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ट्रेन में मिली मस्त रूपा

by raviram69©

ट्रेन में मिली मस्त रूपा
प्रेषक : रविराम69 © (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories


पटकथा: (कहानी के बारे में) :
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// मैने गाड़ी में रूपा की चुदाई की //
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मै रेलगाडी में जा रहा था. मेरे सामने वाली सीट पर एक सुंदर महिला बैठी थी. उसने नीली साडी पहनी हुई थी. वो पतली दुबली थी मगर उसके दूध बड़े बड़े थे, ऐसा लगता था मानो अभी ब्लाउज़ फाड़ कर बाहर आने को बेताब हैं / उसका रंग भी बिल्कुल दूध की तरह सफ़ेद था / उसकी उमर कोई 28-29 साल की होगी / मैने ध्यान दिया कि वो मुझे बहुत देर से देख रही है तो मैने भी उसकी तरफ़ देख कर थोड़ा मुस्करा दिया / फिर वो मुझसे अपनी टिकट दिखाते हुए पूछी कि ---- ज़रा देखो मेरा रिज़र्वेशन है कि नहीं?

मैने देखा उनका वेटिंग टिकेट था / मैने कहा --- कोई बात नहीं आप मेरे सीट में सो जाना / फिर मैने उसका नाम पूछा तो उसने बताया कि उसका नाम रूपा है /

रूपा की खूबसूरती देख कर मेरे मुंह और लंड दोनो ही जगह से पानी निकल रहा था / मैं मन ही मन उसे चोदने का प्लान बनाने लगा / ये सरदी की रात थी इसलिये सभी लोग कम्बल ढक कर सो रहे थे / रात को हम खाना खाने के बाद मैने रूपा से कहा के आप सो जाओ मैं बैठता हूं / उसने कहा नहीं तुम भी कम्बल ओढ कर सो जाओ / और फिर वो ट्रेन की उस छोटी सी सीट पर इस तरह से लेट गये कि उसकी गांड मेरी तरफ़ थी और चेहरा दूसरी तरफ़ /

फिर मैं उसके सर की तरफ़ पैर को रख कर लेट गया और मैं उसकी गांड की तरफ़ मुंह घुमा कर सो गया / अब लंड बिल्कुल उसकी गांड की दरार में था उसकी गोल गोल गांड और मेरा लंड एक दूसरे से चिपके हुए थे / रूपा के गोरे गोरे पैर भी बिल्कुल मेरे चेहरे के सामने थे / मेरे लंड को समझाना अब मुश्किल हो रहा था / मैने अपने हाथ उसके पैरों पर रख कर थोड़ा सहलाना शुरु किया और गरम गरम सांसो के साथ उसके पैरों को चूमने लगा /

थोड़ी देर बाद वो मेरी तरफ़ मुड़ गयी / अब उसका चेहरा भी मेरे पैरों की ओर था / उसने मेरे पैरों को ज़ोर से पकड़ का अपने बूब्स से रब करना शुरु कर दिया / फिर मैने भी उसके पैरों को सहलाते हुए जांघ तक जा पहुंचा और जब मैं उसकी चूत पर हाथ रखा तो ऐसा लगा मेरा हाथ जल गया / उसकी चूत भट्टी की तरह गरम हो रही थी और गरम गरम चूत बिल्कुल गीली हो रही थी / मैने उसकी चूत में अपनी उंगलियां डालनी शुरु कर दी, उसकी चूत पर छोटे छोटे बाल थे जिनको मैं अपनी उंगलियों से सहला रहा था /

फिर धीरे धीरे कम्बल के अन्दर ही मैं अपना मुंह उसके चूत तक लेकर गया और उसकी चूत को पीने की कोशिश करने लगा / उसने अपने एक पैर को उठा कर मेरे कंधे पर रख दिया / अब उसकी बुर बिल्कुल मेरे मुंह में थी मैं अपनी जीभ को उसके बुर के चारों तरफ़ घुमाना शुरु कर दिया वो भी अपनी कमर धीरे धीरे हिलाना शुरु कर दी /

मैने भी अपने पैर को उठा कर अपना लंड उसकी तरफ़ बढ़ा दिया / वो बड़े प्यार से लंड को चूसने लगी / हम अब बिल्कुल 69 की पोजिशन में थे लेकिन ऊपर नीचे नहीं थे बल्कि साइड बाइ साइड थे और हम जो भी कर रहे थे धीरे धीरे कर रहे थे क्यों कि ट्रेन में किसी को पता न चले / वो अब कुछ ज्यादा ही ज़ोर से अपने कमर को उठा का अपने बुर को मेरे मुंह में रगड़वा रही थी /

अचानक उसने मेरे सर को अपने हाथ से अपनी बुर में ज़ोर से दबा दिया और कमर को मेरे मुंह में दबा दिया और ढीली पर गयी / मैं उसके बुर की गरमी धीरे धीरे अपने मुंह से चाट चाट कर साफ़ किया / वो अब भी मेरे लंड को चूस रही थी / मैं भी अब जोर जोर से अपने लंड को उसके मुंह में घुसा रहा / मेरे लंड का पानी भी अब बाहर निकलने वाला था मैं ने ज़ोर से उसके बुर में अपना मुंह घुसा दिया और मेरे लंड से पानी निकलना शुरु हुआ तो 9-10 झटके तक निकलता ही रहा /

उसने मेरे लंड के पानी को पूरा अपनी मुंह में लेकर पी गयी / थोड़ी देर के बाद मैं उठा और टोइलेट गया / मैने अपनी पैंट उतार दी फिर अपनी चड्ढी भी उतार दी / अपने लंड को अच्छी तरह से साफ़ किया और पैंट पहन ली / वापस आकर मैने अपनी चड्ढी बैग में डाल दी / फिर वो भी टोइलेट जाकर आयी / और मेरी तरफ़ मुंह करके सो गयी और कम्बल ढक ली /

अब उसके बूब्स मेरी छाती से लग रहे थे / मैने उसके ब्लाउज़ के बटन खोल दिये / वो ब्रा नहीं पहनी थी / ब्रा को शायद टोइलेट में ही उतार कर आयी थी / मैं उसके गोल गोल बूब्स को अपने हाथ से दबाने लगा और उसके निप्पल को मुंह में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा / उसने अपने एक हाथ से अपनी साड़ी को उठा कर कमर के ऊपर रख लिया / अब उसकी कमर के नीचे कुछ भी नहीं था मेरा हाथ उसके मक्खन जैसी जांघों को तो कभी उसके बुर को प्यार से सहला रहा था और रुपा अपने हाथों से मेरे लंड को सहला रही थी / ऐसा काफ़ी देर तक चलता रहा / मेरा लंड एक बार फिर से उसकी बुर की गहराई को नापने के लिये मचलने लगा था /

मैने धीरे से रूपा से पलट कर सोने को कहा / रुपा धीरे से पलट गयी / अब उसकी नंगी गांड की दरार मेरे लंड से चिपकी हुई थी / मैने धीरे से अपने लंड को हाथ से पकड़ कर पीछे से उसकी गांड के छेद में रखा और एक हल्का सा धक्का मारा / मेरा लंड उसकी गांड में आधा घुस गया लेकिन वो दर्द से कराह उठी / लेकिन वो चीखी नहीं / वो जानती थी कि ट्रेन में सब सो रहे लोगों को शक न हो जाये / मैने धीरे से एक और धक्का मारा और लंड पूरा का पूरा अन्दर घुस गया / फिर मैं एक हाथ से उसकी चूचियों को मसलने लगा / रूपा की चिकनी चिकनी गांड मेरे पेट से रगड़ खा रही थी / और मैं उसे चोदे जा रहा था /

फिर चार पांच मिनट के बाद मैने अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी / और जोर जोर से रूपा को चोदने लगा / रूपा भी अपनी गांड हिला हिला कर चुदवा रही थी / अचानक रूपा अपनी गांड को मेरे लंड पे जोर से दबा कर रुक गयी / मेरा लंड भी पिचकारी की तरह पानी छोड़ना शुरु कर दिया / लंड और बुर दोनो का पानी गिर जाने के बाद दोनो शान्त हो गये /

लेकिन हमारी चुदाई सुबह तक चलती रही / हमने रात भर में सात बार चुदाई की / और किसी को पता भी नहीं चला / फिर सुबह मेरा स्टेशन आ गया / और मैं उतर गया / उसे आगे जाना था तो वो चली गयी /

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) (मस्तराम - मुसाफिर)

Written by: raviram69

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