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मम्मी की नौकरी (भाग-2)

by dimpii4u©

मैं 4.00 बजते ही एक दोस्त की बाईक लेकर सिधे मम्मी की ऑफिस पहुंच गया । अंदर उसकी गाडी खडी थी । मम्मी अब तक ऑफिस में ही थी । में बाहर एक गाडी के पिछे अपने आप को छुपाए रखा और इंतजार करने लगा कब मम्मी बाहर निकलेगी । करीब 6.00 बजे मम्मी की गाडी बाहर आते देख में सावधान हो गया, जैसे ही मम्मी की गाडी आगे निकल गई में उसका पिछा करना शुरु कर दिया ।

मैंने अपना चेहरा एक स्कार्फ से बांध दिया ताकि मम्मी मुझे पहचान न सके । मम्मी गाडी तेजी से चला रही थी । पांच मिल दूर जाने के बाद मम्मी एक बंगले के सामने रुकी और हर्न बजाने लगी । हर्न सुनते ही एक आदमी आकर गेट खोल दिया और मम्मी गाडी अंदर की । उस आदमी ने गेट बंद कर दिया और गाडी से उतरती मम्मी की होंठों को चुसने लगा और बोला -

"आप ने आने में बहुत टाईम लगा दी ।"

"क्या करुं शेखर , अचानक काम आ गया, पर माँ जी हैं या चली गई ?" मम्मी ने शेखर से पुछी ।

"माँ जी ! कौन शोभा देवी ? अरे व तो आज रात भर यहाँ रुकने वाली हैं । आपके बारे में सुन कर उनकी उत्सुकता बढ गई है " ।

"क्या ! " मम्मी चौंक पडी और मुस्कराते हुए शेखर की बाहें हाथ में लिए अंदर जाने लगी । अंधेरा छा गया था, आधे घंटे के बाद मैंने बाईक को एक झाडी में छिपा दी और गेट चढ़ कर अंदर दाखिल हो गया । फिर उस कमरे की और चल दिया जहाँ से उन लोगों की आवाजें आ रही थी । मेरा पूरा बदन उत्तेजना के मारे कांप रहा था, दरवाजा अंदर से बंद था । मैंने पिछे की और चला गया , खीडकी आधी खुली हुई थी । मैंने परदे को अपने पेन से थोडा सरकाया और अंदर झाँकने की कोशिश की तो मुझे अंदर का सीन साफ दिखाई दी ।

अंदर का नजारा देखते ही मेरा लंड कडा होना शुरु हो गया । मम्मी की बदन पे सिर्फ पेटीकोट थी उनकी उभरी चौडी गांड पेटीकोट में समा नहीं रहे थे और व शेखर को बाहों में भरकर चुम्मे ले रही थी । एक अधेड सी औरत को देखते ही मरा लंड एकदम खडा हो गया । उसकी उम्र लगभग 50 के आसपास होगी और बिल्कुल अब के पचपन साल की हिन्दी सिनेमा के अभीनेत्री जयाप्रदा जैसी दिखाई दे रही थी । मैं क्या ! कोई भी उसे देखेगी तो धोखा खा जाएगी । बिल्कुल जयाप्रदा जैसी भारी चौडी गांड, चेहरा और स्तन । शायद वही शोभा देवी है जो मम्मी के लिए ही रुकी हुई थी ।

व एक सोफे पर अपनी पेटीकोट समेत साडी को कमर तक सरका ली थी और अपनी मांसल जांघों को फैलाकर बैठी थी और उन दोनों को देखकर अपनी झांटों से भरी बुर के गुलाबी छेद को सहला रही थी । तभी शेखर ने मम्मी को पिछे से बाहों में भर लिया और मम्मी की गर्दन को चुमते हुए दोनों चुचियों को मसलने लगा । मम्मी आँख बंद किए आहे भर रही थी । शोभा देवी उन दोनों की रमांस देख कर और अपनी रसीली बुर में उंगली पेल रही थी । तभी शेखर ने मम्मी की पेटीकोट को एकदम कमर तक उठा ली, मम्मी पैंटी भी खोल रखी थी । अब मम्मी कमर से निचे नंगी हो गई थी, मोटी मोटी चिकनी जांघों के बिच मम्मी की झांटों से भरा मोटा सा लंड आधा तन कर था । शेखर ने एक हाथ से चुचियों को मसलने और दुसरी हाथ से मम्मी की तने लंड को मुठी में भर कर लाल सुपाडा को अंदर बाहर करने लगा और शोभा देवी की और मुस्कराते हुए बोला -

"हमारी मैडम की लंड कैसी लगी माँ जी ?"

"इतना बडा लंड ! और व भी एक औरत की, आज मैंने पहली बार देखी ।" शोभा बोली ।

"आखिर ये औरत की लंड है माँ जी ।" शेखर मम्मी की होंठ चुमते हुए बोला ।

मम्मी मस्ती में आ...उई.ईईई... करने लगी थी । ये सब देख कर मेरा लंड पैंट के अंदर टाईट हो गया । थोडी देर बाद शेखर मम्मी को छोड दी और बोला -

"आप दोनों गेम चालु रखो, मैँ रात के लिये सामान लेकर आता हुं ।" और व तैयार हो कर बाहर चला गया ।

अब कमरे में मम्मी और शोभा देवी रह गए । तभी में दोनों को बातें करते सुन अंदर झाँका । दोनों केवल पेटीकोट में थे और मम्मी एक सिगारेट लगाई थी । शोभा मम्मी को बोल रही थी -

" में शेखर की दूर के बहन की सास लगती हुं । इसीलिए व मुझे माँ जी कह कर बुलाता है । तुम भी चाहो तो उसी से बुला सकती हो ।"

"ठिक है ।" मम्मी एक कश लेती हुई बोली ।

"मुझे शेखर ने तुम्हारे बारे में सब कुछ बता दिया है ।" शोभा बोली ।

"क्या बताया शेखर ने आपको मेरे बारे में ?" मम्मी पुछने लगी ।

"यहि की कैसे तुम औरोतों के शौकीन यानि एक लेसबियन थी । तुम्हें औरोतों के बुर और भारी गांड बहुत पसंद था ।"

"हाँ मेरे पति तो फौज में थे, इसीलिए मेरी ये आदत बढती चली गई ।" मम्मी बोली ।

"और विदेश की नौकरी तुम्हें आजाद जिन्दगी जीने का मौका दे दिया ।"

"हाँ ये बात सच है, विदेश में आकर ही मैंने जाना जिन्दगी के मजे । वरना हमारे देश में एक विधवा की जीवन गुजारना बहुत मुश्किल है । इसीलिए जब मुझे मालुम पडा कि इसी नौकरी में मुझे विदेश जाने का मौका मिलेगा तो मैं बहुत खुश हुई थी ।" मम्मी ने बताई ।

मैं बडे ही ध्यान से दोनों की बातें सुन रहा था ।

"पर तुम्हें इतनी जानकारी कहाँ से मिली ?" शोभा ने पुछी ।

"विदेश में जाते ही मैंने वहां के लोगों जैसा जीना शुरु कर दी थी ।" मम्मी बोली ।

"और तुम्हारे मैनेजर के साथ चक्कर चला ।" शोभा बोली ।

"यही तो इस नौकरी की शर्त था । पर मुझे कोई ऐतराज नहीं था । और एक दिन उसने मुझे एक ब्लु-फिल्म दिखा कर मुझे चोद रहा था ।"

"कैसी फिल्म ?" शोभा ने पुछी ।

" फिल्म के तीसरा भाग में मैंने एक खुबसुरत औरत को देखा जिसकी गांड बहुत भारी था और उसकी बुर के जगह एक बडा सा लंड था और फिर उसने दुसरे औरत और मर्दों को भी अपनी लंड से जम के चुदाई की, और ये बात मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया ।" मम्मी ने
बताई ।

"क्या कह रही हो तुम !" शोभा आश्चर्य होकर बोली ।

"हाँ, और उसी दिन के बाद मेरे दिमाग में हर वक्त यही खयाल आता था कि काश ! मेरी भी उसके जैसे....। पति का तो स्वर्गवास हो चुका था । कोई बाधा नहीं था । और हर वक्त इसी चिन्ता के कारण मेरी शरीर में पुरूषों के हरमोन क्षरण शुरु हो गया था ।" मम्मी बताई ।

"और तुम डाँक्टर के पास गई तो पता चला कि तुम पुरुष बनने जा रही हो ।" शोभा बोली ।

"हाँ, ये बात मुझे बहुत परेशान में डाल दिया था । बदलाव तो में चाहती थी मगर पुरे मर्द जैसा नहीँ । में एक बेटे की माँ भी थी । तो मैंने डाँक्टर की सलाह ली ।" मम्मी कहती गई ।

"डाँक्टर ने क्या बताया ?"

मम्मी अब पेटीकोट को उपर कर मुरझे लंड को मसलना शुरु कर दी और कही - " डाँक्टर ने मुझे तीन उपाय बताए ।"

"क्या उपाय बताए ।"

"एक तो में मर्द बन जाउँ और दुसरा था- मुझे सर्जरी करके वापस औरत बनना था और तीसरा था- बिच में बन्द करना ।" मम्मी बताई ।

"बिच में रोक देना मतलब ?" शोभा पुछी ।

"मतलब शरीर को पुरी तरह बदलने से रोका जाए, मतलब जितनी बदल गई है व रहेगा आगे और नहीं बदलेगा ।" मम्मी ने बताई ।

"व कैसे ?"

"हरमोन थेरापी करना होगा जो मैंने किया । पर लंड आधा निकल चुका था इसिलीये मैंने उसे बढ़ने दिया क्योंकि मैं तो लंड चाहती थी और वाकी अंग पहले जैसा ही रहा । दवा लेने से वाकी अंग नहीं बदले और इस तरहा औरत तो बनी रही मगर लंड के साथ और मैँ अपनी लंड को लम्बा, मोटा और पूरी तरह से चोदने लायक बनाने के लिए दो साल तक testosterone लेती रही ।" मम्मी बोली ।

"ये testosterone क्या होता होता है ?"

"ये लेने से लंड ठीक से बढ़ता है और लंड मेँ ताकत के साथ साथ पुरुष जैसे वीर्य भी आता है ।" मम्मी ने अपनी बात पूरी की ।

"पर तुम्हारी लंड इतनी लम्बा और मोटा कैसे बन गया ?" शोभा देबी ने मम्मी से पूछी ।

"मम्मी ने थोड़ी मुस्कुराई और अपनी लंड को सुपाडा पर ऊँगली फिरती हुई बोली - बात दरअसल ये है की, बचपन में मुठ मरने से या गन्दी आदत की वजह से लड़कों का लंड ठीक से बढ़ नहीं पता । और मेरी तो कोई गन्दी या ख़राब आदत नहीं थी, इसीलिए मेरा लंड पूरी तरह से बढ़ कर इतना लम्बा और मोटा हुआ है । लेकिन मेरा अंडकोष थोडा ज्यादा बड़ा हो गया है ।" मम्मी ने बताई ।

"क्यूँ इतना बड़ा हो गया है ।"

"मैं थोड़ी न मर्द थी, औरोतों की पैंटी में ये सब नहीं समां रहे थे, ज्यादा उछलने से मेरा अंडकोष बड़ा हो गया । " मम्मी बोली ।

"वास्तव में तुम्हारी जिन्दगी बहुत उत्तेजक है ।" शोभा देवी ने मुस्कराते हुए कहा ।

मैंने मम्मी की सारी बातें सुन ली थी । मुझे आश्चर्य के साथ साथ मम्मी पर गुस्सा भी आ रहा था उसकी मस्ती देख कर । मैंने फिर से अंदर झांका तो देखा सामने बाथरुम का दरवाजा खुला था और मम्मी पेटीकोट को कमर तक उठा कर बैठी थी । उसकी गांड और ज्यादा फैल गई थी शायद मम्मी पेशाव कर रही थी । बडा ही सेक्सी लग रहा था मम्मी की फैली गांड । थोडी देर बाद मम्मी उठी और लंड को दो तीन बार सिकोडा जिससे कुछ बूंदें पेशाव निकला फिर मम्मी पेटीकोट को निचे कर के वापस कमरे में आ गई और कहा - चलो जल्दी शुरू कर देते हैं शेखर के आने में जाने कितनी देर हो जाएगी ।

शोभा ने मम्मी को पीठ के बल लिटा दिया और उसकी पेटीकोट को कमर के उपर तक उठा दी । अब मम्मी कमर के निचे बिल्कुल नंगी हो गई । मुझे मम्मी की लंड साफ दिखाई पडा । उसकी अंडकोष बिस्तर पर गडे थे और मुर्झी हुई लंड पेट पर था । लंड और अंडकोष घने झांटो से भरे होने के कारण मम्मी की गदराया बदन बहुत मस्त लग रहा था ।
अब शोभा बगल मेँ लेट गई और मम्मी की उरोजोँ को मसलने लगी । इसी मस्ती मेँ उसकी लंड मेँ तनाव आने लगा । शोभा दुसरे हाथ से मम्मी की बडे से अंडोँ को मुठ्ठी मेँ भर कर मसलते हुए उसकी होँठ चुमने लगी । अब मम्मी की लंड एकदम तन कर खडा हो गया, करीब 8 इंच के आस-पास । तभी शोभा मम्मी की तनी लंड को मुठ्ठी मेँ भर ली और धिरे-धिरे सुपाडा को अंदर-बाहर करने लगी । मम्मी मस्ती मेँ आंखेँ बंद कर के दांतोँ तले होँठ दबाने लगी ।

अंदर का नजारा देख के मेरा लंड फुँकार मारने लगा ।

"बहुत अच्छी, अब मेरी लंड चुसिए ।" मम्मी आहेँ भरती हुई बोली ।

तभी शोभा अपनी मुँह निचे की और लाई और जैसे ही मम्मी की लाल सुपाडी पर जिभ रख दी, मम्मी चिहुंक उठी और गांड को उछाल दी । शोभा मम्मी की लंड को हाथ मेँ भर कर मुठ मारने लगी और सुपाडी पर जिभ चलाने लगी । मम्मी आंख बंद किए सिसकारी मारने लगी थी और अपनी लंड चुसवाने का मजा उठाती रही । तभी उसने पूरी लंड को मुँह मेँ भर कर चुसना शुरु कर दिया । मम्मी से अब रहा नहीँ गया । व शोभा की सर को दोनोँ हाथोँ से पकड कर अपनी लंड पर दबाने लगी और मस्ती मेँ कराहते हुए गांड उछालने लगी । करीब दो मिनट तक मम्मी अपनी लंड चुसवाने के बाद उसे रोक दी और उठ खडी हुई ।

"अब मेरी गांड चुसिए ।" मम्मी अपनी उभरी चुतडोँ पर हाथ फिराती हुई शोभा से बोली ।

मम्मी ने शोभा को चित्त लेट जाने को कहा। और उसने एक चुम्मा लेकर अपनी पेटीकोट को कमर तक सरका ली और फिर शोभा की मुंह के ऊपर अपनी 6 इंच का लंड पकड कर बैठ गई। शोभा ने मम्मी की मूषल लंड के लाल सुपाडा से फोर-स्कीन को निचे सरका दी और होले से अपनी जीभ की टिप लंड की लाल सुपाडा पर रख दी। मम्मी की तो एक सीत्कार क्या हलकी चीख ही निकल गई ।

शोभा ने नीचे से ऊपर अपनी जीभ फिराई गांड के सुनहरे छेद तक और फिर ऊपर से नीचे तक। ऊईइ माँ….. कहते हुए मम्मी ने अपनी दोनों अन्डकोशों को शोभा मुंह में भर दिया । फिर उन्होंने उन अंडों को मुंह के अन्दर ही गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया। मम्मी की लंड का बुरा हाल था । अब शोभा ने मम्मी की सुपाड़ा अपने होंठों में लेकर दबाया। सुपाड़े पर आये प्री-कम पर अपनी जीभ टिकाई और अपनी जीभ सुपाड़े पर फिराई लंड के ऊपर से नीचे तक।

फिर जब उन्होंने मम्मी की अन्डकोषों को चाटा और उनकी गांड के सुनहरे छेद पर अपनी जीभ की नोक लगा दी। गांड का छेद तो कभी खुल रहा था कभी बंद हो रहा था। व तो जैसे शोभा को ललचा ही रहा था फिर उसने ने थूक से उसे तर कर दिया था। शोभा अपनी एक अंगुली उसमें डालने की कोशिश की पर वो उसे असुविधाजनक लगी तो अपने अंगूठे पर थूक लगा कर गच्च से मम्मी की गांड के छेद में डाल दिया। अब मम्मी अपनी लंड को एक हाथ से पकड़ कर उनकी मुँह के नरम नाजुक होंठ पर लगा दिया और गच्च से शोभा की मूँह में डाल कर अन्दर बाहर करने लगी। मम्मी तो सीत्कार पर सीत्कार किये जा रही थी और अपनी गदराए नितम्ब उछाल उछाल कर जोर जोर से बड़बड़ा रही थी, "हाई … जानू ऐसे ही चूसो … या…. ओह …. और जोर से और जोर से …" कोई 4-5 मिनट तक शोभा मजे ले कर मम्मी की लंड चूसती रही, मम्मी की लंड अब पूरे 8 इंच का हो गया था। बीच बीच में मम्मी की गांड को सहलाती कभी उनकी गांड के छेद पर अंगुली फिराती ।

तभी शोभा उठी और मम्मी को चित लिटा दिया उसने साइड में पड़ी स्टूल पर रखी तेल की शीशी उठाई और मम्मी की लंड को जैसे नहला ही दिया। अब एक हाथ से उसकी अंडकोष पकड़ लिए और दूसरे हाथ से मम्मी की लंड को सहलाने लगी। मम्मी तो आ … उन्ह … ओईईइ … करता मीठी सित्कारें मारने लगा। शोभा ने तेजी से हाथ चलाने लगी। मम्मी जोर से अपनी चौडी मांसल गांड उछली रही और उसके साथ ही व आ … उ.ऊ … ओईईइ … करने लगी मानो रो पडेगी और मम्मी की लंड से पिचकारी फूट गई और तेज फौबारे के साथ ढेर सारा विर्य निकलने लगा। सारा वीर्य उसके हाथों और जाँघों और मम्मी पेट पर फ़ैल गया। और वो एक और लुढ़क गयी।

उनकी आँखें बंद थी और साँसें जोर जोर से चल रही थी।
मैं हक्का बक्का उन्हें देखता ही रह गया। पता नहीं ये क्या हो गया।
कोई 3-4 मिनट के बाद मम्मी ने आँखें खोली और शोभा से लिपट गई। उसकी होंठों पर तड़ातड़ 4-5 चुम्बन ले लिये, मम्मी को अपने आप पर बड़ी शर्म सी आई। इतनी जल्दी तो व पहले कभी नहीं झडी था। आज पता नहीं क्या हुआ था कि व इतनी जल्दी खलास हो गई।

तभी शोभा बोली-"चिंता करने की कोई बात नहीं है। मैं जानती थी तुम्हारी ये औरतोँ वाला लंड पहली बार में जल्दी झड़ जाएगी। इस लिए यह करना जरुरी था। अब देखना, तुम बड़ी देर तक अपने आप लंड के तनाव को रोक पाओगे। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी बुर चोदते समय तुम जल्दी झड़ जाओ और ठीक से चोदाई का मज़ा ना ले पाओ !"
मम्मी ने बाथरूम में जाकर अपनी लंड, अंडकोष, पेट, जाँघों और हाथों को अच्छी तरह धोये,अपना पेटीकोट को खोल दी और बड़ी अदा से अपनी कुल्हे और भारी चौडी नितम्ब मटकाती वो पलंग के पास आकर खड़ी हो गई। उसकी गदराया बदन देख कर तो मेरा शेर फिर से कुनमुनाने लगा था।
मम्मी उसे अपनी बाहों में भर कर चूम ली। शोभा ने अपने होंठ मम्मी की होंठों पर रख दिए। शोभा मम्मी को अपनी बाहों में जोर से भर कर उनकी चुचियोँ को जोर जोर से चूसना चालू कर दिया। मम्मी की तो सीत्कार पर सीत्कार निकल रही थी।

अब मम्मी उसकी नाभि और पेट को खूब अच्छी तरह से चाटाते हुए उसकी पेटीकोट के ऊपर से ही हाथ फिराना शुरू कर दिया और अपने हाथों को शोभा की जांघों के बीच ले जा कर उसकी बुर को अपनी मुट्ठी में भर कर मसलने लगी। मम्मी शोभा की मक्खन सी मुलायम जांघों को भी खूब चाटा और चूमा। जब मम्मी हाथ बढ़ा कर उनकी पेटीकोट हटाने लगा तो शोभा ने अपनी पेटीकोट की डोरी खुद ही खोल दी। शोभा की अधेड बुर देखने लायक था। घने काले झांटों ते बीच गुलाबी रंग के फांकें तो जैसे सूज कर मोटी मोटी हो गई थी। मम्मी उसकी टांगो के बीच में आ गई। उसने अपनी बुर की फांकों को दोनों हाथों से पकड़ कर चौड़ा किया और मम्मी से बोली,

" हाँ, अब इसे प्यार करो !"
मम्मी बुर को चाटते हुए अपनी जीभ को घुमा भी रही थी। चुत का नमकीन और कसैला स्वाद मम्मी को पागल बना रहा था। मम्मी की लंड फिर फूंकार मारने लगा था। शोभा की सीत्कार पूरे कमरे में गूंजने लगी थी
"उईईइ।.. बहुत अच्छे, बहुत खूब, ऐसे ही, ओह…. सीईईईईईइ….. ओह । ओह … ऐसे ही चूसते रहो…. ओईईइ …."
मम्मी अब अपनी जीभ से उसकी बुर को ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर फिराया । फिर बुर के होंठों को दोनों हाथों से पकड़ कर चौड़ा किया और अपनी जीभ को नुकीला करके उसके गुलाबी छेद पर लगा कर होले होले अन्दर बाहर करने लगी।

अब मम्मी चुसना छोड़ कर उनकी चूत पर अपना थूक लगा दिया और अपनी लंड को उनकी चूत के नरम नाजुक छेद पर लगा दिया। मम्मी ने अपना एक हाथ उसकी गर्दन के नीचे लगा लिया और दूसरा हाथ उसकी कमर के नीचे। उसने अपनी जांघें चौड़ी कर ली। और फिर मम्मी अपनी गांड को जोर से उछाली और एक धक्का जोर से लगा दिया। एक ही धक्के में मम्मी का लंड अन्दर चला गया। आह… क्या नर्म और गुदाज अहसास था। मम्मी दो तीन धक्के तेजी से लगा दिए। शोभा तो बस उईई।... मा… करती ही रह गई।

अब मम्मी उनके होंठ चूमने शुरू कर दिए। उनके चुचियां मम्मी की चुचियों से लग कर दब रहे थे। मम्मी कभी उनके होंठ चूमता कभी कपोलों को। मम्मी ने अपने चौड़ी गांड को हवा में जोर-जोर से उछालती हुई बुर में धक्के चालू रखे। अब धक्के के साथ ही शोभा नितम्ब भी ऊपर नीचे होने लगे । शोभा ने एक तकिया अपने गांड के नीचे लगा लिया और पैर नीचे कर दिए। लंड को उसके बुर की तह तक पेलते हुए मम्मी की तो सीत्कार पर सीत्कार निकल रही थी।

कोई 10 मिनट की धमाकेदार चुदाई के बाद मम्मी हांफने लगी। शोभा की शरीर कुछ अकड़ा और फिर उसने एक जोर की किलकारी मारी। शायद वो झड़ गई थी। मम्मी रुक गई। उनकी सांसें जोर जोर से चल रही थी। मम्मी ने अपनी उभरी गांड घुमाते हुए धक्के लगाने चालू कर दिए। शोभा ने हाथ बढ़ा कर मम्मी की चुचियों को पकड़ ली और चूसने लगी।
मम्मी एक हाथ से उसके चिताड सहला रही थी और कभी कभी उसकी पीठ या कमर भी सहला रही थी। जैसे ही उसकी गांड नीचे आते तो गच्च की आवाज आती थी । मम्मी अब अपनी भारी गांड जोर जोर से उछालती हुई शोभा की बुर में चोदना चालू कर दी। अभी 4-5 धक्के ही लगाये थे कि मम्मी की लंड से पिचकारी और आंटी की सीत्कार दोनों एक साथ निकल गई। उसकी बुर मम्मी की गाढ़े गर्म वीर्य से लबालब भर गई। शोभा ने मम्मी को को अपनी बाहों में इतनी जोर से जकड़ा कि मम्मी की हाथों की 4-5 चूड़ियाँ ही चटक गई। पता नहीं कब तक वे दोनों इसी तरह एक दूसरे की बाहों में लिपटे पड़े रहे।

अब मुझे बहुत मजा आ रहा था I तभी कुछ आवाज़ आयी तो मैंने देखा-शेखर एक बैग हाथ ने लिए अन्दर दाखिल हुआ I सामान अंदर रख दिया और सारे कपडे उतार कर नंगा हो गया I मम्मी अपनी मांसल जांघों को चौड़ी करके लेटी थी और अपनी लंड को सहला रही थी I तभी शेखर ने शोभा देवी को बाहों में भर कर चुमना शुरु कर दिया । दो मिनट तक चुसाई के बाद दोनों मम्मी की तरफ देखी जो पलंग पर लेटी अपनी लंड का सुपाडा अंदर बाहर कर रही थी । मम्मी उठी और शोभा को पलंग पर चित लिटा दी । और उसने शेखर को शोभा उपर 69 के पोजिसन में लेट जाने को कही ।

दोनों 69 पर आने के बाद एक दुसरे के अंगों को चाटना शुरु कर दिया ।
अब मम्मी शेखर के पिछे आ गई और उसका गांड को फैला कर छेद पर अपनी जीभ चलाने लगी । ये देखकर मुझे शर्म आया कि मैं उसका बेटा हुँ । मुझे उस पर गुस्सा आ रहा था । क्या मम्मी इतनी चुदास हो गई थी कि एक गैर मर्द की गांड भी चुसना शुरु कर दी !
अब मम्मी शेखर के अंडकोष को मुंह में भर कर चुसने लगी थी । फिर व उसकी अंडे चुसना छोड कर गांड को दोनों हाथों से फैलाया और छेद पर जीभ रख कर चारों और घुमा कर चुसना शुरु कर दिया । शेखर मस्ती में आहें भर रहा था । मम्मी अब गांड चुसना छोड कर शोभा की होठों के बिच अपनी लंड रखी और दबाने लगी । शोभा मम्मी की लम्बी लंड मुंह में ले ली और चुसने लगी । मम्मी दोनों हाथ अपनी चौडी चुतड पर रख कर सिसक रही थी ।

करीब दो मिनट तक चुसवाने के बाद मम्मी शोभा की मुंह से अपनी लंड निकाल ली और शेखर के गांड पर थोडा थुक लगाई और लंड छेद पर रख कर दबाने लगी तो आधा लंड अंदर चला गया । फिर मम्मी ने एक और धक्का लगाई तो उसकी पूरी लंड शेखर के गांड में जड तक चला गया । और अब मम्मी शेखर की कमर पकड कर उसे चोदने लगी ।

अभी तक शेखर और शोभा 69 पोजिसन में थै । शेखर शोभा की बुर चाट रहा था और शोभा निचे से शेखर का लंड चुस रही थी । शोभा ने शेखर की गांड में अंदर बाहर हो रही मम्मी की 8 इंच लंड को करीब से देख रही थी । मम्मी अब तेजी से शेखर की कमर को पकडे उसे चोदने लगी थीं ओर उसकी अंडकोष शोभा की नाक पर रगड खा रहे थे । तभी शोभा ने अपनी जीभ निकाल कर मम्मी की उछल रही चौडी गांड की छेद में रख कर फिराने लगी जो फैली हुई थी ।

मस्ती में आ कर मम्मी ईईई...उई... करने लगी और तेजी से शेखर को चोदने लगी । फिर मम्मी एक हाथ पिछे लाई और शोभा की मुंह को अपनी फैली हुई चौडी गांड के छेद में दबा दी । ताकि व उसकी गांड को ठिक तरह से चाट सके । तभी मम्मी शेखर की गांड से अपनी लंड निकाल कर शोभा की मुंह में डाल दी । शोभा मम्मी की 8 इंच की लंड को मुंह में भर ली और चुसने लगी । मम्मी सिसकती हुई अपनी दोनोँ चुचियों को मसलने लगी और शोभा की मुंह में लंड पेलने लगी ।
कुछ देर तक लंड चुसवाने के बाद फिर मम्मी शेखर की गांड पर झुकी और दोनों हाथों से गांड के छेद को फैला कर चाटने लगी । शेखर आंख बन्द कर मजा ले रहा था । अब मम्मी दो उंगली मुँह में लेकर गिला किया और शेखर के गांड के छेद में अंदर बाहर करने लगी ।

कुछ देर तक ऐसा करने के बाद मम्मी बिस्तर पर खडी हो गई और शेखर के गांड के उपर खडी होकर अपनी लंड के सुपाडा को छेद में दबाया तो आधा लंड अंदर चला गया । थोडा बाहर निकाल कर फिर से दबाया तो मम्मी की पूरा लंड शेखर के गांड में चला गया । अब मम्मी शेखर के पीठ पर अपनी चुचियों को दबाती हुई उसे जकड ली । और मम्मी अपनी उभरी गांड को उछालती हुई शेखर के गांड को चोदने लगी ।

मैं अपनी लंड सहलाते हुए मम्मी की उछलती चौडी गांड को देख रहा था । क्या लग रही थी मम्मी की गांड ! उछलती हुई मम्मी की भारी गांड और फैल गई थी, फैलने से गांड के दरार खुल गई थी और छेद दिखाई दे रही थी जिसके निचे मम्मी की 8 इंच का मोटा लंड शेखर की गांड में अंदर बाहर हो रहा था ।

तभी शेखर ने गर्दन उपर उठाई तो मम्मी ने उसके होंठ चुमने लगी । अब मम्मी रफ्तार बढ़ाती हुई जोर जोर से शेखर के गांड में अपनी लंड अंदर बाहर करके चोदने लगी । अब मम्मी मस्ती में सिसकने लगी थी और तेजी से गांड उछालती हुई शेखर को चोदने लगी । फिर मम्मी शेखर की पीठ पर लुढक कर धिरे धिरे अपनी भारी चुतड शेखर के गांड m दबा रही थी ।

कुछ देर बाद मम्मी उठी और उसके गांड से अपनी लंड बाहर निकाल ली और शेखर को पीठ के बल लेट जाने को कही । शेखर मम्मी की बात मानते हुए पलंग पर लेट गया । अब मम्मी शोभा देवी को उसके लंड पर बैठने को कही तो उसने बोली -

"आखिर क्या करने वाली हो तुम ।"

"माँ जी ! आप पहले बैठिए तो सही, फिर देखते जाईये मैं क्या करती हुँ ।" मम्मी बोली ।

मैं बडे ध्यान से मम्मी की करतूतें देख रहा था । मेरी विधवा मम्मी शर्म का लिवास को उतार फेंकी थी और मस्ती में डुबी हुई थी ।
फिर से मैंने अंदर झांका ।

शोभा शेखर की लंड पर बैठ चुकी थी । मम्मी अब शोभा की जांघों को फैलाई और अपनी घुटनों को दोनो तरफ करके जांघों के बिच बैठ गई । मैं समझ गया कि मम्मी क्या करने जा रही है, मेरा लंड कडा हो गया और मैं मुठ मारना शुरु कर दिया । आखिर मम्मी ये चोदाई के सारे फाँर्मुला सिखी कहां से ? खैर !

मैं फिर से अंदर झांका । शेखर निचे से शोभा की गांड में लंड घुसा चुका था । मम्मी उसकी जांघों के बिच बैठ कर अपनी लंड का सुपाडा बुर की गुलाबी छेद में रख कर दबाई तो गच ! के आवाज के साथ मम्मी का समुचा लंड अंदर चला गया । अब मम्मी धिरे धिरे शोभा देवी की बुर में लंड पेल रही थी और शोभ अपनी दोनों हाथों से मम्मी की बडी बडी चुचियों को मसलना शुरु कर दी ।

क्या नजारा था अंदर !
मम्मी और शेखर एक साथ शोभ की दोनों छेद में लंड पेल रहे
थे । पूरे कमरे में गच! गच! की आवाज गुंज रही थी । मम्मी की इस चोदाई देख कर मैं जोरों से मुठ मारने लगा । अब दोनों ने तेज बढाते हुए शोभा को चोदे जा रहे थे । शोभा मम्मी की स्तन को चुसने लगी थी और मम्मी एक हाथ से अपनी भारी गांड को मसलती हुई जोर-जोर से उछालने लगी । तभी मम्मी अचानक दो तीन बार हवा में गांड उछालती हुई अपनी लंड को शोभा की बुर में जड तक पेल दी और शोभा के उपर लुढक कर झडने लगी । मम्मी की पूरी बदन कांप रही थी और व हांफ रही थी । अब मम्मी शोभा को चुमती हुई धिरे धिरे अपनी भारी चुतड शोभा की बुर में दबा रही थी । मम्मी ने सारा विर्य शोभा की बुर में उडेल दी थी ।

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