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मम्मी की नौकरी-(भाग-1)

by dimpii4u©

हैलो दोस्तों ,

फिर से मैं आपके पास एक और भारतीय औरत की सनसनी भरी कहानी लेके आया हूँ, जिसका एक बेटा भी है और व बिधवा है । और व कैसे अपनी मनोकामना पुरी करके अपनी दोहरी सेक्स का मजा उठाती है ।
उम्मीद है आप लोगों को पसंद आएगी ।
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मेरा नाम बन्टी है, और मेरा उम्र 19 साल है । एक बहुत ही अजीब हादसा मेरे साथ हुआ था, जो मुझे बहुत डिस्टर्ब के साथ साथ उत्तेजित भी कर रहा था । ये घटना मेरी मम्मी पर है जो बहुत सरल है और जिसे मैँ एक घरेलु औरत सभझता था, जो रोज पूजा पाठ किए बगैर घर से नहीं निकलती थी, व इस तरह....।

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या किया जाए ..... बात उन दिनों कि है जब पिताजी की अचानक मौत हुई, जो सेना मैँ ब्रिगेडियर थे । मम्मी एकदम टूट चुकी थी । मेरा ठिक तरह से देखभाल और पढ़ाई करने हेतु मम्मी दिल्ली मै रहने का फैसला किया ।

हमें दिल्ली आये हुए लगभग एक महीना हो चुका था और इस बीच मम्मी ने यहां एक अच्छा सा मकान का प्रभन्ध कर लिया था । यहां मैं आप लोगों को मम्मी के बारे मे बता दुं, मम्मी की उम्र 33 है ।
व एकदम एक मारवाड़ी औरत की तरह दिखती है । पतली कमर और बड़ी सी उभरी हुई चौड़ी गांड, हर मारवाड़ी औरतों की पहचान । गठिली बदन होने के कारण मम्मी बहुत सेक्सी लगती थी । क्योँकि उसकी फिगर है ही इतना सुडौल 36-27-36 ।

उसकी बडी बडी चुचियां, मोटी मोटी जांघेँ और उभरी हुई चौडी चुतड किसी भी मर्द को पागल बना देने मेँ सक्षम थी । एक भारतीय नारी की तरह व हमेशा साडी ही पहनती थी । साडी पहन कर जब व चलती है तो उसकी चौडी चुतड की लचक देखने लायक होती है ।

उसने बिजनेस में माष्टर डिग्री प्राप्त की थी और दिल्ली आते ही मम्मी ने
एक बहू-राष्ट्रीय कम्पनी मेँ अधिकारी के पद के लिए बहुत रात गए तक पढाई करती रहती । शायद नौकरी करने पर उसकी सुनापन दूर हो सके । थोडे दिनों बाद इंटरव्यु हुई और मम्मी की नौकरी पक्की हो गई । ढ़ाई लाख रुपया वेतन वार्षिक निश्चित हुआ । अब मम्मी बहुत खुश थी । पैसों की अब कोई चिन्ता न थीँ । मन ही मन बहुत खुश थी ।

ये खबर जब पडोस के अंकल को मालुम पडा तो मम्मी से बोले-
"बहिन, क्या तुम नौकरी करोगी ?"

"हां भाई साहब- घर चलाने के लिए कोई तो नौकरी करनी पडेगी ।" मम्मी बोली ।

"तुम घर की बहू हो, इज्जत हो, घर छोडकर दुनिया की ठोकरें खाओगी ।"

"जीने के लिए रुपये तो कमाने ही होंगे । ये कम्पनी मुझे ढ़ाई लाख वार्षिक तनखा देगा और विदेश टूर भी है । मेरी विदेश घुमने की वर्षों की तमन्ना भी पूरी हो जाएगी ।" मम्मी ने जवाब दी ।

"बहिन, इस कम्पनी मेँ काम करना तुम्हारे लिए ठिक नहीँ रहेगा । कम्पनी के बारे में उल्टी सिधी बातें हो रही है ।"

"ये सब बेकार की बातें हैं काम तो काम होता है भाई साहब, फिर वे मुझे इतने ज्यादा रुपये का तनखा देंगे ।" मम्मी जवाब दिया ।

"पर बहिन, औरोतों के मामले में इसके रेपुटेसन कुछ ठिक नहीं है ।"

"मैंने निश्चय कर ली है कि मैं ये नौकरी करुंगी ।"

मम्मी किसी की बात नहीं सुनी और अपनी निर्णय सबको सुनाने के बाद अंदर चली गई । आखिर सबको उसकी बात मानना पडा ।

पर एक समस्या मम्मी को चिन्ता में डाल दिया,यही कि बहु-राष्ट्रीय
कम्पनी की वाईस सी.ई.ओ होने कि वजह से उसे महीने का आधा दिन दुसरे दोशों में कार्य करनी होगी । उसकी आधा दिन टूर में कट जाएगा और व मेरा ध्यान ठिक से नहीं रख पाएगी ।

मजबुरन मम्मी ने मुझे दुर के एक बोर्डिंग स्कुल में एडमिशन करा दिया । अब मम्मी की जिम्मेदारी थोडी कम हुई और व निश्चिंत होकर टूर पर जाने लगी । समय बितता गया और मैं पुरी ध्यान पढ़ाई मेँ लगा दी ।
मम्मी महीने में दो बार मुझे देखने आती थी,विदेश से लौटते ही यहां आती है । अब मम्मी पहले से ज्यादा निखर गई थी काफी खिली हुई दिखती थी, क्यूँ न हो ज्यादा तनखा और विदेश घुमना । धिरे धिरे मम्मी का आना कम होता गया, अब तो दो तिन महीने में एक बार आती है । अब महीने भर तक उसे कभी फ्रांस, कभी अष्ट्रेलिया, कभी रोम में रहना पड रहा था ।

अब तो मुश्किल से साल भर में दो तिन बार आती थी,पिछली बार जब आई थी तो अपनी दुःख जता रही थी कि एक नए प्रोजेक्ट को लेकर व्यस्तता हेतु व अपनी बेटे को समय नहीं दे पा रही है । जब भी आती है हमेशा किसी न किसी का फोन आता रहता है, व मुझसे ठिक से बातें भी नहीं कर पाती थी और चली जाती थी ।

छुट्टियों में मैं पडोस के अंकल के घर रह लेता था । मुझे युं लग रहा था कि मम्मी अब पहले से ज्यादा बदल गई है, बेटे से ज्यादा उसे काम पर ध्यान रहता है । फोन पर बडी उत्सुकता से बातें करते देख कर मुझे मम्मी की तेवर कुछ ठिक नहीं लग रहा था । खैर !

देखते देखते पाँच साल गुजर गए । अब मम्मी तीन सालोँ से केनाडा में थी, कह रही थी अगले दस साल तक उसे वहीँ पे रहना पडेगा । इसीलिए मम्मी परीक्षा खतम् होते ही मुझे अपने पास केनाडा ले जाने की बात कह रही थी । अब मैं 19 साल का हो गया था और इंटर पास् करके मम्मी के पास केनाडा चला अया था । यहां मम्मी एक काँलेज में मेरा एड़मिशन करा दिया ।

मम्मी की भी उम्र अब 38 हो गई थी, उम्र का छाप उसकी चेहरे पे दिखाई दे रहा था । मम्मी की बदन पे अब थोड़ा भारीपन आ गया था । फिर भी उसकी बदन बडा ही गठिला था । उसकी जांघें खम्बे के समान मोटे थे । गांड़ तो और भी चोडी हो गई थी बडी सेक्सी चुतड थी मम्मी की ।

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एक दिन तेजी बारिश के कारण मेरे क्लासेस सस्पेँड होने से मैं 2.00 बजे घर लौट आया । घर पहुंच कर देखा कि मम्मी की गाडी गैरज के अंदर है, शायद व आज जल्दी वापस लौटी हो । मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था, अकेली होने के वजह से मम्मी शायद दरवाजा बंद की थी। मैंने आवाज लगाया ... कोई उत्तर नहीं मिला । अंदर से ड्राईयर मशीन की आवाज आ रही थी । शायद इसीलिए मम्मी मेरा आवाज नहीं सुन पाई ! मैंने पिछवाडे की और गया जिधर से मशीन की आवाज आ रही थी । मम्मी की कमरे से आवाज आ रही थी तो मैं उस और गया देखा कमरे की एक खिड़की खुली थी लेकिन परदा लगा हुआ था । आखिर मम्मी अंदर कर क्या रही है !

ईधर उधर देखने पर परदे मेँ एक छेद दिखाई पडा झट से मैंने छेद से अंदर झांका, चारों और आँख दौड़ाया और मम्मी को देखते ही मैं अवाक रह गया किया । मम्मी एकदम नंगी खिड़की की और पीठ किये खडी थी । मम्मी की पतली कमर के निचे उनकी उभरी हुई भारी गांड देखते ही मेरा लंड तन कर खड़ा हो गया है । मैंने इससे पहले कभी मम्मी की नंगी बदन नहीं देखी थी । मम्मी की चौडी गांड एकदम सेक्सी लग रही थी ।

मैंने पहली बार किसी औरत की नंगी बदन देख रहा था । मम्मी की चुतड ! उभरी हुई, ज्यादा चौडी के कारण बडा हाँट लग रहा था । अब मैं अपना लंड जोर जोर से हिलाने लगा मुझे डर था कि कहीँ मम्मी मुझे देख न ले, पर उसे कहाँ मालूम कि उसका बेटा सब कुछ देख रहा है ।

व शायद इसी सोच में होगी कि मैं 4.00 बजे के बाद लौटुंगा । इतने में मम्मी मेरी और मुडी मैरी आँखें उनकी बडी-बडी चूचियां पर पडी और मम्मी की बुर देखने का लिए जब उनकी मोटी जांघों के बिच नजर दौडाया तो मुझे ऐसा झटका लगा मानो मुझे 440 वोल्ट का करेंट लग गया हो । एक अद्भुत द्रुश्य था मेरे सामने । मम्मी की दोनो जांघों के बिच बुर के वजाए 6 इंच मोटा मुरझा हुआ लंड दो अंडे जैसे अंडकोष के साथ लटक रहा था, पुरा लंड घने झांटों से भरी हुई थी ।

मैं एकदम आश्चर्य था । मम्मी औरत है या मर्द ? ये बात मुझे बडा अजीब लग रहा था साथ मैं उत्तेजित भी हो रहा था । मेरी मम्मी मेरे सामने बिल्कुल नंगी खडी थी, उनकी मेरे जैसा ही लंड है ये बात मुझे हजम नहीँ हो रहा था । औरतोँ की बुर होती है, पर यहां तो मामला कुछ और है । मम्मी की बुर नहीं थी, उनकी झांटोँ भरी हुई लंड है, व भी मेरा लंड से काफी बडा । लंड का सुपाडा आधा निकली हुई थी ।
क्या औरोतों की भी मर्द जैसा लंड होती है ? मैंने अपना लंड पर नजर दौडाया जो सिर्फ 5 इंच का था । उत्तेजना के मारे मेरा बदन कांप रहा था और अपना लंड मम्मी की तगडी लंड को देखते हुए हिलाने लगा ।
अब मम्मी अपनी सर को पिछे की और झुकाए एक हाथ से लंड को सहला रही थी ।

मैंने पहली बार इतनी बडी लंड देख रहा था, और व मम्मी की लंड थी जो नाँर्माल में ही 6 इंच की थी और काफी मोटा भी है । मैं सोच में पड गया कि मम्मी की लंड पूरी तनाव मेँ कितनी बडी होगी । अब मम्मी अपनी लंड के सीपाडा को अंदर बाहर कर रही था और दुसरी हाथ से चुचियां मसल रही थी । घने झांटों से भरी लंड उनकी औरत की बदन पर बडा ही सेक्सी लग रही थी ।

तभी मम्मी अपनी भारी चौडी चुतड हिलाती हुई अलमारी की और जाने लगी । मम्मी की उभरी गांड की थिरक देख मेरा लंड कडा हो गया । अलमारी के निचले भाग से जब कुछ चिजेँ निकालने के लिये झुकी तो उनकी गांड और चौडी हो गई और गांड के दरार के बिच भूरे रंग का छेद दिखाई पडा साथ में छेद के निचे बडा सा लंड अंडकोष के साथ लटकी हुई थी । मम्मी की इतनी चौडी गांड और लंड देखकर मेरा तनाव बढता गया और मैँ मुठ मारने लगा ।

मम्मी कुछ चीजें निकाल कर उठी और वापस टेबल के पास आई तो मैंने उनकी हाथ में एक सिगारेट और कंडोम का पैकेट देखा । मुझे फिर से झटका लगा ! मम्मी सिगारेट भी पीती है ? खैर ! पर कोँडम क्या करेगी ? फिर मम्मी एक सिगारेट निकाल के लगाई और कश लेने लगी । मम्मी की नंगी बदन और हरकत देखकर मेरा बदन उत्तेजना के मारे काँप रहा था, सांसें फूल रही थी । मम्मी को शायद यकिन था कि मैं 4.00 बजे के बाद ही लौटुंगा इसीलिए अकेली होने के कारण नंगी होकर मजे उठा रही थी ।

क्या नजारा था, मेरी 38 साल की मम्मी नंगी खडी एक हाथ से सिगारेट पकड कर लम्बी लम्बी कश ले रही थी और दुसरी हाथ से अपनी बडी लंड को धिरे धिरे आगे पिछे कर रही थी । तभी सिगारेट को होंठों पर दबाकर मम्मी एक कंडोम निकाली । उनकी लंड अब पूरे तनाव में आ चुका था ।फिर मम्मी अपनी लंड के सुपाडा को पुरी निकाली और कंडोम को सुपाडी पर रख कर लंड के जड़ तक रोल की । अब कंडोम उनकी लंड से चिपक गई, कंडोम परदार्सी होने के कारन मम्मी की लंड साफ दिख रही थी, जिससे मम्मी की लंड पूरे तनाव के साथ अप-डाउन होने लगा । अब पूरी तनाव में उनकी लंड लगभग 8 इंच का हो चूका था, ये देख कर मेरा बदन में आग लग गया ।

अब मम्मी सिगारेट का आखिरी कश लेकर आस-ट्रे पर फैंक दी और बिस्तर पर अपनी मांसल जांघों को फैला कर लेट गई । और ऑंखें बंद कर के एक हाथ से चुचियां दबाती हुई दुसरे हाथ से अपनी लम्बी और मोटी लंड मुठ्ठी में लेकर हस्तमैथुन करना शुरु कर दी ।

मम्मी की ये हाल देख कर मेरा हालत भी खराब हो रहा था । बहुत अद्भुत द्रुश्य था । एक औरत अपनी बड़ी सी लंड से हस्तमैथुन कर रही थी, और व औरत मेरी मम्मी थी । अब मम्मी मूँह से अजिव आवाजें निकाल कर सिसकारीयां ले रही थी । मम्मी चुचियों को मसलते हुए जोर-जोर से लंड मुठिया रही थी । उनकी होंठ दांतों तले दबी हुई थी और मम्मी अपनी भारी गांड जोरों से उछालती हुई सिसकारियां ले रही थी ।

तभी मम्मी एक उंगली चाट के गिली की और सिधे गांड के छेद में अंदर पेलने लगी । अब मम्मी ने अपनी हाथ की रफ्तार बढ़ा ली और लंड को कस के पकड कर जोर से हस्तमैथुन करने लगी । दुसरे हाथ से चुचियों को मसलती हुई मूँह से अजिव आवाजें निकाल रही थी और चुतड हवा में जोर-जोर से उछाल रही थी ।

करीब दस मिनट तक अपनी लंड को हिलाने के बाद अचानक मम्मी चिल्लाने लगी मानो रो पडेगी, मैं समझ गया अब व झडने वाली है । तभी मम्मी जोर से चिल्ला पडी और दो-तिन बार अपनी गांड जोर से उछालने के बाद निढाल हो गई । मम्मी की सांसें जोर से चल रही थी, उनका पूरा बदन कांप रहा था । शायद व झड रही थी ।

मैं बडे ही उत्सुकता से मम्मी की लंड पर नजरें गडाए रखा था । क्या सचमुच मम्मी की औरत वाली लंड से वीर्य निकली है ? करीब पाँच मिनट तक पड़े रहने के बाद से उठी खडी हुई, अपनी लम्बे बालोँ को संवारी जो हस्तमैथुन के समय बिखर गई थी । उनकी लंड एकदम मुरझा गया था फिर भी काफी मोटा और लम्बा दिख रहा था । कमरे का सामान इधर उधर पड़ी थी तो उसने सामान सजाने लगी । कंडोम अब तक मम्मी की लंड से चिपकी हुई थी, क्या लंड थी मम्मी की, सिकुड़े हुए भी छे इंच का था । चलने से मम्मी की लंड ऊपर निचे थिरक रही थी और पैरों की पैंजम आवाज़ कमरे में गूंज रही थी । मम्मी की लंड की चारों और घने बाल थे ।

फिर मम्मी टेबल के पास आयी और धिरे-धिरे कंडोम को लंड से निकाल ली और उसे देखने लगी । मैंने बड़े ध्यान से देखा कंडोम के टिप पर दो चम्मच के करीब गाढे सफ़ेद पदार्थ जमी हुई थी । मम्मी थोडी मुस्कराती हुई कंडोम को देख रही थी, लंड के साथ झड़ने में मिली आनंद से व तृप्त नज़र आ रही थी । मैं निश्चिंत हो गया कि मम्मी की लंड मर्दों की तरह वीर्य निकल के झडी थी । यही विचार मन में आते ही कि - मम्मी की लंड पूरी मर्द जैसा ही काम करती है, यानी मम्मी बुर भी चोद सकती है .... मैं भी झडने लगा ।

मैंने फिर से परदे के छेद से अंदर झांका, मम्मी की लंड वीर्य से तरा था, मम्मी एक तौलिए से अपनी लंड को पोछ रही थी, लंड के सुपाडा को पोछने के बाद उसे अन्दर सरका दी फिर भी सुपाडा आधा खुला ही रह गया । लंड साफ करने के बाद पूरे बदन के पसीना पोछने लगी ।
मैं अब तक मम्मी की लंड ही देख रहा था । मम्मी को क्या नाम दुँ, औरत या मर्द ? उनकी पूरी शरीर तो है एक औरत का जिस पर बुर नहीं थी । उनकी स्त्री शरीर पर 6 इंच का मोटा और लम्बा लंड था साथ में बडा सा अंडकोष जो आम मर्दों के लंड और अंडकोष के साईज से बडे थे । मम्मी अब एक साफ पेटीकोट निकाल कर पहनने लगी थी ।

ये देख कर मैं वहां से खिसक गया । सोचा घर जाउँ या नहीँ, फिर सोचा बाद में जाउंगा । यही सोचकर बाजार चला गया । पागलों की तरह इधर उधर घुमने लगा । बार बार मम्मी की चेहरा सामने आ जाता था । क्या हो गया ......! मम्मी को क्या हो गया, पहले तो व ऐसी न थी, फिर ये लंड ! क्या मम्मी विदेशोँ की नौकरी से इतनी उग्र आधुनिक हो गई कि उसे औरोतों की जिंदगी बोझ लगी ? जिससे मम्मी औरोतों की शरीर में लंड को लेकर खूश है ! क्या औरोतों की भी मर्द जैसा लंड होती है ? उनकी लंड से विर्य भी निकलती है ? ये मैंने अपने घर से जाना ।

मम्मी के साथ रहुं ? या छोड के चला जाउँ ! बार बार मन में ये खयाल आ रहा था । मैं गुस्से के साथ साथ मम्मी की लंड की खयाल आते ही उत्तेजित भी हो रहा था । कब अंधेरा हो गया पता नहीँ चला शायद मम्मी परेशान हो रही होगी । आखिर जैसी भी हो व मेरी मम्मी है । व कैसी जिन्दगी जीना चाहती हैं, व उनकी निजी जिन्दगी है, मैंने तय किया कि मैँ अब मम्मी की जिन्दगी में दखल नहीं दुंगा ।

घर पहुंच कर देखा मम्मी किचन में खाना बना रही थी । मम्मी एक लाल रंग की साडी और काले रंग की ब्लाऊज पहन रखी थी । साडी की पल्लु को मोड के कमर में लटका दी थी जिससे उनकी चौडी चुतड की उभार बडी सेक्सी लग रही थी । कितनी मासूम लग रही थी मम्मी, पर साडी के अंदर गांड के साथ उनकी 6 इंच लम्बा और मोटा लंड की कल्पना करते ही मेरा लंड फिर से खडा हो गया ।

मुझे देखते ही मम्मी सवाल करना शुरु कर दी -

"कहां था अब तक ? कितनी परेशान हो गई थी मैं ।"

मैंने कोई जवाब नहीँ दिया ।

"मैं पुछ रही हुं अब तक कहाँ था तु ?" मम्मी दुबारा पुछी ।
फिर भी मैंने कोई जवाब नहीँ दिया ।

"मैं तुमसे कुछ रही हुँ । सुनाई देता है कि नहीं ?" उन्होंने डांटते हुए बोली ।

" दोस्तों के साथ बाहर गया था ।" मैंने जवाब दिया । मम्मी को कहाँ पता था की उनका बेटा आज दोपहर को उनकी ऐयाशी जिन्दगी की रहस्य जान चुका है ।

"कितनी बार तुझे मना किया है बाहर मत जा, अभी तु नया है इस शहर में ।" मम्मी बोली ।

मैंने कुछ नहीं बोला और अपने कमरे में चला गया । मम्मी हैरानी से मुझे देखती रही और मन ही मन बोल उठी "आखिर इसे हो क्या गया ।"

उन्हें क्या पता की मेरे अंदर क्या चल रहा है ।

दुसरे दिन सुबह उठते उठते 8.00 बज चुके थे । मम्मी आँफिस के लिए तैयार हो रही थी । कल की यादें तजा ही गई, कैसे मैं जल्दी वापस आने से मम्मी की गहरी राज का पता चला I मम्मी है तो एक औरत मगर उसकी बुर नहीं थी I मर्द जैसा ही एक बड़ा सा लंड थी मम्मी की .... तभी फोन रिंग हुई और मैंने उठकर रिसीव किया तो मुझे मम्मी को शेखर नाम के किसी आदमी से बातेँ करते सुनाई दी । हमारे एक ही लाँड-लाईन पर दोनों कमरे की फोन संजोग था तो मुझे दोनों की बातें सुनाई दी । मम्मी धिमी आवाज में उस आदमी से बातें करते सुन मैंने ध्यान से दोनों की बातें सुनने लगा ।

मम्मी- "देखो शेखर अब मेरा बेटा मेरे साथ है । अब
मैं नहीं चाहती कि पहले जैसा हम सब करें ।"

शेखर-"पर मैडम आपका बेटा तो दिन भर काँलेज में होगा न।"

मम्मी- "नहीं !, उसे शक हो जाएगा ।"

शेखर- "तो आप यहाँ आ जाईए । मैँने अपने दूर के रिश्तेदार को मना लिया है । बेचारी के पति ने उसे छोड दी है । उसकी उम्र थोडी ज्यादा है, लेकिन है बडी मस्तानी ।"

मम्मी- "क्या कहा तुमने ? वंदोबस्त हो गया ? वाह! तुमने मुझे खुश कर दिया । तुम्हारी बातें सुनते ही मेरी लंड में तनाव आना शुरु हो गया । ठिक है, मैं आज शाम को आँफिस के बाद जाउंगी ।"

मैंने मम्मी की बातें सुनकर सोच में पड गया । मम्मी शाम को कहाँ जाएगी, वहां जाकर क्या करेगी जो मेरे यहाँ रहने से नहीं कर पा रही है ।
इतने में मम्मी आवाज लगाई -
"बेटा खाना लगा दिया है खा लेना । मुझे आँफिस के लिए देर हो रही है, हाँ और शाम को मेरा मीटिंग है, मुझे लौटने में देर हो जाएगी ।"

"हाँ मम्मी ।" मैंने जवाब दिया ।

मम्मी के जाने के बाद मैंने तैयार होकर काँलेज के लिए निकल पडा । पढाई में बिल्कुल मन नहीं लगा । बार बार मम्मी की बातें याद कर रहा था । आखिर मम्मी मेरे यहाँ आने से पहले शेखर के साथ क्या करती थी जो मेरे आ जाने से नहीं करना चाहती । बाहर जाकर करना चाहती
है । फिर मैंने फैसला कर लिया कि आज मम्मी की पिछा करुंगा और सारा सच्चाई जान के रहुंगा ।

आगे की कहानी दुसरे भाग में ...........।

Written by: dimpii4u

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