mast godiy
by dil1857©
मस्त घोड़ियाँ--1
मनोहर अपनी कार से नीचे उतरता है और सामने की बिल्डिंग मे जाकर सीधे लिफ्ट के अंदर पहुच कर 4 दबाता है
और कुछ देर मे लिफ्ट 4थ माले पर पहुच जाती है, सामने एक बंदा बैठा हुआ तंबाखू रगड़ रहा था और
मनोहर को देखते ही जल्दी से खड़ा होकर सलाम करता है,
मनोहर-सेठ जी अंदर है,
जी साहेब अंदर ही है, मनोहर सीधे दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल होते हुए अरे क्या यार रतन तू यहा ऑफीस
मे घुसा है और मैं दो दिन से ठीक से सो नही पा रहा हू,
रतन- अरे बैठो मनोहर तुम तो हमेशा ही जल्दी मे रहते हो जब कि हमारा काम है बिल्डिंग बनवाना और वह
काम तो आराम से ही होता है,
मनोहर- अरे मैं वह नही कह रहा हू जो तुम समझ रहे हो
रतन- मुस्कुराते हुए, अरे मेरे दोस्त मैं सब समझ रहा हू और मैने तेरा काम भी कर दिया है, अब कुछ देर
तो अपने लंड को संभाल कर रख, अब मैं तेरे लिए रोज-रोज तो 17-18 साल की कुँवारी लोंड़िया चोदने के लिए नही ला
सकता हू ना, फिर भी जुगाड़ करके एक मस्त माल का अरेंज किया है और फिर रतन बेल बजा कर चपरासी को बुलाता
है,
मनोहर- कही तूने उसे पहले ही चोद तो नही दिया
रतन- अरे नही बाबा वह तो मैने तेरे लिए ही बचा कर रखा है, तेरा काम हो गया है अब ज़रा धंधे की बात
कर ले,
मनोहर- बोल क्या करना है
रतन- मेरी तो एक ही इच्छा है और वह काम बस तू ही करवा सकता है
मनोहर-हाँ तो बोल ना
रतन- वो जो तेरा दोस्त मेहता है उसकी एक नई सड़क पर जो ज़मीन है वह कैसे भी मुझे दिलवा दे फिर देख उस
ज़मीन से मैं कहाँ से कहाँ पहुच जाउन्गा,
मनोहर- अबे सपने देखना छ्चोड़ दे मेहता उस ज़मीन को किसी कीमत पर नही बेचेगा
रतन-बेचेगा वह ज़रूर बेचेगा अगर एक बार तू उससे कह दे, मैं जानता हू वह तेरी बात कभी नही टालेगा क्यो कि
उसके उपर तूने एक ही इतना बड़ा एहसान कर रखा है कि वह जिंदगी भर तुझे अपना खुदा मानता रहेगा,
मनोहर- लेकिन रतन मैं इतना ख़ुदग़र्ज़ नही कि उस पर किए एहसान की कीमत मांगू, सॉरी दोस्त कोई और बात होती तो
मैं तेरे लिए कभी मना नही करता पर इस बात के लिए तू मुझे माफ़ कर दे,
तभी कॅबिन के अंदर एक 25 साल की मस्त खूबसूरत लोंड़िया आती है उसने एक स्कर्ट जो उसके घुटनो तक था और उपर एक
शर्ट पहन रखा था उसके दूध इतने बड़े और मोटे थे कि मनोहर का तो लंड खड़ा हो गया और जब वह
लोंड़िया थोड़ा आगे जाकर पलटी तो उसकी मोटी कसी गंद देख कर मनोहर ने टेबल के नीचे अपना हाथ लेजा कर अपने
लंड को सहलाते हुए उसकी गुदाज गंद देखना शुरू कर दी,
रतन- अरे सपना ज़रा जीवन को फोन लगा कर मेरी बात कर्वाओ
सपना- जी सर
ओर फिर सपना ने जीवन को फोन लगा कर रतन को दिया रतन ने फोन लेकर सपना से कहा ज़रा चपरासी को बोल
कर दो कॉफी का बंदोबस्त कर दो,
सपना को जाते हुए मनोहर पीछे मूड कर देखने लगा और उसके भारी फैले हुए चुतडो को बड़ी गौर से
देख-देख कर अपना लंड मसल रहा था,
रतन- ओये बस कर और इधर देख
मनोहर- वाह रतन क्या माल है साले कितनी मस्त लोंड़िया को तूने अपनी पीए बना रखी है,
रतन- बहुत मस्त है क्या
मनोहर- खुदा कसम एक बार तू तो इसकी दिलवा दे साली को रात भर पूरी नंगी करके चोदुन्गा,
रतन- हेलो जीवन शाम को उस लोंड़िया को साथ लेकर मेरे फार्महाउस पर आ जाना
रतन- ले तेरा काम हो गया है और अब शाम को वह अपने ठिकाने पर आ जाएगी,
मनोहर- अरे रतन उसको छ्चोड़ तू तो तेरी इस पीए को एक बार मेरी बाँहो मे भेज दे कसम से कितनी मस्त चुचिया
और गंद है उसकी,
रतन- अबे साले वह मेरी बेटी सपना है और उसने MBआ कर लिया है इसलिए उसे अपने साथ ही बिजनेस मे लगा लिया है
अब मेरे सारे काम को धीरे-धीरे वह संभाल रही है,
मनोहर का मूह एक दम से सुख गया उससे कुछ बोलते नही बन रहा था पर फिर वह रतन को देख कर
मुस्कुराते हुए अपने कान पकड़ कर सॉरी यार मुझे ज़रा भी नही मालूम था कि वह तेरी बेटी है,
रतन- मुस्कुराते हुए इसीलिए तो मैने तेरी बात का बुरा नही माना तभी उनकी कॉफी आ जाती है और मनोहर और
रतन चुस्किया लेने लगते है, मनोहर का लंड अभी तक खड़ा हुआ था तभी सपना एक बार फिर से अंदर आती है
और कुछ फिलो को उठा कर वापस जाने लगती है तभी
रतन-सुनो बेटी
सपना- जी पापा
रतन- ये मेरे खास दोस्त है मनोहर और मनोहर यह मेरी एक्लोति बेटी सपना है
सपना- नमस्ते अंकल
मनोहर नमस्ते बेटा
सपना की नशीली नज़रो और गुलाबी रस से भरे होंठो को देख कर मनोहर का लंड फिर से उसकी पेंट मे तन
चुका था, मनोहर फिर से सपना के हुस्न मे खोने वाला था तभी रतन ने कहा अच्छा सपना बेटी तुम जाओ
मुझे ज़रा मनोहर से कुछ बाते करनी है और फिर सपना वहाँ से चली जाती है,
मनोहर- यार एक बात बता रतन तेरी बेटी की उम्र करीब 25 साल तो होगी और तेरी उम्र को देख कर लगता नही है कि
तेरी कोई 25 बरस की बेटी होगी,
रतन- क्यो भाई मैं भी तो 50 टच करने वाला हू और तू भी साले बुढ्ढा होने की कगार पर ही है
मनोहर- हाँ हाँ ठीक है लेकिन तुझसे तो दो साल अभी छ्होटा ही हू, पर रतन पहले कभी तेरी बेटी को यहाँ देखा
नही,
रतन- मुस्कुराते हुए लगता है तुझे मेरी बेटी बहुत पसंद आई है,
मनोहर- मुस्कुराते हुए नही यार वह बात नही है,
रतन-अच्छा सुन शाम को समय से आ जाना फिर बाकी बाते मेरे फार्महाउस पर ही करेगे,
मनोहर-अच्छा ठीक है और फिर मनोहर वहाँ से उठ कर चल देता है
मनोहर की कार मार्केट के ट्रॅफिक से धीरे-धीरे गुजर रही थी, तभी थोडा आगे रतन को दो मस्त लोंड़िया स्कर्ट और
वाइट शर्ट पहने रोड से अपने भारी भरकम चूतड़ मतकते हुए जाते दिखी,
मनोहर ने जब गाड़ी थोड़ा करीब
लाकर उन्हे देखा तभी एक लड़की पास के सब्जी के ठेले पर रुक कर अपनी गंद खुजलाते हुए सब्जियो के भाव
पूछने लगी, मनोहर का लंड उसकी मोटी गंद को देख कर खड़ा हो गया और जब वह उसके बिल्कुल पास से गुजरा तो
उसके होश उड़ गये वह लड़की कोई और नही बल्कि उसकी अपनी बेटी संगीता थी,
संगीता 18 साल की मस्त भरे बदन
की लोंड़िया थी,
मनोहर- अरे यह तो संगीता है, पर इसकी गंद कितनी मस्त हो गई है मैने तो आज तक कभी इस पर गौर ही नही
किया,
मनोहर ने अपनी कार साइड से लगा कर अपनी बेटी की गुदाज जाँघो और उसकी गदराई गंद को अपना लंड मसल-
मसल कर देखने लगा, थोड़ी देर बाद संगीता उस लड़की के साथ आगे चलने लगी और मनोहर ने अपनी कार अपने
घर की ओर चला दी,
मनोहर की आँखो के सामने अभी तक उसकी बेटी की गदराई मोटी गंद नज़र आ रही थी और
उसका लंड पूरी तरह तना हुआ था वह जब घर पहुचा तब उसकी बहू संध्या ने दरवाजा खोला, संध्या जो कि
23 साल की मस्त लोंड़िया थी, दरवाजा खोलते ही संध्या ने अपने ससुर को देखा और जैसे ही अपना सर झुकाया अपने
ससुर के पेंट मे बने बड़े से तंबू को देख कर वह सन्न रह गई और जल्दी से दबे पाँव अपने रूम मे चली
गई,
संध्या- अरे सुनते हो तब रोहित ने उसके दूध अपने हाथो से मसल्ते हुए क्या है मेरी रानी क्यो बोखलाई हुई
हो,
संध्या- लगता है तुम्हारे पापा सुबह-सुबह किसी कुँवारी लोंड़िया की उठी हुई गंद देख कर आ रहे है जाकर
देखो उनका लंड उनके पेंट को फाड़ कर बाहर आने को बेताब है,
रोहित- क्या बक रही हो रानी बेचारे पापा के बारे मे
संध्या- तुम्हारी कसम रोहित मैने सच मैने उनका लंड खड़ा देखा है,
रोहित- अच्छा ठीक है अब खड़ा देख लिया तो क्या तुम्हारी चूत भी फूलने लगी है और फिर रोहित ने संध्या की
चूत को उसकी साडी के उपर से दबोच लिया, संध्या ने नाभि के नीचे से साडी बँधी हुई थी और रोहित उसके गुदाज पेट
को सहलाते हुए उसके मोटे-मोटे दूध को दबा कर
रोहित- संध्या कही पापा की नज़र तुम्हारे इन कसे हुए चुचो पर तो नही पड़ गई, पापा से बच के रहना तुम
नही जानती वह कितने बड़े चुड़क्कड़ है, अभी जब बुआ मम्मी के साथ बाजार से लॉट कर आएगी तब देखना पापा
का हाल,
संध्या- तुम्हारी बुआ भी तो छीनाल कितनी बड़ी रंडी लगती है हर दो महीने मे अपनी मोटी गंद उठा कर चली
आती है, कहती है बेटे को तो हॉस्टिल मे डाल दिया है और पति दुबई चला गया है अब घर मे कोई नही है तो
सोचा भैया भाभी के यहाँ थोड़ा समय गुज़ार लू,
रोहित- अब छ्चोड़ो भी और क्या तुम जब देखो कही कपड़े धोने का काम कही उन्हे उठा कर फिर जमा-जमा कर
रखने का काम तुम्हे मेरे लिए तो टाइम ही नही मिलता है
संध्या- अच्छा तुम यह कपड़े उस अलमारी मे डाल दो मैं पापा को पानी दे कर आती हू और फिर संध्या बाहर
चली जाती है,
रोहित बैठे-बैठे धोए हुए कपड़े घड़ी करने लगता है और उसकी नज़र एक गुलाबी कलर की छ्होटी सी पेंटी पर
चली जाती है, तभी संध्या रोहित के हाथ मे वह पेंटी देख लेती है,
रोहित - अरे संध्या यह छ्होटी सी पेंटी किसकी है
संध्या- मुस्कुराते हुए अब जान बुझ कर अंजान मत बनो जैसे अपनी बहन संगीता की पेंटी नही पहचानते हो
रोहित - यह संगीता की पेंटी है, कितनी छ्होटी सी है ना
संध्या- संगीता की पेंटी को थोड़ा फैला कर रोहित को दिखाते हुए लो देख लो अपनी बहन की पेंटी और सोचो
कैसी लगती होगी तुम्हारी बहन इस पेंटी मे
रोहित- मुस्कुराते हुए तुम भी ना संध्या
संध्या- रोहित का लंड उसकी लूँगी के उपर से पकड़ लेती है जो पूरी तरह तना हुआ था, क्यो यह मोटा डंडा अपनी
बहन की पेंटी देख कर इस तरह तन गया है ना, बोलो बोलो
रोहित- संगीता का मूह पकड़ कर चूमते हुए मेरी रानी लगता है तुमने पापा का लंड सचमुच खड़ा देख
लिया है तभी इतनी चुदासी हो रही हो,
क्रमशः......................
गतान्क से आगे........................
संध्या-रोहित के लंड को कस कर पकड़े हुए अपनी बहन की नंगी चूत चाटने का मन कर रहा है ना तो आओ ना
मुझे ही संगीता समझ कर थोडा चोद लो
रोहित- संध्या को बेड पर लेटा कर उसकी चूत को उसकी पेंटी सरका कर चाटने लगता है
संध्या- हाय मेरे राजा अब बताओ कैसी लग रही है तुम्हे अपनी बहन की चूत और चॅटो खूब कस कर चाट लो
रोहित अपनी बीबी की चूत को खूब फैला-फैला कर चाटने लगता है और जब संध्या उसे यह कहती है कि अपनी बहन
संगीता की चूत को खूब कस-कस कर चॅटो तो वह बिल्कुल पागला हो जाता है और अपनी बीबी की चूत उसे अपनी बहन
संगीता की गुलाबी चूत नज़र आने लगती है,
रोहित और संध्या का रूम ऐसा था कि उनके बेड के पास की खिड़की से बाहर बैठक का सारा नज़ारा नज़र आता है,
तभी रोहित की मम्मी मंजू जो कि पूरी तरह भरे बदन का माल थी और 40 के उपर थी और उसके साथ रोहित की बुआ
रुक्मणी भी अंदर आ जाती है,
मंजू- भाई मैं तो थक गई और अब मुझसे बैठा नही जाएगा मैं तो जाकर थोड़ी देर लेट जाती हू
रोहित और संध्या खिड़की से बैठक का नज़ारा देख रहे थे और मंजू वहाँ से अपने रूम मे चली जाती है,
रुक्मणी अपने भाई मनोहर के पास बैठ कर उसकी जाँघो पर हाथ रख लेती है, मनोहर अपनी बहन रुक्मणी के
हाथो से बॅग लेते हुए
मनोहर- क्यो रुक्मणी क्या खरीद लाई
रुक्मणी -कुछ नही भैया भाभी कुछ कपड़े लेकर आई है
मनोहर -किसके कपड़े है,
रुक्मणी- अरे संध्या और संगीता के लिए है
मनोहर -अच्छा दिखाओ तो
रुक्मणी -अरे भैया तुम क्या करोगे देख कर उसमे मेरी ब्रा और पेंटी भी रखी है,
मनोहर- रुक्मणी के रसीले होंठो को देखते हुए तो क्या मैं तेरी पेंटी और ब्रा नही देख सकता
रुक्मणी- धीरे से अरे कही भाभी ना आ जाए और फिर रुक्मणी धीरे से अपना हाथ आगे बढ़ा कर मनोहर के
लंड को लूँगी मे हाथ डाल कर पकड़ लेती है, संध्या अपने ससुर के मोटे लंड को पकड़े देख मस्त हो जाती है
और उधर रोहित अपनी बुआ की गदराई जवानी उसका साडी के साइड से उठा हुआ पेट और बड़े-बड़े दूध देख कर उसका
लंड झटके मारने लगता है,
मनोहर- बॅग मे से पेंटी निकाल कर अपने मूह से लगा कर सूंघ लेता है
रुक्मणी- अरे भैया वह तो तुम्हारी बेटी संगीता की पेंटी है जिसे तुम सूंघ रहे हो
मनोहर- अच्छा ठीक है और फिर मनोहर दूसरी पेंटी उठा कर उसे सूंघने लगता है
रुक्मणी -अरे भैया वह तुम्हारी बहू संध्या के लिए लाए है, और तुम हो कि अपनी बहू की पेंटी को सूंघ रहे
हो,
बुआ की बात सुन कर संध्या की चूत से पानी आ जाता है जब उसका ससुर उसकी पेंटी को सुन्घ्ता है तो उसे एक पल के
लिए ऐसा लगता है जैसे पापा जी उसकी खुद की चूत को सूंघ रहे हो,
मनोहर अब अगली पेंटी सूंघ कर रुक्मणी से पूछता है क्यो बहन यह तो तुम्हारी है ना
रुक्मणी- उसके हाथ से पेंटी छिनते हुए यह मेरी और भाभी की दोनो की है
मनोहर-चौक्ते हुए दोनो की मतलब
रुक्मणी उठ कर जाते हुए मतलब यह कि मैं और भाभी एक दूसरे की बदल-बदल कर पहनती है,
मनोहर-अरे सुन तो कहाँ जा रही है देख तेरे भैया कैसे बुला रहे है तुझे और मनोहर अपने लंड को निकाल
कर रुक्मणी को दिखाता है और रुक्मणी उसे अपना अगुठा दिखाते हुए, मैं भी भाभी के साथ जाकर सोउंगी,
संध्या-हाय राम मैं ना कहती थी तुम्हारे पापा ज़रूर इस कुतिया बुआ को खूब कस कर चोद्ते होंगे
रोहित-हाँ मुझे तो यकीन नही हो रहा है कि बुआ इस तरह से पापा का लंड चूस लेगी
तभी संध्या रोहित लंड पकड़ कर हाय मेरे राजा अब यह क्यो ताव खा रहा है कही इसे अपनी बुआ के चूतड़ तो
नही पसंद आ गये है, मैं देख रही हू आज कल तुम्हारा लंड अपनी बुआ अपनी बहन और खास कर अपनी मम्मी
मंजू की मोटी गंद देख कर बड़ा जल्दी खड़ा होता है,
रोहित- उसकी चूत के अंदर अपनी एक उंगली डाल कर हिलाते हुए, लगता है मेरी रानी आज पापा का लंड देख कर बहुत
पानी छ्चोड़ रही है,
संध्या- तुम ऐसे नही मनोगे और फिर संध्या उठ कर संगीता की पेंटी पहन कर रोहित को अपनी चूत और
मोटी गंद उठा-उठा कर दिखाने लगती है और कहती है लो मेरे साजन अब देखो कैसी लगती है इस पेंटी मे
तुम्हारी जवान बहन,
और अपनी गंद को झुका कर रोहित दिखाती हुई, लो राजा चॅटो अपनी बहना की मोटी और गुदाज
गंद को, लो राजा देख क्या रहे हो तुम जल्दी से अपनी बहन की गंद मार लो नही तो पता चला पापा ने संगीता को
चोद दिया और तुम उसकी कुँवारी चूत फाड़ने के लिए तरसते ही रह गये,
संध्या के मूह से इतना सुनना था कि रोहित ने उसकी पेंटी को उसकी गंद से साइड मे करके अपने तने लंड को अपनी
बीबी की चूत मे पीछे से एक झटके मे ही अंदर उतार दिया,
संध्या बड़ी चतुर थी उसने अपना मूह उस थोड़ी सी
खुली खिड़की की ओर कर रखा था जिससे उसे पपाजी का लंड आसानी से नज़र आ जाए जिसे वह अभी भी बैठे-बैठे
सहला रहे थे, इधर रोहित अपनी आँखे बंद किए हुए संगीता की मोटी गंद को याद कर-कर के अपनी बीबी की
चूत मार रह
मस्त घोड़ियाँ--8
गतान्क से आगे........................
संगीता- अपनी चूत मसल्ते हुए, भाभी आप दोनो की बातो से मेरी चूत बहुत पानी छ्चोड़ रही है, भैया एक बार मुझे भी अपनी मम्मी समझ कर चोदोगे,
रोहित- अपनी बहन संगीता के ठोस दूध को अपने मूह मे भर कर चूसने लगता है और संध्या कहती है ले संगीता तेरे भैया तुझे अपनी मम्मी समझ कर तेरे मस्त चुचो को पी रहे है, संगीता अपने दूध को अपने हाथो से दबा-दबा कर अपने भैया के मूह मे डालती हुई कहती है ले बेटा रोहित अपनी मम्मी के दूध पी ले फिर तेरी मम्मी तुझे अपनी चूत खोल कर भी पिलाएगी,
दोनो ही कमरो मे चुदाई का मस्त महॉल था और औरत और मर्द के जनाना अंगो से उठती गंध ने पूरे महॉल को नशिला कर दिया था, पापा अपने मोटे लंड को अपनी बहन की गंद मे दल-दल कर उसे मस्त कर देते है बुआ ज़ोर-ज़ोर से अपनी गंद पीछे की ओर मारती हुई खूब सीसीयाने लगती है, तभी बुआ मम्मी की जाँघो को पकड़ कर अपने मूह की ओर खिच लेती है और मम्मी की पाव रोटी की तरह फुल्ली चूत को चाटते हुए अपने भैया का लंड अपनी गंद मे गहराई तक लेने लगती है, इधर संध्या भी संगीता की चूत मे दो उंगलिया डाल कर हिलाने लगती है,
तभी रोहित एक करारा धक्का संध्या की चूत मे मार देता है और संध्या पापा के लंड को देखती हुई ओह पापा कह कर झड़ने लगती है उधर बुआ की गंद मे जब पापा एक तगड़ा झटका जड़ तक मार देते है तो बुआ मस्त होकर मम्मी की चूत के छेद मे अपनी जीभ डाल देती है, मम्मी अपनी चूत का पानी बुआ को चटाते हुए झाड़ जाती है और बुआ पापा के लंड से निकले पानी को अपनी मोटी गंद मे पूरा निचोड़ लेती है,
संध्या और संगीता रोहित के लंड का पानी एक साथ चाटने लगती है और चाट-चाट कर रोहित के लंड को पूरा चमका देती है,
उस चुदाई के बाद पापा बुआ और मम्मी को लेकर बॅड पर लेट कर दोनो रंडियो को अपनी बाँहो से चिपका कर लेट जाते है और इधर तीनो थक जाने के कारण बॅड पर जाकर चिपक कर लेट जाते है, रोहित अपनी बहन और बीबी को चूमता रहता है और संध्या और संगीता बारी-बारी से रोहित के लंड और गोटू से खेलती रहती है,,
सुबह-सुबह मनोहर अपने ऑफीस जा चुका था और रोहित और संगीता और उसकी मम्मी मंजू बैठक रूम मे
बैठक कर चाइ पी रही थी, और दूसरी और बुआ जाकर संध्या के रूम मे संध्या से बाते करने लगी और संध्या
अपने रूम की सफाई करती हुई बुआ से बाते कर रही थी,
बुआ- बड़े गौर से संध्या के उठे हुए चुतडो को देख कर बोली, बहू रानी जब तुम यहाँ आई थी तब एक दुबली
पतली और लंबी सी लोंड़िया लगती थी और अब तुमने अपने इन भारी चुतडो को कभी गौर से देखा है कितने फैल
गये है, ल्गता है रोहित दिन भर तुम्हारे चुतडो मे ही अपना मूह घुसाए रहता है,
संध्या- मुस्कुराते हुए, बुआ जी मेरे चूतड़ आपकी मोटी और गुदाज गंद से तो छ्होटे ही है,पर आप कभी नही
बताती कि आपकी गंद इतनी चौड़ी कैसे हुई है
बुआ- बहू मैं तो खाते पीते घर की हू इसलिए मेरी गंद बहुत मोटी हो गई है,
संध्या- नही बुआ जी खिलाई पिलाई तो हमारे पापा ने भी हमारी खूब अच्छे ढंग से की है पर हमारे चूतड़
तो इतने नही बढ़े,
बुआ- बेटी कुछ औरतो पर उनके बाप की खिलाई पिलाई का असर नही होता है अब देखना जब तुम अपने ससुर का माल
खओगि तब देखना तुम्हारे चुतडो का साइज़ मेरे जैसा हो जाएगा, पहले तेरी सास मंजू की गंद भी इतनी मोटी नही
थी फिर भैया ने जब उन्हे अपना माल खिलाया अब तुम खुद ही देख रही हो की तुम्हारी सास की गंद कितनी गुदाज और
ठोकने लायक हो रही है,
बुआ- अच्छा बहू तेरे पापा तुझे बहुत प्यार करते है क्या,
संध्या- मुस्कुराते हुए, बुआ मैं तो आज भी जब पापा के पास जाती हू तो वह मुझे अपनी गोद मे बैठा कर
मुझे खूब प्यार करते है,
बुआ- हाय राम तू इतनी बड़ी घोड़ी है उसके बाद भी तेरे पापा तुझे अपनी गोद मे चढ़ा लेते है,
संध्या- हस्ते हुए क्यो मैं तो फिर भी छ्होटी हू आप तो 40 पार कर रही है और आज भी अपने भारी चुतडो के
साथ अपने भैया की गोद मे बैठ जाती हो,
बुआ- सकपकाते हुए तूने कब देख लिया मुझे भैया की गोद मे बैठे हुए,
संध्या- मुस्कुराते हुए मैने तो वह भी देखा था जो आपने भैया के पास बैठ कर अपने हाथ मे पकड़
रखा था और उसे बड़े प्यार से सहला रही थी,
बुआ- चुप कर रंडी तूने कैसे देख लिया मुझे तो यकीन नही हो रहा है,
संध्या- बुआ इसमे तुम्हारी कोई ग़लती नही है तुम्हारे चूतड़ है ही इतने भारी की कोई भी देखे उसका लंड खड़ा
हो जाए, यहा तक कि रोहित तो आपके बेटे जैसा है ना
बुआ- हाँ वह मेरा बेटा ही है
संध्या- आपका रोहित भी आपके भारी चुतडो को देख-देख कर बहुत मस्त हो जाता है,
बुआ- मूह फाडे हुए क्या, क्या रोहित ने मेरे बारे मे तुझसे कुछ कहा है
संध्या- बुआ वह तो आपको चोदने के लिए तड़प रहा है, कहता है एक बार बुआ को पूरी नंगी करके अपने सीने से
चिपका ले तो उसका ख्वाब पूरा हो जाए,
बुआ- मंद-मंद मुस्कुराते हुए चल झूठी कही की, मुझे बुध्धु बना रही है,
संध्या- आप की कसम बुआ मैं झूठ नही बोल रही हू और उनका लंड भी पापा के लंड के जैसा ही दिखता है बिल्कुल
टू कॉपी नज़र आता है, कल रात को ही जब वह मुझे चोद रहे थे तो जानती हो उनके मूह से क्या शब्द निकल रहे
थे, हाय बुआ कितनी टाइट गंद है तुम्हारी कितनी फूली चूत है तुम्हारी, जब मैने कहा रोहित मैं संध्या हू तब
उन्होने कहा, मेरी रानी आज तुम मुझे बुआ की तरह नज़र आ रही हो कुछ देर के लिए यह समझ लो कि तुम मेरी
बुआ हो,
रुक्मणी की चूत संध्या की बात सुन कर गीली हो जाती है और वह अपनी चुस्त सलवार पहने पिछे की ओर दीवार से
टिक कर अपने दोनो पेरो के घुटनो को मोड हुए बैठी रहती है उसकी जाँघो की जड़ो मे जहाँ उसकी फूली हुई चूत
का उभार उसकी सलवार से साफ नज़र आ रहा था वह हिस्सा पूरा गीला हो चुका था और संध्या की नज़र जैसे ही बुआ
की फूली हुई सलवार पर पड़ी तो संध्या ने एक दम से बुआ की बुर को उसकी सलवार के उपर से दबोच लिया,
बुआ- एक दम से अपनी जाँघो को मिलाते हुए, हाय दैया बहू क्या कर रही है पागल हो गई है क्या,
संध्या- बुआ जी आपने सलवार के अंदर पॅंटी नही पहनी है ना,
बुआ- हाँ बहू तभी तो मेरी सलवार वहाँ से गीली हो गई,
संध्या- बुआ की फूली हुई चूत को दबाती हुई बुआ तुम जानती हो रोहित को तुम्हारी उमर की औरतो की फूली हुई चूत
बहुत अच्छी लगती है, और तुम्हारी चूत को देखो यह इतनी गुदाज पाव रोटी की तरह फुल्ली है कि सच बुआ रोहित अगर
इस समय तुम्हारी इस फुल्ली बुर को देख ले तो अपना मोटा लंड एक धक्के मे ही तुम्हारी बच्चेदनि से भिड़ा दे,
संध्या की बातो से बुआ की चूत से और भी पानी आने लगता है, संध्या बुआ की चूत को सहलाते हुए जब अपनी उंगली
उसकी बुर के उपर हल्के से दबाती है तो अचानक बुआ की सलवार की सिलाई वहाँ से उधाड़ जाती है जहाँ पर उसकी मस्त
चूत फूली हुई नज़र आ रही थी,
संध्या बहुत खुराफाती तो थी ही उसने जब देखा कि बुआ की सलवार थोड़ी सी उसकी चूत के यहाँ से फटी है तो
संध्या ने बुआ से चिपकते हुए कहा बुआ तुम्हारी चूत का साइज़ बराबर रोहित के लंड के लायक है और फिर
संध्या धीरे से बुआ की सलवार की सिलाई को और भी उधेड़ देती है, तभी संध्या अपनी एक उंगली बुआ की मस्त बुर के
गुलाबी छेद मे एक दम से पेल देती है और बुआ आह संध्या क्या कर रही है, बुआ संध्या के उंगली डालने से
मस्त हो जाती है और संध्या आराम से बुआ की दोनो जाँघो को फैला कर उसकी सलवार उसकी चूत के पास से अच्छे
से फाड़ कर ऐसी कर देती है की बुआ की पूरी खुली हुई गुलाबी चूत और उसका छेद साफ नज़र आ रहा था,
संध्या बुआ की चूत मे अपनी तीन उंगलिया डाल कर आगे पिच्चे करती हुई बोलो ना बुआ कैसा लग रहा है
बुआ- बहुत अच्छा लग रहा है बेटी आह सी आह
संध्या- बुआ रोहित का मोटा लंड चुसोगी,
बुआ- आह पर कैसे बेटी वह क्या चूसने देगा
संध्या- तुम एक बार हाँ तो कहो बुआ उसे तो तुम्हे चोदना भी पड़ेगा और जब वह तुम्हे नंगी करके चोदेगा
तब देखना तुम्हे पूरी मस्त कर देगा,
बुआ- लेकिन कैसे बेटी
संध्या बुआ की चूत से अपनी उंगली निकाल कर उसे कान मे कुछ समझाती है
बुआ- नही संध्या कही रोहित कुछ ग़लत समझ लेगा तो
संध्या- अरे भाई जब मैं खुद आपके साथ हू तो आप फिकर क्यो कर रही हो उसके बाद संध्या बाहर चली जाती है
और रुक्मणी वही दीवार से पीठ लगाए अपने दोनो पेरो को लंबा करके एक के उपर एक टांग रख कर बैठी रहती
है ,
संध्या बाहर जाकर देखती है तो उसकी सास और संगीता कही जाने के लिए तैयार थी संध्या ने पुछा तो मंजू
ने कहा बेटा मेरा भाई बहुत दिनो बाद आ रहा है इसलिए हम उसे स्टेशन लेने जा रहे है तुम लोग खाना खा
लेना हमे थोड़ी देर हो जाएगी,
उनके जाने के बाद संध्या रोहित के पास आकर चलो कमरे मे आज तुम्हे बुआ की चूत
का मज़ा दिल्वाति हू बस
डरना मत और हिम्मत करके आज बुआ को चोदना है मोका बड़ा अच्छा है मैं बाहर का गेट लगा कर आती हू
रोहित अपने रूम मे आकर बुआ के पेरो की तरफ बैठने लगता है और बुआ एक दम से अपने पेर सिकोड कर अपने पेरो
के दोनो घुटने मोड़ लेती है वह जैसे ही घुटने मोड़ती है उसकी फूली हुई चूत एक दम से खुल कर उसकी फटी सलवार
से साफ दिखने लगती है और रोहित अपनी बुआ की मस्तानी चूत को अपने इतने करीब से देख कर एक दम से मस्त हो जाता
है,
बुआ जब रोहित के चेहरे की तरफ देखती है तो वह समझ जाती है कि रोहित ने उसका मस्त भोसड़ा देख लिया है,
बुआ- किसी जनम्जात रंडी की तरह मुस्कुरा कर क्या हुआ रोहित मम्मी कहाँ गई
रोहित- बुआ वो मेरे मामा है ना चंदू वह आ रहे है इसलिए मम्मी उन्ही को लेने गई है