खुल्लम खुल्ला प्यार करेंगे भाग 04
by rajNsunitaluv2explore©
इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. यह कहानी एक काल्पनिक कहानी है. आशा है की आप को यह नयी प्रस्तुति पसंद आएगी.
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अब तक आपने पढ़ा:
कहानी के दो पात्र हैं, पराग और अनुपमा. अनुपमा और पराग मुंबई के कॉलेज में मिले, उनके दिल मिले फिर जिस्म मिले. कॉलेज के चार साल तक दोनोंका सेक्स जबरदस्त चलता रहा. उनकी शादी हो गयी और दोनोंने मालदीव में हनीमून मनाया. वहांपर सैकड़ो लोगोंके सामने सम्भोग किया. कुछ दिनों बाद चुदाई में आयी बोरियत को मिटने के लिए पराग अदलाबदली का खेल चाहता था, मगर अनु किसी दुसरे आदमी से चुदवाने के लिए राजी नहीं हुई. फिर अनु के सहायता से ही पराग के ऑफिस की एक लड़की डॉली को दोनोने मिलकर पटाया और उसके साथ थ्रीसम सेक्स का भरपूर आनंद लिया.
गोवा में जब तीनो छुट्टियां मनाने गए, तब एक अमेरिकन कपल माइकल और जूलिया से उनकी मुलाक़ात हुई. डॉली ने माइकल के साथ और पराग ने जूलिया के साथ चुदाई की, मगर अनुपमा माइकल के साथ सेक्स करने के लिए राजी नहीं हुई. कुछ दिनोंके बाद पराग को ब्लैकमेल करने वाला एक लिफाफा मिला.
अब आगे:
चौथा भाग भी पराग की जुबानी है.
लिफाफे के अंदर मिले फोटो, मोबाइल के वीडियो और धमकी भरा खत पढ़ने के बाद तो मेरी बुरी तरह से गांड फट गयी. अगर इसमें से एक भी फोटो या वीडियो अनु के रिश्तेदारोंतक, ख़ास कर उसके पिताजी तक पहुंचा तो मेरी खैर नहीं। अगर ऑफिस में किसी को यह दिख गए तो मेरी नौकरी तो जाती ही थी, साथ में बदनामी होती वो अलग. मैं और अनु समाज में किसीको मुँह दिखाने लायक नहीं रहते. हम दोनों के साथ साथ डॉली की भी बदनामी हो जाती. सबसे बड़ी मुसीबत ये थी की मदद मांगने के लिए किसी के पास जा भी नहीं सकते थे.
शाम को जब मैं घर पहुंचा, तब मेरी सूरत देखकर अनु बोली, "क्या हुआ डार्लिंग, आज तुम्हारा चेहरा इतना उतरा हुआ क्यों हैं?"
"अनु, हम लोग एक बहुत बड़ी मुसीबत में फस गए हैं," लिफाफा उसके हाथोने देते हुए मैं बोला.
फोटो देखकर अनु चिल्लाई, "ओह माय गॉड, ये सब क्या हैं और किसने किया?"
"कुछ पता नहीं, फोटोज के अलावा मोबाइल में वीडियो भी हैं. अपनी तो पूरी खटिया खड़ी हो गयी है."
मैंने उस मोबाइल फ़ोन को चार्जिंग में लगाते हुए आगे कहा, "इसी मोबाइल पर ब्लैकमेलर का कॉल आएगा जो आगे क्या करना हैं ये बताएगा. पता नहीं कितनी बड़ी रकम मांगेगा वो."
"तुम चिंता मत करो डार्लिंग, मैं कुछ भी बहाना करके डैड से पैसे लेकर आ जाऊँगी."
"वो तो ठीक हैं जान, मगर जब तक उसका फ़ोन नहीं आता तब तक कितनी परेशानी रहने वाली हैं, की वो कौन होगा, क्यों ऐसा किया और उसे कितने पैसे चाहिए.."
अगले चार दिन उलझन में गए, हमने डॉली को भी सब बता दिया, वो भी डर के मारे रोये जा रही थी. हम दोनोंने बड़ी मुश्किल से उसे समझाया.
शनिवार की सुबह उस मोबाइल फ़ोन की घंटी बजी.
"हेलो, कौन बोल रहा हैं?"
"मैं तेरा बाप बोल रहा हूँ साले, तेरी जान मेरी मुट्ठीमें हैं पराग."
इसका मतलब था की वो हमें अच्छे से जानता था. वो आदमी फ़ोन पर कपडा जैसा कुछ रख कर आवाज़ बदलने की कोशिश कर रहा था, मगर फिर भी उसकी आवाज जानी पहचानी सी लग रही थी.
अपने डर को छुपाते हुए मैंने कहा, "तुम जो भी हो, तुम्हारी मांग बताओ और फिर सारा नेगेटिव और वीडियो हमको वापस कर दो."
"अरे, इतनी आसानी से कैसे जाने दूंगा तुम तीनोंको? ग्यारह बजे ये फ़ोन लेकर तुम तीनो शॉपिंग मॉल में पहुंचो. फिर मैं इसी फ़ोन पर कॉल करके बताऊंगा की कहा मिलना हैं. हाँ, और एक बात का ध्यान रहे, अगर कुछ भी उलटी सीधी चाल चली या पुलिस के पास गए, तो कितनी बदनामी होगी ये तो तुम जानते ही हो. मेरा दूसरा साथी वो सारी चीज़े..."
"नहीं नहीं, हम ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जैसा तुम कहो, वैसा ही करेंगे. प्लीज, इन चीजोंको अपने पास ही रक्खो."
हमने डॉली को तैयार रहने के लिए फ़ोन किया और उसे पिक अप करके तीनो समय पर शॉपिंग मॉल में पहुँच गए. दस मिनट बाद फिर घंटी बजी.
"मॉल के सामने एक छोटा सा कॉफ़ी शॉप हैं, वहाँ पर आ जाओ."
हम तुरंत वह पहुँच गए. वहाँ जो व्यक्ति खड़ा था उसे देखकर मेरी और डॉली की आँखें फटी की फटी रह गयी.
वो इंसान कोई और नहीं हमारे कंपनी का जनरल मैनेजर निखिल था, इसीलिए मुझे फ़ोन पर आवाज़ पहचानी सी लग रही थी.
निखिल की आयु कोई ३२ के आसपास की होगी. अनु ने उसे आज तक देखा नहीं था, इसलिए वो मेरी और प्रश्नार्थक रूपसे देखने लगी.
फिर पता चला की कुछ महीने पहले निखिल ने डॉली को पटाने की काफी कोशिश की थी, मगर डॉली ने उसे ठुकरा दिया था. उसी अपमान का बदला लेने के लिए उसने एक निजी जासूस (प्राइवेट डिटेक्टिव) डॉली के पींछे लगा दिया था. उसीने वो सारे फोटो और वीडियो लिए थे.
"निखिल सर, प्लीज मुझे माफ कर दीजिये. आप जो कहोगे, मैं वही करूंगी. मगर हमें इस मुसीबत से बचा लीजिये," डॉली ने रोते हुए कहा.
"निखिल सर, मैं आप को मुँह मांगी रकम। .."
मुझे आधे में ही रोक कर निखिल ने कहा, "पराग, तुम्हें क्या लगता हैं, ये सब मैंने पैसोंके लिए किया?"
"नहीं, सॉरी सर, आप हमें माफ़ कर दीजिये."
"अगले वीकेंड पर हम चारो खंडाला जाएंगे. एक बड़ा सा सूट बुक करो. एक ही बिस्तर पर मैं डॉली को चोदता रहूंगा और तुम तुम्हारी अनु डार्लिंग को."
"ओके निखिल सर, उसके बाद प्लीज..."
"देखेंगे, डॉली मुझे कितना खुश करती हैं, उसपर सारा निर्भर हैं. और हाँ, पुलिस या किसी के भी पास जाने की कोशिश की तो.."
"नहीं सर, हम समझ गए, हम ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे."
चेहरे पर विजय का हास्य लेकर निखिल वहाँ से चला गया, और हम तीनो सोच में डूबे रहे. आखिर मैंने कहा की घर जाकर ही आगेका प्लान बनाना चाहिए. यहाँ, कॉफ़ी शॉप में सबके सामने ये सब बाते करना उचित नहीं था.
घर पहुँच कर अनु और डॉली सिसकिया लेकर रोने लगी. मैंने दोनोंको समझा बूझा कर शांत किया. निखिल की बात मानने के सिवाय हमारे पास कोई और चारा नहीं था.
निखिल के कहने के अनुसार होटल की बुकिंग की गयी, अनु और डॉली दोनों वैक्सिंग करके पूरी चिकनी बन गयी. शुक्रवार की रात को हम खंडाला के होटल में पहुंचे. सूट में निखिल पहले से ही आ गया था.
डॉली: "निखिल सर, आप जो बोलोगे वो मैं करूंगी, मगर प्लीज आप कंडोम पहन कर सेक्स करिये."
"क्यों, तू तो पिल्स लेकर पराग से बिना कंडोम चुदती हो न, फिर मैं क्यों कंडोम लगाउ?"
निखिल का विवाह हो गया था मगर उसकी पत्नी कुछ महीने पहले ही उसे छोड़ कर चली गयी थी. शायद तभी से वो डॉली के पीछे पड़ा था. अब डॉली को जैसा जी चाहे चोदने का सुनेहरा मौका उसके पास था.
"सिर्फ जब मैं तेरी गांड मारूंगा, तभी कंडोम लगाऊंगा, वह भी मेरी सुरक्षा के लिए."
"नहीं निखिल सर, प्लीज, आज तक मैंने अपनी गांड नहीं चुदवाई है. प्लीज ऐसा मत किजीये."
"साली, जब मैं तुझे प्यार से पूंछ रहा था था तब मेरे साथ डिनर के लिए भी आने से इंकार करती थी, अब आज पहले तेरी चूत में अपना लौड़ा डालूँगा और फिर तुझे घोड़ी बनाऊंगा, और तेरी यह गोल गोल मस्त गांड भी चोद डालूंगा. साली रंडी, ये देख, ये वैसलीन की इतनी बड़ी शीशी क्या अचार डालने के लायी हैं क्या?"
निखिल की आंखोंमे अजीब चमक थी, जिससे मुझे डर लग रहा था.
उस सूट में आलिशान बेड था जिसपर निखिल ने डॉली को धकेल दिया और उसके कपडे खींचकर उतारने लगा. डॉली की आंखोमें आंसू थे मगर आज सभी बेबस थे. मैं भी लाख चाहने पर कुछ नहीं कर पा रहा था और खून का घूँट पीकर यह गया.
डॉली का टॉप और स्कर्ट उतर जाने के बाद वो काले रंग की ब्रा और छोटी सी चड्डी में आ गयी. निखिल ने उसकी ब्रा को खींच तानकर अलग किया और उसके भरपूर कठोर वक्षोंको दोनों हाथोसे आटे की तरह गूंधने लगा. बारी बारी एक एक निप्पल को चूसकर दातोंसे चबाने लगा. पीड़ा के मारे डॉली रोती रही मगर निखिल पर जैसे भूत सवार था. जोरके झटके से उसकी काली पैंटी भी फाड़ दी. अब डॉली पूर्ण नग्नावस्था में उसके सामने हताश और असहाय पड़ी थी.
अपने खुद के कपडे उतारते हुए निखिल ने कहा, "पराग, अनु, तुम दोनों भी नंगे होकर मेरे और डॉली के बाजू में लेट जाओ और ऐसी मस्ती से चुदाई करो जैसे की सिर्फ तुम दोनों ही इस बिस्तर पर हो."
सीधी सी बात थी की वह मेरी प्यारी अनुपमा डार्लिंग के नंगे बदन को देखना चाहता था और उसे चुदते हुए देखना चाहता था.
निखिल पूरा नंगा हो गया. उसके शरीर पर जगह जगह घने बालोंका जंगल था, और उसका आठ इंच का मोटा लौड़ा अपनी पूरी गर्मी में उठा हुआ था.
"चल रंडी, अब चुदने का मजा ले, मेरे पास कोई फोरप्ले नहीं , कुछ नहीं, सिर्फ पलंगतोड़ चुदाई."
"और तुम दोनों, चलो जल्दी नंगे होकर फकिंग में लग जाओ. देखु तो सही ये इतनी सुन्दर अनु नंगी कैसी लगती हैं."
निखिल ने डॉली की जाँघे अलग की और एक ही झटके अपना लौड़ा उसकी योनि में घुसा दिया. पहले झटके में आधा अंदर चला गया और दर्द के मारे डॉली चिल्लाने लगी. उसकी कोई परवाह किये बगैर निखिलने दूसरा झटका लगाया और अब उसका लगभग पूरा लिंग घुस गया. डॉली के वक्षोंको मसलते और रगड़ते हुए वो उसे जंगली जानवर की तरह चोदने लगा.
निखिल और नाराज़ न हो, इसलिए मैंने अनु के सारे कपडे उतार दिये और स्वयं भी नंगा हुआ. निखिल तो मानो डॉली का प्रायः बलात्कार ही कर रहा था, फिर भी वो दृश्य देखकर न जाने क्यों मेरा लौड़ा भी पूरा सख्त हो गया.
मैंने भी अनु को डॉली के बाजू लिटाया और उसकी चूत चाटने लगा. शायद बाजू में चल रही पलंगतोड़ चुदाई देखकर अनु भी उत्तेजित हो रही थी, इसलिए उसने मुझे सिक्सटी नाइन में आनेका हमारा हमेशा का इशारा (मेरी पीठ पर उंगलिया गोल घुमाई) किया. मैं झट उसपर उलटा हो गया और उसकी योनि को अपनी जीभ और होठोंसे सुख देने लगा.
आश्चर्य की बात ये थी की अनु की चूत हमेशा से ज्यादा गीली थी और लगातार कामरस की धरा बह रही थी. मैं भी उस रस की एक एक बूँद चाटता गया और अनु जैसे मेरे सख्त लिंग को चबा चबा कर खाने के प्रयास में थी.
निखिल डॉली को मसलता और चोदता गया, कुछ समय बाद उसकी आंखोंसे आंसू रूक गए. शायद वो भी इस आक्रामक संभोग को पसंद करने लगी थी. इतने में निखिल बोला, "चल छिनाल, अब घोड़ी बन. पहले तुझे पीछे से चोदूंगा और फिर तेरी गांड के बारे में सोचेंगे."
डॉली चुपचाप डॉगी पोज में आ गयी और फिर से निखिल ने उसको पीछे से चोदना चालु किया. अब निखिल कभी डॉली के लटकते हुए स्तनोंका मर्दन करता और कभी उसकी गांड पर पूरी ताकत से चांटे मारता. उन चाटों से डॉली के गांड लाल हुई जा रही थी.
मैं और अनु भी सिक्सटी नाइन से निकलकर मिशनरी पोज में चुदाई में लग गए.
"हाय, क्या सॉलिड माल मिला हैं तेरे को, साले फिर भी बाहर मुँह मारता फिरता हैं! अगर ये डॉली तुम दोनोंके बजाय तीन महीने पहले मुझे अपना सेक्स पार्टनर बना लेती, तो आज का यह दिन देखना नहीं पड़ता हरामी," डॉली को चोदते चोदते निखिल बोला।
बिना कुछ कहे मैं अनु डार्लिंग की टांगों में अपना लंड पेलता गया. निखिल की नजरे अनु की बड़ी बड़ी छातियों पर ही अटकी हुई थी.
जाहिर बात थी, की निखिल कोई शक्ति-वर्धक गोलिया खा कर आया था, ताकि उसका लंड जल्दी पानी नहीं छोड़े.
दो मिनट के बाद, वो हुआ, जिसके बारे में हम तीनोंने सोचा भी नहीं था.
"चल पराग, अब तू इधर आ और मैं तेरी अनु डार्लिंग को चोदूंगा."
"मगर आप तो सिर्फ डॉली.." अनु ने कुछ बोलने की कोशिश की, मगर उसे बीच में से काटकर निखिल बोलै, "अबे रंडी, तू गोवा में उस माइकल के साथ सब कुछ कर रही थी और अब मेरे सामने नखरे कर रही हैं."
"नहीं निखिल सर, वहाँ भी मैंने माइकल को चोदने नहीं दिया, उसके अलावा बाकी सब कुछ.."
"अब आज वो कमी भी पूरी होगी. साली, तेरेको क्या लगा, की मैं तुझे यहाँ सिर्फ मेरा और डॉली का सेक्स शो देखने के लिए लाया हूँ?" एक विकट हास्य करते हुए निखिल ने मुझे अनु के शरीर से बाजू में धकेल दिया और अनु के नंगे बदन पर सवार हो गया.
जैसे ही अनु की गीली चूत में निखिल ने अपना लौड़ा डाल दिया, वो भी डॉली की तरह चिल्ला उठी.
"उइ माँ, मर गयी, बाहर निकालो इसे प्लीज."
अब निखिल पर भूत, पिशाच सब सवार थे, वो अनु की टाँगे फैलाकर उसमें अपना लिंग घुसेड़ते गया. एक के बाद एक धक्के मारकर अपना पूरा लिंग अनु के अंदर पेल दिया.
ये सब देख कर मैं तो हक्का बक्का हो गया था. डॉली भी डर के मारे चुपचाप देख रही थी.
"पराग, चल अब तू ये नज़ारा देखेगा और उसी समय डॉली तेरा लौड़ा चूसेगी. इतना चूसेगी की तेरा पूरा पानी उसके मुँह में झड़ जाए."
पूरी तरह अपमानित और पराजित हो कर जैसे मेरा शरीर पुतले की तरह अकड़ गया.
"डॉली, चूस उसको, जल्दी," निखिल ने फ़रमाया.
"सॉरी पराग, मुझे माफ़ कर दो," इतना कहकर डॉली ने मेरा पूरी तरह मलूल और लटकता हुआ लिंग अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
निखिल ने मुझे ऐसी जगह खड़ा किया था की मैं निखिल-अनु का संभोग अच्छे से देख सकूं और वो मेरे लंड को डॉली द्वारा चूसने का सीन अच्छे से देख सके.
शर्मिंदगी के मारे मेरे पसीने छूट रहे थे और चेहरा गुस्से से लाल हो गया था. मैं बड़ी मुश्किल से अपने आप पर नियंत्रण रक्खे हुए था, मगर यह क्या हो रहा था?
मेरी प्यारी अनु को वो ब्लैकमेलर निखिल बड़ी बेरहमी से उसकी इच्छा के विपरीत एक जंगली भेड़ियेके जैसा चोद रहा था, और वो दृश्य देखकर धीरे धीरे मेरा लिंग खड़ा होने लगा. फिर मुझे याद आया की, मेरी पार्टनर स्वैपिंग की इच्छा थी जिसमे अनु मेरी आँखों के सामने किसी गैर पुरुष से चुदती। आज वो इच्छा एक अलग तरह से ही सही मगर पूरी हो रही थी. जैसे जैसे निखिल अनु के शरीर को मसलता गया और अपने लम्बे चौड़े लिंग से उसकी योनि में लगातार आघात करता गया, मेरा लौड़ा सख्त और लम्बा होने लगा.
डॉली मेरे लौड़े को चूसकर मुझे और भी पागल करने लगी. कुछ समय पहले जैसे डॉली की आँखों से आंसू रुक गए थे, वैसे ही अब मेरी अनुपमा की आँखोसे भी आसूं बहना बंद हुआ और मुझे ऐसा लगा की वो निखिल के पागलोंकी तरह संभोग का सुख लेने लगी.
आखिर कार अनु से रहा नहीं गया और उसके मुँह से आवाज़ निकलने लगी, "यस, यस, फक मि, आह, आह, और जोर से , यस फक मि, हार्डर, आह."
अति प्रसन्न होकर निखिल चिल्लाया, "यस, रांड, छिनाल, कैसे मजे लेकर चुद रही है तू, आह ,ले और पेलता हूँ तुझे. देख हरामी, तेरी बीवी कैसे मुझसे चुद रही हैं और मेरे लौड़े से मजे ले रही है. अब मैं इसकी चूत में ही मेरा पानी छोडूंगा. ओह फक, यस्स।"
अगले पंद्रह मिनट तक यही सिलसिला चलता रहा. कभी मिशनरी तो कभी डॉगी पोज में निखिल अनुको चोदता गया और अनु जैसे स्वर्ग की सैर कर रही थी. निखिल तो सुख की परमावधि पर था.
मैं एक बार अपना वीर्य डॉली के मुँह में झड़ चूका था, और डॉली फिर उसे खड़ा करने की कोशिश में थी. मगर निखिल अभी भी पूरी ताकत लगाकर चोदने के काम में लगा हुआ था. अब निखिल को लगा की उसका पानी जल्द ही निकलने वाला हैं.
तभी मेरे अपने मोबाइल फ़ोन एक मैसेज आया. जैसे ही मैंने मैसेज पढ़ा, मैंने ड्रावर में रखा हुआ लोहे का मजबूत डंडा निकाला और निखिल के सर पर मार दिया. उसी समय उसका पानी मेरी अनु डार्लिंग की चूत में छूटा और उस के सर से खून की धारा भी निकली. निखिल बेहोश होकर बेडपर गिर गया, अनु उसके नीचे से हटकर जमीन पर आ खड़ी हुई.
इस अचानक घटना से डरी हुई अनु और डॉली दोनों चिल्लाकर मेरी तरफ देखने लगी. मैंने अपने होठोंपर ऊँगली रखके उन्हें चुप होने के लिए कहा. मैंने एक फ़ोन किया और पांच मिनट में अपने कपडे पहनकर हम तीनो रूम से बाहर निकले. जैसे हम बाहर आये, दरवाजे पर खड़े तीन मुश्टण्डे अंदर गए और उन्होंने निखिल को ख़तम कर दिया. कुछ घंटो में उसकी लाश भी ठिकाने लगा दी.
ये क्या हुआ, कैसे हुआ, क्यों हुआ..अब उन फोटोग्राफ और वीडियो का क्या, जो निखिल के प्राइवेट डिटेक्टिव के पास थे? इतनी बड़ी जोखिम मैंने क्यों उठाई?
इन सब सवालोंके जवाब अगले भाग में.