी और औरते भी) हमें घूरते रहते. एक दो कपल्स आकर हमसे दोस्ती करने की कोशिश भी करे, मगर हमने किसी को घास नहीं डाली. हनीमून पर सिर्फ मैं और मेरा पराग, बस हम दोनों ही जिंदगी का मजा ले रहे थे.

हमारे मालदीव से निकलने के दो दिन पहले होटल में एक बड़ी पार्टी थी. बड़े से बॉल रूम के अंदर लगभग सात सौ लोग झूम रहे थे और शराब में डूबे हुए थे. ज्यादा तर लोग जवान जोड़े ही थे, जो आलिंगन, चुम्बन और एक दुसरे को सहलाने में मग्न थे. पराग ने मुझे आँखों आंखोमें पूछा और मैंने भी अपनी हामी भर दी. हम दोनों नाचते नाचते बॉल रूम के बीच लगे हुए बड़े से टेबल पर चढ़ गए और नाचते नाचते अपने कपडे उतारने लग गए. सारी भीड़ की नज़रे हम पर आ गयी.

अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और पराग सिर्फ छोटी सी फ्रेंची में. हमें देखते देखते बाकी के लोग भी अपने और अपने पार्टनर के कपडे उतारने लगे. जैसे ही मेरी ब्रा निकल गयी, सभी लोगोने जोरशोरोसे चिल्लाकर मुझे और भी प्रोत्साहित किया. किसी और के सामने नंगा होना (और चुदाई करना) हम दोनोंके लिए बिलकुल ही नया था. आवेश में आकर मैंने पराग की फ्रेंची खींचकर उतार दी, और उसने भी मेरी ब्रा और पैंटी खोल दी. अब सारे लोग तालिया बजा बजाकर "फक, फक" के नारे लगाने लगे.

पराग ने मुझे टेबल पर सुला दिया और सैंकड़ो लोगोंके सामने चोदना शुरू किया. हमारी देखा देखि थोड़े और जोड़े भी चुदाई में जुट गए. मेरे वक्षोंको मसलते हुए पराग मुझे चोदता गया. फिर हम कभी मिशनरी तो कभी डॉगी और कभी सिक्सटी नाइन में सम्भोग सुख लेते गए. एक बार झड़ने के बाद आधा घंटा विश्राम किया और फिर चुदाई में लग गए. टेबल काफी बड़ा होने के कारण पांच सात और जोड़े हमारे इर्द गिर्द लेट कर चुदाई का आनंद लेने लगे. एक या दो जोड़े भारतीय, बाकी के सारे जोड़े अमेरिकन या यूरोपियन थे. सारे जोड़े एक दुसरे से काफी नजदीक थे और मुस्कुराकर दूसरोंके पार्टनर की तरफ देखते हुए अपने पार्टनर को चोद रहे थे. जब मैं और पराग दुसरे राउंड के बाद थक कर लेटे, तब एक ऑस्ट्रेलियाई जोड़ा हमारे और करीब आया. लड़की २६ या २७ साल की थी और लड़का २८ साल का होगा. दोनों भी दिखने में आकर्षक और सेक्सी थे. लड़की के बड़े बड़े बूब्ज़ देखकर पराग की तो लार टपकना ही बाकी थी.

जैसे ही लड़के ने पास आकर मेरे सामने अपनी बाहे फैलाई, मैंने पराग की और देखा. उसने इशारा कर दिया और मैं उस सुन्दर और तगड़े युवक से लिपट गयी. उसने अपना नाम जॉन बताया. पराग ने उस सेक्सी लड़की को आलिंगन किया और उसने अपना नाम क्रिस्टीना बताया. चारो चूमा चाटी में लग गए. इतने सारे लोगोंके सामने दो बार चुदाई करने के बाद हमारी लज्जा हमारे कपडोंकी तरह उतर चुकी थी. होंठ चूसना, वक्षोंको मसलना/चूसना, टाँगे और गांड को सहलाना और चूत में ऊँगली से सुख देना काफी देर तक जारी रहा. इतना सब होने के बाद भी मैं किसी अनजान लड़के से पूर्ण सम्भोग के लिए तैयार नहीं थी.

मैंने पराग को इशारा कर दिया. फिर हम दोनोंने उन दोनोंको अपनी अपनी बाहोंसे छुड़ाया, सॉरी कहा, और अपने कपडे उठाकर कमरे की तरफ चल दिए. कमरे में जाते ही टब बाथ में खूब नहाये और फिर बिस्तर पर शुरू हो गए.

"पराग, उस लड़के का, जॉन का, लौड़ा इतना मस्त, मोटा और लम्बा था," मेरे मुँह से अचानक निकल गया.

"हाँ अनु डार्लिंग, मैंने भी देखा. और क्रिस्टीना तो क्या जबरदस्त माल थी. ये बड़े बड़े बूब्ज और एकदम टाइट चूत," उसने भी बेबाक होकर कहा.

अगले एक घंटे तक हम दोनों जॉन और क्रिस्टीना के बारे में सोच सोच कर सेक्स का आनंद लेते रहे. जीवन में पहली बार किसी और के बारे में कल्पना करते हुए हम एक दुसरे को चोद रहे थे.

"क्या तुम सचमुच क्रिस्टीना को चोदना चाहते थे, सच बताओ."

"सच तो ये हैं की, हाँ मैं उसे चोदने के लिए तैयार था. मगर अगर तुम जॉन से चुदने के लिए राजी होती तो ही."

"पराग, वो दोनों अनजान लोग, उनको कोई गुप्तरोग या कोई ऐसी बीमारी भी हो सकती थी. और वैसे भी मैंने आज तक तुम्हारे सिवा किसी और के साथ सेक्स करने के बारे में कभी भी नहीं सोचा।"

"हाँ, मेरी जान, कोई बात नहीं. हम दोनों अपने आप से बहुत खुश हैं."

मैंने पराग की बात मान तो ली, मगर दिल के एक कोने में एक ख़याल जरूर आया, की हर मर्द की तरह इसे भी किसी दूसरी सुन्दर सेक्सी लड़की को चोदने की तमन्ना तो हैं.

मालदीव से वापस आने के बाद हम बैंगलोर में एक साल तक रहे. पूरा समय हमारी सेक्स लाइफ जोरदार रही. पोर्न फिल्म देखकर गर्म होक चुदाई करना हमारे लिए आम था. कभी कभी जॉन और क्रिस्टीना को याद करके काफी फैंटसी वाली चुदाई होती थी. मैं भी बढ़ चढ़ कर जॉन मुझे कैसे चोद रहा हैं उसका वर्णन करती. पराग भी क्रिस्टीना को अलग अलग प्रकार से चोदने के बारे में विस्तार से बोलता. अब तक उन दोनोंके अलावा किसी और के बारे में सोचा नहीं था. शायद पराग को डर था की मुझे बुरा न लग जाए.

फिर पराग को मुंबई की एक बड़ी कंपनी का ऑफर आया. वहांपर बहुत सारे उम्मीद्वारोंके बीच कांटे की टक्कर थी. सूरत मुंबई से नजदीक होने के कारण हम दोनों भी चाह रहे थे की वो नौकरी मिल जाए. फिर मेरे डैड के एक ख़ास दोस्त की पहचान से पराग को वो नौकरी मिल गयी. हम मुंबई मायानगरी में जाकर बस गए. डैड ने जुहू के एकदम पॉश लोगोंके बीच हमें एक महंगा सा दो बैडरूम वाला फ्लैट दिलाया, उसका किराया बैंगलोर के किराये से तीन गुना था. पराग को उसकी कंपनी से गाडी और ड्राइवर भी मिला हुआ था. कुल मिलाकर कहे तो, हमारी पांचो उंगलिया घी में और सर कढ़ाई में था.

अब धीरे धीरे हमारे सेक्स लाइफ में थोड़ी बोरियत आ गयी, वही बाते, वही सम्भोग के तरीके, कुछ सामान्य सा हो गया. परोक्ष रूप से पराग ने गांड चुदाई (ऐनल सेक्स) के बारे में बात छेड़ने का एक-दो बार प्रयास किया, मगर मुझे उसमें बिलकुल रूचि नहीं थी. पोर्न फिल्म में भी अगर वैसा दृश्य आये तो हम उसे आगे कर देते थे. अब सेक्स लाइफ को रंगीन बनाने के लिए हमने कुछ फैशन, मॉडलिंग, टीवी और फिल्म से जुड़े लोगोंसे पहचान बनायीं. उनके साथ हाई सोसाइटी पार्टियोंमें जाने लग गए. पराग विदेशी सूट और मैं सेक्सी गाउन या दुसरे अंगप्रदर्शन करने वाले कपडे पहनती थी. इन पार्टियोंमें कभी कोई मॉडल, कोई टीवी स्टार या अमीर व्यवसायी से मुलाक़ात हो जाती थी. हमसे कई जवान और खूबसूरत जोड़े आकर मिलते थे, लगभग सभी के मन में अदलाबदली से सम्भोग करने की इच्छा थी. क्योंकि ऐसी पार्टियोंमें अक्सर लोग दुसरे सेक्सी जोडोंकी तलाश में ही जाते थे.

इन पार्टियोंमें जाकर भी कोई ऐसा कपल नहीं मिला जिसके साथ अदलाबदली करने की इच्छा हो. कुछ दिन के बाद जब हम एक पोर्न फिल्म देख रहे थे, तब उसमें एक ऐसा दृश्य आया, जहाँ पर लड़की अपनी सहेली को अपने पति से चुदवाती हैं. थ्रीसम सेक्स वाला वो दृश्य देखते हुए मैं पराग का लंड चूसने लगी.

अनायास ही पराग के मुँह से निकल गया, "काश ऐसा थ्रीसम का मज़ा मुझे भी मिले. अनु डार्लिंग, मैं तुम और कोई सुन्दर हॉट सी लड़की तीनो एक साथ रात भर चुदाई करे, कितना मजा आयेगा हनी."

पराग के तने हुए लौड़े को बाहर निकालकर मैंने उसकी आँखोमें देखा और पूंछा, "डार्लिंग, क्या सचमुच मेरे और कोई और लड़की के साथ थ्रीसम करना चाहते हो?"

"सिर्फ सोच के तो खुश हो जाऊं. अपनी अनेक फैंटसी में से यह एक और," मुझे बुरा न लगे इसलिए पराग ने बात को पलटने की कोशिश की.

"नहीं डार्लिंग, तुम अगर सचमुच मेरे साथ किसी और हॉट लड़की के साथ सेक्स करोगे तो मुझे भी अच्छा लगेगा. मैं बस किसी दुसरे आदमी के साथ चुदाई करना नहीं चाहती." मैंने उसका लंड चूसना जारी रखा.

"अनु डार्लिंग, क्या तुम सच कह रही हो? क्या इसका अर्थ ये हैं की तुम किसी जोड़े के साथ स्वैपिंग नहीं करोगी, मगर किसी और लड़की को हम दोनोंके साथ थ्रीसम सेक्स में शामिल करने के लिए तैयार हो?"

मैंने लौड़ा चूसते हुए हाँ में सर हिलाया और फिर कहा, "तुम्हारी ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है जान."

बस इतना सुनते ही पराग का फव्वारा निकल गया और मेरे मुँह में गाढ़ा और गरम वीर्य छोड़ दिया.

हम दोनों एक दुसरे को चिपक कर कुछ समय तक लेटे रहे, फिर मैंने उसकी आंखोंमें झाँक कर कहा, "पराग, मैं सचमुच दिल से कह रही हूँ, किसी हॉट लड़की के साथ थ्रीसम करेंगे. तुम मेरे जानकारी के बगैर किसी लड़की को चोदोगे तो मुझे बुरा लगेगा, मगर मेरे साथ एक ही बिस्तर पर हम तीनों सेक्स का आनंद लेंगे, तो मुझे ख़ुशी होगी. मुझे भी इस बात की संतुष्टि होगी की मैंने तुम्हे सुख देने में कोई कसर नहीं छोड़ी."

अगले कई दिनोंतक हम ऐसी सुन्दर, हॉट और अकेली लड़की कौन हो सकती हैं इसके बारे में सोचते रहे. अचानक मैंने कहा, "पराग, तुम्हारे ऑफिस की रिसेप्शनिस्ट डॉली भी तो जबरदस्त माल हैं. क्या उसका कोई बॉयफ्रेंड या पति हैं?"

"मेरे ख्याल से उसका एक बॉयफ्रेंड था मगर कुछ दिन पहले ही दोनोंका रिश्ता टूट गया हैं. कल ही ऑफिस के लोग इस बारेमें बात कर रहे थे."

"फिर क्या सोचना हैं, मार दो हथोड़ा!"

"मगर मेरी उसके साथ कुछ ख़ास जान पहचान नहीं हैं डार्लिंग. और उसपर इतने सारे लड़के मरते रहते हैं, वो किसी शादीशुदा कपल के साथ क्यों घुल मिल जायेगी?"

"उस बात का जिम्मा मेरा. अब कल से तुम दोपहर के खाने पर घर नहीं आओगे."

"मगर क्यों? और उसका डॉली से क्या सम्बन्ध हैं?"

"तुम बस देखते जाओ."

पराग मुझे अच्छे से जानता था, अगर एक बात मैंने ठान ली तो फिर उसे पूरी कर के रहूंगी. अगले ही दिन से रोज ड्राइवर पराग को ऑफिस छोड़कर घर वापिस आने लगा. मैं करीब एक बजे उसका भोजन लेकर ड्राइवर के साथ ऑफिस पहुँच जाती थी. पहले ही दिन डब्बा चपरासी को देने के बाद मैंने डॉली से मुलाक़ात की और फिर ये सिलसिला रोज चलता रहा. अब मैं उसकी तारीफ करने लगी और अक्सर छोटा सा डब्बा (जिसमे पकोड़े, मिठाई या कुछ नमकीन) डॉली को भी देने लगी.

अब ऑफिस में जाने के समय और शाम को लौटते समय पराग भी डॉली से बातचीत करने लग गया. अपनी सुंदरता की प्रशंसा कौनसी लड़की को अच्छी नहीं लगती? दो-तीन हफ्तोंमें मैं और डॉली ख़ास दोस्त बन गए. उसने अपना मोबाइल नंबर मुझे दिया और हम दोनों कभी एक दुसरे को मेसेजस भेजने तो कभी फ़ोन पर गप्पे मारने लग गए. अब तक बात सिर्फ दोस्ती और उसकी असीमित तारीफ़ तक ही सिमित थी. इस मामले में बहुत सावधानी से काम लेना ज़रूरी था, क्योंकि डॉली पराग के ही ऑफिस में काम करती थी.

डॉली आयु में हमसे दो साल बड़ी थी. वो भी मेरी तरह सांवली थी मगर उसके वक्ष मुझसे थोड़े बड़े दीखते थे. उसका चेहरा अभिनेत्री सायरा बनो से काफी मिलता था. वो तीन और लड़कियोंके साथ एक छोटे से फ्लैट में रहती थी जो ऑफिस से काफी दूर था. उसकी तीनो रूम मैट्स स्वभाव से कुछ ख़ास अच्छी नहीं थी, और वो मजबूरी में उनके साथ रहती थी. एक दिन बातों बातों में पता चला की अगले हफ्ते डॉली का जन्मदिन हैं मगर उसने कोई ख़ास प्लान बनाया नहीं था. मैंने तुरंत कहा, "डॉली, इस बार का यह ख़ास दिन तुम मेरे और पराग के साथ बिताओ. हम तुम्हारे जन्मदिन को यादगार बनाने की पूरी कोशिश करेंगे."

"अरे नहीं अनुपमा, आप क्यों कष्ट उठा रही हैं, और वैसे भी मेरा जन्मदिन बुधवार को हैं, हफ्ते के बिलकुल बीच में. आप दोनोको अगले दो दिन कठिनाई हो जायेगी."

"अगर तुम मुझे और पराग को अपना मित्र मानती हो तो तुम हमारे साथ आओगी. नहीं तो मैं समझूंगी की मैं तुम्हारी कुछ नहीं."

अब इतना कुछ बोलने के बाद बिचारी डॉली को मेरी बात माननी ही पड़ी. रात को चुदाई के समय ये किस्सा मैंने पराग को बताया. फिर हमने उसे किसी बढ़िया से थ्री स्टार रेस्ट्रॉन्ट में ले जाने की योजना बनायीं. हम शाकाहारी हैं मगर डॉली तो मांसाहार भी लेती थी, इसलिए ऐसे रेस्ट्रॉन्ट को चुना जहाँ दोनों भी स्वादिष्ट मिलते हैं. साथ में बड़ा सा बर्थडे केक और मेकअप सामान उपहार के स्वरुप में ले लिया.

बुधवार के दिन मैं सज धज कर चार बजे के करीब ऑफिस पहुँच गयी. मेरा एक सुन्दर सा गाउन मैंने डॉली को दिया और वो बाथरूम में जाकर उसे पहन कर आ गयी. तब तक पराग भी आ गए थे. फिर हम तीनो कार में बैठ कर उस रेस्ट्रॉन्ट पर पहुँच गए. आज ड्राइवर को शाम को देर तक रुकने के लिए कहके रखा हुआ था, जिसके उसे अच्छे खासे पैसे भी मिलते थे.

रेस्ट्रॉन्ट पहुँचते ही बर्थडे केक और उपहार (गिफ्ट) टेबल पर मंगवाया. इतना बड़ा केक और इतना अच्छा उपहार देख कर डॉली ख़ुशी के मारे फूली नहीं समा रही थी. केक काटने के समय रेस्ट्रॉन्ट के स्टाफ ने और बाकी मेहमानोने भी तालिया बजाकर डॉली का अभिनन्दन किया. केक काटकर उसने हम दोनोंको खिलाया फिर खुद भी खाया. फिर उसने मुझे अपनी बाहोंमें जकड कर मेरे गालों पर चुम्बन करके मुझे सौ बार थैंक यू कहा. फिर वो पराग के भी गले मिली और उसे भी बार बार थैंक यू कहती रही.

केक के बाद भोजन की बारी आयी. हम दोनोंके लिए शाकाहारी और डॉली के लिए शाकाहारी और माँसाहारी पदार्थ मंगवाए. सभी को भोजन बहुत स्वादिष्ट लगा. पान खाकर हम लोग आस पास थोड़ देर तक घूमे. अब डॉली के दायी तरफ मैं थी और बायीं तरफ पराग. उसने खुद हो कर हम दोनोंके हाथ पकड़ लिए थे. अब ऐसा लगने लगा था की उसे हम दोनोंका साथ अच्छा लगने लगा था. टहलते टहलते अब पराग दोनोंके बीच आ गए. मैंने उसे आंखोंसे इशारा किया और उसने हम दोनोकी कमर में हाथ डाल दिया. डॉली को बिलकुल अटपटा या बुरा नहीं लगा.

आधे - एक घंटे तक हम तीनो ऐसी ही टहलते और बाते करते रहे. फिर कार में बैठकर हम तीनो निकल गए. हमने डॉली को उसके घर पर पहुंचा दिया. कार से नीचे उतरने के बाद फिर एक बार उसने हम दोनोंको गले लगाकर थैंक यू कहा. फिर हम दोनों कार में बैठकर अपने घर चले गए.

बैडरूम में जाते ही हम डॉली के बारे में फैंटसी करने लगे. "अनु डार्लिंग, आज लो नैक गाउन में डॉली की चूचिया कितनी मस्त लग रही थी," कहते हुए पराग ने मेरी चुत चाटना आरम्भ किया.

"हाँ, पराग डार्लिंग, सोचो की तुम मेरी नहीं डॉली की चुत चाट रहे हो. आज जब उसने तुम्हे गले लगाया तब तुम्हारा लौड़ा खड़ा हो गया था, जो मुझे भी दिखाई दिया."

"हाँ, अनु डार्लिंग, मुझे यकीन हैं की उसे भी मेरे लौड़े की चुभन महसूस हुई होगी."

"फिर भी दूसरी बार उसने तुम्हे गले लगाया, जब वो कार से उतरी थी. इसका अर्थ, उसे तुम्हारा लंड का चुभना बुरा नहीं लगा."

"आह मेरी डॉली जान. क्या मीठी और रसदार चूत है तुम्हारी. बड़ा मज़ा आ रहा हैं इसे चाटने में."

"चाट इसे पराग, कितने प्यार से चाट रहे हो, डार्लिंग," अब मैंने डॉली का रोल प्ले शुरू किया.

"ओह डॉली, देख अब मैं दो उंगलिया घुसेड़ कर तेरी चुत को और सुख देता हूँ एंड उसे और गीली करता हों," ये कहकर पराग ने मेरी पहले से ही गीली चुत को दो उंगलियोंसे चोदना आरंभ किया.

अगले आधे घंटे तक हमारा रोल प्ले चला और फिर धुआंधार सम्भोग के बाद हम दोनों एक दुसरे को लिपट कर सो गए. काफी दिनोंके बाद इतनी कायदे से चुदाई हुई थी. रोल प्ले हमेशा ही सेक्स में तड़का लगाने का काम करता है.

अगले दो-तीन महीनोंतक हम ऐसे ही डॉली से मिलते रहे और वो हमारे करीब आती गयी. रविवार के दिन हम तीनो फिल्म देखने जाते थे और अक्सर पराग को डॉली से स्पर्श करने का कोई न कोई मौका मिल ही जाता. जभी भी वो हमारे घर पर आती थी, हम दोनोंके साथ बिनधास्त हंसी मज़ाक, एडल्ट जोक्स और एक दुसरे के अंगोंको छेड़ना आम बात हो गयी. कई बार तो वो पराग के साथ ही शाम को हमारे घर आ जाती थी. साथ में भोजन करने के बाद ताश, कैरम या अंताक्षरी खेलते थे. फिर देर रात को वो, मैं और पराग (खुद गाडी चलाकर) उसे उसके घर पर छोड़ने जाते थे. उसके सामने मैं और पराग एक दुसरे को चूमना और सहलाना आम बात थी, बल्कि डॉली को भी वो सब देखने में मज़ा आने लगा था.

एक रविवार को हम तीनो दो घंटे जॉगिंग करके आये. घर पर आने के बाद मैंने जान बूझ कर कमर में मोच आने का नाटक किया. फिर पराग और डॉली ने मिलकर मेरी कमर, पीठ और जांघोंकी तेल लगाकर मालिश की. वो करते समय डॉली काफी हॉट हो गयी थी ऐसा पराग ने मुझे बाद में बताया. शायद उसने भी किसी सुन्दर और सेक्सी लड़की को इतना नजदीक से लगभग नंगा देखा नहीं होगा. मालिश करने के समय खुद के कपडे तेल से खराब न हो जाए ये बहाना करके पराग सिर्फ छोटी सी शॉर्ट में ही था. उसकी बालों से भरी और कसरत से कमाई हुई छाती और नंगी जाँघे देखकर भी शायद डॉली उत्तेजित हुई होगी.

दो हफ्तोँके बाद जब हम फिर रविवार की जॉगिंग के बाद मिले तब मैंने कहा, "पिछली बार तुम दोनोने मेरी इतनी अच्छी मालिश की. मैं पूरी तरह ठीक हो गयी और मुझे बड़ा फ्रेश लग रहा हैं. अब इस बार किस की मालिश होगी?"

"अरे यार अनु, वो तो तुम को मोच आयी थी इसलिए हमने मालिश की थी," डॉली ने हँसते हुए कहा. अब वो भी मुझे अनु बुलाने लग गयी थी.

"नहीं यार, मैं चाहती हूँ की मैं तुम दोनोंमेंसे एक को आज मालिश करू," मैं भी ज़िद पर अड़ गयी. मेरी बाते सुन कर पराग मन ही मन मुस्कुरा रहा था.

आखिर कार मैं और डॉली मिलकर पराग की मालिश करेंगे यह तय हुआ.

पराग सिर्फ फ्रेंची पर लेट गया. डॉली को उसके बदन को मसलने में शर्म आ रही थी, मगर उसके भी मन में लड्डू फुट रहे थे, की ऐसे बांके जवान की मालिश करने मिलेगी. कपडोंको तेल लगकर वो ख़राब ना हो जाए ये बहाना कर के मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी पहनकर आयी. मैंने डॉली से भी अपने ऊपर के कपडे उतारने के लिए कहा. मगर वो मानी नहीं. वैसे तो पराग की मालिश करने के लिए उसका तैयार होना ही बहोत बड़ी बात थी.

अब हाथोंमे तेल लगाकर पीठ की मालिश से शुरुआत हुई. पराग की पीठ को हम दोनों मालिश करने लगे, मैं एक तरफ और डॉली दूसरी तरफ से. दस मिनट के बाद अब जांघोंकी मालिश शुरू हो गयी. मैंने देखा की डॉली भी पराग के अध् नंगे बदन को मसलने से काफी उत्तेजित हो गयी थी. डॉली की सांस भारी हो गयी थी, माथे पर पसीना और दिल धक् धक् कर रहा था. मालिश पूरी होने के बाद पराग उठकर नहाने चला गया. तब उसकी फ्रेंची में तना हुआ उसका लंड देखकर डॉली और भी उत्तेजित हुई ऐसा लगा.

फिर रात में मैं और पराग डॉली के बारे में सोचके जबरदस्त सेक्स में जुटे रहे. अगर हमारी ये योजना सफल हो जाती तो मेरी आँखों के सामने मेरा पति पराग हमारी दोस्त डॉली को चोदने वाला था. पता नहीं मगर क्यों मुझे इस बात से बिलकुल जलन की भावना नहीं हो रही थी. शायद मैं पराग से इतना प्यार करती हूँ की उसे खुश देखने के लिए मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हो गयी थी. हो सकता हैं की मैं पराग और डॉली के साथ थ्रीसम भी करने को भी मन बना चुकी थी.

दो हफ़्तों के बाद जब हम जॉगिंग के लिए मिले तब डॉली हमसे आँखें चुरा रही थी, क्योंकि मालिश करवाने की अब उसकी बारी थी. वो पराग के सामने ब्रा और पैंटी में आकर उसीके हाथोंसे मालिश करवाने में शर्मा रही थी. वैसे आज उसकी जवानी कसे हुए टॉप और शॉर्ट्स में गजब ढा रही थी. आज उसके टॉप का गला कुछ ज्यादा ही खुला था, जिससे उसके भरपूर वक्ष लुभा रहे थे. शायद वो अपनी टांगोंकी वैक्सिंग भी करके आयी थी, इसलिए उसकी त्वचा भी चमक रही थी. जॉगिंग करते समय एक दो बार पराग का हाथ उसकी गदराई हुई गांड पर और तंग वक्षोंको लग गया था. इन सब बातोंके कारण पराग की शार्ट में उसका कड़क हथियार तम्बू बनकर खड़ा हो गया था.

इतना अंग प्रदर्शन करने के बाद भी डॉली को पराग के सामने सिर्फ ब्रा और पैंटी में लेटने से लज्जा का अनुभव हो रहा था. जब हम तीनों घर पहुंचे तब मैंने इस समस्या का एक हल निकाला. पहले पराग सिर्फ नीले रंग की फ्रेंची पहन कर आया. उसके बाद मैंने उसकी आँखों पर पट्टी बाँध दी, ताकि उसे कुछ भी दिखाई न दे. इसके बाद डॉली अपने संगमरमर से बदन पर सिर्फ गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहन पर कमरे में आ गयी और पेट के बल लेट गयी. उसका गदराया हुआ मस्त बदन देखकर मैं भी झूम उठी. इतनी हॉट और सेक्सी लड़की के साथ थ्रीसम के ख्याल से मैं भी उत्तेजित हो गयी. न जाने क्यों मेरी योनि से भी गीलापन महसूस होने लगा.

अब कांपते हुए हाथोंसे मैंने डॉली की ब्रा का हुक खोल दिया और दोनों पट्टे बाजू में हटा दिए. अब उसके पूरे बदन पर केवल छोटी सी पैंटी ही थी. मैंने पराग के हाथो में तेल लगाकर उसके हाथ डॉली की नंगी पीठ पर रख दिए. वो कुछ भी देखे बिना डॉली की पीठ को मालिश करने लग गया. जैसे ही पराग के हाथों ने उसके तन को छुआ, डॉली कसमसाने लगी. उसकी मुलायम काया को मसलने से उसका औजार और भी सख्त हो गया. अब किसी भी बात की परवाह किये बगैर पराग ने अपनी फ्रेंची उतार दी और अपने तने हुए लौड़े को आज़ाद किया. पूर्ण रूप से नंगे पराग को सिर्फ पैंटी पहनकर लेटी हुई कामसुन्दरी डॉली की मालिश करते हुए देखना किसी पोर्न फिल्म से कम नहीं था.

दूसरी और से मैं भी उसकी मुलायम पीठ को सहलाने लगी. मालिश करते करते पराग का हाथ अक्सर नीचे डॉली की गांड पर चला जाता था, क्योंकि उसे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था. मालिश करते करते कई बार उसके हाथ डॉली की पैंटी में घुस गए. मुझे पता था की आँखों की पट्टी का तो बहाना था, पराग को डॉली की गांड भी मसलना था. जब जब पराग का हाथ डॉली की पैंटी में घुसता, वो एक मादक सिसकारी भर लेती थी. एक बार भी उसने न गुस्सा किया या पराग को रोकने के लिए भी नहीं कहा. इसका साफ़ मतलब था की वो भी उसको एन्जॉय कर रही थी. कई बार जब पराग मालिश के लिए खड़े रहने की जगह बदलता, तब उसके कड़क लिंग का स्पर्श डॉली के शरीर को हो जाता. हर बार वो रोमांच से काँप उठती थी.

"क्या डॉली मालिश अच्छी लग रही हैं न?" मैंने मुस्कुराते हुए पूंछा.

"हाँ, अनु, बदन एकदम हल्का सा लग रहा हैं, और बहुत मजा आ रहा हैं."

"हाँ, मज़ा तो मालिश करने वाले को भी बड़ा आ रहा हैं," मैंने व्यंग कसते हुए कहा.

फिर मैंने पराग के हाथ डॉली की भरी हुई, मांसल और पुष्ट जाँघों पर रखा और हम दोनों मिलके जाँघोंकी मालिश करने लगे. पराग का हाथ पैंटी के नीचे के हिस्से से अंदर घुसने लगा. फिर वही सिसकारियां और फिर वही पराग का डॉली के सेक्सी शरीर को सलामी देता हुआ लंड. इस सारे माहौल से उत्तेजित होने से मेरी खुद की पैंटी भी पूरी तरह गीली हो गयी.

पराग को डॉली की पिण्डलियोंकी मालिश में लगाकर मैंने अपने दोनों हाथ डॉली की पैंटी में घुसा दिए. मैं उसके गोल मटोल चूतडोंको मसलने लगी. डॉली की उत्तेजना अपनी चरम सीमा पर थी.

अब बिना संकोच किये वह बोल उठी, "आह, अनु, कितना मज़ा आ रहा हैं. तुम कितनी प्यारी हो और कितना अच्छा मसाज कर रही हो. आह, आह, फक, ऐसा सुख पहली बार मिल रहा हैं."

मैंने उसकी पैंटी निकाल कर उसके घुट्नोंतक नीचे कर दी और पूरी ताकत से उसकी गांड को मसलने लगी. जैसे ही मैं उसपर झुकती, मेरे कठोर वक्ष उसपर दब जाते. फिर मुझे भी मस्ती आयी और मैंने पराग के दोनों हाथ डॉली की गांड पर रख दिए और मैं खुद थोड़ा पीछे हट गयी. पराग पूरी लगन से उन भरे हुए नितम्बोँको मसलता गया. बीच बीच में पराग की उंगलिया डॉली के योनि को भी स्पर्श कर रही थी. डॉली को भी समझ में आ गया की ये मर्द के मजबूत हाथ उसकी गांड को मसल रहे हैं और मेरे दोनों हाथोंका स्पर्श नहीं हो रहा है.

"डॉली रानी, अब पराग के बलिष्ठ हाथ की सुपर हॉट मालिश का मज़ा लो. हाय , कितना सेक्सी हैं यह नज़ारा," मैंने कहा और डॉली के सर को प्यार से सहलाने लगी.

Category: Group Sex Stories