Category: Incest/Taboo Stories

नेहा का परिवार 16

by SEEMASINGH©

नेहा का परिवार

लेखिका:सीमा

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CHAPTER 16

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१३१

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नसीम आपा पीठ पर लेते दोनों हाथों और टांगों को फैलाये गहरी गहरी साँसे ले रहीं थीं। समलैंगिक प्यार की उत्तेजना किसी और सम्भोग की उत्तेजना का मुकाबिला कर सकती है। मैंने एक बार फिर से नसीन आपा के गदराये लुभावने शरीर के रस का नेत्रपान किया। साढ़े पांच फुट का कद। सत्तर किलो का गुदाज़ बदन। चौड़े गोल कंधे। गोल सुडौल बाहें। केले के तने जैसी गोरी गोल भरी-भरी जांघें। भरी-भरी पिंडलीं। सुडोल टखने। नसीम आपा के वज़न का हर किलो हुस्न में इज़ाफ़ा कर रहा था।

तब मैंने पहली बार गौर किया कि उनकी फ़ैली बाँहों की बगलें रेशमी बालों से ढकीं थीं। शानू और मैं आपा के दोनों तरफ उनकी बाँहों में मुंह छुपा कर लेट गयीं।

" आपा अपने अपनी बगलों में रेशमी जंगल कब से उगने दिया?" मैंने उनकी फड़कते उरोज को सहलाते हुए पूछा।

आपा हंस दीं , मंदिर की घंटियों जैसी मधुर संगीत भरी हंसी , " नेहा मैंने गलती से शब्बो बुआ से शर्त लगा ली। तुझे तो पता है हमारी बुआ की बगलों में उनके घुंघराले रोमों से भरी हैं। उन्होंने मुझे उकसा दिया। और मैंने बुद्धुओं के जैसे गलत शर्त लगा ली कि मैं भी अपनी बगलों में उनके घने बगलों जैसे रोएं ऊगा सकती हूँ। पर अब मुझे पता लग रहा है कि पहले तो मेरे रोएं सीधे है जब कि बुआ के सूंदर घुंघराले हैं। और मेरी बगले बड़ी मुश्किल से भर रहीं हैं। लगता है मैं बुरी तरह हारने वालीं हूँ। "

" आदिल भैया यानि जीजू को मेरी बड़ी बहन की भरी बगलें कैसे लगीं?" मैंने अपना मुंह आपा की बगल में दबा दिया। हमारे लम्बे समलैंगिक सम्भोग और प्यार की गर्मी और मेहनत से हम तीनो के बदन पसीनों की बूंदों से चमक रहे थे। मेरे नथुनों में आपा की मोहक सुगंध समां गयी।

" अरे नेहा बुआ मुझे पक्का वायदा दिया था कि आदिल तो होश गवां देंगें मेरी बगलों को देख कर। और वही हुआ। आदिल मुझे चोदते हुए मेरी बगलों को बिना थके चूस चूस कर गिला कर देतें हैं। " नसीम आपा ने मेरे चुचूक को मसलते हुए बताया।

शानू ने भी अपनी बड़ी बहन के दुसरे उरोज को मसलते हुए रोती से आवाज़ में कहा , " मेरी बगलों में रेशा भी नहीं है। "

" मेरी रांड कमसिन नन्ही बहन तेरी तो अभी झाँटें उगना भी नहीं शुरू हुईं है। इन्तिज़ार कर। जब तेरे जीजू तेरी झांटों को देखेंगें तो पागल हो जाएंगें। तेरी चूत को चोद - चोद कर फाड़ देंगें। "

शानू ने नसीम आपा के बगलों के रेशों को चूसते हुए बड़ी बहन का ताना बेशर्मी से हँसते हुए सहा ," आपा मेरी चूत फाड़ने का तो अब पूरा हक़ है जीजू को। "

मेरे हाथ बहकते हुए आपा के घनी घुंघराली झांटों से ढकी कोमल चूत की फांकों को सहला रहे थे। नसीम आपा सिसक उठी , " आह नेहा धीरे ," मैंने उनके उन्नत भाग-शिश्न को मसल दिया था।

शानू ने मेरा साथ देते हुए आपा के उरोज के ऊपर आक्रमण बोल दिया। शानू ने अपनी बड़ी बहन के चुचूक को कस कर चूसना शुरू कर दिया। और शानू अपने नन्हें दोनों हाथों से उनके भरी विशाल स्तन को कस कर मसले भी लगी।

आपा सिसक उठीं , " हाय तुम दोनों छिनालों को सब्र नहीं है क्या? अभी कुछ लम्हों पहले ही तो मुझे घंटे भर रगड़ा है तुम दोनों ने। "

आपा ने शिकायत तो की पर उन्होंने एक हाथ से अपनी छोटी बहन का मुंह अपने फड़कते उरोज के ऊपर और दुसरे से मेरे हाथ को अपने चूत के ऊपर दबा दिया।

मैंने अपनी दो उँगलियाँ आपा की गुलाबी चूत के सुरंग में घुसाते हुए अपने अंगूठे से उनके मोठे सूजे भग-शिश्न [ क्लिटोरिस ] को लगी।

आपा की सिसकारी कमरे में गूँज उठी।

नसीम आपा के होंठ खुल गए। उनके अध-खुले लम्बी-लम्बी भरी साँसें उबलने लगीं। मेरी उत्सुक उँगलियों ने नसीम आपा नसीम आपा की रेशमी चिकनी योनि की सुरंग के आगे की दीवार पे छोटा खुरदुरा स्थल ढूंढ लिया और उसे तेज़ी से सहलाने लगीं। नसीम आपा के बड़े गुदाज़ चूतड़ बिस्तर से उठ कर चहक गए।

" हाँ हाय रब्बा ऐसे ही... नेहा ,,... उन्न्नन्नन हाँ ज़ोर से ... उन्न्नन्नन्न ," नसीम आपा सिसकारियों ने हम दोनों को और भी उत्साहित कर दिया।

थोड़ी देर में ही नसीम आपा की हल्की से चीख निकल गयी और उनका गुदाज़ बदन ऐंठ गया। नसीम आपा भरभरा कर झड़ रहीं थीं।

मुझे अचानक बहुत ही उत्तेजक विचार आया।

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१२८

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" अच्छा छोड़ पहले चल नहा धो कर तैयार हो जातें हैं, नसीम आपा के आने से पहले।" मैं शानू को हाथ से पकड़ कर अपने कमरे के स्नानगृह में ले चली।

मैंने और उसने एल दुसरे को खूब सहला सहला कर नहलाया। फौवारे की बौछार के नीचे हम दोनों कमसिन लड़कियां एक दुसरे के शरीर से खेलते खेलते वासना ग्रस्त हो गयीं।

" शानू, तूने तो मुझे पूरा गरम कर दिया। अब चल मेरी आग बुझा। " मैंने शानू के साबुन के झागों से ढकी चिकनी चूचियों को मसलते हुए सिसकी मारी।

"नेहा मेरी चूत भी पानी मार रही है। कुछ कर ना ," शानू भी पीछे नहीं रही और मेरे गदराये उरोज़ों को कास कर मसल रही थी।

मैं समझ गयी कि मुझे ही पहल करनी पड़ेगी।

मैंने पानी की बौछार में दोनों के बदन के साबुन को साफ़ करके शानू को धीरे से फर्श पर लिटा दिया। फिर मैंने विपरीत दिशा में मुड़ कर अपनी धधकती चूत को उसके खुले मुंह के ऊपर टिका दिया। जब तक शानू कुछ कहती मेरा मुंह उसकी चिकनी चूत के ऊपर चिपक गया।

मेरी जीभ शानू के गुलाबी नन्हे पपोटों के बीच छुपे उसकी कमसिन चूत की गुफा में में दाखिल हो गयी।

शानू सिसक उठी और उसकी ज़ुबान और होंठ भी मेरी चूत के सेवा में लग गए। मैंने शानू की चूत में एक उंगली डाल उसे चोदते हुए उसके भग-शिश्न [क्लाइटोरिस] को चूसने, चुब्लाने लगी। उसके चूत से बहते काम-रस की मीठी सुगंध मेरे नथुनो में भर गयी। मेरी चूत में से भी पानी बहने लगा।

मैं शानू की चूत को उसके भगांकुर को चूस रही थी। शानू भी काम नहीं थी। उसने मेरे भाग-शिश्न को दांतों से हलके से दबा कर मेरी गांड में एक उंगली डाल दी थी। दूसरी उंगली मेरी चूत को खोद रही थी।

स्नानगृह की दीवारें हम दोनों की सिस्कारियों से गूँज उठीं।

अचानक शानू का बदन ज़ोर से अकड़ उठा और वो कस कर सिसकते हुए बोली , " काट मेरे भग्नासे को नेहा। चोद मेरे चूत। मुझे झाड़ दे जल्दी से। "

मैं भी कगार पर थी। मैंने शानू की चूत का तर्जनी मंथन तज़कर दिया और उसके भाग-शिश्न को दांतों से चुभलाते हुए जीभ से झटके देने लगी।

शानू ने मेरे मलाशय का उंगली-चोदन की रफ़्तार बड़ा दी और मेरी चूत में धंसी उंगली से मेरी चूत की अगली दीवार को कुरेदते हुए मेरे भग्नासे को कस कर चूसने लगी।

हम दोनों एक हल्की सी चीख मार कर एक साथ झड़ने लगीं। हम दोनों बड़ी देर तक वैसे हीचिपके लेती रहीं।

आखिर में मैं शानू के ऊपर से उठी और उसके पास फर्श पर बैठ गयी। मैंने अपनी उँगलियाँ चाट कर उसके रति-रस का स्वाद चटखारे लेते हुए कहा, " कैसा लगा मेरी चूत का स्वाद। तेरी चूत का रस तो बहुत मीठा है शानू। "

" भी बहुत मीठी है। अब तेरी गांड का स्वाद भी चख लूंगीं ," शानू ने मुस्करा कए मेरी गांड में से ताज़ी-ताज़ी निकली उंगली को कस कर चूस कर साफ़ कर दिया, " ऊम्म्म्म नेहा तेरी गांड का स्वाद भी बहुत अच्छा है। "

शानू की इस हरकत से मैं गनगना उठी।

मैंने फुसफुसा कर कहा , "शानू मुझे भी अपना सुनहरी शर्बत पिला ना री। "

इस बार शानू शरमाई नहीं , " ज़रूर नेहा। तू भी मुझे अपना शर्बत पिलाएगी ना?"

नेकी और बूझ-बूझ? मैंने पहल की। शानू अब जीजू को पिलाने के तजुर्बे से सीख गयी थी। उसने अपनी धार को काबू में रख कर मेरा मुंह कई बार अपने सुनहरी मीठे-खारे शर्बत से भर दिया। मैंने भी चटखारे लेते हुए कितना हो सकता था पी गयी। फिर भी मैं शानू की मूत्रधार के स्नान से गीली हो गयी।

शानू ने बिना झिझक मेरी झरने की सुनहरी धार को खुले मुंह में ले लिया। कई बार मुंह भरा और शानू ने बेहिचक गटक लिया। मैंने भी उसे अपने सुनहरे फव्वारे से नहला दिया।

हम दोनों खिलखिला कर हंस दी और फिर एक दुसरे को बाँहों में भींच कर खुले हँसते मुंह से बहुत गीला ,लार से लिसा चुम्बन देना शुरू किया तो रुके ही नहीं।

आखिर में फिर से नहा कर मैंने थकी-थकी सी शानू को पौंछ कर सुखाया और उसे बाँहों में भर कर बिस्तर पर पलट लिया। हम दोनों समलैंगिक स्मभोद के अतिरेक से मीठी थकान से उनींदे हो गए। फिर पता नहीं कब वाकई सो गए।

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१२९

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" अरे ये दोनों छिनालें कहाँ छुप गयीं हैं? मैं पांच मिंटो से घर में हूँ और दोनों का कोई पता नहीं है?" हम दोनों नसीम आपा की सुरीली आवाज़ से जग गए। हम दोनों जब तक संभल या समझ पातीं की दोनों पूरे नगें है तब तक नसीम आपा का नैसर्गिक सौंदर्य हमारी आँखों को उज्जवल कर रहा था।

" आपा आप कब आयीं? "शानू से शर्मा कर सपने ऊपर चादर खींचने की कोशिश की।

"अरे ढकने की क्या ज़रुरत है अब। दोनों ने पूरा तमाशा तो पहले ही दिखा दिया है। अब ढकने को रह ही क्या गया है? "नसीम आपा ने लपक कर बिस्तर पे चढ़ गयी और हम दोनों की बीच लेट गयीं।

"मेरी प्यारी छोटी बहन तुझे कितने दिनों बाद देखा है ," नसीम आपा ने मुझे बाँहों में भर कर मेरे खुले मुस्कराते मुंह को ज़ोर से चूम कर कहा।

मैं भी नसीम आपा की बाँहों में इत्मीनान से शिथिल हो गयी, " देख तो तेरी चूचियाँ कितनी मोटी और बड़ी हो गयीं है री। किस से मसलवाते हुए चुदवा रही है तू?" नसीम आपा ने मेरी दोनों चूचियों को अपने हांथों में भरते हुए पूछा।

"आपा आपकी चट्टानों जैसी चूचियों से तो बहुत पीछे हैं मेरी दोनों। जीजू ने खूब मसल मसल कर कितना बड़ा और उन्नत कर दिया है दोनों को "मैंने भी नसीम आपा की दोनों महा-चूचियों को सहलाते हुए कहा।

नसीम आपा मुझे तीन साल बड़ी थीं। उनकों उन्नीसवां लगने वाला था एक महीने में। उनका गदराया बदन पहले से ही पूरा भरा-भरा था पर शादी के छह महीनो में तो और भी गदरा गया था। उनके उन्नत उरोज़ कुर्ते से फट कर बहार आने के लिए मचल रहे थे।

"नसीम आपा अब आपकी बारी है जीजू के हाथों के कमाल को दिखने की ," मैंने पलट कर आपा को अपनी बाँहों में भर लिया ,"चल शानू देख क्या रही है। चल आपा को नंगा कर। "

नसीम आपा ने थोड़ा बहुत मुकाबिला किया पर उनका मन भी अपनी छोटी बहनों को नंगा देख कर मचल उठा था, " देखो, चुड़ैलों, खुद नगें हो कर लिपट कर बिस्तर में लोट पोट करती हो और ऊपर से अपनी आपा को भी खींचने की कोश्सिश कर रही हो अपने नंगेपन में।?

पर जल्दी ही उनका कुरता फर्श था। उनकी से उनके विशाल उरोज़ मुश्किल से संभल पा रहे थे। शानू ने उनकी ब्रा उतार फेंकी और मैंने उनकी सलवार का नाड़ा खोल कर उसे उतार कर अलग कर दिया।

जब तक नसीम आपा नाटकीय विरोध करतीं मैंने उनकी सफ़ेद कच्छी भी खींच कर उन्हें सम्पूर्ण नग्न कर दिया।

नसीम आपा का यौवन भगवान ने समय लगा कर खूब मन लगा कर बहाया होगा।

पांच फुट पांच इंच लम्बी , पूरे भरे कमनीय सुडौल शरीर की मलिका , देवी सामान सुन्दर गोरा चेहरा, घुंघराले लम्बे काले बाल -यदि नैसर्गिक सौंदर्य का कोई नाम देना होता तो मैं उसे " नसीम आपा ' का ख़िताब दे देती।

नसीम आपा के उरोज़ों को उठान उनकी गोल भरे-बाहरी थोड़े से उभरे उदर के नीचे घने घुंघराले झांटों से भरी ढंकी उनकी योनि और फिर केले के तने जैसे गोल मटोल जांघें। क़यामत ढाने वाला सौंदर्य था नसीम आपा का।

नसीम आपा ने मौका देख कर मुझे और शानू एक एक बाज़ू में दबा कर चिट बिस्तर पर लेट गयीं।

"अच्छा अब बता किस लंड से चुदवा कर तू इतनी गदरा गयी है मेरी नेहा ," नसीम आपा ने मेरी नाक की नोक को चूमते हुए कहा।

" आपा नेहा की कुंवारी चूत बड़े मामा ने चोदी है। उसके बाद सुरेश चाचू ने भी इसकी खूब चुदाई की है। " शानू ने जल्दी से मेरे चुदाई-अभियान की शुरुआत का ब्यौरा कर दिया।

"शानू आपा को पहले ये बता कि तेरी कुंवारी चूत को कल किसने चोदा है?" मैंने झट से नसीम आपा का ध्यान बेचारी शानू की तरफ कर दिया।

" क्या वाकई नेहा? शानू तूने आखिर में अक्ल का इस्तेमाल कर ही लिया। सच बता तूने अपने जीजू को अपनी चूत वाकई सौंप दी या नहीं?" नसीम आपा ने चहकते हुए ज़ोर से पूछा।

"हाँ आपा , कल नेहा ने जीजू को मेरे लिए मना लिया ," शानू ने शरमाते हुए कहा।

" अरे फिर शर्मा क्यों रही है। आखिर तेरे जीजू ने कितना इंतज़ार किया है तेरे लिए। चल बता खूब चोदा क्या नहीं आदिल ने?" नसीम आपा ने शानू के दोनों नीम्बुओं को मसलते हुए चिढ़ाया।

"हाय आपा , आदिल भैया ने... नहीं नहीं मेरा मतलब जीजू ने ना जाने कितनी बार मुझे पहले दिन चोदा। बहुत बेदर्दी से चोदते हैं जीजू ," शानू का सुंदर दमकते हुए चेहरे की मुस्कान कुछ और ही कह रही थी।

" अरे आदिल ने दूसरी साली को क्यों छोड़ दिया? " नसीम आपा ने मेरी और देखते हुए पूछा।

"छोड़ा कहाँ आपा। पहले पहल तो मेरी चूत की ही कुटाई हुई। चूत की ही नहीं मेरी गांड का भी भरकस बना दिया जीजू ने, " मैंने नसीम आपा के भरी मुलायम उरोज़ों को सहलाते हुए बताया।

" हाय नेहा तूने गांड भी मरवा ली अपने जीजू से!" नसीम आपा ने मेरी बायीं चूची ज़ोर से मसलते हुए मुझे चूम लिया।

"हाँ आपा , आपकी इस नालायक छोटी बहन ने ये ही शर्त रखी थी। कि यदि मैं जीजू से गांड मरवा लूंगी तो ये महारानी अपने जीजू को अपनी चूत मारने देगी ," अब हाथ फैला कर नसीम आपा के केले के तने जैसे चिकनी गदराई रान को सहलाते हुए कहा।

" तो रात में तुम दोनों की खूब कुटाई की मेरे आदिल ने?" नसीम आपा ने हल्की सी सिसकारी मारी। मेरे हाथ अब उनके प्रचुर यथेष्ठ नितिम्बों पर थे।

" नहीं जीजू को मुझे अकेले ही सम्भालना पड़ा। तभी तो मेरी हालत बिलकुल इतनी ढेली कर दी जीजू ने ," शानू ने जल्दी से सफाई दी।

" तो तू फिर कहाँ थी?" नसीम आपा ने स्वतः ही असली मुद्दा उठा दिया।

" आपा कल मेरी कुटाई चाचू कर रहे थे ," मैंने बम फोड़ दिया।

इस बात के धमाके से नसीम आपा की बोलती कुछ देर तक बंद हो गयी।

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१३०

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कुछ देर बाद ही नसीम आपा बोल पाईं , "हाय रब्बा, नेहा तूने वाकई अब्बू के साथ चुदाई की कल रात?"

"नसीम आपा क्या बताऊँ चाचू बेचारे इतने महीनों से भूखे थे की उन्होंने मेरी चूत और गांड की तौबा बुला दी अपने घोड़े जैसे लंड से ठोक ठोक कर। " मैंने नसीम आपा की भारी हो चलीं साँसों को नज़रअंदाज़ करते हुए कहा।

" नेहा मुझे कितना रश्क हो रहा है इस वक्त। मैं थोड़ी सी भी बहादुर होती तेरी तरह तो कब की अब्बू के कमरे में जा चुकी होती। काश मैं अपने प्यारे अब्बू के अकेलेपन को अपनी जवानी से दूर कर पाने की हिम्मत जुटा पाती। इस बेटी की जवानी का क्या फायदा जब जिस अब्बू ने इसे जनम दिया उसी अब्बू के काम ना आये तो? " नसीम आपा बहुत भावुक हो गयीं।

" नसीम आपा ज़रा मेरी बात सुने पहले। मैंने कल चाचू के साथ बहुत खुल कर बात की और... " और फिर मैंने नसीम आपा को पूरा किस्सा सुना दिया।

नसीम आपा खिलखिला उठीं , "हाय अल्लाह की नेमत है तू नेहा। वाकई अब्बू की मेरे लिए चाहत इतने सालों से दबी हुई थी। मैं जैसे तूने मंसूबा बनाया है वैसे ही चलूंगी। "

अचानक हम तीनों एक दुसरे से लिपट कर रोने लगे। लड़कियों की इस क़ाबलियत का कोई मुकाबिला नहीं कर सकता। जब दुखी हों तो रों पड़ें और जब बहुत खुश हो तो भी रों पड़ें।

जब हम तीनो का दिल कुछ हल्का हुआ तो हम तीनों पागलों की तरह खिलखिला कर हंस पड़ीं। और बड़ी देर तक हंसती रहीं।

काफी देर बाद नसीन आपा ने कहा ,"नेहा तू मुझे सारी रात का ब्यौरा बिना एक लफ्ज़ काम किये दे दे। मुझे खुल कर बता कि कैसे कैसे अब्बू ने तुझे चोदा और क्या क्या कहा। उन्हें क्या ज़्यादा अच्छा लगता है और कैसे तुखसे उन्होंने करवाया। कुछ भी नहीं छुपाना। पूरा खुलासा दे दे नेहा। मेरा सब्र अब टूटने वाला है। "

मुझे नसीम आपा के अपने अब्बू के लिए इतना प्यार देख कर रहा नहीं गया। मैंने चाचू और अपने बीच हुए घनघोर लम्बी चुदाई का पूरा खुलासा देना शुरू कर दिया।

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जब तक मैंने पूरी रात की कहानी बहुत खुलासे और सुचित्रित प्रकार से सुनाई तब तक शानू का मुंह अपनी बड़ी बहन की चट्टान जैसी उन्नत चूची पर कसा हुआ था। मैंने दूसरे उरोज़ को मसलते हुए अपने दूसरे हाथ को नसीम आपा की धमाके दार जंगों के बीच में छुपे ख़ज़ाने की गोह को सहलाने में मशगूल कर दिया।

कहनई पूरी होते ही नसीम आपा सिसकारी मरते हुए फुसफुसाई, "कैसी नमकहराम बहनों हो दोनों, एक ने मेरे खाविंद अपने जीजू का लंड पूरी रात खाया दूसरी ने मेरे वालिद मेरे अब्बू का लंड पूरी रात खाया और अब दोनों अपनी बड़ी बहन आपा को अच्छे से चोदने की जगह देखो कैसे नाटक कर रहीं है मरी चुचीओ और चूत के साथ ," नसीम आपा के उल्हानों ने मानों हम दोनों का कोई छुपा बटन दबा दिया। मैं लपक कर नसीम आपा की टांगों के बीच में डुबकी मारने लगी। शानू ने अब बेहिचक अपनी बड़ी बहन के एक चुचूक ज़ोर चूसते हुए दूसरे चुचूक को मड़ोड़ना और मसलना शुरू कर दिया। नसीम आपा ने सिसक कर अपनी नन्ही बहिन का मुंह अपने मुंह के ऊपर जकड लिया।

नसीम आपा और शानू खुले मुंह से बहुत गीले और लार आदान-प्रदान करने वाले चुम्बन में जुड़ गयीं। मैंने नसीम आपा की तूफानी जांघें फैला कर उनके गीले मोहक सुंगंधित स्त्री धन के गुफा के पर्दों को अपनी जीभ से खोल कर उनकी नैसर्गिक गोह में घुसा दिया। नसीम आपा की दबी दबी सिसकारी ने कमरे में संगीत की लय खोल दी।

शानू ज़ोरों से अपनी आपा के उरोज़ों का मर्दन कर रही थी। मैं उनकी चूत को अपनी जीभ से चोदते हुए उनके भग-शिश्न को अपने अंगूठे से रगड़ रही थी - बेदर्दी से, बहुत ज़ोर से।

नसीम आपा की सिस्कारियां शानू के मुंह में दबी नहीं रहीं पर कमरे में गूँज उठी। उनका सत्तर किलो का गुदाज़ सुडौल शरीर अब बिस्तर से उझलने लगा।

मैंने शानू से कहा , " शानू, आपा के मुंह पर अपनी चूत दबा कर उनकी चूचियों को मसल। "

शानू मेरा इशारा तुरंत समझ गयी। उसने झट से उठ कर अपने चूतड़ नसीम आपा के मुंह पर टिका दिए। उसकी गांड और चूत अब नसीम आपा के मूंग के ऊपर थी। शानू नसीम आपा के ऊपर उल्टी लेट गयी। नसीम आपा ने अपनी छोटी बहिन के चूतड़ कस कर मसलते हुए उसकी चूत को अपने मुंह पर दबा ली।

मैंने नसीम आपा की चूत में दो उँगलियाँ घुसा कर उनके मोटे लम्बे गुलाबी भग-शिश्न को अपने मुंह में काबू कर लिया। नसीम आपा की सिसकारी ने मुझे और शानू को बहुत उत्तेजित कर दिया।

"नेहा, काट ले आपा की चूत। घुसा दे अपना पूरा हाथ उनकी चूत में। चोद आपा की चूत नेहा," शानू वासना के उत्तेजना के असर से चिल्लायी।

मैंने भी कोई कसर नहीं छोड़ी। शीघ्र मेरी उँगलियाँ, एक नहीं दो, आपा की गांड में थीं, मेरी दूसरी दो उँगलियाँ उनकी चूत में , और मेरा अंगूठा और मुंह उनके तड़पते भग-शिश्न पर। और शानू की सुगन्धित चूत उनके मुंह पर और शानू के हाथ और मुंह उनके फड़कते उरोज़ों के ऊपर सितम ढा रहे थे।

हम दोनों ने दिल लगा कर नसीम आपा को समलैंगिक प्यार से डूबा दिया।

नसीम आपा कांपते हुए कई बार झड़ गयीं। उन्होंने गाली दे कर, प्यार की दुहाई दे कर हमें रुक जाने की गुहार लगाई पर शानू और मैंने उन्हें घंटे भर तक नहीं छोड़ा। आखिर में नसीम आपा अनगिनत बार झड़ कर ना केवल शिथिल हो गयी बल्कि बेहोश सी हो कर गहरी गहरी साँसे लेते आँखे बंद कर सो सी गयीं।

मैंने नसीम आपा की गांड और चूत के रस से लिसी अपनी उँगलियाँ स्वाद लेते हुए शानू के साथ मिल बाँट कर चूस चाट कर साफ़ कर दीं।

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नसीम आपा पीठ पर लेते दोनों हाथों और टांगों को फैलाये गहरी गहरी साँसे ले रहीं थीं। समलैंगिक प्यार की उत्तेजना किसी और सम्भोग की उत्तेजना का मुकाबिला कर सकती है। मैंने एक बार फिर से नसीन आपा के गदराये लुभावने शरीर के रस का नेत्रपान किया। साढ़े पांच फुट का कद। सत्तर किलो का गुदाज़ बदन। चौड़े गोल कंधे। गोल सुडौल बाहें। केले के तने जैसी गोरी गोल भरी-भरी जांघें। भरी-भरी पिंडलीं। सुडोल टखने। नसीम आपा के वज़न का हर किलो हुस्न में इज़ाफ़ा कर रहा था।

तब मैंने पहली बार गौर किया कि उनकी फ़ैली बाँहों की बगलें रेशमी बालों से ढकीं थीं। शानू और मैं आपा के दोनों तरफ उनकी बाँहों में मुंह छुपा कर लेट गयीं।

" आपा अपने अपनी बगलों में रेशमी जंगल कब से उगने दिया?" मैंने उनकी फड़कते उरोज को सहलाते हुए पूछा।

आपा हंस दीं , मंदिर की घंटियों जैसी मधुर संगीत भरी हंसी , " नेहा मैंने गलती से शब्बो बुआ से शर्त लगा ली। तुझे तो पता है कर थकते बुआ की बगलों में उनके घुंघराले रोमों से भरी हैं। उन्होंने मुझे उकसा दिया। और मैंने बुद्धुओं के जैसे गलत शर्त लगा ली कि मैं भी अपनी बगलों में उनके घने बगलों जैसे रोएं ऊगा सकती हूँ। पर अब मुझे पता लग रहा है कि पहले तो मेरे रोएं सीधे है जब कि बुआ के सूंदर घुंघराले हैं। और मेरी बगले बड़ी मुश्किल से भर रहीं हैं। लगता है मैं बुरी तरह हारने वालीं हूँ। "

" आदिल भैया यानि जीजू को मेरी बड़ी बहन की भरी बगलें कैसे लगीं?" मैंने अपना मुंह आपा की बगल में दबा दिया। हमारे लम्बे समलैंगिक सम्भोग और प्यार की गर्मी और मेहनत से हम तीनो के बदन पसीनों की बूंदों से चमक रहे थे। मेरे नथुनों में आपा की मोहक सुगंध समां गयी।

" अरे नेहा बुआ मुझे पक्का वायदा दिया था कि आदिल तो होश गवां देंगें मेरी बगलों को देख कर। और वही हुआ। आदिल मुझे चोदते हुए मेरी बगलों को बिना थके चूस चूस कर गिला कर देतें हैं। " नसीम आपा ने मेरे चुचूक को मसलते हुए बताया।

शानू ने भी अपनी बड़ी बहन के दुसरे उरोज को मसलते हुए रोती से आवाज़ में कहा , " मेरी बगलों में रेशा भी नहीं है। "

" मेरी रांड कमसिन नन्ही बहन तेरी तो अभी झाँटें उगना भी नहीं शुरू हुईं है। इन्तिज़ार कर। जब तेरे जीजू तेरी झांटों को देखेंगें तो पागल हो जाएंगें। तेरी चूत को चोद - चोद कर फाड़ देंगें। "

शानू ने नसीम आपा के बगलों के रेशों को चूसते हुए बड़ी बहन का ताना बेशर्मी से हँसते हुए सहा ," आपा मेरी चूत फाड़ने का तो अब पूरा हक़ है जीजू को। "

मेरे हाथ बहकते हुए आपा के घनी घुंघराली झांटों से ढकी कोमल चूत की फांकों को सहला रहे थे। नसीम आपा सिसक उठी , " आह नेहा धीरे ," मैंने उनके उन्नत भाग-शिश्न को मसल दिया था।

शानू ने मेरा साथ देते हुए आपा के उरोज के ऊपर आक्रमण बोल दिया। शानू ने अपनी बड़ी बहन के चुचूक को कस कर चूसना शुरू कर दिया। और शानू अपने नन्हें दोनों हाथों से उनके भरी विशाल स्तन को कस कर मसले भी लगी।

आपा सिसक उठीं , " हाय तुम दोनों छिनालों को सब्र नहीं है क्या? अभी कुछ लम्हों पहले ही तो मुझे घंटे भर रगड़ा है तुम दोनों ने। "

आपा ने शिकायत तो की पर उन्होंने एक हाथ से अपनी छोटी बहन का मुंह अपने फड़कते उरोज के ऊपर और दुसरे से मेरे हाथ को अपने चूत के ऊपर दबा दिया।

मैंने अपनी दो उँगलियाँ आपा की गुलाबी चूत के सुरंग में घुसाते हुए अपने अंगूठे से उनके मोठे सूजे भग-शिश्न [ क्लिटोरिस ] को लगी।

आपा की सिसकारी कमरे में गूँज उठी।

नसीम आपा के होंठ खुल गए। उनके अध-खुले लम्बी-लम्बी भरी साँसें उबलने लगीं। मेरी उत्सुक उँगलियों ने नसीम आपा नसीम आपा की रेशमी चिकनी योनि की सुरंग के आगे की दीवार पे छोटा खुरदुरा स्थल ढूंढ लिया और उसे तेज़ी से सहलाने लगीं। नसीम आपा के बड़े गुदाज़ चूतड़ बिस्तर से उठ कर चहक गए।

" हाँ हाय रब्बा ऐसे ही... नेहा ,,... उन्न्नन्नन हाँ ज़ोर से ... उन्न्नन्नन्न ," नसीम आपा सिसकारियों ने हम दोनों को और भी उत्साहित कर दिया।

थोड़ी देर में ही नसीम आपा की हल्की से चीख निकल गयी और उनका गुदाज़ बदन ऐंठ गया। नसीम आपा भरभरा कर झड़ रहीं थीं।

मुझे अचानक बहुत ही उत्तेजक विचार आया।

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मैंने नसीम आपा को उनकी बायीं तरफ पलट दिया। शानू को मैंने नसीम आपा के अगले भाग को सौंप पिछवाड़ा खुद सम्भाल लिया।

जब तक नसीम आपा अपने लम्बे चरम - आनंद के आक्रमण से सभलतीं शानू का मुंह उनकी चूत के ऊपर था। मैंने उनके भारी चूतड़ों को फैला दिया। उनके नितम्ब किसी मर्द की भी लार टपकाने में सक्षम थे।

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