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ससुर से पट ही गयी बहु रानी

by haldwani©

मेरा एक ही बेटा है नज़ीर और उसकी माँका देहांत तभी हो गया जब वो १६ साल का था। मैंने उसे एक बोर्डिंग स्कूल में डाला और वो engineer बन गया और उसने बंगलोर मेंएक कम्पनी में नौकरी कर ली।जब वो २४ साल का था तो मैंने उसकी शादी के लिए लड़कियाँ देखनी शुरू कीं। यहाँ ये बता दूँ कि पत्नी के देहांत के बाद मैंने अपनी ऑफ़िस की औरतों को पटा के चोदने का काम जारी रखा।मैंने कभी किसी के साथ ज़बरदस्ती नहीं की,मैं ऐसी औरतों को पटाता था जो की किसी कारण से दुखी होती थीं।ज़्यादातर औरतें अपनी पतियों से शारीरिक या मानसिक रूप से असंतुष्ट थीं और कुछ को पैसा चाहिए था। मेरा काम चल रहा था मुझे ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं थी।बस नज़ीर के लिए एक अछी सी लड़की चाहिए थी।

नज़ीर की शादी हो गयी. शादी के बाद हमारी बहु घर आ गयी, और इस तरह नूरी हमारी बहु बन गयी।

नज़ीर और नूरी की सुहागरत के बाद मैंने उनका सारा समान बंगलोर भेज दिया और वो दोनों कुछ दिन मेरे पास रह कर बंगलोर चले गए।मैं फिर अपने नोर्मल काम और चूदाइ मेंव्यस्त हो गया।मैं अब भी नग़मा को सलमा की चूत दिलवाने को बोलता था, पर वो टाल जाती थी। ख़ैर ऐसे ही दिन कट रहे थे कि एकदिन नज़ीर का फ़ोन आया कि उसको अमेरिका जाना होगा २ साल के लिए और नूरी को वीज़ा मिलने तक उसको मेरे साथ रहना होगा,वो भी चाहती है कि इसी बहाने वो आपकी सेवा कर लेगी।मैंने कहा ठीक है।

फिर वो दोनों वापस आ गए और ३ दिन बाद नज़ीर को अमेरिका जाना था। रात को मुझे प्यास लगी तो मैं किचन में गया और पानी पीकर वापस आने लगा तो मुझे कुछ घुटी हुई सी आवाज़ आइ तो मैं समझ गया कि बच्चे चूदाइ में मस्त होंगे,तभी नूरी की हल्की से चीख़ने की आवाज़ आइ जैसे वो लड़ रही हो।मुझे थोड़ा अजीब लगा और उत्सुकता वश मैं एक खिड़की के पास आकर अंदर की आवाज़ सुनने लगा, उधर नूरी नज़ीर को किसी बात के लिए मना कर रही थी, पर शायद वो मान नहीं रहा था।अब मुझसे रहा नहीं गया और मैंने अंदर पर्दा हटाने झाँका।अंदर का दृश्य जैसे मुझे स्तब्ध कर गया, नूरी पूरी नंगी पीठ के बल लेती हुई थी। उसका साँचें में ढला बदन बहुत ही कामुक दिख रहा था,और नज़ीर अपना खड़ा लंड अपने हाथ से मसल रहा था, और उसको उलटा होने को बोल रहा था।वो मना कर रही थी।फिर वो बोली: मुझे ये समझ नहीं आता की आपको सामने से ज़्यादा पीछे से करने में क्यों ज़्यादा मज़ा आता है? और मुझको पिछवाड़े मेंबहुत दर्द होता है। नज़ीर बोला: मैंने कल तो तुम्हारी चूत मारी थी आज गाँड़ मरवा लो।नूरी: मुझे नहीं मरवानी हैं गाँड़, मुझे बहुत दुखता है।नज़ीर भी ज़िद पर अड़ा था, मुझे बड़ा अजीब लगा, मैं भी गाँड़ प्रेमी हूँ पर मैंने हमेशा रज़ामन्दी से ही गाँड़ मारी है,ऐसी ज़बरदस्ती कभी की ही नहीं।ख़ैर थोड़ी देर के बाद नज़ीर ने हार मान कर उसकी चूतमें लंड डाल दिया और सिर्फ़ १० मिनट चोदने के बाद वो झड़ गया।मुझे लगा कि शायद नूरीतृप्त नहीं हुई थी,पर मैं पक्का नहीं कह सकता था। बाद मेंमुझे अपने पर शर्म आइ किमैंने अपने बच्चों की चूदाइ देखी।

अब दिन मेंभी मैंने ग़ौर किया की नूरी और नज़ीर मेंउतना प्यार नहीं है जितना उसकी माँऔर मुझमें था शादी के बाद।ख़ैर अब मुझे भी चस्का पड़ गया था और रात को मैं फिर उनकी चूदाइ देखने पहुँच गया। आज नूरी गाँड़ मरवाने को मान गई।अब वो चौपाया बन गयी और उसके उठे हुए नितम्बों को देखकर मैं भी पागल हो गया और फिर नज़ीर ने थूक लगाके उसकी गाँड़ मारनी शुरू किया और क़रीब दस मिनट तक नूरी कराहती रही और वो उसकी गाँड़ में झड़ गया।

मुझे आज भी लगा की नूरी को मज़ा नहीं आया है।अगले दिन नूरी लँगड़ा कर चल रही थी। मैंने अनजान बनकर पूछा : बेटी क्या हुआ लँगड़ा क्यों रही हो, वो बोली डैडी कुछ नहीं बाथरूम में पैर फिसल गया था, मैं बोला बेटी वहाँ दवाई लगा लो। ऐसा बोलते हुए उसकी गाँड़ की सूजन का सोचके मेरा लंड खड़ा होने लगा।अब तक मैं नूरी के बदन का दीवाना हो चुका था और उसके नाम की मूठ मार लेता था।

फिर नज़ीर चला गया और नूरी मेरे पास रहने लगी, उसके यहाँ रहने के कारण मैं नग़मा को घर नहीं ला सकता था और मेरी चूदाइ बन्द थी, और मेरा ठरकी लंड मुझे तंग कर रहा था।दिन मेंघर में हरसमय सजी धजी नूरी दीखाई देती थी और मुझे उसका नंगा बदन याद आता था।इस बीच में उसकी माँ और उसकी मौसी यानी मेरी नग़मा भी उससे मिलने आयीं और मेरा लंड और गरम कर गयीं।कुछ दिन बाद मैं पानी लेने किचन मेंगया और फिर मुझे नूरी के कमरे से अजीब सी आवाज़ आ रही सुनाई दी। मैंने खिड़की से झाँका और सन्न रह गया।नूरी ने अपना गाउन अपनी छाती से भी ऊपर उठा रखा था और अपनी छातियाँ मसलते हुए अपनी चूत मेंऊँगली कर रही थी और सिसकारियाँ भर रही थी। क़रीब १५ मिनट तक वो अपनी चूतके दाने को सहलाती और उँगली अंदर बाहर करती रही और फिर एक घुटी हुई चीख़ के साथ वो झड़ गयी।मुझे को काटो ख़ून नहीं।अपनी प्यारी बहू की नंगी जवानी देख कर मैं सब रिश्ते भूल गया और उसको चोदने का मन बना लिया।कमरे में आके मैंने मूठ मारी, और सो गया।

अगले दिन मैं जानबूझकर बिस्तर पर पड़ा रहा, नूरी ने देखा की मैं सुबह की चाय भी नहीं पीने के लिए बाहर आया हूँ तो वो कमरे के दरवाज़े को खटखटाई और बोली: डैडी आप ठीक तो हैं। अभी तक बाहर नहीं आए?

मैं : बेटी शरीर दुःख रहा है, बुखार सा लग रहा है।

वो बोली: मैं अंदर आ जाऊँ?

मैं: हाँ बेटी आ जाओ।

वो अंदर आके मेरे पास आयी,उसने रात वाला गाउन पहना था,वो झुक कर मेरे माथे पर हाथ रखी और बोली: डैडी बुखार तो नहीं लग रहा है आपको।उसके झुकने से उसकी गोलायियाँ मुझे गाउन से दिखने लगी और मेरा लंड तनने लगा।फिर वो बोली: डैडी चाय यहीं ला देती हूँ, और बाहर जाने लगी। मैंने उसके मस्त नितम्बों को देखा और आह कर उठा।वो थोड़ी देर बाद चाय लायी और साइड टेबल पर रख दी। मैंने ऐसे नाटक किया जैसे उठने में भी कष्ट हो रहा हो,फिर उसने मुझे सहारा देने के लिए मेरे सर के पीछे हाथ रखा और मुझे उठाने की कोशिश करने लगी। कहाँ वो नाज़ुक कली और कहाँ मैं भैंस जैसा मर्द,पर मैंने उठने का नाटक किया और उसकी छातियाँ मेरे मुँह से भीड़ गयीं।वो हड़बड़ाके पीछे हुई,तब तक मैं बैठ गया था और फिर उसने मुझे चाय दी।फिर वो मेरा सर दबाने लगी, मैंने उसे बिस्तर पर बैठने का इशारा किया और उसके बैठते ही उसके कुल्हे मेरे बदन से टकरा गए। आह कितने नरम थे उसके कुल्हे। मेरा लंड अब तन गया था, उसको छिपाने के लिए मैंने अपने घुटने मोड़ लिए।उसके बदन से उठने वाली ख़ुशबू जैसे मुझे पागल कर रही थी।फिर वो बोली:डैडी नज़ीर का फ़ोन आया था, आपके बारे में पूछ रहे थे, मुझे बोले किडैडी का पूरा ध्यान रखना। मैंने कहा की हाँ और आज ही देखिए आप अपनी तबियत ख़राब करके बैठ गए। मैं बोला: अरे बेटी कुछ नहीं हुआ है, तुम्हारी सेवा से मैंअभी ठीक हो जाऊँगा, तुम्हारी हाथ की चाय और ये जो मेरा सर दबा रही हो मुझे अच्छा लग रहा है,बस अब सिर्फ़ पीठ का दर्द है, वो भी ठीक हो ही जाएगा। वो फ़िक्रमंद होकर बोली: आप उलटे लेट जायीये मैं पीठ भी दबा देती हूँ।मैं उलटा लेट गया और वो मेरी पीठ दबाने लगी।मैंने कहा बेटी ज़रा कुर्ता उठा के दबा दो।वो थोड़ा झिझकी पर उसने कुर्ता ऊपर किया और उसके नर्म हथेलियों के स्पर्श से मेरे नीचे दबा लंड जैसे टूटने को आ गया।अब वो बोली: डैडी आराम मिला क्या? मैं बोला: हाँ बेटी बहुत अच्छा लगा पर ज़रा नीचे करो वहाँ ज़्यादा दुःख रहा है।उसका हाथ नीचे गया और मेरे चूतरों तक पहुँचने के पहले रुक गया। अब वो मेरी पीठ से लेकर मेरे चूतरों के पहले तक ही दबा रही थी, जब उसका हाथ नीचे को जा रहा था और मेरे चूतरों के पहले रुकने वाला था मैं बोला: आह बेटी थोड़ा और नीचे तक जाओ।इसका मतलब साफ़ था कि उसको मेरी चूतरों के दरार में हाथ डालना पड़ेगा।मैंने अपनी कमर उठाके कहा : बेटी थोड़ा पजामा नीचे कर लो।अब मैंने साइड मेंलगे शीशे मेंउसके चेहरे पर उलझन के भाव देखे और फिर उसने पजामा नीचे किया अब मेरी चूतरों की दरार उसके सामने थी,उसने अपना हाथ धीरे से नीचे किया और उसका हाथ मेरी दरार में चला गया। मैंने कहा: हाँ यहीं और थोड़ा नीचे यहीं तक दर्द है। वो थोड़ा हिचकते हुए अपना हाथ नीचे मेरी गाँड़ के ठीक पहले तक ले गयी, मेरे उस हिस्से मेंबहुत बाल थे, वो बोली: डैडी आपके शरीर मेंकितना बाल है।सब जगह बाल ही बाल है। मैंने कहा: अरे बेटी मर्द के शरीर में तो बाल होता ही है, नज़ीर के बदन मेंनहीं है। वो शर्मा कर बोली: जी है तो पर इतना नहीं। तभी बात करते हुए उसका हाथ बेध्यानी मेंमेरी गाँड़ के छेद को छू गया। मैंने देखा कि वो काँप उठी थी।मैंने भी जानबूझकर आह की आवाज़ निकाली। वो बोली: डैडी क्या हुआ? मैं बोला: वो बेटी तुम्हारा हाथ मेरी गा-- मतलब मेरी नीचे वाले छेद में छू गया और वो जगह बड़ी सेन्सिटिव होती है ना, इसीलिए आह निकल गयी। वो शर्मा गयी और बोली: सारी डैडी वो ग़लती से हाथ वहाँ छू गया। मैं बोला: अरे बेटी तो क्या हुआ,मुझे तो बहुत अच्छा ही लगा, पर वो क्या है ना पता नहीं तुमको शायद गंदा लगा होगा, वहाँ छूना।मैंने जानबूझकर बात को आगे बढ़ाया। वो बोली: नहीं डैडी ऐसा कुछ नहीं,वो मेरा मतलब है की मेरा हाथ ग़लती से वहाँ लग गया था।मैं बोला: बेटी फिर क्या हुआ,थोड़ा सा और दबा दो फिर शायद मैं ठीक हो जाऊँगा।नीरू ने फिर से मेरी पीठ दबानी शुरू की और उसका हाथ इस बार गाँड़ के छेद से पहले ही वापस हो गया, पर मैं भी मस्ती मेंथा, मैंने ज़ोर से खाँसने का नाटक किया और अपने बदन को ऊपर खिंच लिया अब उसका हाथ फिर से मेरी गाँड़ जे छेद पर आ गया।अब वो थोड़ी सी असमंजस की स्तिथि मेंथी।उसका हाथ अभी भी मेरी गाँड़ पर ही था।मैंने अपनी कमर ऊपर नीचे करके उसका हाथ अपनी गाँड़ पर रगड़ लिया।फिर वो होश मेंआइ और उसने अपना हाथ बाहर निकाल लिया।अब वो अभी आती हूँ कहके चली गयी। उसकी छातियाँऊपर नीचे हो रही थी।मैं समझ गया था कि वो उत्तेजित हो गयी है। यही तो मैं चाहता था।

मैं थोड़ी देर में नहा कर बाहर आया और नूरी बोली: अरे आप बाहर क्यों आए,आराम करिए ना।

मैंने मुस्करा के कहा: अरे तुम्हारी सेवा से मैं एकदम ठीक हूँ। फिर मैंने जानबूझकर उसको सताने के लिए कहा: बेटी, तुमने हाथ धोया या नहीं?

वो बोली: आप ऐसा क्यों पूछ रहे हैं?

मैं बोला: अरे बेटी तुम्हारा हाथ मेरे पीछे मतलब वहाँ लग गया था ना, इसीलिए पूछा।

वो शर्म से लाल होकर बोली: छी डैडी आप भी ना, वो तो मैंने उसी समय धो लिया था।

फिर मैं बोला: अब,आज ऑफ़िस की छुट्टी है चलो तुम्हारी माँ के घर चलते हैं, उनको भी अच्छा लगेगा।या तुम चाहो तो मैं तुम्हें शॉपिंग करा लाता हूँ।और चाहो तो मूवी भी देख लेना।

वो बोली:डैडी, माँ तो पापा के पास गयी हैं, कुछ दिनों के लिए,हम शॉपिंग ही कर लेते हैं।और आज बाहर खाना खाएँगे।

मैंने कहा: चलो ये ठीक है,मैंने भी अपनी बहु को कोई गिफ़्ट नहीं दिया है, चलो आज दिलाएँगे।

वो ख़ुश होकर तय्यार होने गयी।जब वो तय्यार होकर आइ तो मेरा लंड फिर से सर उठाने लगा। उसने नाभि दर्शना बहुत ही पतली सी साड़ी पहनी थी,जिसने उसके चूचे बड़े दिख रहे थे और उसका गोरा पेट और उसके उभरे नितम्ब तो जैसे मेरे लंड को कड़क किए जा रहे थे।मुझे इस तरह अपनी ओर देखते हुए देख कर वो शर्मा कर बोली: डैडी,चलना नहीं है क्या?

मैं होश में आकर बोला:चलो बेटी,अब चलते हैं।

हम बाहर आए और कार से एक ज़ौहरी की दुकान मेंपहुँचे।वहाँ उस दुकान के मालिक ने कहा: अरे सलमान भाई, बड़े दिन बाद आए । मैंने कहा: हाँ भाई ये हमारी बहु है, इनके लिए अछे ज़ेवरात दिखाओ।उसने हमें एक कमरे में बैठा दिया और एक सेल्ज़ मैन आया और हमें हार दिखाने लगा। मैंने कहा: बेटी इसको गले में पहन कर देखो, कैसा लगता है? वो उठके शीशे के सामने खड़ी होकर हार अपने गले में रख कर बोली: डैडी, ये कैसा है?

मैंने उसकी चूचियों को घूरते हुए कहा: अच्छी हैं बेटी, बड़ी बड़ी हैं।

वो हड़बड़ा करके बोली: आप क्या बोल रहे हैं?

मैं समझ गया की मेरे मुँह से ग़लत बात निकल गई है, मैंने बात सम्भालते हुए कहा:मेरा मतलब है अच्छा बड़ा हार है।

वो बोली: पर डैडी ज़्यादा सुंदर नहीं है।भय्या और दिखाओ।

उसने कई हार दिखाए और आख़िर एक हार हम दोनों को पसंद आ गया। उसने दाम पूछा, वो बोला: तीन लाख।वो बोली: ये तो बहुत महँगा है, कोई दूसरा दिखायीये।

मैं बोला: हम यही लेंगे,और उस सेल्ज़ मैन को बोला: जाओ बिल बनाओ। उसके जाने के बाद मैं बोला: बेटी पहन के देख लो एक बार।

वो शीशे के सामने जाके पहन्ने लगी।वो उसका पेंच नहीं लगा पा रही थी। मैं उसके पीछे जा कर खड़ा हुआ और उसके हार का पेंच लगा दिया। ऐसा करते हुए मैंने अपना लण्ड उसके नितम्बों पर दबा दिया।उसने मेरे खड़े लंड को महसूस किया पर वो हटी नहीं। मेरा मन खिल उठा।फिर मैंने उसके हार को ठीक करने के बहाने उसकी छातियों पर हार को अजस्ट किया।मेरा हाथ उसकी छातियों को छूने लगा।पर उसने विरोध नहीं किया।अब मेरा लंड उसके नितम्बों पर अच्छी तरह से चुभ रहा था और मेरा मुँह उसके गले को छू रहा था और मेरा हाथ उसकी छातियों पर था। तभी किसी के आने की आहट हुई और मैं उससे अलग हो गया।वो भी थोड़ा सतर्क हो गयी।

फिर मैंने अपना क्रेडिट कार्ड से बिल पटाया और बाहर आ गए। नूरी ने वो हार का पैकेट ले लिया और अपने पर्स मेंडाल लिया।फिर जब वो कार मेंबैठी तो बोली: डैडी, आपने इतना महँगा हार क्यों ले लिया, आपका बेटा मुझसे नाराज़ होगा,की मैंने आपके इतने पैसे क्यों खर्चाए?

मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया और बोला: अरे बेटी, पहली बार तुम्हें कोई उपहार दिया है तो वो बढ़िया ही देंगे ना।

उसने अपना हाथ बग़ैर खिंचे हुए हमको एक प्यारी सी मुस्कान दी। मैंने उसका हाथ सहलाते हुए बोला: बेटी चलो अब तुम्हें कुछ मस्त कपड़े दिलवाते हैं, जिसमें तुम बहुत सुंदर लगोगी।

वो बोली: और ख़र्च करेंगे तो ये ग़ुस्सा होंगे।

मैं बोला: अरे उसे बताना ही नहीं। वो मुस्कुरा दी।

थोड़ी देर बाद हम एक शानदार शो रूम में पहुँचे वहाँ मैं उसको साड़ीवाले काउंटर में ले गया और हम स्टूल पर बैठ कर साड़ियाँदेखने लगे। क़रीब एक घंटे लगे उसे एक साड़ी पसंद करने में।वो हर साड़ी को अपने ऊपर लपेट के देखती और मुझसे पूछती कि वो कैसी लग रही है। और मैं हर बार उसको मस्ती भरे कामेंट्स देता जाता। जैसे बहुत सुंदर या सेक्सी या मस्त और आख़िरमेंमैंने उसके कान में कह दिया की मस्त माल लग रही हो, और उसको दिखा कर अपना लंड पैंट के ऊपर से मसल दिया। वो थोड़ी सी सकपका गयी। उसको शायद मुझसे ऐसी उम्मीद नहीं थी।फिर साड़ी लेकर मैं उसे एक दूसरे काउंटर पर ले गया जहाँ नाईटी मिल रही थी,वो बोली: डैडी मुझे नहींचाहिए मेरे पास है। मैं बोला: अरे तुम्हारी नाईटी मुझे नहीं पसंद हैं, ज़रा मस्तवाली लो ना।फिर जब वो नाईटी पसंद कर रही थी मैं उसके बग़ल में खड़ा था और मैंने हिम्मत करके उसकी कमर पर हाथ रख दिया,उसने कोई विरोध नहीं किया।मैंने एक पारदर्शी नाईटी पसंद की काले रंग की, और बोला: बेटी,ये तुम्हारे गोरे रंग पर बहुत सुंदर लगेगी।वो धीरे से बोली: पर डैडी इसमें सब दिखेगा ना। मैं बोला: अरे तुम घर पर ही तो पहनोगी कोई बाहर तो नहीं पहनोगी।फिर मेरा हाथ उसकी कमर को सहलाते हुए मैंने नीचे खिसकाया और उसके नितम्ब पर रख दिया। मेरा दिल धड़क रहा था कि कहीं वो नाराज़ ना हो जाए।पर उसने ऐसा दिखावा किया किजैसे उसे फ़र्क़ ही नहीं पड़ा।फिर भी मैंने उसके नितम्बों को नहीं दबाया बस सिर्फ़ हाथ रखे रहा।फिर मैंने उसके कान मेंकहा कि कुछ अंडर गर्मेंट्स तो नहीं लेना?

वो बोली: लेना है पर आपको उधर जाना पड़ेगा क्योंकि आपके सामने लेने मेंमुझे शर्म आएगी।मैंने उसको कान मेंकहा: इसने शर्म की क्या बात है, सभी ब्रा पैंटी पहनते हैं,और मैंने ख़ुद काउंटर वाली लड़की को कहा: इनको अछी ब्रा और पैंटी दिखाओ।उस लड़की ने साइज़ पूछा और नूरी के गाल शर्म से लाल हो गए,वो मुझे धीरे से बोली:इसीलिए मैं आपको कह रही थी किआप उधर चले जाओ।पर मैंने अब हिम्मत करके उसके नितम्बों पर हाथ फेरा और उसकी छातियों को घूर के धीरे से उसके कान में बोला:३६ की तो होंगी तुम्हारी,मेरी बीवी की तुमसे बड़ी थीं और वो ३८ की लेती थी।ये सुन कर वो और लाल हो गयी और बोली: डैडी आप भी ना, बड़े बेशर्म हो।फिर वो उस लड़की को ३६ साइज़ का ही दिखाने को बोली।अब मैं समझ गया था कि वो मुझसे पट रही थी। सो मैंने उसके नितम्बों को हलके से दबा दिया,वो मुझे धीरे से बोली:डैडी क्या कर रहे हैं, कोई देख लेगा ना।मेरा मन ख़ुशी से खिल उठा, मैं समझ गया की उसको कोई ऐतराज़ नहीं है जब तक कोई ना देखे।मैं उसके पीछे आ गया और अब मेरा लंड उसके नितम्बों पर था और मेरा हाथ उसके कमर और पेट को सहला रहा था साड़ी के अंदर से।वो धीरे से आह कर उठी, और ब्रा फ़ाइनल करती रही।हमारी हरकत उस ऊँचे काउंटर की वजह से किसी को नहीं दिख सकती थी।फिर उसने पैंटी दिखाने को कहा,और जब वो पसंद कर रही थी तो मैं धीरे से बोला: अरे वो जाली वाली लो ना उसमें तुम मस्त दिखोगी। वो बोली: छी इसने पूरी नंगी दिखूँगी।

मैं बोला:अरे सेक्सी पैंटी है यही ले लो।उसने हाथ पीछे लाके मेरी जाँघ मेंचुटकी काटी और बोली:बड़ी मस्ती छा रही है।

मैं बोला: ये मस्ती तुम्हारे कारण ही छा रही है बेबी। वो हँसते हुए बोली: चलो अब आप हटो और कहते हुए उसने अपनी कमर को पीछे की ओर दबाके मेरे लंड को मस्ती से भर दिया।

फिर पैसे देकर हम बाहर आए और वो बोली: डैडी भूक लगी है।सामने एक ठेले में फल वाला था, मैंने आँख मारके कहा: केला खाओगी? वो शर्मा कर बोली: डैडी आप भी ना, ये कोई केला खाने का टाइम है, मुझे खाना खाना है।मैंने कहा: अरे वो सामने केले देखकर मैं ऐसे ही बोला था।और फिर हम एक रेस्तराँ में पहुँचे। वहाँ एक कोने के टेबल पर बैठ गए,अग़ल बग़ल की कुर्सियों में।

फिर मैंने उसका अपना हाथ अपने दोनों हाथों में लेकर कहा: बोलिए, बेगम नूरी क्या खायीयेगा?

वो हँसकर बोली: जी जो आप खिलाइएगा! हम दोनों हंस पड़े।

फिर मैंने कहा: बेबी तुम्हारे हाथ कितने नाज़ुक हैं, और मैंने उसके हाथ चूम लिए,

वो शर्माकर बोली:डैडी क्या करते हैं, कोई देख लेगा।

मैंने कहा: यहाँ हम दोनों के सिवाय और कौन है,देखो यहाँ की सब सीट ख़ाली हैं।

वो शर्मा कर बोली: आपको याद है ना मैं आपकी बहू हूँ और आपके बेटे की अमानत।

मैं बोला: अगर वो नहीं याद होता तो मैं तुमको अब तक आह्व्ह्ह्ह ।फिर मैं चुप हो गया।

वो शरारत से बोली: वरना क्या करते?

मैं बोला: अब तक तुमको बहुत प्यार कर लेता और जी भर के चो---।

मैं फिर रुक गया।

वो एक झटके में आ गयी, शायद वो समझ गई थी की मैं उसको चोदने की बात कर रहा हूँ। उसने अपना सर झुका लिया,और उसकी आँखों में आँसू आ गए।

मैं डर गया और बोला: अरे बेटी क्या हुआ?

वो बोली:एक आप है जो इतने प्यार से बात कर रहे हैं,और एक आपके बेटे हैं जिनको मेरी परवाह ही नहीं है।

मेरी जान मेंजान आइ, मैं तो कुछ और ही सोच चुका था।

मैंने अपने हाथो से उसके नरम गालोंके आँसू पोंछे और बोला: बेटी तुम इतनी प्यारी हो कितुम्हें कोई कैसे रुला सकता है। मैं नज़ीर को डाँटूँगा।फिर मैंने बड़े प्यार से उसके गाल को चूम लिया। वो शर्मा गयी और इधर उधर देखी, जैसे कोई देख तो नहीं लिया।जब उसने देखा की कोई नहीं है तो वो मुस्करा दी। मैं समझ गया कि अब वो पटने ही वाली है।तभी वेटर आया और मैंने पूरा खाना उससे ही ऑर्डर करवाया।फिर मैंने उसका हाथ सहलाते हुए बोला:बेटी,एक बात बताओ, नज़ीर तुमको प्यार यानी कि, मेरा मतलब है, अब कैसे बोलूँ---।

वो बोली: पूछिए ना डैडी, क्यों इतना हिचक रहे हैं।

मैं बोला:बेटी, वो तुमको ठीक से चो-- यानी सेक्स का मज़ा देता है है ना?

वो शर्मा के बोली: डैडी बस मैं इतना बोल सकती हूँ, की नज़ीर बड़ा ही सेल्फ़िश है।वो अपना मज़ा ले लेता है पर मेरी उसको कोई फ़िक्र नहीं रहती।

मैं बोला:अरे ये तो बड़ी बुरी बात है,यानी वो तुमको चोद के मज़ा लेता है, और तुमको प्यासी छोड़ देता है? मैंने जानबूझकर चोदना शब्द का इस्तेमाल किया था।

वो थोड़ा चौंक कर बोली: क्या डैडी आप कैसे शब्द बोल रहे हैं।

मैं बोला:अरे बेटी, इसको सेक्स कहो या चूदाइ या फ़किंग इससे क्या होता है!

वो लाल हो गयी और बोली: फिर भी डैडी,बड़ा अजीब लगता है ना,इसलिए बोली।

मैं बोला:चलो कोई भी नाम ले लो,पर ये नज़ीर तुमको ठीक से चोदता क्यों नहीं,वो तो अच्छा ख़ासा तगड़ा मर्द है?

वो धीरे से बोली: डैडी,असल में नज़ीर को बस अपने मज़े की पड़ी रहती है,वो अपना करके सो जाता हैऔर मैं प्यासी रह जाती हूँ।

मैं बोला: ये तो बड़ी ग़लत बात है,उसको तुम्हारा भी ख़याल रखना चाहिए।

वो बोली: एक बात और डैडी,वो ना हमेशा पीछे से करना चाहते हैं, सामने से उनको लगता है ज़्यादा मज़ा नहीं आता।

मैं हँसते हुए बोला: ( हालाँकि मैं जानता था की वो गाँड़ मरवाने की बात कर रही थी। मैंने ये सब देखा हुआ था) बेबी, अरे उसमें तो मज़ा आता है, मैंने कई बार तुम्हारी सास को कई बार पीछे से चोदा था,इसमें उसको भी मज़ा आता था।

वो बोली: वैसे नहीं डैडी, वो मेरे पीछे के छेद में डालना चाहते हैं हमेशा।

मैं बोला: ओह इसका मतलब उसको गाँड़ मारने में ज़्यादा मज़ा आता है।मैं अब समझा।पर बेटी कई लड़कियाँ तो मज़े से गाँड़ मरवाती हैं।

वो बोली: कभी कभी तो ठीक है, पर वो तो हमेशा वहीं करना चाहते हैं, सामने से उनको मज़ा नहीं आता।

मैं बोला: हाँ! ये तो ग़लत बात है, कभी कभी ठीक है गाँड़ मारना पर लड़की को तो चूत चूदाने की भी इच्छा होती है।

मैं जान बूझकर गंदे शब्द बोल रहा था।अब वो भी ऐतराज़ नहीं कर रही थी।फिर मैंने अपना हाथ उसके कंधे पर रख कर कहा: मुझे अपने बेटे से ऐसी उम्मीद नहीं थी।उसने तुम्हें काफ़ी तंग किया है ना।फिर मैंने झुक कर उसके गाल को चूम लिया और बोला:मैं अपने बेटे की तरफ़ से तुमसे माफ़ी माँगता हूँ।कहते हुए मैंने फिर से उसको चूम लिया।वो मना नहीं कर रही थी।मैंने उसके चेहरे को अपने हाथ में लेकर उसके होंठ चूम लिए।वो सिहर उठी और बोली: डैडी,यहाँ कुछ नहीं करिए, प्लीज़,कोई देख लेगा।

तभी वेटर खाना लाया और हमने शांति से खाना खाया और घर के लिए निकल गए।मुझे विश्वास था कि वो पट चुकी है।

कारमेंवापस जाते हुए मैंने उसका हाथ सहलाना जारी रखा, मैंने उसकी वासना भड़का दी थी, मैं नहीं चाहता था कि वो रास्ते में शांत हो जाए।

मैंने उसकी जाँघों पर हाथ रखा और बोला: बेटी,सच में नज़ीर से मुझे ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वो तुम्हारे साथ ज़बरदस्ती करेगा।अगर लड़की ख़ुशी से मज़ा दे तो मज़ा दुगुना हो जाता है,पर ज़बरदस्ती तो करनी ही नहीं चाहिए।

फिर मैंने उसकी जाँघ को सहलाते हुए हल्के से दबाया और हाथ को ऊपर की ओर लेजाने लगा।जब मेरा हाथ उसके चूत के पास पहुँचने वाला था तो उसने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया।मैंने वहाँ ही दबाना जारी रखा।

मैं फिर बोला: तुम्हारी सास की गाँड़ मैं उसकी मर्ज़ी से मारता था। और मैं ख़ूब सारा lub यानी चिकनाई इस्तेमाल करता था,जिससे उसे दर्द नहीं होता था और वो मज़े से मरवाती थी।

मैं गंदी भाषा का उपयोग उसको गरम करने के लिए कर रहा था और उसका असर भी उसपर पड़ रहा था क्योंकि उसकी साँसे फूलने लगी थीं। उसकी मस्त छातियाँ ऊपर नीचे हो रही थीं।

वो बोली:डैडी,आप इतना गंदा क्यों बोल रहे हो?

मैं बोला:अरे ये तो सचाई है,इसने मज़ा ही मज़ा है ये भी एक सच है।

वो बोली:आजतक मुझसे ऐसी बात कोई नहीं किया है,आप पहले हो जो ऐसी बातें कर रहे हैं।

उसने अपना हाथ अब मेरे हाथ के ऊपर से हटा दिया था।

मैं बोला: अच्छा,तो मैं ही पहला आदमी हूँ जो तुमसे ऐसी मस्त बातें कर रहा हूँ,और अब मैं ही पहला आदमी बनना चाहता हूँ जो तुमको चूदाइ का असली मज़ा दे दे।

ऐसा बोलते हुए मैंने साड़ी के ऊपर से उसकी चूत को पकड़ लिया और दबाने लगा। वो हड़बड़ा गयी,और मेरा हाथ हटाने की कोशिश की और बोली:हाय्य्य्य्य डैडी ये क्या कर रहे हैं? मैं आपकी बहू हूँ।

मैं बोला:तुम्हें जो मज़ा मेरा बेटा नहीं से सका वो मैं देना चाहता हूँ,और मैंने उसकी चूत को दबाना चालू रखा।

वो मेरा हाथ हटाने को बोली,और मैंने हाथ उसकी चूत से हटा लिया।उसने अपनी साड़ी ठीक की,और बोली:डैडी, ये सब अगर नज़ीर को पता चलेगा तो वो मेरी जान ले लेगा।

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